1. e-DAR पोर्टल - दुर्घटना मुआवजे के दावों में तेजी
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सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 'e-DAR' (ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट) नामक पोर्टल विकसित किया है।
यह पोर्टल कुछ ही क्लिक में सड़क दुर्घटनाओं पर तत्काल जानकारी प्रदान करेगा और दुर्घटना मुआवजे के दावों में तेजी लाने में मदद करेगा, जिससे पीड़ितों के परिवारों को राहत मिलेगी।
आसान पहुंच के लिए डिजिटलीकृत विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (डीएआर) को पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
वेब पोर्टल को एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (iRAD) से जोड़ा जाएगा।
iRAD एप्लिकेशन से 90% से अधिक डेटा सीधे e-DAR को भेजे जाएंगे।
पुलिस, सड़क प्राधिकरण, अस्पताल आदि हितधारकों को e-DAR फॉर्म के लिए बहुत कम जानकारी दर्ज करने की आवश्यकता होती है।
इसलिए, e-DAR iRAD का विस्तृत ई-संस्करण होगा।
पोर्टल को वाहन जैसे अन्य सरकारी पोर्टलों से जोड़ा जाएगा।
जांच अधिकारियों के लाभ के लिए पोर्टल साइट मानचित्र के साथ सटीक दुर्घटना स्थल की जियो टैगिंग प्रदान करेगा।
फोटो, दुर्घटना स्थल का वीडियो, क्षतिग्रस्त वाहनों, घायल पीड़ितों, चश्मदीद गवाहों आदि का विवरण तत्काल पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
2. कैबिनेट ने आरजीएसए को 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 तक जारी रखने की मंजूरी दी
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आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 13 अप्रैल 2022 को पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) की शासन संबंधी क्षमताओं को विकसित करने के लिए संशोधित केंद्र प्रायोजित योजना-राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) को 01 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 की अवधि (15वें वित्त आयोग की अवधि) के दौरान कार्यान्वयन जारी रखने की मंजूरी दे दी है।
इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 5,911 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 3,700 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 2,211 करोड़ रुपये है।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए):
ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत 1 अप्रैल, 2018 को की गई। ऐसे गाँवों को लक्षित करता है जहाँ दलित तथा जनजातीय लोगों का आधिक्य है।
इसका लक्ष्य सामाजिक सौहार्द्र को बढ़ाना, गरीबों हेतु चलाए जा रहे सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और उन्हें इन योजनाओं के विषय में परिचित कराना है। इस में निम्नलिखित प्रावधान हैं:
इस योजना का विस्तार देश के सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों तक है।
योजना में केंद्र तथा राज्य दोनों घटकों को शामिल किया गया है।
राज्य सरकारों में केंद्र तथा राज्य की हिस्सेदारी क्रमश: 60:40 के अनुपात में होगी।
पूर्वोत्तर तथा पर्वतीय राज्यों में केंद्र-राज्य वित्तपोषण का अनुपात 90:10 होगा। सभी केंद्रशासित प्रदेशों के लिये केंद्रीय हिस्सेदारी 10 प्रतिशत होगी।