1. नासा का स्पेसएक्स क्रू -5 अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए लॉन्च हुआ
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स्पेसएक्स ने 5 अक्टूबर को नासा के क्रू-5 मिशन पर चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
ऐसा पहली बार है जब एलोन मस्क के नेतृत्व वाली कंपनी ने अपने लॉन्चिंग व्हीकल से रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा है।
क्रू-5 मिशन में दो अमेरिकी, एक जापानी और एक रूसी एस्ट्रोनॉट शामिल हैं।
इनमें नासा के एस्ट्रोनॉट निकोल मान और जोश कसाडा शामिल हैं, जो मिशन कमांडर और पायलट के रूप में काम करेंगे।
जापान एयरस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के अंतरिक्ष यात्री कोइची वाकाटा और रोकोसमॉस के अंतरिक्ष यात्री अन्ना किकिना मिशन विशेषज्ञ के रूप में काम करेंगे।
फाल्कन-9 रॉकेट की मदद से क्रू ड्रैगन एंड्योरेंस 17,500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचेगा।
अंतरिक्ष में पहुंचकर क्रू-5 200 से ज़्यादा साइंस एक्सपेरिमेंट करेगा।
यह लॉन्चिंग नासा और रूसी स्पेस एजेंसी रोकोस्मोस के बीच एक्सचेंज डील के तहत की गई है।
फाल्कन-9 रॉकेट के टॉप ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है।
स्पेसएक्स के बारे में
यह एक निजी स्पेसफ्लाइट कंपनी है जो उपग्रहों और लोगों को अंतरिक्ष में भेजती है, जिसमें नासा के कर्मचारी भी शामिल हैं जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में जाते हैं।
कंपनी ने अपने पहले दो अंतरिक्ष यात्रियों को 30 मई, 2020 को स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन पर आईएसएस भेजा और नासा और अन्य संस्थाओं की ओर से कई और क्रू भेजे हैं।
2022 के मध्य तक, यह एकमात्र वाणिज्यिक स्पेसफ्लाइट कंपनी है जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है।
स्पेसएक्स की स्थापना दक्षिण अफ्रीका में जन्मे व्यवसायी और उद्यमी एलन मस्क ने की थी।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के बारे में
यह एक बहु-राष्ट्र निर्माण परियोजना है जो मानव द्वारा अंतरिक्ष में डाली गई अब तक की सबसे बड़ी एकल संरचना है।
इसका मुख्य निर्माण 1998 और 2011 के बीच पूरा हुआ था।
यह किसी एक राष्ट्र के स्वामित्व में नहीं है और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के अनुसार यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, कनाडा और जापान के बीच एक "सहकारी कार्यक्रम" है।
मई 2022 तक, 20 देशों के 258 व्यक्तियों ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा किया है।
शीर्ष भाग लेने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका (158 लोग) और रूस (54 लोग) शामिल हैं।
2. भारतीय मार्स ऑर्बिटर मिशन 8 साल के मिशन के बाद समाप्त हो गया
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इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के हवाले से रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान या मंगलयान का प्रणोदक समाप्त हो गया है और इसकी बैटरी खत्म हो गई है। यह शायद उस मिशन के अंत का संकेत देता है जिसे आठ साल पहले लॉन्च किया गया था और सिर्फ 6 महीने तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
इसरो के अनुसार, ऑर्बिटर हाल ही में एक लंबे ग्रहण में चला गया था, और उसके बाद, उससे कोई संचार प्राप्त नहीं हुआ है । यह उपग्रह पहले भी ग्रहण में गया था और ग्रहण से बाहर आने बाद उसने खुद से वापस कक्षा में स्थापित कर , संचार को फिर से स्थापित कर किया था। लेकिन इस बार क्योंकि इसमें कोईईंधन नहीं बचा है, इसलिए वह इस बार वह खुद को वापस कक्षा में स्थापित कर नहीं पायेगा ।
मंगलयान को 5 नवंबर 2013 को एक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) सी25 में लॉन्च किया गया था और यह 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह के कक्षा में पहुंच गया था । यह इसरो का पहला अंतरग्रहीय मिशन था। 450 करोड़ रुपये ($74 मिलियन) के बजट में, यह विश्व में सबसे अधिक लागत प्रभावी अंतरिक्ष मिशनों में से एक है।
मंगल मिशन को केवल छह महीने तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन इसने इन आठ वर्षों में लाल ग्रह(मंगल ग्रह) से भारी मात्रा में डेटा भेजा है। अंतरिक्ष यान में पांच वैज्ञानिक उपकरण, मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस), मंगल के लिए मीथेन सेंसर (एमएसएम), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी) हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
इसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी।
यह भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है। यह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपना अंतरिक्ष रॉकेट लॉन्च करता है ।
मुख्यालय: बेंगलुरु
अध्यक्ष: एस सोमनाथ
3. रक्षा मंत्री ने राजस्थान में भारतीय वायु सेना में पहले स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को शामिल किया
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 3 अक्टूबर को राजस्थान के जोधपुर में भारतीय वायु सेना में प्रचंड नाम के पहले स्वदेशी विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को शामिल किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
एलसीएच को जोधपुर में एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की उपस्थिति में शामिल किया गया।
एलसीएच को भारतीय वायु सेना के युद्ध कौशल को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।
मार्च 2022 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 3,887 करोड़ की लागत से 15 स्वदेशी रूप से विकसित लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (LSP) एलसीएच की खरीद को मंजूरी दी थी।
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर(एलसीएच) के बारे में
यह एक समर्पित लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
एलसीएच में एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव के समान है।
इसमें कई स्टील्थ फीचर्स, आर्मर्ड-प्रोटेक्शन सिस्टम, रात में हमला करने की क्षमता और क्रैश-योग्य लैंडिंग गियर हैं।
हेलीकॉप्टर को उच्च ऊंचाई वाले बंकर-बस्टिंग ऑपरेशन, जंगलों और शहरी वातावरण में आतंकवाद विरोधी अभियानों के साथ-साथ जमीन पर सैन्य बलों की मदद करने के लिए भी तैनात किया जा सकता है।
इसमें कांच के कॉकपिट और मिश्रित एयरफ्रेम संरचना जैसी कई प्रमुख विमानन प्रौद्योगिकियों का स्वदेशीकरण किया गया है।
यह दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो भारतीय सशस्त्र बलों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने वाले हथियारों के साथ 5,000 मीटर या 16,400 फीट की ऊंचाई पर उतर और टेक-ऑफ कर सकता है।
4. एनजीटी ने अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन के लिए तेलंगाना सरकार पर 3,800 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 1 अक्टूबर 2022 को दिए गए एक आदेश में ठोस और तरल कचरे के उपचार में विफलता के लिए तेलंगाना सरकार पर 3,800 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दक्षिणी राज्य में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन में भारी अंतर मौजूद है।
पीठ ने कहा कि स्वच्छ हवा, पानी, स्वच्छता और पर्यावरण प्रदान करना सुशासन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और राज्य प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है।
एनजीटी ने कहा कि अनुपालन, मुख्य सचिव की जिम्मेदारी होगी और उन्हें हर छह महीने में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
एनजीटी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय पहलुओं के अनुपालन की निगरानी कर रहा है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत 2010 में स्थापित किया गया था। यह पर्यावरण संरक्षण और वन के संरक्षण से संबंधित मामलों का निपटारा करता है । इसका मुख्यालय, नई दिल्ली है ।
5. सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष द्वारा शुरू की गई दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना
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दूरसंचार विभाग के तहत एक निकाय, सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष (यूएसओएफ) ने स्वदेशी दूरसंचार प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए 1 अक्टूबर 2022 को आधिकारिक तौर पर दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीटीडीएफ) योजना शुरू की।
टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीटीडीएफ) का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में विशिष्ट संचार प्रौद्योगिकी से जुड़े अनुप्रयोगों के संबंध में अनुसंधान एवं विकास को निधि प्रदान करना और दूरसंचार इकोसिस्टम के निर्माण व विकास के लिए अकादमिक, स्टार्ट-अप, अनुसंधान संस्थानों तथा उद्योग जगत के बीच तालमेल बनाना है।
इसके अतिरिक्त, इस योजना का उद्देश्य प्रौद्योगिकी स्वामित्व और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी सह-नवाचार की संस्कृति विकसित करना, आयात कम करना, निर्यात के अवसरों को बढ़ावा देना और बौद्धिक संपदा का निर्माण करना है।
यह योजना घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित व उसका समावेश करने के लिए भारतीय संस्थाओं को अनुदान देती है।
सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष ( यूएसओएफ)
- ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाली दूरसंचार सेवा प्रदान करने के लिए जहां निजी क्षेत्र कम लाभ या हानि के कारण नहीं जाती है, भारत सरकार ,सार्वभौमिक सेवा दायित्व की नीति लेकर आई ।
- इस नीति के तहत एक सार्वभौमिक सेवा दायित्व कोष ( यूएसओएफ) स्थापित किया गया था जो ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में दूरसंचार सुविधाएं बनाने के लिए धन उपलब्ध कराएगा।
- प्रत्येक निजी दूरसंचार कंपनियों को अपनी आय एक निश्चित प्रतिशत को यूएसओएफ में देना पड़ता है
- यह 01-04-2002 से लागू हुई।
- यूएसओएफ भारत सरकार के संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के अंतर्गत आता है।
- यूएसओएफ के तहत बनाया गया बुनियादी ढांचा सरकार के स्वामित्व वाली भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के तहत आता है।
फुल फॉर्म
यूएसओएफ/USOF: यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड(Universal Service Obligation Fund)
6. सीएसआईआर का 81वां स्थापना दिवस 29 सितंबर को मनाया गया
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औद्योगिक और वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) 29 सितंबर 2022 को अपना 81वां स्थापना दिवस मना रही है। भारत में प्रमुख सरकार द्वारा वित्त पोषित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन की स्थापना 26 सितंबर 1942 को एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
सीएसआईआर के पास 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 3 नवाचार परिसरों और अखिल भारतीय उपस्थिति वाली पांच इकाइयों का एक नेटवर्क है।
भारत के बौद्धिक संपदा आंदोलन के अग्रणी, सीएसआईआर आज चुनिंदा प्रौद्योगिकी डोमेन में देश के लिए वैश्विक स्थान बनाने के लिए अपने पेटेंट पोर्टफोलियो को मजबूत कर रहा है। सीएसआईआर ने 2015-20 के दौरान प्रति वर्ष लगभग 225 भारतीय पेटेंट और 250 विदेशी पेटेंट दायर किए। सीएसआईआर के पास 1,132 अद्वितीय पेटेंट का पेटेंट पोर्टफोलियो है, जिसमें से 140 पेटेंट का व्यावसायीकरण किया जा चुका है।
सिमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग वर्ल्ड रिपोर्ट 2021 के अनुसार, सीएसआईआर दुनिया भर में 1587 सरकारी संस्थानों में 37 वें स्थान पर है और शीर्ष 100 वैश्विक सरकारी संस्थानों में एकमात्र भारतीय संगठन है।
सीएसआईआर एशिया में 7वीं रैंक रखता है और देश को पहले स्थान पर रखता है।
सीएसआईआर के अध्यक्ष भारत के प्रधान मंत्री होते हैं।
मुख्यालय: नई दिल्ली
प्रथम महानिदेशक: एस.एस.भटनागर (1942-54)
वर्तमान महानिदेशक: नल्लाथम्बी कलाइसेल्वी (इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला)
7. पहला इलेक्ट्रिक प्लेन 'एलिस' ने अपनी पहली उड़ान सफलतापूर्वक भरी
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दुनिया के पहले बैटरी से चलने वाले विमान ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सिएटल शहर में अपनी पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। 'एलिस' नाम के प्रोटोटाइप विमान ने 3,500 फीट की ऊंचाई पर 8 मिनट तक उड़ान भरी।
एविएशन एयरक्राफ्ट कंपनी द्वारा बनाया गया विमान, बैटरी का उपयोग करता है और विमान की अधिकतम गति 481 किमी प्रति घंटा है और इसमें कार्बन उत्सर्जन शून्य है ।
यात्री संस्करण के लिए विमान की अधिकतम भार क्षमता 1,134 किलोग्राम और ईकार्गो संस्करण के लिए 1179 किलोग्राम है।
एविएशन ऐलिस को यात्री और कार्गो बाजारों पर लक्षित किया गया है, और आमतौर पर 150 मील से 250 मील तक की उड़ानें संचालित करेगा।
8. नासा का डार्ट मिशन : अंतरिक्ष यान 9.6 मिलियन किलोमीटर दूर क्षुद्रग्रह से टकराया
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27 सितंबर को नासा का डार्ट स्पेस मिशन में डार्ट स्पेसक्राफ्ट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में एस्टेरॉयड से जा टकराया है. इस मिशन का उद्देश्य एस्टेरॉयड की दिशा और गति को बदलना था।
महत्वपूर्ण तथ्य
अंतरिक्ष में 22500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से नासा का स्पेसक्राफ्ट एस्टेरॉयड से टकराया।
नासा इस परीक्षण के जरिए यह देखना चाहता था कि क्या धरती की तरफ आ रहे किसी एस्टेरॉयड की दिशा को बदला जा सकता है या नहीं।
स्पेसक्राफ्ट जिस एस्टेरॉयड से टकराया है उसका नाम डिमॉरफोस (Dimorphos) है.
डिमॉरफोस एक दूसरे एस्ट्रॉयड एस्टेरॉयड डिडिमोस (Didymos) के चारों ओर चक्कर काटता है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह देखना है कि अगर कोई खतरनाक एस्टेरॉयड पृथ्वी की तरफ आता है तो उसे नष्ट किया जा सकता है या उसका रुख मोड़ा जा सकता है।
अब वैज्ञानिक अगले दो महीने एस्टेरॉयड की स्पीड और मूवमेंट पर नजर रखेंगे, इसका कैलकुलेशन किया जाएगा. इसके बाद ही सटीक जानकारी मिलेगी कि नासा एस्टेरॉयड का रास्ता बदलने की कोशिश में कितना सफल रहा है।
नासा ने पृथ्वी के चारों तरफ 8000 से ज्यादा नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEO) रिकॉर्ड किए हैं।
इनमें से कुछ 460 फीट व्यास से ज्यादा बड़े हैं, अगर ये धरती से टकराते हैं कई शहरों को नष्ट कर सकते हैं।
नासा डार्ट मिशन के बारे में
‘DART’ एक कम लागत वाला अंतरिक्षयान है।
यह एक ऐसी तकनीक है जो एक क्षुद्रग्रह (asteroid) को पृथ्वी से टकराने से रोक सकती है।
इसका उद्देश्य एक ऐसी तकनीक का परीक्षण करना है जो पृथ्वी की ओर आने वाले क्षुद्रग्रहों का दिशा बदल सके।
इस मिशन का उद्देश्य भविष्य में पृथ्वी की ओर किसी क्षुद्रग्रह (asteroid) के आने की स्थिति में तैयार की जाने वाली नई तकनीक का परीक्षण करना है।
9. राष्ट्रपति मुर्मू ने आईसीएमआर-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञानं संस्था, साउथ जोन, बेंगलुरु के लिए आधारशिला का अनावरण किया
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 27 सितंबर 2022 को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में वर्चुअल मोड में बेंगलुरु में आईसीएमआर-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) पुणे, की दक्षिण क्षेत्र के कैंपस केआधारशिला का अनावरण किया।
राष्ट्रीय विषाणु विज्ञानं संस्था के क्षेत्रीय कैंपस की स्थापना केंद्र सरकार के प्रधानमंत्रीआयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का हिस्सा है।
प्रधानमंत्रीआयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-अभिम)
- प्रधानमंत्रीआयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन को ,25 अक्टूबर 2021 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था।
- योजना पर कुल परिव्यय 64,180 करोड़ रुपये है और योजना की अवधि 2021-22 से 25-26 तक है।
- प्रधान मंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन देश भर में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सबसे बड़ी अखिल भारतीय योजनाओं में से एक है।
- इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से महत्वपूर्ण देखभाल सुविधाओं और शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्राथमिक देखभाल में अंतराल को भरना है।
- यह 10 उच्च फोकस वाले राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के लिए सहायता प्रदान करेगा।
- इसके अलावा, सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- इस योजना के तहत, एक स्वास्थ्य के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान((नागपुर में स्थापित)), वायरोलॉजी के लिए चार नए क्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थान, डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान मंच, नौ जैव सुरक्षा स्तर- III प्रयोगशालाएं, रोग नियंत्रण के लिए पांच नए क्षेत्रीय राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- एशिया में पहली बार, व्यापक चिकित्सा सुविधाओं वाले कंटेनर-आधारित दो अस्पताल हर समय तैयार रखे जाएंगे, जिन्हें देश में किसी भी आपदा याविपदा के समय स्थिति से निपटने के लिए रेल या हवाई मार्ग के जरिए तेजी से इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी)
- राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के प्रमुख संस्थानों में से एक है।
- यह पुणे, महाराष्ट्र राज्य में 1952 में आईसीएमआर और रॉकफेलर फाउंडेशन अमेरिका के तत्वावधान में विषाणु (वायरस) अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था।
- अब यह पूरी तरह से आईसीएमआर द्वारा वित्त पोषित है।
- एनआईवी हेपेटाइटिस और इन्फ्लुएंजा के लिए राष्ट्रीय केंद्र भी है।
- एनआईवी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सहयोगी प्रयोगशालाओं में से एक के रूप में नामित किया गया है।
- अध्यक्ष: डॉ प्रिया अब्राहम
फुल फॉर्म
एनआईवी/NIV: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी
आईसीएमआर/ICMR: इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च
पीएम-अभिम/PM-ABHIM : प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन
10. रोहिणी RH-200 रॉकेट
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) रोहिणी RH -200 साउंडिंग रॉकेट के लगातार 200वें सफल प्रक्षेपण की योजना बना रहा है।
रोहिणी RH-200 रॉकेट के बारे में
RH-200 दो चरणों वाला रॉकेट है जो 70 किमी की ऊंचाई तक चढ़ने में सक्षम है।
RH-200 का पहला और दूसरा चरण सॉलिड मोटर्स द्वारा संचालित होता है।
नाम में '200' मिमी में रॉकेट के व्यास को दर्शाता है।
अन्य रोहिणी वेरिएंट - RH-300 Mk-II और RH-560 Mk-III।
वर्षों से, RH-200 रॉकेट ने पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) आधारित प्रणोदक का उपयोग किया जाता था।
हाइड्रॉक्सिल-टर्मिनेटेड पॉलीब्यूटाडाइन (HTPB) पर आधारित एक नए प्रणोदक का उपयोग करने वाला पहला RH-200 सितंबर 2020 में TERLS से सफलतापूर्वक उड़ाया गया था।
RH200 रॉकेट की स्थापना के बाद से, दोनों ठोस चरणों को पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) आधारित प्रणोदक का उपयोग करके संसाधित किया जाता है।
साउंडिंग रॉकेट के बारे में
यह एक या दो चरण के ठोस प्रणोदक रॉकेट हैं जिनका उपयोग ऊपरी वायुमंडलीय क्षेत्रों की जाँच और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये किया जाता है।
रॉकेट का उपयोग पृथ्वी की सतह से 48 से 145 किमी ऊपर उपकरणों को लॉन्च करने के लिए किया जाता है।
थुंबा से प्रक्षेपित किया जाने वाला पहला साउंडिंग रॉकेट अमेरिकन नाइके-अपाचे था जिसे 21 नवंबर, 1963 को लांच किया गया था।
इसरो ने 1967 में अपना स्वयं का संस्करण रोहिणी आरएच-75 लॉन्च किया।
इसरो अब तक 1,600 से अधिक RH-200 रॉकेट लॉन्च कर चुका है।