Current Affairs search results for tag: science-and-technology
By admin: May 19, 2022

1. बैटरी से चलने वाले डुअल-मोड लोकोमोटिव 'नवदूत' का विकास

Tags: National Science and Technology

पश्चिम मध्य रेलवे ने नवदूत (Nav Doot) नाम से बैटरी से चलने वाला डुअल-मोड लोकोमोटिव विकसित किया है।

  • यह इंजन दोनों मोड यानी बैटरी और बिजली पर चलता है।

  • वर्तमान में इसका प्रयोग ट्रायल आधार पर जबलपुर, मुदवाड़ा और अन्य स्टेशनों पर ट्रेनों के शंटिंग के दौरान किया जा रहा है।

  • इस डुअल मोड लोकोमोटिव को रेलवे बोर्ड की ओर से बेस्ट इनोवेशन अवार्ड भी मिला है।

  • इस नए लोकोमोटिव से रेलवे रोजाना 1000 लीटर डीजल बचाएगा तथा सभी ट्रायल्स को क्लियर करने के बाद इसका और ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा।

  • नवदूत के बारे में

  • यह ई-इंजन 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 18 कोच खींच सकता है।

  • इसमें 84 बैटरियां हैं और वर्तमान में इसकी क्षमता 400 टन खींचने की है।

  • इसे न्यू कटनी जंक्शन के विद्युत विभाग द्वारा विकसित किया गया है।

  • सभी परीक्षणों को मंजूरी देने के बाद, अन्य स्टेशनों में माल, कोयला, तेल टैंकर आदि ले जाने जैसे उद्देश्यों के लिए इसका अधिक व्यापक रूप से उपयोग किया जाएगा।

By admin: May 18, 2022

2. देश का पहला ‘5G टेस्‍टबेड’ लॉन्च

Tags: Science and Technology National News

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले 5G टेस्‍टबेड का उद्घाटन किया जिससे इंडस्‍ट्री प्‍लेयर्स और स्‍टार्टअप्‍स अपने प्रोडक्‍ट्स को स्‍थानीय स्‍तर पर टेस्‍ट और वैलिडेट कर पाएंगे।

  • इस टेस्‍टबेड को 220 करोड़ रुपये की लागत से सेटअप किया गया है।

  • इस 5G टेस्टबेड को IIT मद्रास के नेतृत्व में 8 संस्थानों द्वारा एक मल्‍टी-इंस्टिट्यूट सहयोगी परियोजना के रूप में विकसित किया गया है। 

  • अभी तक 5G टेस्टबेड नहीं होने की वजह से स्टार्टअप्‍स और इंडस्‍ट्री प्‍लेयर्स को अपने प्रोडक्‍ट्स की टेस्टिंग और उन्‍हें वैलिडेट करने के लिए विदेश जाना पड़ता था।

  • यह टेस्‍टबेड भारतीय इंडस्‍ट्री और स्टार्टअप्‍स के लिए एक सपोर्टिव इकोसिस्‍टम तैयार करेगा, जिससे उन्हें 5G और ने‍क्‍स्‍ट जेन टेक्‍नॉलजीज में अपने प्रोडक्‍ट्स, प्रोटोटाइप, सॉल्‍यूशन और एल्गोरिदम को वैलिडेट करने में मदद मिलेगी।

  • इस प्रोजेक्‍ट में जो अन्‍य इंस्टिट्यूट शामिल हैं, उनमें IIT दिल्ली, IIT हैदराबाद, IIT बॉम्बे, IIT कानपुर, IISc बैंगलोर, सोसायटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (SAMEER) और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (CEWiT) हैं।

By admin: May 14, 2022

3. इसरो ने किया गगनयान कार्यक्रम के लिए ‘ह्यूमन-रेटेड’ ठोस रॉकेट वाहक (एचएस200) का सफल परीक्षण

Tags: National Science and Technology

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) में गगनयान कार्यक्रम के लिए ‘ह्यूमन-रेटेड’ ठोस रॉकेट वाहक (एचएस200) का सफलतापूर्वक स्थैतिक परीक्षण पूरा किया I

  • एचएस200 उपग्रह प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके थ्री के एस200 रॉकेट वाहक का ‘ह्यूमन-रेटेड’ संस्करण है, जिसे एलवीएम-3 के नाम से जाना जाता है I  

  • ह्यूमन-रेटेड’ संस्करण किसी अंतरिक्ष यान या प्रक्षेपण वाहन के प्रमाणन की प्रक्रिया है जो दर्शाती है कि यान मनुष्यों को सुरक्षित रूप से लेकर अंतरिक्ष में परिवहन करने में सक्षम है I

  • एस200 मोटर, एलवीएम-3 प्रक्षेपण यान का पहला चरण है, जिसका उद्देश्य जियोसिंक्रोनस स्थानांतरण कक्षा में 4,000 किलोग्राम वर्ग के उपग्रह को प्रक्षेपण करना है।

  • एचएस200 वाहक का डिजाइन और विकास तिरुवनंतपुरम स्थित वीएसएससी में पूरा किया गया और प्रणोदक ढलाई श्रीहरिकोटा स्थित एसडीएससी में पूरी की गई I 

  • इस परीक्षण के सफल होने के बाद, इसरो गगनयान कार्यक्रम की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ गया है I

  • भारत का गगनयान मिशन

  • गगनयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक मिशन है।

  • इस मिशन के तहत तीन अंतरिक्ष अभियानों को कक्षा में भेजा जाएगा इन तीन अभियानों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा।

  • पहले चरण में गगनयान का मानव रहित मिशन जी-1 होगा। इसके बाद 2022 के अंत में व्‍योममित्र नाम का रोबोट भेजा जाएगा।

  • चालकदल के साथ पहली बार गगनयान मिशन 2023 में लॉन्‍च किया जायेगा।

  • मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, जिसे ऑर्बिटल मॉड्यूल कहा जाता है, में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे।

  • गगनयान के प्रक्षेपण हेतु तीन चरणों वाले GSLV Mk III का उपयोग किया जाएगा जो भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण में सक्षम है।GSLV Mk III को प्रमोचन वाहन मार्क-3  भी कहा जाता है।

  • गगनयान मिशन के लॉन्च के साथ भारत अमेरिका, चीन और रूस के क्लब में शामिल हो जाएगा।

By admin: May 13, 2022

4. हवा से हवा में मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया

Tags: National Science and Technology

हवा में मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित दूरी के संस्करण को सुखोई-30 मार्क-वन लड़ाकू विमान से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।

  • परीक्षण के दौरान मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में निर्धारित लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया।

  • सुखोई-30 मार्क-वन लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित दूरी के संस्करण का यह पहला प्रक्षेपण था।

  • इस मिसाइल के एडवांस्ड वर्जन की रेंज लगभग 350 किलोमीटर है जबकि मूल मिसाइल की रेंज लगभग 290 किलोमीटर थी।

  • इस परीक्षण में भारतीय वायुसेना के साथ भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO), भारतीय नौसेना, बीएपीएल और एचएएल शामिल थे I

  • सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान 

  • सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का प्रमुख लड़ाकू विमान है।

  • यह लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है।

  •  वर्ष 2002 में इसे भारतीय वायुसेना में सम्मिलित किया गया था और वर्ष 2004 से इनका निर्माण भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

  • यह विमान 3000 किमी की दूरी तक जा कर हमला कर सकता है।

  • ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में 

  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है।

  • इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है।

  • इसे रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।

  • ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है।

  • ब्रह्मोस की विशेषताएँ 

  • यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है।

  • यह 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती।

By admin: May 13, 2022

5. वैज्ञानिकों ने लद्दाख हिमालय से लगभग 35 मिलियन वर्ष पुराने दुर्लभ सांप के जीवाश्म की खोज की

Tags: Popular Science and Technology

वैज्ञानिकों ने पहली बार लद्दाख हिमालय के शीरे के निक्षेपों से एक मदतसोइदे सांप के जीवाश्म की खोज की है।

  • यह उपमहाद्वीप में इसके प्रसार को पहले की तुलना में अधिक लंबे समय तक इंगित करता है।

  • मदतसोइदे मध्यम आकार के विशाल सांपों का एक विलुप्त समूह है।

  • यह सबसे पहले क्रेटेशियस के दौरान प्रकट हुआ था और ज्यादातर गोंडवान भूभाग में वितरित किया गया था।

  • हालांकि, उनका सेनोज़ोइक रिकॉर्ड बेहद दुर्लभ है।

  • लद्दाख के ओलिगोसीन से मदतसोइदे का पाया जाना उनकी निरंतरता को कम से कम पैलियोजीन के अंत तक इंगित करती है (भूगर्भीय काल और प्रणाली जो 66 मिलियन वर्ष पूर्व क्रेतेसियस अवधि के अंत से 43 मिलियन वर्ष तक फैली हुई है)।

  • यह शोध जर्नल ऑफ वर्टेब्रेट पेलियोन्टोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

  • नया खोजा गया जीवाश्म नमूना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, वाडिया संस्थान के भंडार में रखा गया है।

By admin: May 7, 2022

6. None

Tags: National Science and Technology

चंद्र और मंगल अभियान के बाद अब भारत अमेरिका और अन्य देशों के साथ वीनस (शुक्र) की यात्रा में भी भाग लेने जा  रहा है। 

  • इस अभियान का उद्देश्य वीनस के वायुमंडल के बारे में जानकारी जुटाना है।

  • इसरो के वीनस मिशन को दिया गया नाम 'शुक्रयान-1' की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार है और इसके लिए बजट भी तय कर लिया गया है।

  • मिशन का उद्देश्य हमारे सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की सतह का अध्ययन करना है।

  • उपकरण के स्तर के आधार पर शुक्र मिशन की लागत ₹500 करोड़ से ₹1,000 करोड़ के बीच होने की संभावना है।

  • शुक्रयान-I मिशन के बारे में

  • शुक्रयान शुक्र के लिए भारत का पहला ऑर्बिटर मिशन होगा।

  • यह चंद्रमा और मंगल मिशन के समान होगा।

  • मिशन का उद्देश्य हमारे सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की सतह का अध्ययन करना है।

  • इसका उद्देश्य शुक्र पर घिरे सल्फ्यूरिक एसिड बादलों के रहस्यों को उजागर करना भी है।

  • इसका वायुमंडल बेहद जहरीला और कोरोसिव है।

  • वायुमंडल की संरचना, संयोजन और गतिकी का अध्ययन करना

  • इसरो दिसंबर 2024 में ऑर्बिटल मैनोवर्स को लॉन्च करने की योजना बना रहा है जब पृथ्वी और वीनस एक सीध में आ जाएंगे।

  • शुक्र के बारे में

  • शुक्र सूर्य से निकट दूसरा ग्रह है और पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है। बुध सूर्य के अधिक निकट है।

  • शुक्र हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।

  • शुक्र पर सतह का तापमान लगभग 900 डिग्री फ़ारेनहाइट (475 डिग्री सेल्सियस) है जो सीसा को पिघलाने के लिए पर्याप्त है।

  • इसका घना वातावरण ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड से भरा है, और इसमें सल्फ्यूरिक एसिड के बादल हैं।

  • शुक्र को कभी-कभी पृथ्वी का जुड़वां कहा जाता है क्योंकि यह आकार और संरचना में समान है, लेकिन यह ग्रह अन्य मामलों में काफी भिन्न है।



By admin: May 5, 2022

7. उत्तर कोरिया ने दागी बैलिस्टिक मिसाइल

Tags: Science and Technology International News

उत्तर कोरिया ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। इस मिसाइल के परीक्षण को लेकर किम जोंग उन ने इसे अपनी परमाणु शक्ति के प्रदर्शन बताते हुए कहा कि इसे अमेरिका की ओर से किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई को रोकने के लिए तैयार किया गया है।

  • प्योंगयांग, जो उत्तर कोरिया का परमाणु शस्त्रागार है, ने जनवरी से अब तक 14 हथियारों का परीक्षण किया है, जिसमें 2017 के बाद पहली बार पूर्ण दूरी पर एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण शामिल है। 

  • पिछले हफ्ते, किम ने एक विशाल सैन्य परेड का निरीक्षण किया, अपने परमाणु शस्त्रागार का तेजी से विस्तार और सुधार करने की कसम खाई, और संभावित हमलों की चेतावनी दी।

  • उत्तर कोरिया ने हाल के आईसीबीएम परीक्षणों के स्थल प्योंगयांग के पास सुनन एयरफील्ड से बैलिस्टिक मिसाइल दागी।

  • मिसाइल ने 470 KM (300 मील) की उड़ान भरी और 780 KM की ऊंचाई तक पहुंच गई, यह "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन" था।

  • उत्तर कोरिया की इस अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल का नाम Hwasong-17 बताया जा रहा है 

  • यह बैलिस्टिक मिसाइल किसी भी देश की ओर से रोड मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च की गई अब तक की सबसे बड़ी तरल-ईंधन वाली मिसाइल है. 

  • अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) के बारे में

  • यह एक सतह आधारित, परमाणु-सशस्त्र बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 5,600 किमी से अधिक है।

  • 1958 में सोवियत संघ द्वारा पहले ICBM को तैनात किया गया था, अगले वर्ष अमेरिका ने तैनात किया।

  • भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, इज़राइल, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और उत्तर कोरिया एकमात्र ऐसे देश हैं जिनके पास आईसीबीएम हैं।

By admin: May 4, 2022

8. इंडियन ऑयल ने असम में पायलट आधार पर मेथनॉल-मिश्रित पेट्रोल लॉन्च किया

Tags: National Science and Technology

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने असम के तिनसुकिया जिले में 15 प्रतिशत मेथनॉल के मिश्रण वाले पेट्रोल ‘एम15’ (M 15) को पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर बाजार में उतारा है I

  • डिगबोई रिफाइनरी के पास असम पेट्रोकेमिकल लिमिटेड द्वारा मेथनॉल का निर्माण किया जा रहा है।

  • मेथनॉल के मिश्रण वाले इस नए पेट्रोल से ईंधन का खर्च कम हो जाएगा I 

  • मेथनॉल के मिश्रण वाले इस नए पेट्रोल में 15% मेथनॉल होगा जिससे 100 फीसदी पेट्रोल की जगह सिर्फ 85% फीसदी पेट्रोल का दाम ही चुकाना होगाI 

  • इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के बारे में

  • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) एक भारत सरकार के स्वामित्व वाला तेल और गैस खोजकर्ता और निर्माता कंपनी है।

  • यह पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार के स्वामित्व में कार्य करती है I 

  • स्थापित -30 जून 1959

  • मुख्यालय- नई दिल्ली

  • अध्यक्ष– श्रीकांत माधव वैद्य

By admin: May 3, 2022

9. डीआरडीओ ने उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम का सफल परीक्षण किया

Tags: National Defence Science and Technology

26 अप्रैल से 2 मई 2022 के बीच जैसलमेर की पोखरण फायरिंग रेंज(पीएफएफआर) में सबसे लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम स्वदेशी तोप यानी 155 मिमी/52 एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) का सफल परीक्षण किया गया।

  • एटीएजीएस क्या है ?

  • उन्नत आर्टिलरी गन सिस्टम परियोजना डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई एक आधुनिक 155 मिमी तोप है।

  • इस तोप का निर्माण भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा किया गया है।

  • इसका वजन 18 टन है और इसकी फायरिंग रेंज 48 किलोमीटर है I 

  • DRDO द्वारा विकसित 155मिमी की ATAGS का पहला फायर 2016 में किया गया था।

  • एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम को विकसित करने में लगभग चार साल का समय लगा , भारतीय सेना के पास अभी सात एडवांस टोड आर्टिलरी गन उपलब्ध हैI 

By admin: April 29, 2022

10. ब्रह्मोस मिसाइल के पोत-रोधी संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया

Tags: Popular Defence Science and Technology

भारतीय नौसेना और अंडमान और निकोबार कमान द्वारा संयुक्त रूप से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक जहाज-रोधी संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

  • अंडमान और निकोबार कमान भारतीय सशस्त्र बलों की एकमात्र त्रि-सेवा कमान है।

  • 19 अप्रैल को, भारतीय वायु सेना (IAF) ने पूर्वी समुद्र तट पर एक सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

  • मार्च 2022 में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में एक स्टील्थ विध्वंसक से ब्रह्मोस मिसाइल के एक उन्नत संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

  • ब्रह्मोस के बारे में-

  • यह भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPOM के बीच एक संयुक्त उद्यम है।

  • ब्रह्मोस का नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है।

  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उत्पादन करता है जिन्हें पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है।

  • ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना की गति से उड़ान भरती है।

  • मिसाइल के उन्नत संस्करण की सीमा को मूल 290 किमी से लगभग 350 किमी तक बढ़ा दिया गया है।

Date Wise Search