1. सीडीएफडी ने बच्चों में दुर्लभ आनुवंशिक रोगों के उपचार विकसित करने के लिए अध्ययन शुरू किया
Tags: Science and Technology National News
हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर डीएनए फ़िंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) ने 1 नवंबर, 2022 को बच्चों में बाल चिकित्सा दुर्लभ आनुवंशिक विकार (PRaGeD) का कारण बनने वाले आनुवंशिक उत्परिवर्तन को डिकोड करने के लिए एक देशव्यापी अध्ययन शुरू किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
PRaGeD मिशन जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा वित्त पोषित एक अखिल भारतीय पहल है।
यह पहल दुर्लभ बीमारियों का कारण बनने वाले जीन की खोज करेगी, उपयुक्त उपचार विकसित करेगी, परामर्श प्रदान करेगी और लोगों में जागरूकता भी पैदा करेगी।
इस अध्ययन में देश भर के लगभग 15 अनुसंधान और स्वास्थ्य संस्थान भाग ले रहे हैं।
इस पहल के तहत पांच साल की अवधि में 5,600 परिवारों की जांच किया जाएगा ताकि अनियंत्रित बाल चिकित्सा दुर्लभ आनुवंशिक रोगों के आनुवंशिक कारणों की पहचान की जा सके।
एक बार इन बच्चों में आनुवंशिक उत्परिवर्तन का पता चलने के बाद, शोधकर्ता जानवरों और कोशिका मॉडल में अध्ययन करेंगे ताकि यह समझ सकें कि आनुवंशिक उत्परिवर्तन दुर्लभ बीमारी का कारण कैसे बन रहे हैं।
दुर्लभ आनुवंशिक रोग क्या है?
एक दुर्लभ बीमारी कोई भी ऐसी बीमारी है जो आबादी के एक छोटे प्रतिशत को प्रभावित करती है।
अधिकांश दुर्लभ रोग अनुवांशिक होते हैं, इसलिए इन्हें दुर्लभ आनुवंशिक रोग कहा जाता है।
ये रोग व्यक्ति के पूरे जीवन भर मौजूद रहते हैं, भले ही लक्षण तुरंत प्रकट न हों।
भारत में पाई जाने वाली आम दुर्लभ बीमारियां हैं हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और बच्चों में प्राथमिक प्रतिरक्षा की कमी, ऑटो-प्रतिरक्षा रोग, लाइसोसोमल भंडारण विकार जैसे पोम्पे रोग, हिर्शस्प्रंग रोग आदि।
भारत में दुर्लभ आनुवंशिक बिमारियों का बोझ 7 करोड़ के करीब है और ऐसी बीमारियों से पीड़ित लगभग 30 प्रतिशत बच्चे पांच साल की उम्र से कम हैं।
2. यूपी के रानीपुर को मिला भारत का 53वां टाइगर रिजर्व
Tags: National National News
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 31 अक्टूबर को कहा कि उत्तर प्रदेश में रानीपुर टाइगर रिजर्व भारत का 53वां टाइगर रिजर्व बन गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यूपी के चित्रकूट जिले में रानीपुर टाइगर रिजर्व दुधवा, पीलीभीत और अमनगढ़ के बाद राज्य में चौथा टाइगर रिज़र्व है।
2018 में आयोजित नवीनतम बाघ जनगणना के अनुसार, भारत में 2,967 बाघ हैं, जिनमें से 173 यूपी में हैं।
रानीपुर टाइगर रिजर्व के बारे में
रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य चित्रकूट में और मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से लगभग 150 किमी दूर यूपी-एमपी सीमा पर स्थित है।
उत्तरी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती जंगलों से आच्छादित यह क्षेत्र बाघ, तेंदुआ, भालू, चित्तीदार हिरण, सांभर, चिंकारा और अन्य स्तनधारियों का आवास स्थल है।
इसकी स्थापना 1977 में हुई थी, यह उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
उत्तर प्रदेश में अन्य बाघ अभयारण्य
अमनगढ़ जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का बफर जोन है और उत्तर प्रदेश के बिजनौर में स्थित है।
दुधवा टाइगर रिजर्व लखीमपुर में स्थित है, पीलीभीत टाइगर रिजर्व पीलीभीत में है।
3. यूपी के रानीपुर को मिला भारत का 53वां टाइगर रिजर्व
Tags: National National News
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने 31 अक्टूबर को कहा कि उत्तर प्रदेश में रानीपुर टाइगर रिजर्व भारत का 53वां टाइगर रिजर्व बन गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यूपी के चित्रकूट जिले में रानीपुर टाइगर रिजर्व दुधवा, पीलीभीत और अमनगढ़ के बाद राज्य में चौथा टाइगर रिज़र्व है।
2018 में आयोजित नवीनतम बाघ जनगणना के अनुसार, भारत में 2,967 बाघ हैं, जिनमें से 173 यूपी में हैं।
रानीपुर टाइगर रिजर्व के बारे में
रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य चित्रकूट में और मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से लगभग 150 किमी दूर यूपी-एमपी सीमा पर स्थित है।
उत्तरी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती जंगलों से आच्छादित यह क्षेत्र बाघ, तेंदुआ, भालू, चित्तीदार हिरण, सांभर, चिंकारा और अन्य स्तनधारियों का आवास स्थल है।
इसकी स्थापना 1977 में हुई थी, यह उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
उत्तर प्रदेश में अन्य बाघ अभयारण्य
अमनगढ़ जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का बफर जोन है और उत्तर प्रदेश के बिजनौर में स्थित है।
दुधवा टाइगर रिजर्व लखीमपुर में स्थित है, पीलीभीत टाइगर रिजर्व पीलीभीत में है।
4. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने एडवर्ड एम कैनेडी को 'फ्रेंड्स ऑफ लिबरेशन वॉर' सम्मान से नवाजा
Tags: Awards International News
बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की मुक्ति में योगदान के लिए 31 अक्टूबर को ढाका में पूर्व अमेरिकी सीनेटर एडवर्ड एम कैनेडी को मरणोपरांत प्रतिष्ठित 'फ्रेंड्स ऑफ लिबरेशन वॉर' सम्मान से सम्मानित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह सम्मान उनके बेटे एडवर्ड एम टेड कैनेडी जूनियर को सौंपा गया।
प्रधान मंत्री शेख हसीना ने एडवर्ड कैनेडी सीनियर के योगदान को आभार के साथ याद किया।
उन्होंने कहा कि कैनेडी सीनियर ने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अमेरिकी सरकार की भूमिका के बावजूद निर्दोष बंगाली लोगों पर पाकिस्तान द्वारा किए गए नरसंहार के खिलाफ एक साहसिक कदम उठाया।
उन्होंने कहा कि कैनेडी सीनियर ने युद्ध समाप्त होने तक पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक सहायता पर रोक लगाने के लिए कडी मेहनत की थी।
1971 का मुक्ति संग्राम
1950 के दशक में पाकिस्तान पर सैन्य-नौकरशाही का राज था जो पूरे देश (पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान) पर अलोकतांत्रिक तरीके से शासन कर रहे थे।
शासन की इस व्यवस्था में बंगालवासियों का कोई राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं था।
वर्ष 1970 के आम चुनावों के दौरान पश्चिमी पाकिस्तान के इस प्रभुत्व को बंगालवासियों द्वारा चुनौती दी गई।
वर्ष 1970 के आम चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के शेख मुज़ीबुर्र रहमान की अवामी लीग को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ।
पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान के किसी नेता को देश पर शासन करने के लिए तैयार नहीं था।
26 मार्च, 1971 को पश्चिम पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू की।
इसके परिणामस्वरूप लाखों बांग्लादेशियों को भारत में शरण लेनी पड़ी।
बांग्लादेश के स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाली 'मुक्तिवाहिनी सेना' एवं भारतीय सैनिकों की बहादुरी से पाकिस्तानी सेना को हार का सामना करना पड़ा।
6 दिसंबर, 1971 को भारत के हस्तक्षेप से 13 दिनों के युद्ध से एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ।
5. सरकार ने कृषि में ग्लाइफोसेट के उपयोग को प्रतिबंधित किया
Tags: National National News
सरकार ने हाल ही में मानव/जानवरों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरों को देखते हुए, शाकनाशी ग्लाइफोसेट और इसके डेरिवेटिव के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। केवल अधिकृत कीट नियंत्रण ऑपरेटरों को ही इसका उपयोग करने की अनुमति है।
ग्लाइफोसेट के बारे में
यह व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला शाकनाशी है जो चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार और घास को नियंत्रित करता है।
यह पौधे के विकास के लिए आवश्यक एंजाइम को अवरुद्ध करके काम करता है।
इसे 1970 में विकसित किया गया था, और इसका वैज्ञानिक नाम N- (फॉस्फोनोमिथाइल) ग्लाइसिन है।
यह उत्पाद मुख्य रूप से कृषि में उपयोग किया जाता है।
ग्लाइफोसेट और इसके फॉर्मूलेशन व्यापक रूप से पंजीकृत हैं और वर्तमान में यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 160 से अधिक देशों में उपयोग किए जाते हैं.
दुनिया भर के किसान 40 से अधिक वर्षों से सुरक्षित और प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं.
भारत में, ग्लाइफोसेट को केवल चाय के बागानों और चाय की फसल के साथ गैर-रोपण क्षेत्रों में उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है। कहीं और इसका उपयोग अवैध है।
इसका उपयोग 20 से अधिक फसल वाले खेतों में किया जा रहा था।
ग्लाइफोसेट के स्वास्थ्य प्रभाव
देश में ग्लाइफोसेट के उपयोग की स्थिति पर पैन इंडिया द्वारा 2020 के एक अध्ययन में चिंताजनक निष्कर्ष सामने आए थे।
ग्लाइफोसेट के स्वास्थ्य प्रभाव कैंसर, प्रजनन और विकासात्मक विषाक्तता से लेकर न्यूरोटॉक्सिसिटी और इम्यूनोटॉक्सिसिटी तक होते हैं।
इसके लक्षणों में जलन, सूजन, त्वचा में जलन, मुंह और नाक में दर्द, अप्रिय स्वाद और धुंधली दृष्टि शामिल हैं।
गैर-निर्दिष्ट क्षेत्रों में ग्लाइफोसेट के बड़े पैमाने पर उपयोग के गंभीर परिणाम होते हैं।
ग्लाइफोसेट सहित सभी खरपतवारनाशी का उपयोग खाद्य संसाधनों को समाप्त कर रहा है और उन्हें पर्याप्त पोषण से वंचित कर रहा है।
6. सरकार ने कृषि में ग्लाइफोसेट के उपयोग को प्रतिबंधित किया
Tags: National National News
सरकार ने हाल ही में मानव/जानवरों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरों को देखते हुए, शाकनाशी ग्लाइफोसेट और इसके डेरिवेटिव के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। केवल अधिकृत कीट नियंत्रण ऑपरेटरों को ही इसका उपयोग करने की अनुमति है।
ग्लाइफोसेट के बारे में
यह व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला शाकनाशी है जो चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार और घास को नियंत्रित करता है।
यह पौधे के विकास के लिए आवश्यक एंजाइम को अवरुद्ध करके काम करता है।
इसे 1970 में विकसित किया गया था, और इसका वैज्ञानिक नाम N- (फॉस्फोनोमिथाइल) ग्लाइसिन है।
यह उत्पाद मुख्य रूप से कृषि में उपयोग किया जाता है।
ग्लाइफोसेट और इसके फॉर्मूलेशन व्यापक रूप से पंजीकृत हैं और वर्तमान में यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 160 से अधिक देशों में उपयोग किए जाते हैं.
दुनिया भर के किसान 40 से अधिक वर्षों से सुरक्षित और प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं.
भारत में, ग्लाइफोसेट को केवल चाय के बागानों और चाय की फसल के साथ गैर-रोपण क्षेत्रों में उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है। कहीं और इसका उपयोग अवैध है।
इसका उपयोग 20 से अधिक फसल वाले खेतों में किया जा रहा था।
ग्लाइफोसेट के स्वास्थ्य प्रभाव
देश में ग्लाइफोसेट के उपयोग की स्थिति पर पैन इंडिया द्वारा 2020 के एक अध्ययन में चिंताजनक निष्कर्ष सामने आए थे।
ग्लाइफोसेट के स्वास्थ्य प्रभाव कैंसर, प्रजनन और विकासात्मक विषाक्तता से लेकर न्यूरोटॉक्सिसिटी और इम्यूनोटॉक्सिसिटी तक होते हैं।
इसके लक्षणों में जलन, सूजन, त्वचा में जलन, मुंह और नाक में दर्द, अप्रिय स्वाद और धुंधली दृष्टि शामिल हैं।
गैर-निर्दिष्ट क्षेत्रों में ग्लाइफोसेट के बड़े पैमाने पर उपयोग के गंभीर परिणाम होते हैं।
ग्लाइफोसेट सहित सभी खरपतवारनाशी का उपयोग खाद्य संसाधनों को समाप्त कर रहा है और उन्हें पर्याप्त पोषण से वंचित कर रहा है।
7. सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (CANSO) एशिया प्रशांत सम्मेलन
Tags: National National News
गोवा 1 से 3 नवंबर 2022 तक तीन दिवसीय सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (CANSO) सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्रतिनिधि उन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा और सहयोग करेंगे जो एशिया के विमानन उद्योग के भविष्य को आकार देने में मदद करेंगे और 2045 के पूर्ण वायु यातायात प्रणाली (CATS) ग्लोबल काउंसिल के दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदल देंगे।
2022 के सम्मेलन की थीम - "थिंक ग्लोबल, कोलैबोरेट रीजनल, एक्सप्लिश लोकल"।
सम्मेलन में डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन को भी शामिल किया गया है, जो भविष्य के आकाश (skies) के लिए CANSO के दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रतिनिधि कुछ अत्याधुनिक तकनीक को भी देख सकेंगे जो इस क्षेत्र में हवाई यातायात प्रबंधन को आधुनिक बनाने में मदद करेंगे।
CANSO के बारे में
सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (CANSO) एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट (ATM) उद्योग की वैश्विक आवाज है और भविष्य के आसमान को आकार दे रहा है।
इसके सदस्य दुनिया के 90% से अधिक हवाई यातायात का समर्थन करते हैं और इसमें हवाई नेविगेशन सेवा प्रदाता, हवाई क्षेत्र के उपयोगकर्ता और ऑपरेटर, निर्माता और विमानन उद्योग आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।
यह दुनिया के हवाई नेविगेशन सेवा प्रदाताओं, अग्रणी उद्योग नवप्रवर्तकों और हवाई यातायात प्रबंधन विशेषज्ञों को ज्ञान साझा करने, सर्वोत्तम अभ्यास विकसित करने और सुरक्षित और निर्बाध हवाई क्षेत्र के भविष्य को आकार देने के लिए एक साथ लाता है।
स्थापित - 1996
महानिदेशक - साइमन हॉक्क्वार्ड
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बारे में
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एक संगठन / प्राधिकरण है, जो कि भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) कुल 133 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं।
स्थापना- 1 अप्रैल, 1995
अध्यक्ष- संजीव कुमार
मुख्यालय - नई दिल्ली
8. सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (CANSO) एशिया प्रशांत सम्मेलन
Tags: National National News
गोवा 1 से 3 नवंबर 2022 तक तीन दिवसीय सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (CANSO) सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्रतिनिधि उन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा और सहयोग करेंगे जो एशिया के विमानन उद्योग के भविष्य को आकार देने में मदद करेंगे और 2045 के पूर्ण वायु यातायात प्रणाली (CATS) ग्लोबल काउंसिल के दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदल देंगे।
2022 के सम्मेलन की थीम - "थिंक ग्लोबल, कोलैबोरेट रीजनल, एक्सप्लिश लोकल"।
सम्मेलन में डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन को भी शामिल किया गया है, जो भविष्य के आकाश (skies) के लिए CANSO के दृष्टिकोण को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रतिनिधि कुछ अत्याधुनिक तकनीक को भी देख सकेंगे जो इस क्षेत्र में हवाई यातायात प्रबंधन को आधुनिक बनाने में मदद करेंगे।
CANSO के बारे में
सिविल एयर नेविगेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (CANSO) एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट (ATM) उद्योग की वैश्विक आवाज है और भविष्य के आसमान को आकार दे रहा है।
इसके सदस्य दुनिया के 90% से अधिक हवाई यातायात का समर्थन करते हैं और इसमें हवाई नेविगेशन सेवा प्रदाता, हवाई क्षेत्र के उपयोगकर्ता और ऑपरेटर, निर्माता और विमानन उद्योग आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।
यह दुनिया के हवाई नेविगेशन सेवा प्रदाताओं, अग्रणी उद्योग नवप्रवर्तकों और हवाई यातायात प्रबंधन विशेषज्ञों को ज्ञान साझा करने, सर्वोत्तम अभ्यास विकसित करने और सुरक्षित और निर्बाध हवाई क्षेत्र के भविष्य को आकार देने के लिए एक साथ लाता है।
स्थापित - 1996
महानिदेशक - साइमन हॉक्क्वार्ड
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बारे में
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एक संगठन / प्राधिकरण है, जो कि भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) कुल 133 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं।
स्थापना- 1 अप्रैल, 1995
अध्यक्ष- संजीव कुमार
मुख्यालय - नई दिल्ली
9. 2022 के नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा संस्करण
Tags: Defence National News
2022 के नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा संस्करण 1 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली में शुरू हो रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
चार दिवसीय सम्मेलन के दौरान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे और उनके साथ बातचीत करेंगे।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख भी नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे।
सम्मेलन के दौरान, नौसेना प्रमुख, अन्य नौसेना कमांडरों के साथ, पिछले कुछ महीनों में भारतीय नौसेना द्वारा किए गए प्रमुख संचालन, सामग्री, रसद, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे।
वे भविष्य की महत्वपूर्ण गतिविधियों और पहलों के लिए योजनाओं पर विचार-विमर्श करेंगे।
यह सम्मेलन क्षेत्र की भू-रणनीतिक स्थिति की गतिशीलता और इससे निपटने के लिए नौसेना की तत्परता पर भी केंद्रित होगा।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ - जनरल अनिल चौहान
भारतीय वायु सेना के प्रमुख - वी. आर. चौधरी
भारतीय सेना के प्रमुख - जनरल मनोज पांडे
भारतीय नौसेना प्रमुख - एडमिरल आर हरि कुमार
10. पीएम मोदी ने राजस्थान के मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया
Tags: National National News
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर, 2022 को राजस्थान में मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 नवंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में 'मानगढ़ धाम की गौरव गाथा' कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के मुख्यमंत्री भी शामिल हो रहे हैं।
उन्होंने बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में भील आदिवासियों और अन्य जनजातियों के सदस्यों की एक सभा को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने 1913 में राजस्थान के मानगढ़ में ब्रिटिश सेना द्वारा मारे गए आदिवासियों को श्रद्धांजलि दी।
मानगढ़ धाम के बारे में
यह 1913 में ब्रिटिश सेना द्वारा मारे गए लगभग 1,500 आदिवासियों के लिए एक स्मारक है, जो गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित है, जो एक बड़ी जनजातीय आबादी वाला क्षेत्र है।
1913 में मानगढ़ में ब्रिटिश राज के खिलाफ आदिवासियों और वनवासियों की सभा का नेतृत्व समाज सुधारक गोविंद गुरु द्वारा किया गया था।
जलियांवाला बाग से छह साल पहले हुए आदिवासियों के इस नरसंहार को कभी-कभी "आदिवासी जलियांवाला" भी कहा जाता है।
ब्रिटिश सेना ने 17 नवंबर, 1913 को मानगढ़ की पहाड़ियों में सैकड़ों भील आदिवासियों को मार डाला।
भील जनजाति को "भारत का धनुष पुरुष" कहा जाता है क्योंकि वे धनुष सीखने में अत्यधिक कुशल होते हैं।