1. भारत ने एसआरएस 2020 के अनुसार बाल मृत्यु दर में कमी दर्ज की
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भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा 22 सितंबर 2022 को जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) सांख्यिकीय रिपोर्ट 2020 के अनुसार, बाल मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, नवजात मृत्यु दर में 2014 की तुलना में देश में गिरावट दर्ज की गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
संकेतक | एसआरएस 2014 | एसआरएस 2019 | एसआरएस 2020 |
अशोधित जन्म दर (सीबीआर) | 21.0 | 19.7 | 19.5 |
कुल प्रजनन दर | 2.3 | 2.1 | 2.0 |
प्रारंभिक नवजात मृत्यु दर (ईएनएमआर) – 0- 7 दिन | 20 | 16 | 15 |
नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) | 26 | 22 | 20 |
शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) | 39 | 30 | 28 |
5 वर्ष से कम बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) | 45 | 35 | 32 |
परिभाषा और तथ्य :
- अशोधित जन्म दर : इसे प्रति 1,000 जनसंख्या पर जीवित जन्मों की वार्षिक संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
- कुल प्रजनन दर : यह उन बच्चों की औसत संख्या को दर्शाता है, जिन्हें एक महिला अपने प्रजनन जीवन चक्र के दौरान जन्म दे सकती है।
- प्रारंभिक नवजात मृत्यु दर : यह किसी दिए गए वर्ष में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर जीवन के पहले 7 पूर्ण दिनों के दौरान होने वाली मौतों को संदर्भित करता है।
- शहरी क्षेत्र में यह 12 और ग्रामीण क्षेत्र में 23 थी।
- नवजात मृत्यु दर : यह किसी दिए गए वर्ष या अन्य अवधि में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर जीवन के पहले 28 पूर्ण दिनों के दौरान होने वाली मौतों को संदर्भित करता है।
- शिशु मृत्यु दर : शिशु मृत्यु दर एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मौतों की संख्या है।
- शहरी क्षेत्र में आईएमआर 19 और ग्रामीण क्षेत्र में 31 था।
- पुरुष और महिला के लिए आईएमआर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 28-28 था।
- 5 वर्ष से कम बच्चों की मृत्यु दर : यह 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर होने वाली मौतों की संख्या है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में 36 और शहरी क्षेत्रों में 21 है।
- बालिकाओं में यह 33 और बालक में 31 थी।
अतिरिक्त जानकारी -
एसआरएस डेटा के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु :
- SRS 2020 के आंकड़ों के अनुसार, 6 राज्यों ने 12 या उससे कम की नवजात मृत्यु दर के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्य को हासिल कर लिया है।
- ये राज्य हैं केरल (4), दिल्ली (9), तमिलनाडु (9), महाराष्ट्र (11), जम्मू और कश्मीर (12) और पंजाब (12)।
- 11 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने एसडीजी - 5 के तहत मृत्यु दर लक्ष्य 25 या 25 से कम मृत्यु प्रति 1000 जीवित जन्म हासिल कर लिया है।
- ये राज्य हैं: केरल (8), तमिलनाडु (13), दिल्ली (14), महाराष्ट्र (18), जम्मू-कश्मीर (17), कर्नाटक (21), पंजाब (22), पश्चिम बंगाल (22), तेलंगाना (23) ।, गुजरात (24), और हिमाचल प्रदेश (24)।
2. शहद मूल्य श्रृंखला में कृषि स्टार्ट-अप की भूमिका पर राष्ट्रीय कार्यशाला वाराणसी में आयोजित
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राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 22 सितंबर को राष्ट्रीय बीज अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनएसआरटीसी) वाराणसी के सहयोग से एनएसआरटीसी वाराणसी, उत्तर प्रदेश में शहद मूल्य श्रृंखला में कृषि स्टार्ट-अप की भूमिका पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
मधुमक्खी पालकों, शहद स्टार्टअप्स और एफपीओ, मधुमक्खी पालन में हितधारकों, विभिन्न मंत्रालयों, सरकारी संगठनों, संस्थानों, राज्य बागवानी विभागों, कृषि विश्वविद्यालयों आदि के अधिकारियों ने कार्यशाला में भाग लिया।
मीठी क्रांति :
यह 'मधुमक्खी पालन' को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है।
इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शहद और अन्य संबंधित उत्पादों के उत्पादन में तेजी लाना है।
मीठी क्रांति को बढ़ावा देने के लिए, सरकार द्वारा 2020 में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन शुरू किया गया।
दुनिया में मधुमक्खियों की लगभग 20,000 विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं।
मधुमक्खियाँ कॉलोनियों में रहती हैं और प्रत्येक कॉलोनी में तीन प्रकार की मधुमक्खियाँ होती हैं, रानी मधुमक्खी, श्रमिक मधुमक्खी और ड्रोन मधुमक्खी।
3. शहद मूल्य श्रृंखला में कृषि स्टार्ट-अप की भूमिका पर राष्ट्रीय कार्यशाला वाराणसी में आयोजित
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राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 22 सितंबर को राष्ट्रीय बीज अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनएसआरटीसी) वाराणसी के सहयोग से एनएसआरटीसी वाराणसी, उत्तर प्रदेश में शहद मूल्य श्रृंखला में कृषि स्टार्ट-अप की भूमिका पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
मधुमक्खी पालकों, शहद स्टार्टअप्स और एफपीओ, मधुमक्खी पालन में हितधारकों, विभिन्न मंत्रालयों, सरकारी संगठनों, संस्थानों, राज्य बागवानी विभागों, कृषि विश्वविद्यालयों आदि के अधिकारियों ने कार्यशाला में भाग लिया।
मीठी क्रांति :
यह 'मधुमक्खी पालन' को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है।
इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शहद और अन्य संबंधित उत्पादों के उत्पादन में तेजी लाना है।
मीठी क्रांति को बढ़ावा देने के लिए, सरकार द्वारा 2020 में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन शुरू किया गया।
दुनिया में मधुमक्खियों की लगभग 20,000 विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं।
मधुमक्खियाँ कॉलोनियों में रहती हैं और प्रत्येक कॉलोनी में तीन प्रकार की मधुमक्खियाँ होती हैं, रानी मधुमक्खी, श्रमिक मधुमक्खी और ड्रोन मधुमक्खी।
4. ब्रिक्स सदस्यों द्वारा 2023 में दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता का समर्थन
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ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों ने 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र से इतर अपनी वार्षिक बैठक की।
महत्वपूर्ण तथ्य -
ब्रिक्स सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों ने 2023 में ब्रिक्स की अध्यक्षता के लिए और पंद्रहवीं शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए दक्षिण अफ्रीका को अपना पूर्ण समर्थन दिया।
मंत्रियों ने 16-19 सितंबर 2022तक संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा बुलाई गई ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट का स्वागत किया।
सदस्य देशों ने पहली "ब्रिक्स भ्रष्टाचार विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक" का भी स्वागत किया, जो आभासी रूप से 13 जुलाई को आयोजित की गई थी।
मंत्रियों ने पूर्ण परामर्श और आम सहमति के आधार पर ब्रिक्स देशों के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ सहयोग के लिए प्रोत्साहित किया।
सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा :
मंत्रियों ने 2030 में सतत विकास एजेंडा को लागू करने के लिए आवश्यक साधनों को जुटाकर संतुलित और एकीकृत तरीके से अपने तीन आयामों - आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय के कार्यान्वयन का आह्वान किया।
उन्होंने इस बात की पुनः पुष्टि की, कि ब्रिक्स देश संयुक्त राष्ट्र शिक्षा 2030 एजेंडा को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
संयुक्त राष्ट्र शिक्षा 2030 एजेंडा - शिक्षा की पहुंच और समानता को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण के विकास में तेजी लाना, युवाओं के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना, सतत विकास पर ज्ञान को मजबूत करना और वैश्विक शासन के लिए ब्रिक्स योगदान प्रदान करना।
मंत्रियों ने मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय दवा नियंत्रण व्यवस्था के अनुसार ब्रिक्स एंटी ड्रग वर्किंग ग्रुप के भीतर सहयोग को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
5. पीएम मोदी ने पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर को गुजरात के एकता नगर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
सभी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, नया भारत एक नए दृष्टिकोण और नई सोच के साथ आगे बढ़ रहा है।
पीएम ने कहा, भारत का वन क्षेत्र बढ़ा है और आर्द्रभूमि भी तेजी से विस्तार कर रही है।
उन्होंने कहा कि, पिछले कुछ वर्षों में गिर के शेर, बाघ, हाथी, एक सींग वाले गैंडे और तेंदुए की संख्या में वृद्धि हुई है।
उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित सभी राज्यों से पर्यावरण संरक्षण में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और पूरे भारत में सफल समाधान लागू करने का आग्रह किया।
सम्मेलन में वन क्षेत्र को बढ़ाने, निम्नीकृत भूमि की बहाली और वन्यजीव संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा।
23 और 24 सितंबर को आयोजित होने वाले इस दो दिवसीय सम्मेलन में छह विषयगत सत्र होंगे।
अतिरिक्त जानकारी -
छह विषयगत सत्र हैं :
LiFE, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला (उत्सर्जन के शमन और जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजनाओं को अद्यतन करना)
PARIVESH (एकीकृत हरित मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम)
वानिकी प्रबंधन
प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण
वन्यजीव प्रबंधन
प्लास्टिक और अपशिष्ट प्रबंधन
6. पीएम मोदी ने पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर को गुजरात के एकता नगर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य -
सभी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, नया भारत एक नए दृष्टिकोण और नई सोच के साथ आगे बढ़ रहा है।
पीएम ने कहा, भारत का वन क्षेत्र बढ़ा है और आर्द्रभूमि भी तेजी से विस्तार कर रही है।
उन्होंने कहा कि, पिछले कुछ वर्षों में गिर के शेर, बाघ, हाथी, एक सींग वाले गैंडे और तेंदुए की संख्या में वृद्धि हुई है।
उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित सभी राज्यों से पर्यावरण संरक्षण में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और पूरे भारत में सफल समाधान लागू करने का आग्रह किया।
सम्मेलन में वन क्षेत्र को बढ़ाने, निम्नीकृत भूमि की बहाली और वन्यजीव संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा।
23 और 24 सितंबर को आयोजित होने वाले इस दो दिवसीय सम्मेलन में छह विषयगत सत्र होंगे।
अतिरिक्त जानकारी -
छह विषयगत सत्र हैं :
LiFE, जलवायु परिवर्तन का मुकाबला (उत्सर्जन के शमन और जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजनाओं को अद्यतन करना)
PARIVESH (एकीकृत हरित मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम)
वानिकी प्रबंधन
प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण
वन्यजीव प्रबंधन
प्लास्टिक और अपशिष्ट प्रबंधन
7. 2023 ब्रेकथ्रू प्राइज विजेताओं की घोषणा
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22 सितंबर को ब्रेकथ्रू पुरस्कार जिसे ऑस्कर ऑफ साइंस कहा जाता है, के वर्ष 2023 के विजेताओं की घोषणा की गई जो कुल $15 मिलियन से अधिक का पुरस्कार है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
इस वर्ष लाइफ साइंस वर्ग में तीन पुरस्कार दिए गए जबकि, गणित और भौतिकी के लिए एक-एक पुरस्कार दिए गए।
इन पुरस्कारों की स्थापना सर्गेई ब्रिन, प्रिसिला चान और मार्क जुकरबर्ग, यूरी और जूलिया मिलनर और ऐनी वोज्स्की ने की थी।
सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान और गणित में कई खोजों के लिए येल विश्वविद्यालय के डैनियल स्पीलमैन को गणित में ब्रेकथ्रू पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
क्लिफोर्ड ब्रैंगविन और एंथोनी हाइमन (ब्रिटिश वैज्ञानिक) ने सेलुलर आर्गेनाईजेशन के एक नए तंत्र की खोज के लिए लाइफ साइंस पुरस्कार जीता।
अन्य जीवन विज्ञान पुरस्कार डेमिस हसाबिस (ब्रिटिश वैज्ञानिक) और जॉन जम्पर (अमेरीका) को अल्फाफोल्ड विकसित करने के लिए दिए गए, जो प्रोटीन की संरचना की भविष्यवाणी करता है, और नार्कोलेप्सी के कारणों की खोज के लिए इमैनुएल मिग्नॉट (फ्रांस) और मसाशी यानागिसावा (अमेरीका) को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अतिरिक्त जानकारी -
ब्रेकथ्रू प्राइज के बारे में :
ब्रेकथ्रू पुरस्कार, सिलिकॉन वैली उद्यमियों के एक समूह द्वारा 2010 में शुरू किया गया था।
इन पुरस्कारों की स्थापना सर्गेई ब्रिन, प्रिसिला चान और मार्क जुकरबर्ग, यूरी और जूलिया मिलनर और ऐनी वोज्स्की ने की थी।
ये पुरस्कार विज्ञान में सबसे समृद्ध रूप से संपन्न पुरस्कार हैं, जिसकी पुरस्कार राशि नोबेल पुरस्कारों से अधिक है।
ब्रेकथ्रू का प्रत्येक पुरस्कार में $3 मिलियन की राशि का होता है जो नोबेल पुरस्कार के विजेता के लिए दिए जाने वाले पुरस्कार $1 मिलियन से अधिक की राशि होती है।
पुरस्कार लाइफ साइंस, मौलिक भौतिकी और गणित के क्षेत्र में प्रदान किए जाते हैं।
8. रक्षा मंत्रालय ने अतिरिक्त ब्रह्मोस मिसाइलों के अधिग्रहण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए
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रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण शाखा और मेसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के बीच 22 सितंबर, को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की अतिरिक्त आपूर्ति के लिए 1,700 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
महत्वपूर्ण तथ्य -
इन मिसाइलों के लिए अब तक हस्ताक्षरित कुल अनुबंध मूल्य 38,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
इन मिसाइलों के शामिल होने से नौसेना की परिचालन क्षमता में और वृद्धि होगी।
यह अनुबंध घरेलू उद्योग की सक्रिय भागीदारी के साथ महत्वपूर्ण हथियार प्रणाली और गोला-बारूद के स्वदेशी उत्पादन को भी बढ़ावा देगा।
उल्लेखनीय है कि, बीएपीएल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है जो सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों की नई पीढ़ी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
अतिरिक्त जानकारी -
ब्रह्मोस के बारे में :
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
यह भारत और रूस के बीच एक संयुक्त सहयोग है।
मिसाइल सतह और समुद्र आधारित लक्ष्यों के खिलाफ जमीन, समुद्र, उप-समुद्र और हवा से लॉन्च करने में सक्षम है।
ब्रह्मोस का पहली बार राजस्थान के पोखरण परीक्षण रेंज में उड़ान परीक्षण किया गया था।
9. रक्षा मंत्रालय ने अतिरिक्त ब्रह्मोस मिसाइलों के अधिग्रहण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए
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रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण शाखा और मेसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के बीच 22 सितंबर, को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की अतिरिक्त आपूर्ति के लिए 1,700 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
महत्वपूर्ण तथ्य -
इन मिसाइलों के लिए अब तक हस्ताक्षरित कुल अनुबंध मूल्य 38,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।
इन मिसाइलों के शामिल होने से नौसेना की परिचालन क्षमता में और वृद्धि होगी।
यह अनुबंध घरेलू उद्योग की सक्रिय भागीदारी के साथ महत्वपूर्ण हथियार प्रणाली और गोला-बारूद के स्वदेशी उत्पादन को भी बढ़ावा देगा।
उल्लेखनीय है कि, बीएपीएल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम है जो सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों की नई पीढ़ी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
अतिरिक्त जानकारी -
ब्रह्मोस के बारे में :
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
यह भारत और रूस के बीच एक संयुक्त सहयोग है।
मिसाइल सतह और समुद्र आधारित लक्ष्यों के खिलाफ जमीन, समुद्र, उप-समुद्र और हवा से लॉन्च करने में सक्षम है।
ब्रह्मोस का पहली बार राजस्थान के पोखरण परीक्षण रेंज में उड़ान परीक्षण किया गया था।
10. जी-4 समूह ने सुरक्षा परिषद में सुधार की धीमी गति पर चिंता व्यक्त की
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समूह 4 (भारत, जापान, ब्राजील और जर्मनी) के विदेश मंत्रियों ने 22 सितंबर 2022 को न्यूयॉर्क में मुलाकात की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (एससी) सुधार पर अंतर सरकारी वार्ता (आईजीएन) में सार्थक प्रगति की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की। वे न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अवसर पर मिल रहे थे।
बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर, जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक, ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रेंको फ्रैंका और जापानी विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने भाग लिया।
जी-4 का गठन 2005 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने के लिए किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य -
चीन पक्ष में नहीं :
- 22 जुलाई 2022 को लोकसभा में भारत सरकार ने सुचना दी थी कि, केवल चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का विरोध कर रहा है, जबकि सुरक्षा परिषद के अन्य स्थायी सदस्य रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत के सदस्यता के पक्ष में हैं।
- चीन जापान और जर्मनी की सदस्यता का भी विरोध कर रहा है। भारत और जापान के साथ चीन के सम्बन्ध अच्छे नहीं है और वह इन्हें प्रतिद्वंदी के रूप में देखता है जबकि, वह जर्मनी का विरोध इसलिए करता है क्योंकि यह एक विकासशील देश नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद :
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र का मुख्य निकाय है जो दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं। 10 सदस्य अस्थायी होते हैं और 2 साल के लिए चुने जाते हैं।
- पांच सदस्य स्थायी सदस्य होते हैं और उनके पास वीटो पावर है। पांच स्थायी सदस्य चीन, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।