1. अजीत डोभाल ने क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज पर यूएस-इंडिया इनिशिएटिव लॉन्च किया
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, अमेरिकी अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन ने 31 जनवरी को वाशिंगटन में क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) पर यूएस-इंडिया पहल की शुरुआत की।
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iCET प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रणनीतिक, वाणिज्यिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों को दर्शाता है।
iCET की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा की गई।
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने यूएस-इंडिया iCET बैठक का समापन किया और एक नया इनोवेशन ब्रिज लॉन्च करने का भी फैसला किया।
मई 2022 में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों देशों की सरकारों, व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच अपनी रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग को बढ़ाने और विस्तारित करने के लिए iCET की घोषणा की थी।
दोनों देशों ने आईसीईटी के तहत एक स्थायी तंत्र के माध्यम से नियामक बाधाओं, व्यापार और प्रतिभा गतिशीलता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।
2. चेक गणराज्य में राष्ट्रपति चुनाव
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चेक गणराज्य में, सेवानिवृत्त सेना जनरल पेट्र पावेल ने अरबपति व्यवसायी लेडी बैबिस को हराकर राष्ट्रपति चुनाव जीता।
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सेवानिवृत्त जनरल पेट्र पावेल विवादास्पद मौजूदा राष्ट्रपति मिलोस जमैन की जगह लेंगे I
चुनाव के दौरान जनरल पावेल को 58.2 प्रतिशत वोट मिले जबकि आंद्रेज बेबिस के पक्ष में 42.8 मत पड़े I
जनरल पावेल उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सैन्य समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं I
जनरल पावेल यूरोपीय संघ और नाटो के मुखर समर्थक रहे हैं I
पावेल ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए बार-बार अपना समर्थन व्यक्त किया है।
चेक गणराज्य के बारे में
यह मध्य यूरोप में एक भूमि से घिरा देश है I
प्रधानमंत्री - पेट्र फियाला
राजधानी - प्राग
मुद्रा - चेक कोरुना।
3. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष 29-31 जनवरी तक भारत दौरे पर आएंगे
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संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के अध्यक्ष साबा कोरोसी बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए 29-31 जनवरी को भारत आएंगे।
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कोरोसी, हंगरी के राजनयिक हैं जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपने देश के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया, विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर भारत का दौरा कर रहे हैं।
वह सितंबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष बने।
पारस्परिक हित के प्रमुख बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर जयशंकर के साथ बातचीत करने के अलावा, कोरोसी नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों और भारत की जी20 प्रेसीडेंसी टीम के साथ बातचीत करेंगे।
30 जनवरी को, कोरोसी विश्व मामलों की भारतीय परिषद में "संयुक्त राष्ट्र में एकजुटता, स्थिरता और विज्ञान के माध्यम से समाधान" के विषय पर एक सार्वजनिक भाषण देंगे।
वह 29 जनवरी को "बीटिंग द रिट्रीट" समारोह में भी शामिल होंगे और शहीद दिवस के अवसर पर 30 जनवरी को राजघाट पर महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।
31 जनवरी को, कोरोसी बेंगलुरु की यात्रा करेंगे, जहां भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों के साथ बातचीत और आईआईएससी के नेतृत्व वाली जल संरक्षण परियोजना के क्षेत्र का दौरा शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA)
यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्य नीति-निर्माण और प्रतिनिधि अंग है और इसे 1945 में बनाया गया था।
यह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के छह प्रमुख अंगों में से एक है।
यह संयुक्त राष्ट्र के मुख्य विचार-विमर्श, नीति निर्माण और प्रतिनिधि अंग के रूप में कार्य करता है।
इसकी शक्तियां, संरचना, कार्य और प्रक्रियाएं संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय IV में निर्धारित की गई हैं।
इसका मुख्य कार्य संयुक्त राष्ट्र के बजट तैयार करना, सुरक्षा परिषद में गैर-स्थायी सदस्यों की नियुक्ति, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की नियुक्ति, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अन्य भागों से रिपोर्ट प्राप्त करना और प्रस्तावों के माध्यम से सिफारिशें करना है।
4. भारत, दक्षिण अफ्रीका ने अगले आठ से दस वर्षों में सालाना 12 अफ्रीकी चीतों को पेश करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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भारत और दक्षिण अफ्रीका ने 27 जनवरी को अगले आठ से दस वर्षों में सालाना 12 अफ्रीकी चीतों को लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
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समझौते के अनुसार, फरवरी 2023 के दौरान 12 चीतों का एक प्रारंभिक जत्था दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया जाएगा।
ये चीते 2022 के दौरान नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों के साथ शामिल हो जाएंगे।
चीतों की आबादी को बढ़ाना भारत सरकार की प्राथमिकता है और इसके संरक्षण के महत्वपूर्ण एवं दूरगामी परिणाम होंगे, जिसका लक्ष्य कई पारिस्थितिक उद्देश्यों को हासिल करना होगा।
फरवरी में 12 चीतों के आयात के बाद, अगले 8 से 10 वर्षों के लिए सालाना 12 चीतों को स्थानांतरित करने की योजना है।
अधिक शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण इस प्रजाति के स्थानीय स्तर पर विलुप्त हो जाने के बाद चीता को भारत में फिर से लाने की पहल भारत सरकार से प्राप्त अनुरोध के बाद की जा रही है।
पुन: पुनर्वास कार्य योजना
किसी प्रजाति के पुन: पुनर्वास का अर्थ है उसे उस क्षेत्र में छोड़ना जहां वह जीवित रहने में सक्षम है।
योजना के तहत, 5 वर्षों की अवधि में देश के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में 50 चीतों को छोड़ा जाएगा।
चीतों का विलुप्त होना
देश का अंतिम चीता वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ में मृत पाया गया था और वर्ष 1952 में इसे देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
निवास स्थान का नुकसान, मनुष्यों के साथ संघर्ष, अवैध शिकार और बीमारियों के प्रति उच्च संवेदनशीलता इनके विलुप्ति का प्रमुख कारण है।
'प्रोजेक्ट चीता' के बारे में
यह अपनी तरह की एक अनूठी परियोजना है जिसमें किसी प्रजाति को देश से बाहर (दक्षिण अफ्रीका / नामीबिया से) लाकर देश में बहाल किया जा रहा है।
भारत में विलुप्त हो चुकी चीता की उप-प्रजाति एशियाई चीता (एसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस) थी और देश में वापस लाए जा रहे चीते की उप-प्रजाति अफ्रीकी चीता (एसिनोनिक्स जुबेटस जुबेटस) है।
शोध से पता चला है कि इन दोनों उप-प्रजातियों के जीन समान हैं।
5. सोमालिया में अमेरिकी हमले में आईएसआईएस का वरिष्ठ नेता बिलाल अल-सुदानी मारा गया
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राष्ट्रपति जो बिडेन के आदेश पर सोमालिया में एक अमेरिकी सैन्य छापे में 25 जनवरी को इस्लामिक स्टेट समूह के एक प्रमुख क्षेत्रीय नेता बिलाल अल-सुदानी को मार गिराया गया।
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अमेरिकी सैन्य अभियान ने आतंकवादी समूह के 10 सदस्यों को भी मार गिराया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने शीर्ष रक्षा, खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों के साथ परामर्श के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में हमले को अधिकृत किया।
बिलाल अल-सुदानी पिछले कई सालों से अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के रडार पर था।
उसने अफ्रीका में आईएस के संचालन के साथ-साथ अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन आईएसआईएस-के (ISIS-K) को वित्तीय मदद करने में अहम भूमिका निभाई थी।
इस्लामिक स्टेट के बारे में
ISIS (इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया), जिसे ISIL (इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड द लेवेंट) के नाम से भी जाना जाता है।
यह एक इस्लामवादी आतंकवादी जिहादी समूह है जो इस्लाम की सुन्नी शाखा पर आधारित सलाफी जिहादी सिद्धांत का पालन करता है।
इसकी स्थापना 1999 में अबू मुसाब अल-जरकावी द्वारा की गई थी और 2014 में इसने वैश्विक प्रसिद्धि प्राप्त की।
इसने जल्द ही इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया, अपना झंडा लहराया और सख्त इस्लामी शासन लागू किया।
यह शरिया या इस्लामी कानून को सख्ती से लागू करता है।
6. बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की कगार पर : नेवर गिव एन इंच
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संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) माइक पोंपिओ द्वारा लिखित पुस्तक ‘नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर द अमेरिका आई लव’ काफी सुर्ख़ियों में रहा है, जिसमें भारत और यहाँ के कई राजनेताओं के बारे में टिपण्णी की गई है।
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पोंपिओ ने अपनी पुस्तक ‘नेवर गिव एन इंच’ में उल्लेख किया है कि फरवरी, 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की कगार पर थे।
माइक पोंपियो ने कहा कि तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनसे कहा था कि पाकिस्तान स्ट्राइक के बाद परमाणु हमले की तैयारी कर रहा था और भारत भी इसकी आक्रामक प्रतिक्रिया की तैयारी कर रहा है।
पोंपियो ने इस मामले का जिक्र करते हुए बताया कि बालाकोट स्ट्राइक के पश्चात दोनों देशों में परमाणु टकराव टालने के लिए उनकी टीम ने रात भर भारत और पाकिस्तान से बातचीत की। उनके प्रयास से दोनों देशों के मध्य होने वाले एक संभावित युद्ध को रोक दिया, जो कभी भी परमाणु युद्ध में बदल सकती थी।
पोंपिओ ने अपनी पुस्तक में पूर्व भारतीय विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज के लिए सम्मानजनक शब्द का प्रयोग नहीं किया, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर की काफी तारीफ किया है, और कुछ मामलों में एस जयशंकर को अपने से बेहतर बताया है।
7. मिस्र स्वेज नहर विशेष आर्थिक क्षेत्र में भारतीय उद्योगों को भूमि आवंटित करने की योजना बना रहा है
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मिस्र स्वेज नहर आर्थिक जोन (एससीईजेड) में भारतीय उद्योगों को विशेष क्षेत्र आवंटित करने पर विचार कर रहा है और भारतीय पक्ष इसके लिए मास्टर प्लान तैयार कर सकता है।
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यह प्रस्ताव मिस्र में उपलब्ध निवेश अवसरों का उपयोग करने के लिए विदेशी निवेश करने की क्षमता रखने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने के भारत के प्रस्ताव के संदर्भ में है।
मिस्र अधिक भारतीय निवेश के प्रवाह का स्वागत करता है और लागू नियमों और रूपरेखा के अनुसार प्रोत्साहन और सुविधाएं देने का वायदा करता है।
भारत और मिस्र के बीच वर्तमान में तीन अरब 15 करोड़ डॉलर से अधिक का व्यापार होता है।
प्रधानमंत्री मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति ने परस्पर उभरते आर्थिक और निवेश के अवसरों का पता लगाने के लिए व्यवसायों को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए।
भारत की तीन दिन की यात्रा पर दिल्ली पहुंचे मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुए।
स्वेज नहर के बारे में
स्वेज नहर भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने के लिए मिस्र में स्वेज के इस्तमुस के उत्तर से दक्षिण की ओर चलने वाला एक कृत्रिम समुद्र-स्तरीय जलमार्ग है।
यह नहर अफ्रीका महाद्वीप को एशिया से अलग करती है।
यह यूरोप और भारतीय और पश्चिमी प्रशांत महासागरों के आसपास स्थित भूमि के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग प्रदान करता है।
स्वेज नहर दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापार मार्गों में से एक है। दुनिया के कुल व्यापार का करीब 12 प्रतिशत रोजाना इस नहर से गुजरता है।
8. भारत-मिस्र ने प्रसार भारती और मिस्र के राष्ट्रीय मीडिया प्राधिकरण के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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25 जनवरी को भारत और मिस्र ने प्रसार भारती और मिस्र के राष्ट्रीय मीडिया प्राधिकरण के बीच सामग्री विनिमय, क्षमता निर्माण और सह-निर्माण की सुविधा के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
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सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर और मिस्र सरकार के विदेश मंत्री सामेह हसन शौकरी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
नई दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गया।
इस समझौता ज्ञापन के दायरे में, दोनों देशों के प्रसारक द्विपक्षीय आधार पर विभिन्न शैलियों के खेल, समाचार, संस्कृति, मनोरंजन और कई अन्य क्षेत्रों के अपने कार्यक्रमों का आदान-प्रदान करेंगे तथा इन कार्यक्रमों को उनके रेडियो और टेलीविजन प्लेटफार्म पर प्रसारित किया जाएगा।
इस समझौता ज्ञापन की वैधता तीन साल के लिए होगा।
मिस्र का अरब गणराज्य
यह एक अरब देश है जो अफ्रीकी महाद्वीप पर स्थित है।
राष्ट्रपति: अब्देल फत्ताह अल-सिसी
राजधानी: काहिरा
मुद्रा: मिस्र पाउंड
9. भारतीय सीमा के निकट चीन बना रहा यारलुंग ज़ांगबो नदी पर बांध
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हाल में एक सैटेलाईट चित्र के माध्यम से पता चला है कि चीन द्वारा भारत, नेपाल और तिब्बत के ट्राई-जंक्शन के निकट तिब्बत में यारलुंग ज़ांगबो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर नए बाँध का निर्माण कर रहा है जो भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
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चीन द्वारा भारतीय सीमा से लगे क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों में वृद्धि कर वहां सैन्य साजोसामान व उससे संबंधित उपकरणों को स्थापित कर रहा है।
चीन का यह बाँध वर्ष 2021 में यारलुंग ज़ांगबो के निम्न क्षेत्र में 70 गीगावाट विद्युत उत्पादन के लिए एक बड़े बाँध के निर्माण की योजना की घोषणा के बाद उठाया गया है।
यह चीन के 'थ्री गोर्जेज़ बाँध' द्वारा उत्पादित विद्युत क्षमता से करीब तीन गुना अधिक है, जो स्थापित क्षमता के मामले में सबसे बड़ा जलविद्युत संयंत्र है।
यारलुंग ज़ांगबो (ब्रह्मपुत्र) नदी:
ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में यारलुंग त्संग्पो के नाम से जाना जाता है।
उदगम स्त्रोत:- मानसरोवर झील
कुल लंबाई 2,880 किमी.
तिब्बत:- 1,700 किमी.
अरुणाचल प्रदेश और असम :- 920 किमी.
बांग्लादेश :- 260 किमी.
10. खाद्य और कृषि के लिए पशु आनुवंशिक संसाधन (एजीआर) पर एफएओ की अंतर सरकारी तकनीकी कार्य समूह (आईटीडब्ल्यूजी) में भारत को उपाध्यक्ष चुना गया
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18-20 जनवरी, 2023 के दौरान रोम में आयोजित पशु आनुवंशिक संसाधन (एजीआर) पर अंतर सरकारी तकनीकी कार्य समूह (आईटीडब्ल्यूजी) के 12वें सत्र में भारत को उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) और राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. बी एन त्रिपाठी ने इस सत्र की अध्यक्षता की और दूत के रूप में भूमिका निभाई।
खाद्य और कृषि के लिए आनुवंशिक संसाधनों पर एफएओ के आयोग (सीजीआरएफए) के द्वारा इस कार्यकारी समूह का गठन किया था।
इस समूह का कार्य तकनीकी मुद्दों की समीक्षा करना, सलाह देना और आयोग को सिफारिशें प्रस्तुत करना और वैश्विक स्तर पर एजीआर से संबंधित आयोग के कार्यक्रम को लागू करना है।
आईटीडब्ल्यूजी के 12वें सत्र में पशु आनुवंशिक संसाधनों के लिए वैश्विक कार्य योजना के कार्यान्वयन, एएनजीआर विविधता की निगरानी और तीसरी कंट्री रिपोर्ट तैयार करने की समीक्षा की गई।
आईटीडब्ल्यूजी सत्र से पहले वैश्विक राष्ट्रीय समन्वयकों की कार्यशाला का आयोजन 16-17 जनवरी, 2023 को रोम में किया गया था।
एफएओ (खाद्य और कृषि संगठन)
संयुक्त राष्ट्र, खाद्य एवं कृषि संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो कृषि उत्पादन, वानिकी और कृषि विपणन सम्बन्धी शोध विषय का अध्ययन करती है।
स्थापना - 1945
मुख्यालय - रोम (इटली)