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By admin: July 1, 2022

1. इसरो ने तीन सिंगापुर के उपग्रह लॉन्च किए

Tags: Science and Technology

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 30 जून को न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के एक वाणिज्यिक मिशन में सिंगापुर के तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

  • इसे PSLV कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल या 'POEM' के माध्यम से सटीक कक्षा में लॉन्च किया गया था।

  • यह इसरो द्वारा वर्ष का दूसरा प्रक्षेपण था, जिसने फरवरी में भारतीय पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया था।

  • सिंगापुर के तीन उपग्रह कौन से हैं?

  1. DS-EO, एक सिंगापुर का पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह

  2. NeuSAR, एसएआर (खोज और बचाव) पेलोड ले जाने वाला सिंगापुर का पहला छोटा वाणिज्यिक उपग्रह 

  3. नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (NTU) से SCOOB-I उपग्रह

  • पीओईएम क्या है?

  • यह एक ऐसा मंच है जो इसरो के वर्कहॉर्स रॉकेट, पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के अंतिम या छोड़े गए चरण का उपयोग करके कक्षा में प्रयोग करने में मदद करेगा।

  • पीएसएलवी एक चार चरणों वाला रॉकेट है जहां पहले तीन चरण वापस समुद्र में गिरते हैं, और अंतिम चरण (पीएस 4) - उपग्रह को कक्षा में लॉन्च करने के बाद - अंतरिक्ष कबाड़ के रूप में समाप्त होता है।

  • हालांकि, पीएसएलवी-सी53 मिशन में, अंतिम चरण को प्रयोग करने के लिए "स्थिर मंच" के रूप में उपयोग किया जाएगा।

  • पीओईएम छह पेलोड ले जा रहा है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप दिगंतारा और ध्रुव स्पेस के दो पेलोड शामिल हैं।

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)

  • इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी

  • इसरो के अध्यक्ष: एस सोमनाथ

  • इसरो का मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक

  • अंतरिक्ष स्टेशन जहां से इसरो ने रॉकेट लॉन्च किए

  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश




By admin: June 30, 2022

2. NASA ने अपना कैपस्टोन अंतरिक्ष यान लॉन्च किया

Tags: Science and Technology


अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने न्यूजीलैंड के माहिया प्रायद्वीप से अपना कैपस्टोन अंतरिक्ष यान लॉन्च किया।

  • माइक्रोवेव ओवन के आकार का ये स्पेसक्राफ्ट 25 किग्रा का है।

  • यह अंतरिक्ष यान छह महीने तक चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करेगा और NASA के लूनर गेटवे के इस्तेमाल से पहले कक्षा की स्थिरता का परीक्षण करेगा।

  • अमेरिकी कंपनी रॉकेट लैब के इलेक्ट्रॉन बूस्टर रॉकेट से इसे लॉन्च किया गया है।

  • लूनर गेटवे को 2024 में लॉन्च किया जाएगा और यह 50 वर्षों में पहली बार चंद्रमा पर इंसानों को लैंड कराने के लिए ये स्टेजिंग एरिया के रूप में काम करेगा।

  • लूनर गेटवे चांद के चारों ओर घूमने वाला स्पेस स्टेशन होगा।

  • ' कैपस्टोन चांद का हालो आकार में चक्कर लगाएगा। यानी ये चांद को केंद्र मान कर पूरी तरह गोल नहीं घूमेगा।

  • ये चांद के सबसे नजदीक 1600 किमी और सबसे दूर 70,000 किमी तक चक्कर लगाएगा। चांद का एक चक्कर ये सात दिन में लगाएगा।

  • नासा के बारे में -

  • नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनएसीए) के स्थान पर किया गया था।

  • नासा - नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन

  • मुख्यालय- वाशिंगटन डी.सी.

  • प्रशासक- बिल नेल्सन

By admin: June 29, 2022

3. बेलारूस को इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली देगा रूस

Tags: Science and Technology


रूस ने बेलारूस को “इस्कंदर-एम मिसाइल सिस्टम” स्थानांतरित करने की घोषणा की है।

  • इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली

  • यह मिसाइल प्रणाली अपने परमाणु और पारंपरिक संस्करणों में बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइलों का उपयोग कर सकती है।

  • इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली को नाटो द्वारा “SS -26 स्टोन” के रूप में कोडनेम दिया गया है।

  • रूस इस्कंदर-एम शब्द का प्रयोग ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर लॉन्च सिस्टम के साथ-साथ उसके द्वारा दागी गई कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) को परिभाषित करने के लिए करता है।

  • इस प्रणाली का उपयोग जमीन से प्रक्षेपित क्रूज मिसाइलों (GLCMs) जैसे SSC-7 और SSC-8 को फायर करने के लिए किया जा सकता है।

  • इसे पहली बार 1996 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

  • इस्कंदर-एम मिसाइल की मारक क्षमता 500 किमी है।

  • यह 700 किलो तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।

  • इस्कंदर प्रणाली को 2006 में रूस द्वारा शामिल किया गया था।

  • इसे 1980 के दशक के अंत में “ओका” SRBM (शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल) या OTR-23 को इंटरमीडिएट न्यूक्लियर फोर्सेस ट्रीटी के अनुसार प्रतिबंधित किए जाने के बाद विकसित किया गया था।

  • बेलारूस के बारे में -

  • बेलारूस पूर्वी यूरोप का स्थल-रुद्ध देश है।

  • राजधानी- मिन्‍स्‍क

  • राष्ट्रपति- अलेक्जेंडर लुकाशेंको

  • प्रधानमन्त्री- रोमन गोलोवचेंको

  • मुद्रा- बेलारूसी रुबल

By admin: June 28, 2022

4. ईरान ने अंतरिक्ष में ठोस ईंधन वाला रॉकेट ‘जुलजाना’ लॉन्च किया

Tags: Science and Technology


ईरान ने ‘जुलजाना’ नाम का एक ठोस ईंधन वाला रॉकेट अंतरिक्ष में लांच किया है।

  • यह 25.5 मीटर लंबा रॉकेट है, जो 220 किलोग्राम के उपग्रह को ले जाने में सक्षम है।

  • इस सैटेलाइट कैरियर को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

  • इससे पृथ्‍वी की निचली कक्षा में आंकडे एकत्र करने और ईरान के अंतरिक्ष उद्योग को प्रोत्‍साहित करने में मदद मिलेगी।

  • रॉकेट पहले दो चरणों में ठोस ईंधन का उपयोग करता है जबकि तीसरे चरण में यह तरल ईंधन का उपयोग करता है।

  • ईरानी विशेषज्ञों ने पहली बार 2012 में जुलजाना उपग्रह वाहक रॉकेट का परीक्षण किया, जो ठोस ईंधन द्वारा संचालित एक शक्तिशाली इंजन था।

  • जुलजाना का नाम पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन के घोड़े के नाम पर रखा गया है।

  • ईरान के बारे में -

  • ईरान जम्बुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन 1935 तक फारस (पर्शिया) नाम से जाना जाता था ।

  • ईरान को 1979 में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था।

  • ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है।

  • प्राकृतिक गैसों के रिज़र्व (भंडार) की दृष्टि से ईरान विश्व का सबसे बड़ा देश है।

  • राजधानी- तेहरान

  • राष्ट्रपति - इब्राहिम रईसी

  • मुद्रा - ईरानी रियाल

By admin: June 27, 2022

5. VL-SRSAM: शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल का सफल प्रक्षेपण

Tags: Science and Technology

हाल ही में वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM) का भारतीय नौसेना के जहाज से इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), चांदीपुर, ओडिशा में सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया।

  • परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।

  • VL-SRSAM के बारे में -

  • VL-SRSAM को भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनाती के लिये रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की तीन इकाईयों द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।

  • मिसाइल में सी-स्किमिंग टारगेट्स सहित निकट सीमा पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करने की क्षमता है।

  • सी स्किमिंग एक ऐसी तकनीक हैं जिसका उपयोग कई एंटी-शिप मिसाइलें और कुछ लड़ाकू या स्ट्राइक एयरक्राफ्ट रडार और इन्फ्रारेड डिटेक्शन से बचने के लिये करते हैं।

  • मिसाइल को 40 से 50 किमी की दूरी पर और लगभग 15 किमी की ऊँचाई पर उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों पर हमला करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

  • इसका डिज़ाइन अस्त्र मिसाइल पर आधारित है जो दृश्य सीमा से परे हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है। 

  • विशेषताएँ

  • क्रूसीफॉर्म पंख: वे चार छोटे पंख होते हैं जो चार तरफ एक क्रॉस की तरह व्यवस्थित होते हैं और प्रक्षेप्य को एक स्थिर वायुगतिकीय स्थिति प्रदान करते हैं।

  • थ्रस्ट वेक्टरिंग: यह अपने इंज़न से थ्रस्ट की दिशा बदलने, कोणीय वेग और मिसाइल के स्थिति को नियंत्रित करने की क्षमता है। 

  • थ्रस्ट वह बल है जो विमान को हवा के माध्यम से ले जाता है। 

कनस्तरीकृत प्रणाली: इसके द्वारा अंदर के वातावरण को नियंत्रित किया जाता है, इस प्रकार इसका परिवहन और भंडारण आसान हो जाता है और हथियार टिकाऊ हो जाते है।

By admin: June 25, 2022

6. भारतीय संचार उपग्रह जीसैट-24 का फ्रेंच गुयाना से सफल प्रक्षेपण

Tags: Science and Technology

23 जून को भारत ने अपना GSAT-24 उपग्रह दक्षिण अमेरिका में फ्रेंच गयाना के कौरौ से लॉन्च किया गया है ।

  • GSAT-24 उपग्रह को एरियन 5 अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान पर फ्रांसीसी कंपनी एरियनस्पेस द्वारा लॉन्च किया गया था।

  • यह उपग्रह इसरो द्वारा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के लिए बनाया गया है।

  • GSAT-24 24-KU बैंड संचार उपग्रह है। इसका वजन 4180 किलो है।

  • यह उपग्रह DTH आवेदन की जरूरतों को पूरा करने के लिए अखिल भारतीय कवरेज प्रदान करेगा।

  • GSAT-24 को फ्रांसीसी रॉकेट से क्यों लॉन्च किया गया

  • GSAT-24 उपग्रह को फ्रांसीसी रॉकेट एरियन 5 पर लॉन्च किया गया था, क्योंकि वर्तमान में भारत के पास अंतरिक्ष-प्रक्षेपण रॉकेट नहीं है जो 4 टन से अधिक वजन वाले उपग्रह को भूस्थिर कक्षा में उठा सके।

  • भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV MK3 अधिकतम 4 टन भूस्थिर कक्षा में उठाने में सक्षम है।

  • GSAT-24

  • GSAT-24 एक 24-केयू बैंड संचार उपग्रह है I 

  • इस उपग्रह का बजन 4180 किलोग्राम है।

  • न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के बारे में -

  • NSIL एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वाणिज्यिक शाखा है।

  • इसकी स्थापना 6 मार्च, 2019 को हुई थी।

  • यह अंतरिक्ष विभाग (DoS) के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।

  • यह संगठन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास करता है।

By admin: June 24, 2022

7. आईओसी ने इंडोर सोलर कुक टॉप सूर्या नूतन का अनावरण किया

Tags: Science and Technology

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने अपने पेटेंट स्वदेशी सोलर कुक टॉप, "सूर्य नूतन" का अनावरण किया है I 

  • यह इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र, फरीदाबाद द्वारा डिजाइन और विकसित  किया गया एक पेटेंट उत्पाद है।

  • सूर्य नूतन भारत के CO2 उत्सर्जन को काफी कम करने में मदद करेगा और हमारे नागरिकों को उच्च अंतरराष्ट्रीय जीवाश्म ईंधन की कीमतों की अनिश्चितता से बचाएगा।

  • इस उत्पाद का प्रदर्शन केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी के आवास पर किया गया।

  • सूर्य नूतन के बारे में -

  • सूर्य नूतन एक स्थान पर स्थापित, रिचार्जेबल और रसोई से हमेशा जुड़ी हुई एक इनडोर सोलर कुकिंग प्रणाली है।

  • सूर्य नूतन हाइब्रिड मोड में काम करता है, जिसका अर्थ है कि यह सौर और सहायक ऊर्जा स्रोतों दोनों पर एक साथ चल सकता है। सोलर कुक टॉप का इंसुलेशन डिजाइन रेडिएटिव और कंडक्टिव हीट लॉस को कम करता है।

  • सूर्य नूतन का इन्सुलेशन डिजाइन विकिरण और प्रवाहकीय गर्मी के नुकसान को कम करता है।

  • सूर्य नूतन तीन अलग-अलग मॉडलों में उपलब्ध है: सूर्य नूतन का प्रीमियम मॉडल (नाश्ता + दोपहर का भोजन + रात का खाना) चार लोगों के परिवार के लिए पूरा भोजन बना सकता है।

  • सूर्य नूतन एक मॉड्यूलर प्रणाली है और इसे आवश्यकता के अनुसार विभिन्न आकारों में डिजाइन किया जा सकता है।

  • उत्पाद की शुरुआती लागत बेस मॉडल के लिए 12,000 रुपये और शीर्ष मॉडल के लिए 23,000 रुपये है । हालांकि, पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के साथ लागत में काफी कमी आने की उम्मीद है।

  • वर्तमान में, इसके आवेदन से संबंधित विभिन्न परिचालन और वाणिज्यिक पहलुओं का पता लगाने के लिए लेह (लद्दाख) जैसे लगभग 60 स्थानों पर पायलट परियोजनाएं आयोजित की जा रही हैं।

  • अतिरिक्त जानकारी -

  •  इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के बारे में -

  • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड भारत सरकार की सबसे बडी़ एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है।

  • इंडियन ऑयल को सरकार द्वारा महारत्न का दर्जा प्राप्त है।

  • स्थापना- 1959

  • मुख्यालय- नई दिल्ली, भारत

  • अध्यक्ष- श्रीकांत माधव वैद्य

By admin: June 23, 2022

8. एरियनस्पेस द्वारा लॉन्च किया गया भारतीय संचार उपग्रह

Tags: Science and Technology

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा एरियनस्पेस, भारत और मलेशिया से संबंधित दो संचार उपग्रहों को 22 जून को भूस्थिर कक्षा में स्थापित किया गया।

  • दो उपग्रहों का कुल वजन 10 हजार किलोग्राम से अधिक है, जिसे एरियन -5 रॉकेट द्वारा कौरौ, फ्रेंच गुयाना में अंतरिक्ष यान से उड़ाया गया।

  • भारतीय उपग्रह, GSAT-24 को टेलीविजन सेवा प्रदाता टाटा स्काई के लिए इसरो की वाणिज्यिक शाखा, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा विकसित किया गया है।

  • जीसैट-24 एक 24-केयू बैंड संचार उपग्रह है जिसका वजन चार हजार किलोग्राम से अधिक है और देश भर में डीटीएच अनुप्रयोग की जरूरतों को पूरा करता है।

  • जीसैट-24 एरियनस्पेस द्वारा परिक्रमा करने वाला 25वां भारतीय उपग्रह होगा।

  • 28 सितंबर, 2021 को, NSIL ने अपने GSAT-24 दूरसंचार उपग्रह, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रक्षेपण के साथ एरियनस्पेस को सौंप दिया।

  • अन्य उपग्रह MEASAT-3d एक मलेशियाई उपग्रह ऑपरेटर MEASAT के लिए एयरबस डिफेंस एंड स्पेस द्वारा निर्मित एक बहु-मिशन दूरसंचार उपग्रह है।

  • यह नया उपग्रह सीमित या बिना स्थलीय नेटवर्क वाले क्षेत्रों में या मलेशिया के ग्रामीण क्षेत्रों में 100 एमबीपीएस तक की ब्रॉडबैंड गति में उल्लेखनीय वृद्धि करेगा।

  • एरियनस्पेस के बारे में

  • यह दुनिया का पहला कमर्शियल लॉन्च सर्विस प्रोवाइडर है।

  • यह 1980 में स्थापित एक फ्रांसीसी कंपनी है।

  • यह एरियन कार्यक्रम के संचालन और विपणन का कार्य करता है।

  • कंपनी कई अलग-अलग लॉन्च वाहनों की पेशकश करती है जैसे - भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में दोहरी लॉन्च के लिए हेवी-लिफ्ट एरियान 5, मध्यम-लिफ्ट विकल्प के रूप में सोयुज -2 इत्यादि।





By admin: June 20, 2022

9. चीन ने तीसरा सबसे उन्नत घरेलू विमानवाहक पोत 'फ़ुज़ियान' लॉन्च किया

Tags: Science and Technology

चीन ने हाल ही में देश का सबसे उन्नत और पहला पूरी तरह से घरेलू रूप से निर्मित  विमानवाहक पोत ‘फ़ुज़ियान’ (Fujian) नाम से लॉन्च किया। 

  • चीन के पूर्वी तटीय प्रांत फुजियान के नाम पर तीसरे विमानवाहक पोत का जलावतरण किया गया।

  • चीन का पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग सोवियत युग के जहाज का एक परिष्कृत रूप है, जिसका जलावतरण 2012 में किया गया था और उसके बाद 2019 में दूसरे विमानवाहक पोत ‘शेडोंग’ का जलावतरण किया गया जो स्वदेश में निर्मित था।

  • चीन के नए युद्धपोत को पहला ड्रोन विमान वाहक पोत बताया जा रहा है।

  • जहाज 50 मानव रहित प्रणालियों को ले जा सकता है, जिसमें मानव रहित नौकाएं, ड्रोन और पानी के नीचे चलने वाले वाहन शामिल हैं।

  • महत्वपूर्ण तथ्य 

  • चीन आधिकारिक तौर पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना पूर्वी एशिया का एक देश है।

  • 1.4 अरब से अधिक की आबादी के साथ यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है।

  • चीन पांच भौगोलिक समय क्षेत्रों और 14 देशों की सीमा में फैला है, रूस के बाद दुनिया के किसी भी देश का दूसरा सबसे अधिक।

  • चीन की राजधानी बीजिंग है, और वित्तीय केंद्र शंघाई है।

  • जीडीपी के आधार पर चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा नोमिनल जीडीपी के आधार पर दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

  • चीन सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है।

  • सैन्य कर्मियों के आधार पर चीन दुनिया की सबसे बड़ी स्थायी सेना है और दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट है।

  • राष्ट्रपति- शी जिनपिंग




By admin: June 17, 2022

10. 3 भारतीय शोध संस्थानों को फंड देगा यू.एस.

Tags: Science and Technology National News

संयुक्त राज्य अमेरिका ने टालने योग्य महामारियों को रोकने, रोग के खतरों का शीघ्र पता लगाने और त्वरित तथा प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए शीर्ष तीन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों को $122 मिलियन के वित्त पोषण की घोषणा की है।

  • 122,475,000 अमेरिकी डॉलर की कुल राशि पांच साल की अवधि में तीन शीर्ष भारतीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थानों को वितरित की जाएगी।

  • ये तीन शोध संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (एनआईई), चेन्नई हैं।

  • यह फंड एक ऐसे भारत की दिशा में प्रगति को गति देगा जो उभरते रोगजनकों पर ध्यान केंद्रित करके संक्रामक रोग के खतरों से सुरक्षा प्रदान करेगा।

  • यह फंड एक 'एक स्वास्थ्य' दृष्टिकोण के माध्यम से जूनोटिक रोग के प्रकोप का पता लगाने और नियंत्रित करने में मदद करेगा, टीका सुरक्षा निगरानी प्रणाली का मूल्यांकन करेगा, महामारी विज्ञान और प्रकोप प्रतिक्रिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यबल को सक्षम करेगा।

  • 30 सितंबर, 2022 से शुरू होने वाली फंडिंग के लिए पात्रता आईसीएमआर, और आईसीएमआर संस्थानों तक सीमित है, जिसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (एनआईई), चेन्नई शामिल हैं।

  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)

  • यह जैव चिकित्सा अनुसंधान के समन्वय और प्रचार के लिए दुनिया के सबसे पुराने चिकित्सा अनुसंधान निकायों में से एक है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

  • यह स्वास्थ्य सेवा विभाग (डीएचएस), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करता है।

  • इसकी स्थापना 1911 में इंडियन रिसर्च फंड एसोसिएशन (IRFA) के रूप में हुई थी।

  • बाद में वर्ष 1949 में इसका नाम बदलकर आईसीएमआर रखा गया। 

  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी)

  • यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के प्रमुख संस्थानों में से एक है।

  • इसकी स्थापना 1952 में पुणे, महाराष्ट्र में हुई थी।

  • इसे आईसीएमआर और रॉकफेलर फाउंडेशन (आरएफ), यूएसए के तत्वावधान में वायरस रिसर्च सेंटर (वीआरसी) के रूप में स्थापित किया गया था।

  • राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई)

  • यह 2 जुलाई 1999 को स्थापित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का एक स्थायी प्रमुख संस्थान है।

  • इसकी स्थापना सेंट्रल जाल्मा इंस्टीट्यूट फॉर लेप्रोसी (CJIL फील्ड यूनिट), अवादी को इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन मेडिकल स्टैटिस्टिक्स (IRMS), चेन्नई के साथ विलय करके की गई थी।

  • संस्थान का उद्देश्य महामारी विज्ञान के अध्ययन, महामारी विज्ञान और जैव-सांख्यिकी आदि में मानव संसाधनों का विकास करना है।

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