1. केंद्र ने हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश को तीन बल्क ड्रग पार्कों की 'सैद्धांतिक' मंजूरी दी
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रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्युटिकल विभाग ने "बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने" की योजना के तहत तीन राज्यों- हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश के प्रस्तावों को 'सैद्धांतिक' मंजूरी दे दी है।
बल्क ड्रग पार्क का उद्देश्य
केंद्र सरकार द्वारा समर्थित विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करके बल्क ड्रग के विनिर्माण की लागत को कम करना।
घरेलू थोक दवा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में बढ़ोतरी करना।
बल्क ड्रग पार्क योजना
इस योजना को वर्ष 2020 में 3,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था।
औषधि विभाग, देश को एपीआई और ड्रग इंटरमीडिएट्स में आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रहा है।
इसके तहत प्रमुख पहलों में से एक बल्क ड्रग पार्क की योजना भी है।
इस योजना के तहत विकसित किए जाने वाले बल्क ड्रग पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे।
इससे देश में बल्क ड्रग विनिर्माण के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम का निर्माण होगा और विनिर्माण लागत में भी काफी कमी आएगी।
इस योजना के तहत बल्क ड्रग पार्कों की स्थापना के लिए तीन राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान किया जाएगा।
भारतीय औषधि उद्योग आकार के आधार पर विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है।
बल्क ड्रग पार्क के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता
गुजरात और आंध्र प्रदेश में प्रस्तावित बल्क ड्रग पार्क के लिए वित्तीय सहायता सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70 प्रतिशत होगा।
हिमाचल प्रदेश को पहाड़ी राज्य होने के कारण वित्तीय सहायता कुल परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगा।
बल्क ड्रग पार्क के लिए योजना के तहत अधिकतम सहायता 1,000 करोड़ रुपये तक सीमित होगी।
हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के तहसील हरोली में 1402.44 एकड़ भूमि पर बल्क ड्रग्स पार्कों का निर्माण किया जाएगा
गुजरात के भरूच जिले के जम्बूसर तहसील में 2015.02 एकड़ जमीन पर बल्क ड्रग्स पार्कों का निर्माण किया जाएगा
आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के थोंडागी मंडल के केपी पुरम व कोढ़ाहा के 2000.45 एकड़ भूमि पर बल्क ड्रग्स पार्कों का निर्माण किया जाएगा।
औषधि विभाग की अन्य पहल
केएसएम/ड्रग इंटरमीडिएट्स (डीआई) और एपीआई के घरेलू विनिर्माण के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना
2. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवाद विरोधी समिति नई और उभरती प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित भारत में विशेष बैठक करेगी
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संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवाद विरोधी समिति 29 अक्टूबर 2022 को भारत में एक विशेष बैठक आयोजित करेगी।
सम्मेलन का विषय है: नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग से बढ़ते खतरे।
विशेष बैठक तीन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी जहां आतंकवादी द्वारा दुरुपयोग का खतरा बढ़ रहा है,
अर्थात् (1) इंटरनेट और सोशल मीडिया,
(2) आतंकवाद के वित्तपोषण,
(3) मानव रहित हवाई प्रणाली।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद :
यह संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के लिए सुरक्षा परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
इसमें 15 सदस्य होते हैं। पांच सदस्य, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम वीटो शक्ति वाले स्थायी सदस्य हैं।
शेष 10 सदस्य दो वर्ष के लिए महासभा द्वारा चुने जाते हैं। उनके पास वीटो पावर नहीं है।
3. 30वीं दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की बैठक
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 3 सितंबर को केरल के तिरुवनंतपुरम में दक्षिण भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 30 वीं दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की बैठक का उद्घाटन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
बैठक का उद्देश्य सामान्य राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर राज्यों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, अन्य दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्री - तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना - और दक्षिणी केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल बैठक में भाग लिया।
बैठक के दौरान, 26 मुद्दों पर चर्चा की गई, नौ का समाधान किया गया, 17 को आगे विचार के लिए रखा गया, जिनमें से नौ आंध्र प्रदेश के पुनर्गठन से संबंधित थे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने सभी मुद्दों, विशेषकर नदी जल बंटवारे से संबंधित मुद्दों को समाप्त करने के लिए सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए दक्षिणी राज्यों का आह्वान किया।
गृह मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय राज्यों के बीच नियमित रूप से एनसीओआरडी (नार्को कोऑर्डिनेशन सेंटर) की बैठकों की आवश्यकता पर जोर देते हुए मादक पदार्थों की समस्या की जांच करने की कोशिश कर रहा है।
2015 से, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना में मत्स्य अवसंरचना विकास निधि योजना के लिए 4,206 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
क्षेत्रीय परिषदों के बारे में :
1956 में भारत के पहले प्रधान मंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने क्षेत्रीय परिषदों के निर्माण का विचार दिया।
भारत में पांच क्षेत्रीय परिषदें हैं जिनकी स्थापना 1957 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15-22 के तहत की गई थी।
प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद द्वारा एक स्थायी समिति का गठन किया जाता है जिसमें सदस्य राज्यों की संबंधित क्षेत्रीय परिषदों के मुख्य सचिव शामिल होते हैं।
इन स्थायी समितियों की समय-समय पर बैठकें होती रहती हैं ताकि मुद्दों का समाधान किया जा सके।
अध्यक्ष - केंद्रीय गृह मंत्री इनमें से प्रत्येक परिषद के अध्यक्ष हैं
उपाध्यक्ष - मेजबान राज्य के मुख्यमंत्री
4. 64वें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2022 की घोषणा
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रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन (आरएमएएफ), मनीला, फिलीपींस ने 31 अगस्त 2022 को 64वें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार 2022 के विजेताओं की घोषणा की है। यह एशिया या दुनिया में मानव विकास की कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण समस्याओं का समाधान प्रदान करने के लिए व्यक्तियों और संगठन को दिया जाता है।
यह पुरस्कार जिसे 'एशियाई नोबेल पुरस्कार' के समकक्ष माना जाता है, 30 नवंबर 2022 को तदाशी हट्टोरी, गैरी बेनचेघिब, सोथियारा छिम और बर्नाडेट जे मैड्रिड को दिया जाएगा।
2022 केपुरस्कार विजेता
सोथेरा छिम
वह कंबोडिया के नागरिक हैं । एक मनोचिकित्सक और मानसिक स्वास्थ्य अधिवक्ता के रूप में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया है ।उन्होंने खमेर रूज के क्रूर शासन और अपने देश में अन्य रोगियों के हजारों पीड़ित लोगों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
तदाशी हटोरी
वह जापान के नागरिक हैं । वह एक नेत्र रोग विशेषज्ञ और मानवतावादी हैं जिन्हें वियतनाम में मुफ्त नेत्र शल्य चिकित्सा प्रदान करने में उनकी प्रतिबद्धता के लिए सम्मानित किया गया है।
बर्नाडेट जे.मैड्रिड
वह फिलीपींस की बाल रोग विशेषज्ञ हैं। उन्हें देश भर में प्रताड़ित बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान बनाकर फिलिपिनो बच्चे के संरक्षण के अधिकार की हिमायत के रूप में उनके काम के लिए सम्मानित किया गया है।
गैरी बेनचेघिब
वो फ्रांस के नागरिक हैं । उन्हें इंडोनेशिया के बाली में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण के उन्मूलन में उनके काम के लिए सम्मानित किया गया है।
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना 1957 में फिलीपींस के राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की स्मृति में की गई थी, जिनकी 1957 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
- यह पुरस्कार अमेरिकी परोपकारी रॉकफेलर्स ब्रदर्स फंड द्वारा स्थापित किया गया था।
- पहला पुरस्कार 31 अगस्त 1958 को दिया गया था और भारत के विनोबा भावे पहले पांच पुरस्कार विजेताओं में शामिल थे।
- यह 2008 तक सालाना 6 श्रेणियों में दिया जाता था। यह सामुदायिक नेतृत्व, लोक सेवा, सरकारी सेवा, पत्रकारिता, साहित्य और रचनात्मक संचार कला, शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझ, उभरता हुआ नेतृत्व के लिए दिया जाता था ।
- लेकिन 2009 से , रेमन मैग्सेसे पुरस्कार अब उभरता हुआ नेतृत्व को छोड़कर, निश्चित पुरस्कार श्रेणियों में नहीं दिया जा रहा है।
5. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मेक्सिको में स्वामी विवेकानंद की पहली प्रतिमा का अनावरण किया
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 3 सितंबर को मेक्सिको में यूनिवर्सिटी ऑफ हिडाल्गो में स्वामी विवेकानंद की एक प्रतिमा का अनावरण किया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
लैटिन अमेरिका में स्वामी विवेकानंद की यह पहली प्रतिमा है।
बिड़ला ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और व्यक्तित्व ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया है।
यह प्रतिमा युवाओं को प्रयास करने और परिवर्तन लाने के लिए प्रेरणा का स्रोत होगी जो उनके देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।
आज, दुनिया भर के लोग उनके आदर्शों को अपना रहे हैं और अपने जीवन और समाज की बेहतरी के लिए उनका पालन करने का संकल्प ले रहे हैं।
ओम बिरला मेक्सिको में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
ओम बिरला ने 2 सितंबर को मेक्सिको के चापिंगो विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता सेनानी डॉ पांडुरंग खानखोजे की एक प्रतिमा का भी अनावरण किया।
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ने मैक्सिकन संसद परिसर में भारत-मेक्सिको मैत्री उद्यान का उद्घाटन किया था।
स्वामी विवेकानंद के बारे में :
जन्म - 12 जनवरी, 1863
बचपन का नाम - नरेंद्रनाथ दत्त
उनके जन्म दिन 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उन्हें वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उनके भाषण के लिए जाना जाता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें "आधुनिक भारत का निर्माता" कहा था।
उन्होंने विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचय कराया।
मेक्सिको :
मेक्सिको, दक्षिणी उत्तरी अमेरिका का एक देश है।
यह ब्राजील और अर्जेंटीना के बाद लैटिन अमेरिका में तीसरा सबसे बड़ा देश है।
राष्ट्रपति - एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर
राजधानी - मेक्सिको सिटी
मुद्रा - मैक्सिकन पेसो
राजभाषा - स्पेनिश
6. क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर (Cri-MAC)
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मार्च 2020 में लॉन्च होने के बाद से कम से कम सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर (Cri-MAC) पोर्टल पर एक भी अलर्ट अपलोड नहीं किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और सिक्किम और केंद्र शासित प्रदेश दादरा, नगर हवेली और दमन और दीव ने प्लेटफॉर्म पर एक भी अलर्ट अपलोड नहीं किया है।
दिल्ली, असम और हरियाणा ने पोर्टल पर सबसे ज्यादा अलर्ट अपलोड किए।
क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर (Cri-MAC) के बारे में
लॉन्च - 2020 गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा
उद्देश्य - विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ 24×7 अपराध और अपराधियों पर जानकारी साझा करना और उनके बीच सूचना का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करना।
कार्यान्वयन - एप्लीकेशन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा कार्यान्वित जाता है।
पोर्टल का महत्व
यह वास्तविक समय के आधार पर देश भर में मानव तस्करी सहित महत्वपूर्ण अपराधों के बारे में जानकारी के प्रसार की सुविधा प्रदान करता है और अंतर-राज्य समन्वय को सक्षम बनाता है।
यह अवैध व्यापार के पीड़ितों का पता लगाने, उनकी पहचान करने के साथ-साथ अपराध की रोकथाम और जांच में भी मदद करता है।
7. शिशु मृत्यु के मामले में विशेष मातृत्व अवकाश
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केंद्र सरकार की सभी महिला कर्मचारियों को नवजात शिशु की प्रसव बाद तुरंत मौत या मृत बच्चे के जन्म की स्थिति में 60 दिन का विशेष मातृत्व अवकाश मिलेगा।
महत्वपूर्ण तथ्य
कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अनुसार शिशु के जन्म से पूर्व ही या जन्म के तुरंत बाद मृत्यु की मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि ऐसे मामलों में माता के जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
शिशु के जन्म होने के तुरंत बाद या 28 दिन के भीतर मृत्यु हो जाती है तो माता विशेष मातृत्व अवकाश का पात्र होगी।
यदि 28 सप्ताह या उसके बाद शिशु की मृत्यु गर्भ में हो जाती है तो भी माता को यह विशेष अवकाश दिया जाएगा।
विशेष मातृत्व अवकाश केंद्र सरकार की उन्हीं महिला कर्मचारियों को मिलेगा जिनके दो से कम जीवित बच्चे हैं और प्रसव किसी अधिकृत अस्पताल में हुआ हो।
8. जीएमआर समूह फिलीपींस के सेबू हवाई अड्डे में अपनी पूरी 40% हिस्सेदारी बेचेगा
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नई दिल्ली स्थित बहुराष्ट्रीय जीएमआर समूह ने 2 सितंबर 2022 को कहा है कि वह फिलीपींस में स्थित सेबू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में अपनी पूरी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी 1,330 करोड़ रुपये में बेच रहा है।हालांकि जीएमआर 2026 तक एयरपोर्ट को कंसल्टेंसी सर्विस मुहैया कराना जारी रखेगा और इससे उसको अलग से राजस्व मिलेगा ।
जीएमआर के अनुसार, कंपनी अब उच्च विकास के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करेगी।कंपनी इस पूंजी का उपयोग इंडोनेशिया के मेडन में कुआलानामु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में निवेश के लिए इस्तेमाल करेगी । कुआलानामु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को जीएमआर एयरपोर्ट इंटरनेशनल द्वारा विकसित और संचालित किया जा रहा है।
मैक्टन सेबू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
निनॉय एक्विनो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, मनीला के बाद यह हवाई अड्डा फिलीपींस में दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा है।
2014 में, फिलीपींस के मेगावाइड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के साथ साझेदारी में जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर ने मैक्टन सेबू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के संचालन और विकास के लिए बोली जीती थी । मेगावाइड कंस्ट्रक्शन कंपनी और जीएमआर दोनों ही फिलीपींस के एबोइटिज इंफ्राकैपिटल कंपनी को अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं।
फिलीपींस की मुद्रा: फिलीपीन पेसो
जीएमआर एयरपोर्ट्स इंटरनेशनल
जीएमआर एयरपोर्ट्स इंटरनेशनल जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की सहायक कंपनी है।
जीएमआर समूह ,आईजीआई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, राजीव गांधी हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और बीदर हवाई अड्डे (कर्नाटक) का संचालन करता है।
यह उत्तरी गोवा के मोपा में एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा और भोगापुरम, विजयनगरम, आंध्र प्रदेश में एक अंतर्राष्ट्रीय ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बना रहा है।
यह विदेशी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास और संचालन करने वाली एकमात्र भारतीय कंपनी है ।यह वर्त्तमान में इंडोनेशिया और ग्रीस में हवाई अड्डों का विकास कर रहा है।
जीएमआर समूह की स्थापना ग्रैंडी मल्लिकार्जुन राव ने की थी। यह बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, परिवहन आदि के कारोबार में है।
9. संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहली बार यूएस-पैसिफिक आइलैंड कंट्री समिट की मेजबानी की घोषणा की
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भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस महीने के अंतिम सप्ताह में पहली बार यूएस-पैसिफिक आइलैंड कंट्री समिट की मेजबानी करने की घोषणा की है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
यह शिखर सम्मेलन 28 से 29 सितंबर तक वाशिंगटन में आयोजित किया जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे।
शिखर सम्मेलन प्रशांत द्वीप देशों और प्रशांत क्षेत्र के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका की गहरी और स्थायी साझेदारी को प्रदर्शित करेगा जो साझा इतिहास, मूल्यों और लोगों से लोगों के संबंधों पर आधारित है।
इस सम्मेलन के आयोजन की घोषणा अमेरिका द्वारा बीजिंग पर परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करने का आरोप लगाने के एक हफ्ते बाद की गई।
अमेरिका ने दावा किया है कि चीन द्वारा अत्यधिक परमाणु शस्त्रागार का निर्माण प्रक्रिया भारत-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकती है।
व्हाइट हाउस ने सोलोमन द्वीप सहित 12 प्रशांत द्वीप समूह देशों को आमंत्रित किया है, जिसने अप्रैल, 2022 में चीन के साथ सुरक्षा समझौता किया था।
इंडो-पैसिफिक के बारे में :
यह दुनिया की आधी आबादी और वैश्विक जीडीपी के 60 प्रतिशत से अधिक को कवर करता है।
यह एक भू-राजनीतिक क्षेत्र है जो हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के दो क्षेत्रों में फैला है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट से लेकर भारत के पश्चिमी तट तक फैले हुए, इंडो-पैसिफिक 24 देशों की एक क्षेत्रीय संरचना है।
इसमें हिंद महासागर, पश्चिमी और मध्य प्रशांत महासागर के उष्णकटिबंधीय जल शामिल हैं।
10. आयुर्वेद में अभिनव अनुसंधान का समर्थन करने के लिए सीसीआरएएस 'स्पार्क' कार्यक्रम
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केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) ने मान्यता प्राप्त आयुर्वेद कॉलेजों में अध्ययन कर रहे आयुर्वेद (बीएएमएस) के छात्रों के लिए ‘स्टूडेंटशिप प्रोग्राम फॉर आयुर्वेद रिसर्च केन’ (स्पार्क) तैयार किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय में विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक और भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) के अध्यक्ष वैद्य जयंत यशवंत देवपुजारी ने 2 सितंबर, 2022 को आयोजित एक कार्यक्रम में इस फेलोशिप योजना और इसके एप्लिकेशन पोर्टल का शुभारंभ किया।
स्टूडेंटशिप प्रोग्राम फॉर आयुर्वेद रिसर्च केन (स्पार्क) :
स्पार्क देश के युवा प्रतिभाओं के अनुसंधान संबंधी प्रयासों का समर्थन करने के लिए एक अनूठी पहल है।
स्पार्क कार्यक्रम मुख्य रूप से छात्रों में अनुसंधान संबंधी कौशल विकसित करने में मदद करने और उनके शोध के विचारों को आगे सहयोग एवं प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है।
स्पार्क के लिए आवेदन प्रक्रिया www.spark.ccras.nic.in पोर्टल के माध्यम से पूरी तरह से ऑनलाइन होगी।
इच्छुक उम्मीदवारों को स्पार्क पोर्टल के माध्यम से अपना शोध प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा।
प्रख्यात विशेषज्ञों एवं समीक्षकों द्वारा इन प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जाएगा।
इस फेलोशिप के तहत चयनित शोधार्थी को 50,000 रुपये की वित्तीय सहायता की पेशकश की जाएगी।
आरंभ में इसके प्रत्येक सत्र में कुल 100 सीटें होंगी।
स्पार्क का उद्देश्य :
इसका उद्देश्य देश भर के आयुर्वेद कॉलेजों में नामांकित युवा स्नातक छात्रों के शोध संबंधी विचारों का समर्थन करना है।
केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) :
सीसीआरएएस नई दिल्ली स्थित देश-विदेश में आयुर्वेदीय विज्ञान और इसपर अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने हेतु एक संस्थान है।
परिषद वर्तमान में रोमानिया, जर्मनी, इज़राइल, अमेरिका, कनाडा और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख शोध संस्थानों के सहयोग से विभिन्न अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं पर काम कर रही है।
दुनिया भर में आयुर्वेद शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार के लिए आयुष मंत्रालय के प्रयासों में पूरक बनने के उद्देश्य से, परिषद ने दुनिया भर के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी की है और 11 देशों में आयुर्वेद पीठ की स्थापना की है।