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By admin: Jan. 13, 2023

1. स्टार्टअप फर्म आईजी ड्रोन्स ने भारत का पहला 5G-सक्षम ड्रोन विकसित किया

Tags: Science and Technology National News


टेक स्टार्टअप फर्म आईजी ड्रोन्स (IG Drones) के द्वारा भारत के पहले 5जी-सक्षम ड्रोन को विकसित किया है जो वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग में सक्षम हैI 

खबर का अवलोकन

  • इस ड्रोन को स्काईवॉक (Skyhawk) नाम दिया गया हैI 

  • इसका उपयोग रक्षा और चिकित्सा अनुप्रयोगों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता हैI 

  • स्काईवॉक लगभग पांच घंटे तक 10 किलो का पेलोड लेकर उडान भर सकता है साथ ही यह ड्रोन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और थर्मल इमेजिंग जैसी क्षमताओं से भी लैस है I 

  • वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (VTOL) की सुविधा के कारण इसे टेक-ऑफ या लैंडिंग के लिए किसी विशेष रनवे या ट्रैक की आवश्यकता नही होती है इसलिए इसे किसी भी क्षेत्र में ऑपरेट किया जा सकता हैI 

  • यह ड्रोन IP67 रेटेड है इसे इसे NavIC + GPS नेविगेशनल सैटेलाइट के कॉम्बिनेशन के माध्यम से कंट्रोल किया जा सकता हैI  

  • यह ड्रोन अपनी अधिकतम गति में 100 किमी की यात्रा 12 से 15 मिनट में कर सकता है I 

आईजी ड्रोन्स के बारें में

  • आईजी ड्रोन्स भारत की एक ड्रोन सर्वेक्षण, मैपिंग और इंस्पेक्शन की सुविधा प्रदान करने वाली टेक कंपनी हैI  

  • ओडिशा के संबलपुर में वीर सुरेंद्र साई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में इसकी स्थापना की गयी थीI  

  • इसका मुख्यालय ई दिल्ली में स्थित हैI 


By admin: Jan. 13, 2023

2. समुद्रयान मिशन के तहत भारत तीन लोगों को समुद्र तल से 6,000 मीटर नीचे भेजेगा

Tags: Science and Technology National News


भारत, समुद्रयान मिशन के तहत खनिज संसाधनों की खोज के लिए भारत तीन व्यक्तियों को समुद्र तल से छह हजार मीटर नीचे भेजेगा।

खबर का अवलोकन 

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, MATSYA 6000 नामक एक वाहन तीन लोगों को ले जाएगा और इस मिशन के अगले तीन वर्षों में साकार होने की उम्मीद है।

  • वाहन को राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई द्वारा डिजाइन और विकसित किया जा रहा है।

  • यह मानव सुरक्षा के लिए सामान्य ऑपरेशन के तहत 12 घंटे और आपात स्थिति में 96 घंटे तक सहन कर सकता है।

  • पीएम नरेंद्र मोदी ने 2021 और 2022 में लगातार दो वर्षों में अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में डीप ओशन मिशन का जिक्र किया था।

समुद्रयान मिशन के बारे में

  • यह डीप ओशन मिशन का एक हिस्सा है।

  • इसरो के गगनयान मिशन के साथ राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा इसकी घोषणा की गई थी।

  • इसका उद्देश्य गहरे समुद्र में खोज के लिए वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक 3 मनुष्यों को ले जाने के लिए एक स्व-चालित मानव पनडुब्बी विकसित करना है।

  • इस मिशन के तहत गहरे पानी के भीतर अध्ययन के लिए MATSYA 6000 नामक एक मानव युक्त सबमर्सिबल वाहन भेजा जाएगा।

डीप ओशन मिशन क्या है?

  • इसे जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था।

  • इसका उद्देश्य गहरे समुद्र में समुद्री संसाधनों का पता लगाना, महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकि का विकास करना और भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था पहलों का समर्थन करना है।

  • पांच साल की अवधि में मिशन की लागत लगभग 4,077 करोड़ रुपए  है और इसे कई चरणों में लागू किया जाएगा।


By admin: Jan. 12, 2023

3. सीएमपीडीआईएल ने नई धूल नियंत्रण प्रौद्योगिकी का आविष्कार किया

Tags: Environment Science and Technology


खनन क्षेत्रों में उड़ने वाली धूल को कम करने और नियंत्रित करने के लिए, सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (CMPDIL), रांची ने "फ्यूजिटिव डस्ट के उत्पादन और संचलन को नियंत्रित करने के लिए एक प्रणाली और विधि" का आविष्कार किया है।

खबर का अवलोकन

  • सीएमपीडीआईएल, रांची कोल इंडिया लिमिटेड की एक सलाहकार सहायक कंपनी है।

  • इसने दिसंबर, 2022 में आविष्कार के लिए पेटेंट प्राप्त किया है (पेटेंट संख्या 416055)।

  • इस प्रणाली का उपयोग खान, थर्मल पावर प्लांट, रेलवे साइडिंग, बंदरगाह, निर्माण स्थलों में किया जा सकता है, जहां खुले आसमान के नीचे कोयला या अन्य खनिज/फ्यूजिटिव सामग्री जमा की जाती है।

आविष्कार के बारे में

  • आविष्कार धूल के उत्पादन और फैलाव को कम करने के लिए विंडब्रेक (WB) और वर्टिकल ग्रीनरी सिस्टम (VGS) के समकालिक अनुप्रयोग से संबंधित है।

  • WB और VGS को क्रमश: उड़ने वाले धूल स्रोत के संबंध में हवा की दिशा में और नीचे की दिशा में खड़ा किया जाता है।

  • WB स्रोत की ओर आने वाली हवा की गति को कम कर देता है और इसलिए, यह स्रोत के ऊपर उड़ते समय धूल उठाने के लिए परिवेशी वायु की तीव्रता को कम कर देता है।

  • वीजीएस एक फिल्टर के रूप में कार्य करता है और हवा के साथ-साथ नीचे की दिशा में रिसेप्टर्स की ओर जाने वाली अवशिष्ट धूल की मात्रा को कम करता है।

  • इसलिए, डाउन-विंड दिशा में स्थित विभिन्न रिसेप्टर्स पर परिवेशी वायु में धूल की सांद्रता में उल्लेखनीय कमी आ जाती है।

फ्यूजिटिव डस्ट क्या है?

  • फ्यूजिटिव डस्ट पार्टिकुलेट मैटर का एक रूप है जो वायु प्रदूषण में योगदान देता है

  •  यह धूल के कणों को संदर्भित करता है जो एक निर्देशित स्थान के बिना हवा में भागना पसंद करते हैं।

  • यह वायु के संपर्क में आने वाले विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होता है।


By admin: Jan. 11, 2023

4. ओडिशा के चांदीपुर में किया गया पृथ्वी-2 का सफल ट्रेनिंग लॉन्च

Tags: Defence Science and Technology


10 जनवरी 2023 को ओडिशा तट पर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से पृथ्वी-2 का सफल ट्रेनिंग लांच किया गया।

  • पृथ्वी-II एक स्वदेश में विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है, 

  • इसकी रेंज लगभग 250-350 किमी है और यह एक टन पेलोड ले जा सकती है ।  

  • पृथ्वी-II वर्ग एक एकल-चरण तरल-ईंधन वाली मिसाइल है, जिसमें 500-1000 किग्रा. की वारहेड माउंटिंग क्षमता है। 

  • यह मिसाइल प्रणाली बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम है। 

  • अत्याधुनिक मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने के लिये कुशल प्रक्षेपवक्र के साथ एक उन्नत जड़त्वीय मार्गदर्शन प्रणाली का उपयोग करती है। 

  • इसे शुरू में भारतीय वायुसेना के लिये प्राथमिक उपयोगकर्त्ता के रूप में विकसित किया गया था और बाद में इसे भारतीय सेना में भी शामिल किया गया था। 

  • जबकि मिसाइल को 2003 में पहली बार भारत के सामरिक बल कमान में शामिल किया गया था, यह IGMDP के तहत विकसित पहली मिसाइल थी। 

IGMDP के तहत विकसित पाँच मिसाइलें 

  • इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं: 

  • पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल। 

  • अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल, यानी अग्नि (1,2,3,4,5)। 

  • त्रिशूल: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल। 

  • नाग: तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल। 

  • आकाश: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।


By admin: Jan. 11, 2023

5. डीआरडीओ ने हिमालयी क्षेत्रों में अभियान के लिए विकसित किया मानवरहित यान

Tags: Science and Technology


अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हिमालयी सीमा पर साजो-सामान संबंधी परिचालन को लक्षित करने के उद्देश्य से एक मानवरहित यान विकसित किया है I 

खबर का अवलोकन 

  • डीआरडीओ द्वारा इस विमान को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रदर्शित किया गया है।

  • यह यूएवी 5 से लेकर 25 किलो क्षमता का भार लेकर उड़ान भर सकता है तथा दुश्मन क्षेत्र में बम गिराने में भी सक्षम है।

  • विमान पांच किलोमीटर के दायरे में स्वायत्त मिशन संचालित कर सकता है और स्वचालित तरीके से निर्धारित स्थान पर सामान पहुंचा कर मूल स्थान पर लौट सकता है। 

  • यह यूएवी लैंडिंग एक्यूरेसी के साथ ही ग्राउंड व्हीकल फॉलो मोड और मॉड्यूलर डिजाइन से लैस है, जिससे युद्ध के दौरान यह यूएवी काफी उपयोगी साबित हो सकता है। 

  • डीआरडीओ द्वारा सिक्किम में 14 हजार फीट की ऊंचाई पर इस मल्टी-कॉप्टर पेलोड का सफल परीक्षण किया गया है। दो और ट्रायल के बाद इस यूएवी को आर्म्ड फोर्सेस में शामिल कर लिया जाएगा। 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)

  • यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास एजेंसी है।

  • इसका उद्देश्य भारत को महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों में आत्मनिर्भर बनाना है।

  • इसकी स्थापना 1958 में हुई थी।

  • मुख्यालय - नई दिल्ली

  • अध्यक्ष - समीर वी कामत


By admin: Jan. 10, 2023

6. मधुमक्खियों के लिए दुनिया का पहला टीका संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा उपयोग के लिए स्वीकृत

Tags: Science and Technology International News


अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने दुनिया के पहले कीट टीके को मंजूरी दे दी है, जिसे मधुमक्खियों को एक विनाशकारी जीवाणु रोग से बचाने के लिए विकसित किया गया है।

खबर का अवलोकन 

  • अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अमेरिकन फुलब्रूड नामक बीमारी को लक्षित करने के लिए एक टीका विकसित किया है।

  • यह रोग पैनीबैसिलस लार्वा बैक्टीरिया के कारण होता है और एक बार यह मधुमक्खी की आबादी में पहुँचने के बाद कॉलोनी को पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखता है।

  • हेलसिंकी विश्वविद्यालय के दलियल फ्रीटक और उनके सहयोगियों ने एक महत्वपूर्ण अंडे की जर्दी प्रोटीन की खोज की जिसे विटेलोजेनिन कहा जाता है।

  • इस मूलभूत खोज ने एक नए प्रकार के कीट टीके के लिए आधार तैयार किया, और टीम का पहला लक्ष्य मधुमक्खियाँ थीं।

वैक्सीन की प्रभावशीलता

  • वैक्सीन निष्क्रिय जीवाणु कोशिकाओं को विटेलोजेनिन प्रोटीन से बांधकर काम करता है ताकि जब रानी मधुमक्खी द्वारा इसका सेवन किया जाए तो इसे सीधे उसके लार्वा में स्थानांतरित किया जा सके।

  • यह वैक्सीन रानी मधुमक्खियों को रॉयल जेली के रूप में दिया जाता है। वह इसे निगलती है, और टीके के टुकड़े उसके अंडाशय में जमा हो जाते हैं। 

  • वैक्सीन के संपर्क में आने के बाद, विकासशील लार्वा में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है।

  • एक सफल क्लिनिकल परीक्षण ने प्रदर्शित किया कि टीका सुरक्षित और प्रभावी दोनों है।

  • एक टीकाकृत रानी मधुमक्खी से होने वाली संतानों में जीवाणु से होने वाली बीमारी की चपेट में आने की संभावना बहुत कम हो जाती है।


By admin: Jan. 7, 2023

7. भारत में सभी 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाएं अनुसंधान और नवाचार के वैश्विक केंद्र में बदल जाएंगी

Tags: Science and Technology

All 37 CSIR Labs in India to turn into Global Centers of Research & Innovation

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में सभी 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को विशेषज्ञता के क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार के वैश्विक केंद्रों में बदल दिया जाएगा।

खबर का अवलोकन 

  • वह नई दिल्ली में "वन वीक वन लैब" अभियान के शुभारंभ पर बोल रहे थे।

  • इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के एक सप्ताह एक लैब अभियान का लोगो भी जारी किया।

  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की 37 प्रयोगशालाएँ देश भर में फैली हुई हैं जो विभिन्न विशेष क्षेत्रों के कार्य के लिए समर्पित हैं।

  • 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक अपने आप में अद्वितीय है और जीनोम से भूविज्ञान, भोजन से ईंधन, खनिज से सामग्री आदि जैसे विविध क्षेत्रों में माहिर है।

  • डॉ जितेंद्र सिंह ने नेट जीरो एमिशन और जीरो वेस्ट की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआईआर-सीबीआरआई), रुड़की द्वारा आयोजित "इनोवेशन एंड सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स एंड टेक्नोलॉजीज" पर कार्यशाला और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

सीएसआईआर के बारे में

  • सीएसआईआर की स्थापना 26 सितंबर 1942 को हुई थी और इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत सीएसआईआर सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।

  • शासी निकाय की पहली बैठक 09 मार्च 1942 को हुई जिसमें परिषद के लिए उपनियम बनाए गए।

  • यह भारत में सबसे बड़ा सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठन है।

  • 1942 में 5 प्रयोगशालाओं के साथ शुरू हुआ, अपनी आठ दशकों की यात्रा में सीएसआईआर 3521 वैज्ञानिकों की 37 प्रयोगशालाओं के साथ 4162 तकनीकी कर्मचारियों द्वारा समर्थित एक संगठन के रूप में विकसित हुआ है।


By admin: Jan. 6, 2023

8. भारत का '2023 साइंस विजन'

Tags: Science and Technology National News

India’s ‘2023 Science Vision’

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मीडिया को '2023 साइंस विजन' के बारे में जानकारी देते हुए कहा, "भविष्य उनका है जिनके पास नवीन विचार और लीक से हटकर लक्ष्य हैं, और उन्हें हासिल करने का दृढ़ विश्वास और साहस है।" उन्होंने यह बात भारतीय विज्ञान कांग्रेस के मौके पर कही।

108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस

  • 108 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस 3-7 जनवरी, 2023 को नागपुर, महाराष्ट्र में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज (आरटीएम) नागपुर विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है।

  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जनवरी को आभासी रूप से भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया।

  • उन्होंने भारत द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों के बारे में बात की।

  • इस वर्ष की भारतीय विज्ञान कांग्रेस का विषय "महिला सशक्तिकरण के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी" है।

2023 साइंस विजन

  • सतत विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का विकास ही एकमात्र तरीका है।

  • प्रधानमंत्री ने आईएससी में कहा, 2015 में भारत 130 देशों के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर था, लेकिन 2022 में 40वें स्थान पर पहुंच गया हैं।

  • दुनिया भर की अधिकांश प्रमुख विज्ञान-प्रौद्योगिकी कंपनियों का नेतृत्व भारत के लोगों द्वारा किया जा रहा है। 

  • भारत दैनिक जीवन में वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का कट्टर समर्थक रहा है। "विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार 2047 में भारत@100 को परिभाषित करेंगे। 


By admin: Jan. 6, 2023

9. मोहाली में पहली बार "नेशनल जीनोम एडिटिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर" का उद्घाटन किया गया

Tags: Science and Technology State News

The first-ever “National Genome Editing & Training Centre” inaugurated at Mohali

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने 5 जनवरी को राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई) मोहाली, पंजाब में "राष्ट्रीय जीनोम संपादन और प्रशिक्षण केंद्र (एनजीईटीसी)" का उद्घाटन किया।

खबर का अवलोकन 

  • उन्होंने खाद्य और पोषण सुरक्षा 2023 पर 4 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भी उद्घाटन किया।

  • उन्होंने कहा कि एग्री-टेक स्टार्ट-अप की भारत में एक विशिष्ट क्षमता है और इसको सफल बनाने के लिए अधिक जागरूकता की आवश्यकता है।

नेशनल जीनोम एडिटिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर

  • यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है और जीनोम संशोधन सहित विभिन्न जीनोम संपादन विधियों को अपनाने और क्षेत्रीय जरूरतों को पूरा करने के लिए एक उपयुक्त मंच है।

  • यह सेंटर, वर्तमान के क्लाइमेट सिनेरियो में फसलों में सुधार करने और उन्हें बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति सहनशील बनाने में भी मदद करेगा।

  • एनजीईटीसी विभिन्न जीनोम संपादन विधियों को अपनाने के लिए क्षेत्रीय जरूरतों को पूरा करेगा।

  • यह युवा शोधकर्ताओं को फसलों में इसके अनुप्रयोग के बारे में प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करके उन्हें सशक्त भी बनाएगा।

जीनोम एडिटिंग क्या है?

  • जीनोम एडिटिंग, जिसे जीन एडिटिंग भी कहा जाता है विभिन्न प्रौद्योगिकियों का एक समूह है जो वैज्ञानिकों को एक जीव के डीऑक्सी-राइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) को बदलने की क्षमता प्रदान करता है।

  • ये प्रौद्योगिकियां जीनोम में विशेष स्थानों पर आनुवंशिक सामग्री को जोड़ने, हटाने या बदलने की अनुमति देती हैं।


By admin: Jan. 3, 2023

10. हाइड्रोजन मिश्रित पीएनजी परियोजना का संचालन एनटीपीसी कवास, गुजरात में शुरू हुआ

Tags: place in news National Science and Technology State News

भारत की सबसे बड़ी बिजली कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने कवास में भारत की पहली हरित हाइड्रोजन सम्मिश्रण परियोजना शुरू की है। एनटीपीसी कवास टाउनशिप, सूरत में गुजरात गैस लिमिटेड पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) नेटवर्क के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन गैस के साथ मिश्रित पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) की आपूर्ति की जा रही है।

ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके पानी के अणु को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ने को संदर्भित करता है।

केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली एनटीपीसी ब्लेंडिंग उद्देश्यों के लिए गुजरात के सूरत जिले में एनटीपीसी कवास की 1 मेगावाट फ्लोटिंग सौर परियोजना में उत्पादित ग्रीन हाइड्रोजन प्रदान करती है।

प्रारंभ में, पीएनजी में हाइड्रोजन सम्मिश्रण का प्रतिशत लगभग 5% होगा और सफल समापन के बाद इसे बढ़ाया जाएगा। हाइड्रोजन मिश्रित पीएनजी का उपयोग खाना पकाने के लिए किया जाएगा।

यह देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है। इसे खाना पकाने के क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन और राष्ट्र की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में पहले कदम के रूप में देखा जा रहा  है।


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