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By admin: March 8, 2022

1. माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में चौथे डेटा सेंटर का अनावरण किया

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अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी माइक्रोसॉफ्ट अपना चौथा डाटा सेंटर हैदराबाद, तेलंगाना में स्थापित करेगी। इसे 15 वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया जा रहा है।

  • डेटा सेंटर 2025 तक चालू हो जाएगा।

  • माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में अपना पहला डाटा सेंटर 2015 में स्थापित किया था और वर्तमान में इसका डाटा सेंटर मुंबई, पुणे और चेन्नई में है।

  • यह उद्यमों, स्टार्ट-अप, डेवलपर्स, शिक्षा और सरकारी संस्थानों के लिए उन्नत डेटा सुरक्षा के साथ क्लाउड, डेटा समाधान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), उत्पादकता उपकरण और ग्राहक संबंध प्रबंधन (सीआरएम) में संपूर्ण माइक्रोसॉफ्ट पोर्टफोलियो की पेशकश करेगा।

  • यह भारत में ग्राहकों को क्लाउड और एआई-सक्षम डिजिटल अर्थव्यवस्था के रूप में विकास करने में मदद करेगा।

By admin: March 7, 2022

2. 93% भारतीय उच्च वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहते हैं

Tags: Science and Technology

संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान (हेल्थ इफ़ेक्ट इंस्टिट्यूट - एचईआई) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट "स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर एनालिसिस फॉर द ईयर 2020" में पाया है कि लगभग 93% भारतीय आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जहां वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक से सात गुना अधिक है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • भारतीय आबादी का 93% पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोन के आकार के कण पदार्थ) की कम से कम 35 माइक्रोग्राम / एम 3 सांद्रता वाली हवा के संपर्क में है।

  • डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार, पीएम2.5 की ऊपरी वार्षिक सीमा 5μg/m3 है।

  • वायु प्रदूषण के उच्च जोखिम के कारण, भारतीयों के जीवन के औसतन 1.51 वर्ष काम हो रहे हैं।

  • पीएम2.5 के बड़े जोखिम ने देशों और क्षेत्रों के लिए जीवन प्रत्याशा को भी कम कर दिया है- मिस्र (2.11 वर्ष), सऊदी अरब (1.91 वर्ष), भारत (1.51 वर्ष) चीन (1.32 वर्ष) और पाकिस्तान (1.31 वर्ष)।

  • विश्व की लगभग 100% जनसंख्या उन क्षेत्रों में रहती है जहाँ पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों से अधिक है। 

  • कांगो, इथियोपिया, जर्मनी, बांग्लादेश, नाइजीरिया, पाकिस्तान, ईरान और तुर्की के बाद भारत को ओजोन के लिए नौवें सबसे अधिक प्रभावित देश के रूप में स्थान दिया गया था।

  • बुजुर्गों पर प्रदूषण का सबसे कम प्रभाव नॉर्वे, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में है।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :

पीएम 2.5  या पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और पीएम 10 या पार्टिकुलेट मैटर 10 

  • पार्टिकुलेट मैटर हवा में पाए जाने वाले ठोस और तरल पदार्थों के मिश्रण से बना होता है। इसमें धूल, गंदगी, कालिख आदि शामिल हैं।

  • पीएम या पार्टिकुलेट मैटर, सरल शब्दों में, धूल के छोटे कणों को संदर्भित करता है | 

  • धूल के कणों को उनके व्यास को माइक्रोन में मापकर वर्गीकृत किया जाता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण प्रकार के पार्टिकुलेट मैटर PM2.5 और PM10 हैं।

  • पीएम 2.5 का व्यास 2.5 माइक्रोन और पीएम 10 का व्यास 10 माइक्रोन होता है।

  • यह फेफड़ों में प्रवेश करता है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि जैसे श्वसन रोगों का कारण बनता है।

By admin: March 1, 2022

3. आईपीसीसी ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन के अपरिवर्तनीय प्रभाव की चेतावनी दी

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इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने पृथ्वी के लिए एक गंभीर भविष्य की चेतावनी दी है यदि वैश्विक तापन जारी रहती है और वैश्विक तापमान 1.5% से अधिक बढ़ता है।

  • नवीनतम चेतावनियां आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के दूसरे भाग में आई हैं जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जोखिमों और कमजोरियों और अनुकूलन विकल्पों के बारे में बात करती है। रिपोर्ट का पहला भाग पिछले वर्ष अगस्त में जारी किया गया था।

  • आकलन रिपोर्ट, जिनमें से पहली 1990 में सामने आई थी, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का सबसे व्यापक मूल्यांकन है। इसके पश्चात् वर्ष 1995, 2001, 2007 और 2015 में  रिपोर्ट जारी की गई। 

रिपोर्ट में उन बढ़ते प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है जो वैश्विक तापमान में वृद्धि के रूप में अपेक्षित हैं, जो वर्तमान में 1.1C के आसपास है, जो 1850 के स्तर से 1.5C तक बढ़ गया है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • दक्षिण एशिया अपनी असमानता और गरीबी के कारण गंभीर जलवायु परिवर्तन प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है।

  • एशिया में गंगा, सिंधु, अमु दरिया नदी घाटियों को 2050 तक पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ेगा। यह इस क्षेत्र में कृषि और पेयजल की कमी पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

  • अहमदाबाद शहर शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव के जोखिम का सामना कर रहा है। इसका अर्थ है कि शहर का औसत तापमान आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक रहेगा।

  • मुंबई में समुद्र का स्तर बढ़ने और इसके परिणामस्वरूप बाढ़ आने का उच्च जोखिम है।

  • यदि तापमान 1-4 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ता है तो दुनिया में चावल का उत्पादन 10-30% तक गिर सकता है और मक्के का उत्पादन 25-70% तक गिर सकता है।

  • यदि तापमान 1850 के स्तर से 1.7 और 1.8C के बीच बढ़ता है, तो रिपोर्ट में कहा गया है कि आधी मानव आबादी गर्मी और उमस से उत्पन्न होने वाली जीवन-धमकी वाली जलवायु परिस्थितियों के संपर्क में आ सकती है।

बढ़ता समुद्र स्तर: 

आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अगर सरकारें अपने मौजूदा उत्सर्जन-कटौती वादों को पूरा करती हैं, तो इस सदी में वैश्विक समुद्र का स्तर 44-76 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा। तेजी से उत्सर्जन में कटौती के साथ, वृद्धि 28-55 सेमी तक सीमित हो सकती है।

लेकिन उच्च उत्सर्जन के साथ, और यदि बर्फ की चादरें अपेक्षा से अधिक तेज़ी से गिरती हैं, तो समुद्र का स्तर इस सदी में 2 मीटर और 2150 तक 5 मीटर तक बढ़ सकता है।

आईपीसीसीसी

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की स्थापना विश्व मौसम विज्ञान संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा 1988 में की गई थी।

आईपीसीसी का उद्देश्य

इसको स्थापित  करने का मुख्य उद्देश्य था की यह :

  • जलवायु परिवर्तन के विज्ञान के ज्ञान की स्थिति के संबंध में एक व्यापक समीक्षा और सिफारिशें तैयार करेगा ;

  • जलवायु परिवर्तन के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का आंकलन करेगा ,

  • भविष्य में होने वाले संभावित जलवायु पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए रणनीतियाँ बनाना और इसमें शामिल होने वाले संभावित तत्त्व को  तलाश करना ।

इसका मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड;

वर्तमान अध्यक्ष: होसुंग ली;

इसने 2007 में पूर्व अमेरिकी उप-राष्ट्रपति अल गोर के साथ नोबेल शांति पुरस्कार साझा किया।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य: 

वेट बल्ब तापमान क्या है? 

मानव शरीर गर्मी और आर्द्रता के बाहरी वातावरण के आधार पर हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। यदि तापमान अधिक होता है तो हमारा शरीर पसीने से हमारे शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश करता है। हम जितना अधिक पसीना बहाते हैं, उतनी ही तेजी से शीतलन होता है। हालाँकि यदि आर्द्रता (हवा में जलवाष्प) अधिक है तो हमारे शरीर की ठंडा करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए शुष्क गर्मी अत्यधिक आर्द्रता की तुलना में अधिक सहनीय महसूस करती है।

वेट-बल्ब का तापमान, ऊष्मा और आर्द्रता दोनों के लिए उत्तरदायी होता है, और यह दर्शाता है कि मानव शरीर में शीतलन के लिए दोनों संयोजनों (ऊष्मा और आर्द्रता) का क्या अर्थ है।

इस तापमान को मापने में सामान्य थर्मामीटर आदर्श नही होता, बल्कि इसके लिए वेट बल्ब थर्मामीटर इस्तेमाल होता है। इसमें पारा तो होता है लेकिन ये गीले कपड़े से कवर किया जाता है। इसमें आमतौर पर मलमल का कपड़ा उपयोग में लाया जाता है और उसे ठंडे पानी से भरे बर्तन में डुबोकर रखते हैं। इससे जो मापन तापमान लिया जाता है, वो हवा में नमी का संकेत देता है।

वेट बल्ब के तापमान के लिए 35 डिग्री सेंटीग्रेड को अधिकतम सीमा माना जाता है। 

यदि वेट बल्ब का तापमान 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है तो एक सामान्य स्वस्थ इंसान पसीने से अपने शरीर की गर्मी नहीं खो सकता है और अगर वे काफी समय तक बाहर रहते हैं तो हीट स्ट्रोक से मृत्यु हो सकती है।

पृथ्वी के तापमान में निरंतर वृद्धि के साथ, वेट बल्ब के तापमान की घटना का जोखिम सामान्य होने की उम्मीद है।

By admin: Feb. 26, 2022

4. महाराष्ट्र में 200 करोड़ रुपये के लागत से एमएसएमई-प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की घोषणा की।

Tags: Science and Technology National News

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री नारायण राणे ने 25  फरवरी को  सिंधुदुर्ग. महाराष्ट्र में 200 करोड़ रुपये के लागत  से एमएसएमई-प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की घोषणा की। 

  • एमएसएमई-प्रौद्योगिकी केंद्र उद्योग, विशेष रूप से एमएसएमई, को उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और क्षेत्र के नियोजित और बेरोजगार युवाओं को उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कौशल सेवाएं प्रदान करने के लिए सर्वोत्तम प्रौद्योगिकी, इनक्यूबेशन के साथ-साथ परामर्श सहायता प्रदान करेगा।

मंत्री ने 25-26 फरवरी 2022 तक जिले में आयोजित होने वाले दो दिवसीय एमएसएमई कॉन्क्लेव में सिंधुदुर्ग में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के यूनियन  एमएसएमई रुपे क्रेडिट कार्ड का भी शुभारंभ किया।

  • यह कार्ड यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के सहयोग से पेश किया जा रहा है।

  •  सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) से जुड़े उधार लेने वाले अपने व्यावसायिक खर्च पर 50 दिनों तक की ब्याज-मुक्त क्रेडिट अवधि का लाभ ले सकेंगे। यह कार्ड ग्राहकों को उनके व्यवसाय से संबंधित खरीदारी पर ईएमआई(समान मासिक किश्तें) की सुविधा भी प्रदान करता है।  

एमएसएमई मंत्रालय द्वारा सिंधुदुर्ग में दो दिवसीय एमएसएमई कॉन्क्लेव (25 और 26 फरवरी) का आयोजन किया गया था।

  • कॉन्क्लेव का उद्देश्य कोंकण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए प्रौद्योगिकी, उत्पाद विकास और कौशल का उपयोग करके उद्यमिता और व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देना है।

इसे भी जाने 

एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम)

  •  एमएसएमई  को 2020 में संशोधित 'सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006' द्वारा परिभाषित किया गया है।

  • वे उद्यम जो या तो विनिर्माण के व्यवसाय में हैं या सेवा प्रदान कर रहे हैं, को किस आधार पर सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यमों के रूप में परिभाषित किया गया है?

  • अच्छे (विनिर्माण क्षेत्र के लिए) या सेवाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक संयंत्र और मशीनरी में निवेश और सालाना कारोबार (बिक्री)

सूक्ष्म उद्यम: जहां संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं है और कारोबार पांच करोड़ रुपये से अधिक नहीं है;

लघु उद्यम: जहां संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश दस करोड़ रुपये से अधिक नहीं है और कारोबार पचास करोड़ रुपये से अधिक नहीं है;

मध्यम उद्यम,:  जहां संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश पचास करोड़ रुपये से अधिक नहीं है और कारोबार दो सौ पचास करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।

By admin: Feb. 14, 2022

5. स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट को प्राप्त हुआ दुर्लभ बीज

Tags: Science and Technology

स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट जो मुख्य भूमि नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच स्पिट्सबर्गेन द्वीप पर स्थित है को वर्ष में केवल कुछ ही बार खोला जाता है जिससे बाहरी दुनिया से इसके बीज बैंकों के जोखिम को सीमित किया जा सके।

14 फरवरी 2022 को, सूडान, युगांडा, न्यूजीलैंड, जर्मनी और लेबनान के जीन बैंक अपने स्वयं के संग्रह के लिए बीज भंडार में बाजरा, ज्वार  और गेहूं के  बीज जमा करेंगे।

  • सीड वॉल्ट नॉर्वे साम्राज्य की ओर से कृषि और खाद्य मंत्रालय द्वारा स्वामित्व और प्रशासित है और इसे विश्व समुदाय की सेवा के लिए स्थापित किया गया है।

  • स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट दुनिया भर में पारंपरिक जीनबैंक में आयोजित फसल विविधता के वृद्धिशील और विनाशकारी नुकसान दोनों के विरुद्ध बीमा प्रदान करता है। सीड वॉल्ट पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करता है।

  • यह भण्डार एक चट्टान में 120 मीटर (393.7 फीट) की असाधारण गहराई में स्थित है, जो यह सुनिश्चित करता है कि यांत्रिक शीतलन प्रणाली की विफलता और जलवायु परिवर्तन के कारण बाहरी हवा के तापमान में वृद्धि की स्थिति में भी भण्डार कक्ष स्वाभाविक रूप से जमे रहेंगे।

  • सीड वॉल्ट में 45 लाख बीज नमूनों को संग्रह करने की क्षमता है।

  • वर्तमान में भण्डार में वैश्विक स्तर पर 89 बीज बैंकों से लगभग 6,000 पौधों की प्रजातियों के 1.1 मिलियन से अधिक बीज नमूने हैं, और नई फसल किस्मों को विकसित करने के लिए संयंत्र प्रजनकों के लिए एक बैकअप के रूप में कार्य करता है।

  • विश्व में लगभग 6,000 से अधिक विभिन्न पौधों को उगाया जाता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि अब हमें अपनी कैलोरी का लगभग 40% तीन मुख्य फसलों - मक्का, गेहूं और चावल से मिलता है - अगर जलवायु परिवर्तन के कारण फसल खराब हो जाती है तो खाद्य आपूर्ति कमजोर हो जाती है।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण

महत्वपूर्ण स्थान 

स्वालबार्ड: नॉर्वे

By admin: Feb. 14, 2022

6. इसरो ने 2022 का पहला उपग्रह लॉन्च किया

Tags: Popular Science and Technology National News

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 फरवरी 2022 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-सी52 (पीएसएलवी-सी52) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

पीएसएलवी-सी52  रॉकेट ने तीन उपग्रहों ईओएस-04 (EOS-04), इंस्पायर सैट-1 (INSPIRE Sat-1) और आईएनएस-2टीडी (INS-2TD) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

पीएसएलवी-सी52 द्वारा वहन किए गए उपग्रह

ईएसओ-04 उपग्रह: 

यह एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान और बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों के लिए सभी मौसम की स्थिति में उच्च गुणवत्ता वाली छवियां प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

यह 1,710 किलोग्राम का उपग्रह है जिसे बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में तैयार किया गया।

इसे 529 किमी की सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

इंस्पायर सैट-1

यह भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम, केरल के छात्रों द्वारा कोलोराडो विश्वविद्यालय, बोल्डर नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एनटीयू), सिंगापुर और राष्ट्रीय केंद्रीय विश्वविद्यालय (एनसीयू) ताइवान में वायुमंडलीय और अंतरिक्ष भौतिकी की प्रयोगशाला के सहयोग से बनाया गया एक सूक्ष्म उपग्रह है।

आईएनएस-2टीडी

यह एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है जो भारत-भूटान उपग्रह आईएनएस 2-बी का अग्रदूत है।

इसरो पीएसएलवी मिशन के बारे में तथ्य : 

  • ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) इसरो का चार चरणों वाला रॉकेट है जिसे पहली बार 30 सितंबर 1993 को लॉन्च किया गया था।

  • एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से यह 80वां प्रक्षेपण यान मिशन था;

  • यह पीएसएलवी की 54वीं उड़ान थी;

  • यह एक्सएल विन्यास (6 स्ट्रैप-ऑन मोटर्स) में पीएसएलवी की 23वीं उड़ान थी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)

  • इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी
  • इसरो के अध्यक्ष: एस सोमनाथ
  • इसरो का मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
  • अंतरिक्ष स्टेशन जहां से इसरो  रॉकेट लॉन्च करता है: 
  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश।

परीक्षा के लिए फुल फॉर्म :

  • इसरो (ISRO) :  इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन);
  • पीएसएलवी (PSLV) : पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान);
  • ईओएस (EOS) : अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट्स (पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह);
  • एसडीएससी (SDSC): सतीश धवन स्पेस सेंटर (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र);
  • शार (SHAR) : श्रीहरिकोटा रेंज;

By admin: Feb. 5, 2022

7. टावर ऑफ साइलेंस की फेंसिंग की जाएगी

Tags: Science and Technology

उच्चतम न्यायालय ने शवों के निपटान के संबंध में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए भारत सरकार के साथ पारसी  समुदाय के समझौते को मंजूरी दे दी है ताकि वे अपने टॉवर ऑफ साइलेंस पर जाली लगा सकें। समुदाय के शवों को अब उनके टॉवर ऑफ साइलेंस में एक धातु की जाली से घेरा जाएगा|


  • पारसी दोखामांशिनी परंपरा में, मृत शरीर को एक संरचना जिसे टॉवर ऑफ साइलेंस के रूप में जाना जाता है, की छत पर रखा जाता है,ताकि उसे  गिद्धों द्वारा खाया जा सके और सूर्य के किरणों के कारण वह विघटित हो सके।

  • भारत सरकार द्वारा कोविड महामारी के दौरान शवों के निपटान के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के बाद पारसी समुदाय ने अदालत का रुख किया था। कोविड दिशानिर्देश के अनुसार शवों को पूरी तरह से ढंका जाना था और या तो  दफनाया जाना था या जला दिया जाना था क्योंकि कोरोनोवायरस नौ दिनों तक शवों पर सक्रिय पाया गया था।

  • पारसी समुदाय ने तर्क दिया कि यह सरकारी कोविड दिशानिर्देश उनके  दोखामांशिनी रिवाज के खिलाफ था।

अब एक समझौते के तहत पारसी  समुदाय और सरकार ने टॉवर ऑफ साइलेंस में मृत शरीर को धातु की जाली से घेरने पर सहमति व्यक्त की है, ताकि इसे गिद्धों द्वारा न खाया जा सके और कोरोनावायरस के प्रसार को रोका जा सके।

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में पारसियों की कुल आबादी 57,624 थी।

By admin: Feb. 5, 2022

8. अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसएटी)

Tags: Science and Technology International News


प्रधानमंत्री ने आईसीआरआईएसएटी की 50वीं वर्षगांठ समारोह का उद्घाटन किया। 

  • उन्होंने आईसीआरआईएसएटी की जलवायु परिवर्तन अनुसंधान सुविधा पर संयंत्र संरक्षण और आईसीआरआईएसएटी की रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट फैसिलिटी का उद्घाटन किया। 

  • प्रधानमंत्री ने आईसीआरआईएसएटी के विशेष रूप से डिजाइन किए गए लोगो का भी अनावरण किया और इस अवसर पर जारी एक स्मारक डाक टिकट का शुभारंभ किया।

  • आईसीआरआईएसएटी एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में विकास के लिए कृषि अनुसंधान का संचालन करता है।


आईसीआरआईएसएटी

आईसीआरआईएसएटी  एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 1972 में पाटनचेरु, हैदराबाद में प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिकों एम.एस.स्वामीनाथन, सी.फ्रेड बेंटली और राल्फ कमिंस द्वारा की गई थी।

  • यह एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के शुष्क क्षेत्रों के विकास के लिए ,कृषि अनुसंधान का संचालन करता है। इसका मिशन इन गरीब लोगों को बेहतर कृषि के माध्यम से गरीबी, भूख और खराब वातावरण से उबरने के लिए सशक्त बनाना है।

  • यह उन्नत फसल किस्में और हायब्रीडस उपलब्ध करा कर किसानों की मदद करता है और शुष्क भूमि में छोटे किसानों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद करता है।

  • नैरोबी, (केन्या) और बमाको( माली) में इसके दो क्षेत्रीय केंद्र हैं। इसके कार्यालय नाइजर, नाइजीरिया, जिम्बाब्वे, मलावी, इथियोपिया और मोजाम्बिक में हैं।

By admin: Feb. 4, 2022

9. इसरो अगस्त 2022 में चंद्रयान 3 लॉन्च करेगा

Tags: Science and Technology

भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने 3 फरवरी 2022 को लोकसभा को सूचित किया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान -3 अगस्त 2022 में लॉन्च होने वाला है।


  • चंद्रयान-1 मिशन को 22 अक्टूबर, 2008 को पीएसएलवी-सी11 का उपयोग करके प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान -1 मिशन की प्रमुख खोज चंद्रमा की सतह पर पानी (एच 2 ओ) और हाइड्रॉक्सिल (ओएच) का पता लगाना है।
  • चंद्रयान -2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे, जिन्होंने देश के सबसे शक्तिशाली जियोसिंक्रोनस लॉन्च वाहन जीएसएलवी-एमके 3 से भेजा गया था, हालांकि, लैंडर विक्रम जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था, एक नियंत्रित लैंडिंग के बजाय, 7 सितंबर, 2019 को इसकी क्रैश-लैंडिंग हो गई। इसमें अभी भी पूरी तरह से ऑर्बिटर ऑपरेशनल है।
  • चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का फॉलो-अप मिशन होगा। इसमें केवल लैंडर और रोवर शामिल होंगे।
  • इसरो की अन्य प्रमुख परियोजनाएं जैसे कि पहला मानव मिशन “गगनयान” और सूर्य का अध्ययन करने का मिशन” आदित्य सोलर मिशन” भी इस वर्ष  लॉन्च किया किया जायेगा।
  • जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक इसरो द्वारा नियोजित मिशनों की संख्या 19 

कुछ प्रमुख मिशन

  • आरआईएसएटी-1ए पीएसएलवी सी5-2 उपग्रह (फरवरी 2022 के मध्य में लॉन्च के लिए निर्धारित)।
  • ओशनसैट-3 और आईएनएस 2बी आनंद पीएसएलवी सी-53 (मार्च 2022 में प्रक्षेपण के लिए निर्धारित) पर।
  • एसएसएलवी-डी1 माइक्रो एसएटी  (अप्रैल 2022 में लॉन्च के लिए निर्धारित)।
  • एरियनस्पेस के स्वामित्व वाले एरियन 5 रॉकेट के माध्यम से जीसैट -24 (2022 की पहली तिमाही में लॉन्च के लिए निर्धारित)।

नोट

  • आरआईएसएटी :- रडार इमेजिंग उपग्रह
  • पीएसएलवी:- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान
  • एसएसएलवी: - छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन

By admin: Jan. 13, 2022

10. नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन ने अटल अंतरिक्ष चुनौती 2021 के परिणाम घोषित किये

Tags: Science and Technology

नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन (एआईएम) ने 12 जनवरी 2022 को "अटल अंतरिक्ष चुनौती 2021" के परिणामों की घोषणा की, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सहयोग से 6 सितंबर, 2021 को लॉन्च किया गया था।

नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन ने अटल अंतरिक्ष चुनौती 2021 के परिणाम घोषित किये

  • मिशन निदेशक, एआईएम, डॉ चिंतन वैष्णव ने एक आभासी कार्यक्रम के माध्यम से विजेताओं का अनावरण किया।
  • अटल अंतरिक्ष चुनौती में देश भर में अटल और गैर-अटल दोनों छात्रों से 2500 से अधिक सबमिशन देखे गए, जिनमें से 75 शीर्ष नवोन्मेषकों का चयन किया गया और उनकी घोषणा की गई। अटल अंतरिक्ष चुनौती 2021 में 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 6500 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इस चुनौती में छात्राओं की 35% से अधिक की उत्साहजनक भागीदारी भी थी।

अटल अंतरिक्ष चुनौती 2021 को युवा स्कूली छात्रों के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में कुछ ऐसा बनाने के लिए नवाचार को सक्षम करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था जो न केवल उन्हें अंतरिक्ष के बारे में सीखने में मदद करेगा बल्कि कुछ ऐसा भी तैयार करेगा जिसका अंतरिक्ष कार्यक्रम स्वयं उपयोग कर सके। चुनौती को विश्व अंतरिक्ष सप्ताह 2021 के साथ भी जोड़ा गया है, जो अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के योगदान का जश्न मनाने के लिए वैश्विक स्तर पर हर साल 4 से 10 अक्टूबर तक मनाया जाता है।

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