1. बेंगलुरु में ‘वन हेल्थ’ पायलट प्रोजेक्ट लांच किया गया
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28 जून, 2022 को डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने बेंगलुरु में ‘वन हेल्थ’ पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के कार्यान्वयन भागीदारों के रूप में, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा “वन हेल्थ पायलट प्रोजेक्ट” शुरू किया गया।
यह स्वास्थ्य परियोजना उत्तराखंड और कर्नाटक में लागू की जा रही है।
वन हेल्थ पायलट प्रोजेक्ट भविष्य में कोविड -19 महामारी जैसी जूनोटिक बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए समाधान तैयार करने के लिए मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य के हितधारकों को एक मंच पर लाएगा।
इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता से केंद्र को राष्ट्रीय ‘वन हेल्थ’ रोडमैप विकसित करने में मदद मिलेगी।
रोडमैप बेहतर प्रतिक्रिया तंत्र और प्रबंधन से लैस होगा।
इसमें दुनिया की सर्वोत्तम प्रथाओं को भी शामिल किया जाएगा।
भारतीय उद्योग परिसंघ के बारे में
CII एक गैर-सरकारी वकालत समूह और व्यापार संघ है।
इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
इस एसोसिएशन की स्थापना 1895 में हुई थी।
यह उद्योग, क्षेत्रीय और वैश्विक एजेंडा को आकार देने में व्यवसाय, शैक्षणिक, राजनीतिक और समाज के अन्य नेताओं के साथ जुड़ा हुआ है।
यह एक सदस्यता आधारित संगठन है।
2. ‘गोइंग ऑनलाइन एस लीडर्स’ (GOAL) कार्यक्रम के द्वितीय चरण की शुरुआत
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हाल ही में केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय द्वारा डिजिटल प्रणाली के माध्यम से आदिवासी युवाओं को मेंटरशिप प्रदान करने के लिये फेसबुक के साथ मिलकर ‘गोइंग ऑनलाइन एस लीडर्स’ कार्यक्रम के द्वितीय चरण की शुरुआत की गई है।
GOAL कार्यक्रम के द्वारा आदिवासी युवाओं को डिजिटल मोड के माध्यम से मेंटरशिप प्रदान की जाएगी।
डिजिटल रूप से सक्षम यह कार्यक्रम आदिवासी युवाओं की छिपी प्रतिभाओं का पता लगाने के लिये एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की परिकल्पना पर आधारित है, जो उनके व्यक्तिगत विकास में मदद करने के साथ-साथ उनके समाज के सर्वांगीण उत्थान में भी योगदान देगा।
इस कार्यक्रम को इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है जिससे आदिवासी युवााओं और महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में यथा- बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, मधुमक्खी पालन, आदिवासी कला एवं संस्कृति आदि में डिजिटल कौशल और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दीर्घकालिक स्तर पर ज्ञान प्राप्त हो सके।
यह कार्यक्रम आदिवासी महिलाओं को डिजिटल दुनिया से जोड़कर उनके सशक्तीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जनजातीय युवाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने में सक्षम बनाने की दिशा में GOAL कार्यक्रम मददगार साबित होगा।
गोल कार्यक्रम के मुख्य बिंदु:
कार्यक्रम के तहत चयनित 5,000 युवा जनजातीय उद्यमियों, पेशेवरों, कारीगरों और कलाकारों को डिजिटल-कौशल का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा
प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को ‘मेंटिस’ (Mentees) कहा जाएगा तथा इन्हें विभिन्न विषयों और क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा जिन्हे ‘मेंटर्स’(Mentors) कहा जाएगा।
चयनित 5,000 ‘मेंटिस’ नौ महीने या 36 सप्ताह तक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जिसमें 28 सप्ताह के मेंटरशिप कार्यक्रम के बाद आठ सप्ताह की इंटर्नशिप भी शामिल होगी।
इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस तीन मुख्य क्षेत्रों पर होगा, जिसमें शामिल है -
1. डिजिटल साक्षरता
2. जीवन कौशल, नेतृत्त्व, उद्यमशीलता, और कृषि
3. कला और संस्कृति, हस्तशिल्प वस्त्र, स्वास्थ्य, पोषण
GOAL प्रथम चरण:
गोल का प्रथम चरण फेसबुक द्वारा वर्ष 2019 में फरवरी से अक्तूबर, 2019 तक 5 राज्यों में 100 ‘मेंटिस’ और 25 मेंटर्स के साथ पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर संचालित किया गया था।
3. दक्षिण कोरिया में भारत केंद्रित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक भारत केंद्र की स्थापना
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दक्षिण कोरिया के बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में भारत से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इंडिया सेंटर की स्थापना की गई है।
यह केंद्र बुसान में भारत से संबंधित कार्यक्रमों के लिए एक प्रमुख संगठन के रूप में कार्य करेगा।
यह भारत में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराएगा और बुसान विश्वविद्यालय के साथ शैक्षणिक और सांस्कृतिक सहयोग बढाने पर जोर देगा।
इस अवसर पर बुसान विश्वविद्यालय और सियोल स्थित स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र के बीच शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
दक्षिण कोरिया में बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज और हनुक यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज ऐसे दो उच्च शिक्षा हैं जहां हिंदी को पूर्णकालिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।
बुसान यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज (बीयूएफएस) में वर्ष 1983 में हिंदी भाषा विभाग की स्थापना की गई थी।
दक्षिण कोरिया के बारे में -
दक्षिण कोरिया पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है जो 'शान्त सुबह की भूमि' के रूप में विख्यात है I
देश की राजधानी सियोल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र और एक प्रमुख वैश्विक नगर है।
उत्तर कोरिया, इस देश की सीमा से लगता एकमात्र देश है I
मार्शल आर्ट्स ताक्वाण्डो का जन्म कोरिया में हुआ था।
राष्ट्रपति- यूं सुक-योल
मुद्रा- दक्षिण कोरियाई वॉन
4. गैबॉन और टोगो राष्ट्रमंडल देशों के समूह में शामिल हुए
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रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे की अध्यक्षता में रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक में दो अफ्रीकी देशों टोगो और गैबॉन को क्रमशः 55 बें और 56 बें सदस्यों के रुप में राष्ट्रमंडल राष्ट्र में शामिल किया गया है I
रवांडा 2009 में राष्ट्रमंडल में शामिल होने बाला आखिरी देश था I
टोगो और गैबॉन ऐतिहासिक रूप से फ्रांसीसी उपनिवेश थे जो कभी ब्रिटिश उपनिवेश नहीं रहे I
नये सदस्य टोगो और गैबॉन
मध्य अफ्रीकी राष्ट्र गैबॉन के लिए औपचारिक राष्ट्रमंडल सदस्य प्रक्रिया 2017 में शुरू हुई थी जबकि पश्चिमी अफ़्रीकी राष्ट्र टोगो के किये प्रक्रिया 2014 में शुरू हुई थी I
गैबॉन , ईक्वीटोरियल गिनी, कैमरून और कांगो गणराज्य से घिरा हुआ है जो राष्ट्रमंडल सदस्य भी है I
टोगो की सीमा घाना, एक राष्ट्रमंडल सदस्य के साथ साथ बेनिन और बुर्किना फासो से घिरा हुआ है।
राष्ट्रमंडल के बारे में -
राष्ट्रमंडल, जिसे आम तौर पर कॉमनवेल्थ के रूप में जाना जाता है, पहले 54 और अब 56 सदस्य राज्यों का एक राजनीतिक संघ है I
यह मूल रूप से 1926 के शाही सम्मेलन में बाल्फोर घोषणा के माध्यम से राष्ट्रों के ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के रूप में बनाया गया था I
वर्तमान राष्ट्रमंडल राष्ट्र औपचारिक रूप से 1949 में लंदन घोषणा द्वारा गठित किया गया था I
राष्ट्रमंडल के प्रमुख वर्तमान में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय हैं I
महासचिव- पैट्रिशिया स्कॉटलैंड
मुख्यालय- लंदन
5. नाइजीरिया में उच्च श्रेणी के लिथियम की खोज
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हाल ही में नाइजीरिया में उच्च श्रेणी के लिथियम की खोज की गई है।
लिथियम
लिथियम एक तत्त्व है और प्रकृति में दो खनिजों, स्पोड्यूमिन एवं लेपिडोलाइट में पर्याप्त रूप में सांद्रित होता है।
वे आमतौर पर विशेष चट्टानों में पाए जाते हैं जिन्हें दुर्लभ और ग्रीसेन्स कहा जाता है I
भूवैज्ञानिक एजेंसी ने लिथियम को उच्च श्रेणी के रूप में वर्णित किया क्योंकि यह 1-13% ऑक्साइड सामग्री के साथ पाया जाता है। आमतौर पर अन्वेषण 0.4% के निचले स्तर पर शुरू होता है।
लिथियम का परमाणु क्रमांक 3 और परमाणु भार 6.941होता है।
यह सबसे हल्की ज्ञात धातु है I
उपयोग
लिथियम डिसिलिकेट (Li2Si2O5) एक रासायनिक यौगिक है जिससे काँच और चीनी मिट्टी की वस्तुएँ बनती हैं।
लिथियम धातु का प्रयोग उपयोगी मिश्र धातुओं को बनाने के लिये किया जाता है I
लिथियम का उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये रिचार्जेबल बैटरी में किया जाता है।
अतिरिक्त जानकारी -
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ग्रीनबुश खदान विश्व की सबसे बड़ी हार्ड-रॉक लिथियम खदान है।
लिथियम के सबसे बड़े आयातक दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, अमेरिका और बेल्जियम हैं।
परमाणु खनिज निदेशालय (भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के तहत) के शोधकर्त्ताओं ने हालिया सर्वेक्षणों से दक्षिणी कर्नाटक के मांड्या ज़िले में भूमि के एक छोटे से हिस्से में 14,100 टन के लिथियम भंडार की उपस्थिति का अनुमान लगाया है।
6. भारत में एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) शुरू करने के लिये सामान्य वैधानिक नियम (GSR) अधिसूचना के मसौदे को मंज़ूरी
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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने भारत के लिए सुरक्षित कारों को लाने के लिए भारत एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) शुरू करने के लिए GSR अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दी।
एनसीएपी को 1 अप्रैल, 2023 से शुरू किया जाएगा और इसका मतलब होगा कि भारत में ऑटो निर्माताओं के साथ-साथ आयातकों के पास देश के भीतर कारों को स्टार रेटेड प्राप्त करने का विकल्प होगा।
यह प्रोग्राम एक उपभोक्ता-केंद्रित प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा, और ग्राहकों को स्टार-रेटिंग के आधार पर सुरक्षित कारों का उपयोग करने की अनुमति देगा I
संयुक्त राज्य अमेरिका पहला देश था जिसने क्रैश परीक्षणों के माध्यम से कार के सुरक्षा मानकों के परीक्षण के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया था।
भारत NCAP
यह एक नया कार सुरक्षा मूल्यांकन कार्यक्रम है जो दुर्घटना परीक्षणों में उनके प्रदर्शन के आधार पर ऑटोमोबाइल को 'स्टार रेटिंग' देने का एक तंत्र प्रस्तावित करता है।
भारत एनसीएपी मानक वैश्विक बेंचमार्क के साथ संरेखित है और ये न्यूनतम नियामक आवश्यकताओं से परे हैं।
प्रस्तावित भारत NCAP मूल्यांकन 1 से 5 स्टार तक स्टार रेटिंग आवंटित करेगा I ।
इस कार्यक्रम के लिये वाहनों का परीक्षण आवश्यक बुनियादी ढांँचे के साथ परीक्षण एजेंसियों के आधार पर किया जाएगा।
यह देश में निर्मित या आयातित 3.5 टन से कम सकल वन वाले एम1 श्रेणी के अनुमोदित मोटर वाहनों पर लागू होगा।
NCAP का भारत के लिये महत्त्व
1. उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाना
2. निर्यात-योग्यता बढ़ाता है
3. ऑटोमोबाइल उद्योग आत्मनिर्भर होंगे
7. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जिलों के लिए जारी किया प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स
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स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSE&L), शिक्षा मंत्रालय (MoE) द्वारा जारी परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के अनुसार, राजस्थान के तीन ज़िलों- सीकर, झुंझुनू और जयपुर को वर्ष 2019-20 में 'उत्कर्ष' ग्रेड में रखा गया है I
एक साल पहले कोई भी ज़िला 'उत्कर्ष श्रेणी में नहीं आता था।
राजस्थान में इस ग्रेड में सबसे अधिक 24 ज़िले हैं, इसके बाद पंजाब (14), गुजरात (13), और केरल (13) का स्थान है।
वर्ष 2020 में इस श्रेणी में सबसे कम अंक (50 में से 1) वाले ज़िले में साउथ सलमारा-मांकचर (असम), अलीराजपुर (मध्य प्रदेश), नार्थ गारो हिल्स एंड साउथ गारो हिल्स इन मेघालय, एंड खोवै (त्रिपुरा) है I
बिहार, गोवा, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड में एक भी ज़िला अति-उत्तम और उत्तम श्रेणी में नही है I
प्रगति
रिपोर्ट के अनुसार, सभी श्रेणियों में ज़िलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
अति उत्तम ग्रेड में 2018-19 से 2019-20 के दौरान ज़िलों की संख्या 49 से बढ़कर 86 हो गई, जो "उल्लेखनीय सुधार" दर्शाती है।
33 ज़िलों ने परिणामों में अपने स्कोर में सुधार किया, लेकिन ग्रेड-स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ।
डिजिटल लर्निंग श्रेणी: 2018-19 की तुलना में 20 ज़िलों ने 20% से अधिक सुधार दिखाया है, जबकि 43 ज़िलों ने 2019-20 के दौरान अपने स्कोर में 10% से अधिक सुधार किया है।
अवसंरचनात्मक सुविधाएंँ:478 ज़िलों ने वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 में अपने स्कोर में सुधार किया।
परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के बारे में
PGI-D व्यापक विश्लेषण के लिये एक इंडेक्स बनाकर ज़िला स्तर पर स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का आकलन करता है।
PGI-D संरचना में 83 संकेतकों में कुल 600 अंक शामिल हैं, जिन्हें छह श्रेणियों के तहत समूहीकृत किया गया है I
इन श्रेणियों को आगे 12 डोमेन में विभाजित किया गया है।
आकलन ग्रेड:
PGI-D ज़िलों को 10 ग्रेड में वर्गीकृत करता है। उच्चतम ग्रेड 'दक्ष (Daksh)' है, जो उस श्रेणी या कुल मिलाकर कुल अंकों के 90% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले ज़िलों के लिये है।
इसके बाद 'उत्कर्ष' (81% से 90%), 'अति उत्तम' (71% से 80%), 'उत्तम' (61% से 70%), 'प्रचेष्टा -1' (51% से 60%) और 'प्रचेष्टा-2' (41% से 50%) का स्थान है।
PGI-D में निम्नतम ग्रेड 'आकांक्षी-3' है जो कुल अंकों के 10% तक के स्कोर के लिये है।
8. नीति आयोग ने जारी की "इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी" पर रिपोर्ट
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हाल ही में नीति आयोग ने 'इंडियाज़ बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकॉनमीी' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट के अनुसार भारतीय गिग कार्यबल के 2029-30 तक 23.5 मिलियन श्रमिकों तक विस्तारित होने की उम्मीद है, जो मौजूदा 7.7 मिलियन से 200% की छलांग है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि 2029-2030 तक गिग वर्कर भारत में कुल वर्कफोर्स का 4.1% होगा, जो अभी 1.5% है।
वर्ष 2020-21 में 77 लाख (7.7 मिलियन) कर्मचारी गिग इकॉनमी में संलग्न थे। जो भारत में गैर-कृषि कार्यबल का 2.6% या कुल कार्यबल के 1.5% थे।
रिपोर्ट में उठाए गए प्रमुख मुद्दे
नौकरी और आय असुरक्षा: गिग वर्कर्स को मज़दूरी, घंटे, काम करने की स्थिति और सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकार से संबंधित श्रम नियमों से लाभ नहीं मिलता है।
व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिम: डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ रोज़गार में लगे श्रमिकों, विशेष रूप से एप-आधारित टैक्सी और वितरण (Delivery) क्षेत्रों में महिला श्रमिकों को विभिन्न व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
गिग अर्थव्यवस्था
गिग अर्थव्यवस्था एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें सामान्य अस्थायी पद होते हैं और संगठन अल्पकालिक जुड़ाव के लिये स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के गिग वर्कफोर्स में सॉफ्टवेयर, साझा और पेशेवर सेवाओं जैसे उद्योगों में 15 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं।
इंडिया स्टाफिंग फेडरेशन की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, चीन, ब्राज़ील और जापान के बाद भारत वैश्विक स्तर पर फ्लेक्सी-स्टाफिंग में पाँचवाँ सबसे बड़ा देश है।
गिग वर्कर: एक व्यक्ति जो काम करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है"।
भारत के गिग सेक्टर की क्षमता
भारत में अनुमानित 56% नए रोज़गार गिग इकॉनमी कंपनियों द्वारा ब्लू-कॉलर और व्हाइट-कॉलर कार्यबल दोनों में उत्पन्न किये जा रहे हैं।
गिग इकॉनमी भारत में गैर-कृषि क्षेत्रों में 90 मिलियन नौकरियाँ उपलब्ध करा सकती है, जिसमें "दीर्घावधि" में सकल घरेलू उत्पाद में और 1.25% की वृद्धि होने की संभावना है।
9. G7 ने 600 बिलियन डालर के वैश्विक बुनियादी ढांचा कार्यक्रमों की घोषणा की
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G7 समूह ने गरीब देशों के लिए 600 बिलियन अमरीकी डालर के वैश्विक बुनियादी ढांचा कार्यक्रमों की घोषणा की है।
कार्यक्रम के तहत अमेरिकी सरकार और उसके सहयोगी वर्ष 2022 और 2027 के दौरान, 600 बिलियन अमरीकी डालर के आंकड़े को छूने का प्रयास करेंगे।
इस कदम का उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के साथ प्रतिस्पर्धा करना है।
चीनी सरकार द्वारा संचालित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के विपरीत, प्रस्तावित G7 फंडिंग काफी हद तक निजी कंपनियों पर निर्भर करेगी।
इस साझेदारी का अनावरण अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन और जर्मनी, कनाडा, जापान, इटली और यूरोपीय संघ के G7 सहयोगियों द्वारा किया गया है।
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को औपचारिक रूप से वन बेल्ट वन रोड पहल के रूप में जाना जाता है।
यह एक वैश्विक बुनियादी ढांचा विकास रणनीति है, जिसे चीन द्वारा 2013 में शुरू किया गया था।
इसके तहत, चीन ने लगभग 70 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में निवेश करने की योजना बनाई थी ।
यह परियोजना चीनी नेता शी जिनपिंग की विदेश नीति का केंद्रबिंदु है।
मार्च 2022 तक, 146 देशों ने बीआरआई पर हस्ताक्षर किए हैं।\
एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान करने के लिए समर्पित है।
G7 के बारे में
G7 या सात का समूह सात सबसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है।
सात देश कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान और इटली हैं।
इसका गठन 1975 में किया गया था।
वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए G7 देशों की सालाना बैठक होती है।
सभी G7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।
G7 का कोई निश्चित मुख्यालय नहीं है।
10. नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस को वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय में स्थानांतरित करने का विचार
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भारत सरकार नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985, और प्रिवेंसन ऑफ़ एलिसिट ट्रैफिक इन नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1988 के प्रशासन को वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही है।
नशीले पदार्थों से संबंधित सभी मामलों को एक विभाग के तहत लाने के लिए ये क़दम उठाया जा रहा है।
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (NDPS) ACT 1985 और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक पदार्थ ACT 1988 ये दोनों वर्तमान में वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग (डीओआर) द्वारा संचालित किया जाता है I
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो गृह मंत्रालय के अधीन है, और इसका नियंत्रण गृहमंत्रालय द्वारा किया जाता है।
एनडीपीएस अधिनियम की शर्तों के तहत, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक प्रमुख क़ानून प्रवर्तन और खुफिया संगठन है जिसे अवैध पदार्थों के उपयोग और तस्करी को रोकने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है।
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985
NDPS का अधिनियमन वर्ष 1985 में मादक औषधि नीति संबंधी संयुक्त राष्ट्र के अभिसमय को पूरा करने के लिये किया गया था।
इस अधिनियम में नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार से अर्जित संपत्ति को ज़ब्त करने तथा रसायनों व औषधियों के विनिर्माण में प्रयोग होने वाले पदार्थों पर नियंत्रण हेतु 1989 में कुछ महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए थे।
वर्ष 2001 में NDPS अधिनियम के सज़ा संबंधी प्रावधानों में संशोधन किया गया।