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By admin: May 30, 2022

1. त्रिशूर में वेस्ट नाइल फीवर से एक व्यक्ति की मौत

Tags: Science and Technology

29 मई को त्रिशूर के पनंचेरी पंचायत में मच्छर जनित बीमारी वेस्ट नाइल बुखार से एक व्यक्ति की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है।

  • वेस्ट नाइल वायरस के बारे में

  • वेस्ट नाइल वायरस एक मच्छर जनित, एकल रूप से बंधा हुआ आरएनए वायरस है।

  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह फ्लैविवायरस जीनस का सदस्य है और फ्लैविविरिडी परिवार के जापानी एन्सेफलाइटिस एंटीजेनिक कॉम्प्लेक्स से संबंधित है।

  • वायरस का संचरण

  • मच्छरों की क्यूलेक्स प्रजाति संचरण के लिए प्रमुख वाहक के रूप में कार्य करती है।

  • यह संक्रमित मच्छरों से इंसानों, जानवरों और पक्षियों में फैलता है।

  • मच्छर तब संक्रमित हो जाते हैं जब वे संक्रमित पक्षियों को खाते हैं और कुछ दिनों के लिए उनके रक्त में वायरस फैलाते हैं।

  • वायरस अंततः मच्छर की लार ग्रंथियों में चला जाता है।

  • जब मच्छर काटते हैं, तो वायरस मनुष्यों और जानवरों के शरीर में  प्रवेश कर जाते हैं जहां वायरस की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है जो बीमारी का कारण बनता है।

  • वायरस रक्ताधान से, संक्रमित मां से उसके बच्चे में या प्रयोगशालाओं में वायरस के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।

  • लक्षण

  • 80% संक्रमित लोगों में इस रोग का लक्षण दिखाई नहीं देता।

  • 20% मामलों में दिखाई देने वाले लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मतली, दाने और ग्रंथियों में सूजन शामिल हैं।

  • गंभीर संक्रमण से एन्सेफलाइटिस, मेनिन्जाइटिस, लकवा और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

  • यह आमतौर पर सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों और जिन व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है (जैसे प्रत्यारोपण रोगियों) में घातक हो जाता है।

By admin: May 26, 2022

2. आयुष मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

Tags: National Science and Technology

आयुष मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के बीच आयुष क्षेत्र में साक्ष्य आधारित जैव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप की दिशा में विशेषज्ञता लाने के लिए सहयोग, अभिसरण और तालमेल की संभावना का पता लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

  • इस समझौता ज्ञापन से उम्मीद है कि पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल और जैव प्रौद्योगिकी एक साथ एक साथ मिलकर अभिनव और पथ-प्रदर्शक अनुसंधान करने के लिए सक्षम होंगी।

  • आयुष प्रणालियों के विभिन्न मूलभूत सिद्धांतों की खोज के लिए नवाचार और अनुसंधान का उपयोग किया जा सकता है।

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में प्राचीन वैज्ञानिक प्रणाली की खोज और अनुप्रयोग के लिए बहु-आयामी और तकनीकी तरीकों की आवश्यकता है।

  • इससे आयुष क्षेत्र में समन्वित अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है और आयुष स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की विशाल अप्रयुक्त क्षमता का उपयोग सामुदायिक लाभ के लिए किया जा सकता है।

  • एमओयू आयुष क्षेत्र में साक्ष्य आधारित जैव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के लिए अंतर-मंत्रालयी सहयोग की सुविधा प्रदान करेगा

By admin: May 26, 2022

3. इंटरनेट का उपयोग करने में भाषा की बाधाओं को दूर करेगा BHASHINI

Tags: Science and Technology

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा डिजिटल इंडिया भाषिनी (भारत के लिए भाषा इंटरफेस) के लिए रणनीति को आकार देने के उद्देश्य से शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप के साथ एक विचार-मंथन सत्र आयोजित किया गया।

  • डिजिटल इंडिया BHASHINI के बारे में

  • यह भारत का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नेतृत्व वाला भाषा अनुवाद मंच है।

  • यह सार्वजनिक क्षेत्र में स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) संसाधनों को उपलब्ध कराएगा।

  • यह राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन का एक हिस्सा है।

  • इसका उद्देश्य शासन और नीति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्रों में इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में सामग्री को पर्याप्त रूप से बढ़ाना है।

  • इस पहल का महत्व

  • यह भारतीय नागरिकों को उनकी अपनी भाषा में देश की डिजिटल पहल से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाएगा।

  • इससे डिजिटल समावेशन होगा।

  • यह स्टार्टअप्स की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।

  • यह भारतीय भाषाओं में नवीन उत्पादों और सेवाओं को विकसित करने के लिए मिलकर काम करते हुए केंद्र / राज्य सरकार की एजेंसियों और स्टार्ट-अप को शामिल करते हुए एक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करेगा।

  • यह डिजिटल सरकार के लक्ष्य को साकार करने में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

  • यह भारतीय भाषाओं में सामग्री को बढ़ाएगा।

By admin: May 25, 2022

4. परम पोरुल सुपरकंप्यूटर का उद्घाटन एनआईटी, तिरुचिरापल्ली में किया गया

Tags: Science and Technology

परम पोरुल, एक अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटर का उद्घाटन 25 मई, 2022 को एनआईटी तिरुचिरापल्ली में किया गया।

  • यह राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत राष्ट्र को समर्पित किया गया है।

  • राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की एक संयुक्त पहल है।

  • एनएसएम के तहत इस 838 टेराफ्लॉप्स सुपरकंप्यूटिंग सुविधा को स्थापित करने के लिए 12 अक्टूबर 2020 को एनआईटी तिरुचिरापल्ली और सेंटर फॉर डेवलपमेंट इन एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

  • यह सिस्टम विभिन्न वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों की कंप्यूटिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए सीपीयू नोड्स, जीपीयू नोड्स, हाई मेमोरी नोड्स, हाई स्टोरेज और हाई परफॉर्मेंस इनफिनिबैंड इंटरकनेक्ट के मिश्रण से लैस है।

  • यह उच्च शक्ति उपयोग प्रभावशीलता प्राप्त करने और इस तरह परिचालन लागत को कम करने के लिए डायरेक्ट कॉन्टैक्ट लिक्विड कूलिंग तकनीक पर आधारित है।

  • यह अत्याधुनिक कंप्यूटिंग प्रणाली अनुसंधान समुदाय के लिए काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगी।

  • एनएसएम के तहत, अब तक पूरे देश में 24 पेटाफ्लॉप की गणना क्षमता वाले 15 सुपर कंप्यूटर स्थापित किए जा चुके हैं।

  • इन सभी सुपर कंप्यूटरों का निर्माण भारत में किया गया है और यह स्वदेशी रूप से विकसित सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ काम कर रहे हैं।

By admin: May 24, 2022

5. रेल मंत्रालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के साथ सहयोग

Tags: National Science and Technology


रेल मंत्रालय 'स्वदेशी' हाइपरलूप प्रणाली के विकास में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के साथ सहयोग करेगा तथा संस्थान में हाइपरलूप प्रौद्योगिकी के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने में भी मदद करेगा।

  • वर्ष 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा हाइपरलूप तकनीक विकसित करने की योजना की शुरुआत की गयी थीI  

  • देश में रेल के सफर को फास्ट, आसान और आधुनिक बनाने की दिशा में भारतीय रेलवे ने यह अहम कदम उठाया हैI

  • इस परियोजना से कार्बन उत्सर्जन और ऊर्जा खपत को कम करने के लक्ष्य में भी मदद मिलेगीI

  • रेल मंत्रालय के अनुसार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के छात्रों का दल ‘टीम आविष्कार हाइपरलूप’ इस परिवहन माध्यम पर काम कर रहा हैI

  • टीम आविष्कार द्वारा प्रस्तावित मॉडल 1,200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की शीर्ष गति प्राप्त कर सकता है और यह पूरी तरह से स्वायत्त, सुरक्षित और स्वच्छ हैI

  • हाइपरलूप क्या है?

  • हाइपरलूप ऐसी तकनीक है जिसमें कम दबाव वाली ट्यूब में चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी मदद से बिना घर्षण के लोगों और माल को तेज गति से लाया-ले जाया जा सकेगाI 

  • इसमें विशेष प्रकार से डिज़ाइन किये गए कैप्सूल या पॉड्स का प्रयोग किया जाएगा I

  • कैप्सूल्स और पॉड्स को एक पारदर्शी ट्यूब पाइप के अंदर उच्च वेग से संचालित किया जाएगाI 

  • इसमें पॉड्स को जमीन को उपर काफी बड़े पाइपों में इलेक्ट्रिकल चुम्बक पर चलाया जाएगा इस चुम्बक के प्रभाव से पॉड्स ट्रैक से कुछ उपर उठ जाएँगे इसके कारण गति ज्यादा हो जाएगी और घर्षण कम हो जाएगाI

  • इसमें एक मैग्नेटिक ट्रैक होगा जिस पर वैक्यूम को बनाया जाएगा. इससे ट्रेन काफी तेजी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकेगीI

By admin: May 19, 2022

6. बैटरी से चलने वाले डुअल-मोड लोकोमोटिव 'नवदूत' का विकास

Tags: National Science and Technology

पश्चिम मध्य रेलवे ने नवदूत (Nav Doot) नाम से बैटरी से चलने वाला डुअल-मोड लोकोमोटिव विकसित किया है।

  • यह इंजन दोनों मोड यानी बैटरी और बिजली पर चलता है।

  • वर्तमान में इसका प्रयोग ट्रायल आधार पर जबलपुर, मुदवाड़ा और अन्य स्टेशनों पर ट्रेनों के शंटिंग के दौरान किया जा रहा है।

  • इस डुअल मोड लोकोमोटिव को रेलवे बोर्ड की ओर से बेस्ट इनोवेशन अवार्ड भी मिला है।

  • इस नए लोकोमोटिव से रेलवे रोजाना 1000 लीटर डीजल बचाएगा तथा सभी ट्रायल्स को क्लियर करने के बाद इसका और ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा।

  • नवदूत के बारे में

  • यह ई-इंजन 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 18 कोच खींच सकता है।

  • इसमें 84 बैटरियां हैं और वर्तमान में इसकी क्षमता 400 टन खींचने की है।

  • इसे न्यू कटनी जंक्शन के विद्युत विभाग द्वारा विकसित किया गया है।

  • सभी परीक्षणों को मंजूरी देने के बाद, अन्य स्टेशनों में माल, कोयला, तेल टैंकर आदि ले जाने जैसे उद्देश्यों के लिए इसका अधिक व्यापक रूप से उपयोग किया जाएगा।

By admin: May 18, 2022

7. देश का पहला ‘5G टेस्‍टबेड’ लॉन्च

Tags: Science and Technology National News

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले 5G टेस्‍टबेड का उद्घाटन किया जिससे इंडस्‍ट्री प्‍लेयर्स और स्‍टार्टअप्‍स अपने प्रोडक्‍ट्स को स्‍थानीय स्‍तर पर टेस्‍ट और वैलिडेट कर पाएंगे।

  • इस टेस्‍टबेड को 220 करोड़ रुपये की लागत से सेटअप किया गया है।

  • इस 5G टेस्टबेड को IIT मद्रास के नेतृत्व में 8 संस्थानों द्वारा एक मल्‍टी-इंस्टिट्यूट सहयोगी परियोजना के रूप में विकसित किया गया है। 

  • अभी तक 5G टेस्टबेड नहीं होने की वजह से स्टार्टअप्‍स और इंडस्‍ट्री प्‍लेयर्स को अपने प्रोडक्‍ट्स की टेस्टिंग और उन्‍हें वैलिडेट करने के लिए विदेश जाना पड़ता था।

  • यह टेस्‍टबेड भारतीय इंडस्‍ट्री और स्टार्टअप्‍स के लिए एक सपोर्टिव इकोसिस्‍टम तैयार करेगा, जिससे उन्हें 5G और ने‍क्‍स्‍ट जेन टेक्‍नॉलजीज में अपने प्रोडक्‍ट्स, प्रोटोटाइप, सॉल्‍यूशन और एल्गोरिदम को वैलिडेट करने में मदद मिलेगी।

  • इस प्रोजेक्‍ट में जो अन्‍य इंस्टिट्यूट शामिल हैं, उनमें IIT दिल्ली, IIT हैदराबाद, IIT बॉम्बे, IIT कानपुर, IISc बैंगलोर, सोसायटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER) और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (CEWiT) हैं।

By admin: May 14, 2022

8. इसरो ने किया गगनयान कार्यक्रम के लिए ‘ह्यूमन-रेटेड’ ठोस रॉकेट वाहक (एचएस200) का सफल परीक्षण

Tags: National Science and Technology

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में गगनयान कार्यक्रम के लिए ‘ह्यूमन-रेटेड’ ठोस रॉकेट वाहक (एचएस200) का सफलतापूर्वक स्थैतिक परीक्षण पूरा किया I

  • एचएस200 उपग्रह प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके थ्री के एस200 रॉकेट वाहक का ‘ह्यूमन-रेटेड’ संस्करण है, जिसे एलवीएम-3 के नाम से जाना जाता है I  

  • ह्यूमन-रेटेड’ संस्करण किसी अंतरिक्ष यान या प्रक्षेपण वाहन के प्रमाणन की प्रक्रिया है जो दर्शाती है कि यान मनुष्यों को सुरक्षित रूप से लेकर अंतरिक्ष में परिवहन करने में सक्षम है I

  • एस200 मोटर, एलवीएम-3 प्रक्षेपण यान का पहला चरण है, जिसका उद्देश्य जियोसिंक्रोनस स्थानांतरण कक्षा में 4,000 किलोग्राम वर्ग के उपग्रह को प्रक्षेपण करना है।

  • एचएस200 वाहक का डिजाइन और विकास तिरुवनंतपुरम स्थित वीएसएससी में पूरा किया गया और प्रणोदक ढलाई श्रीहरिकोटा स्थित एसडीएससी में पूरी की गई I 

  • इस परीक्षण के सफल होने के बाद, इसरो गगनयान कार्यक्रम की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ गया है I

  • भारत का गगनयान मिशन

  • गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक मिशन है।

  • इस मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष अभियानों को कक्षा में भेजा जाएगा इन तीन अभियानों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा।

  • पहले चरण में गगनयान का मानव रहित मिशन जी-1 होगा। इसके बाद 2022 के अंत में व्‍योममित्र नाम का रोबोट भेजा जाएगा।

  • चालकदल के साथ पहली बार गगनयान मिशन 2023 में लॉन्‍च किया जायेगा।

  • मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, जिसे ऑर्बिटल मॉड्यूल कहा जाता है, में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे।

  • गगनयान के प्रक्षेपण हेतु तीन चरणों वाले GSLV Mk III का उपयोग किया जाएगा जो भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण में सक्षम है।GSLV Mk III को प्रमोचन वाहन मार्क-3  भी कहा जाता है।

  • गगनयान मिशन के लॉन्च के साथ भारत अमेरिका, चीन और रूस के क्लब में शामिल हो जाएगा।

By admin: May 13, 2022

9. हवा से हवा में मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया

Tags: National Science and Technology

हवा में मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित दूरी के संस्करण को सुखोई-30 मार्क-वन लड़ाकू विमान से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।

  • परीक्षण के दौरान मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में निर्धारित लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया।

  • सुखोई-30 मार्क-वन लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित दूरी के संस्करण का यह पहला प्रक्षेपण था।

  • इस मिसाइल के एडवांस्ड वर्जन की रेंज लगभग 350 किलोमीटर है जबकि मूल मिसाइल की रेंज लगभग 290 किलोमीटर थी।

  • इस परीक्षण में भारतीय वायुसेना के साथ भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO), भारतीय नौसेना, बीएपीएल और एचएएल शामिल थे I

  • सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान 

  • सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का प्रमुख लड़ाकू विमान है।

  • यह लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है।

  •  वर्ष 2002 में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित किया गया था और वर्ष 2004 से इनका निर्माण भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

  • यह विमान 3000 किमी की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है।

  • ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में 

  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है।

  • इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है।

  • इसे रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।

  • ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है।

  • ब्रह्मोस की विशेषताएँ 

  • यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है।

  • यह 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती।

By admin: May 13, 2022

10. वैज्ञानिकों ने लद्दाख हिमालय से लगभग 35 मिलियन वर्ष पुराने दुर्लभ सांप के जीवाश्म की खोज की

Tags: Popular Science and Technology

वैज्ञानिकों ने पहली बार लद्दाख हिमालय के शीरे के निक्षेपों से एक मदतसोइदे सांप के जीवाश्म की खोज की है।

  • यह उपमहाद्वीप में इसके प्रसार को पहले की तुलना में अधिक लंबे समय तक इंगित करता है।

  • मदतसोइदे मध्यम आकार के विशाल सांपों का एक विलुप्त समूह है।

  • यह सबसे पहले क्रेटेशियस के दौरान प्रकट हुआ था और ज्यादातर गोंडवान भूभाग में वितरित किया गया था।

  • हालांकि, उनका सेनोज़ोइक रिकॉर्ड बेहद दुर्लभ है।

  • लद्दाख के ओलिगोसीन से मदतसोइदे का पाया जाना उनकी निरंतरता को कम से कम पैलियोजीन के अंत तक इंगित करती है (भूगर्भीय काल और प्रणाली जो 66 मिलियन वर्ष पूर्व क्रेतेसियस अवधि के अंत से 43 मिलियन वर्ष तक फैली हुई है)।

  • यह शोध जर्नल ऑफ वर्टेब्रेट पेलियोन्टोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

  • नया खोजा गया जीवाश्म नमूना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, वाडिया संस्थान के भंडार में रखा गया है।

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