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By admin: July 14, 2022

1. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत 146 में से 135वें स्थान पर

Tags: International News

विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक जेंडर गैप रिपोर्ट 2022 13 जुलाई को जिनेवा में जारी की गई। ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स, 2022 में कुल 146 देशों में भारत 135वें स्थान पर है।

भारत की स्थिति

  • भारत "स्वास्थ्य और उत्तरजीविता" उप-सूचकांक में दुनिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है, जहां यह 146 वें स्थान पर है।

  • भारत अपने पड़ोसी देशों से भी खराब स्थिति में है और बांग्लादेश (71), नेपाल (96), श्रीलंका (110), मालदीव (117) और भूटान (126) से पीछे है।

  • दक्षिण एशिया में केवल ईरान (143), पाकिस्तान (145) और अफगानिस्तान (146) का प्रदर्शन भारत से भी खराब है।

  • 2021 में, भारत सूचकांक में कुल 156 देशों में से 140 वें स्थान पर था।

शीर्ष 10 देश

  • आइसलैंड (90.8%) वैश्विक रैंकिंग में अग्रणी है।

  • अन्य स्कैंडिनेवियाई देश जैसे फिनलैंड (86%, दूसरा), नॉर्वे (84.5%, तीसरा) और स्वीडन (82.2%) शीर्ष पांच में शामिल हैं।

  • उप-सहारा अफ्रीकी देश रवांडा (81.1%, 6 वां) और नामीबिया (80.7%, 8 वां), एक लैटिन अमेरिकी देश, निकारागुआ (81%, 7 वां), और पूर्वी एशिया और प्रशांत से एक देश, न्यूजीलैंड (84.1%, 4वां) शीर्ष 10 में स्थान प्राप्त किए हैं।

  • अन्य यूरोपीय देश जैसे आयरलैंड (80.4%) और जर्मनी (80.1%) नौवें और दसवें स्थान पर हैं।

4 प्रमुख आयाम

  1. राजनीतिक  सशक्तिकरण 

इसमें संसद में महिलाओं का प्रतिशत जैसे मेट्रिक्स शामिल हैं।

  1. आर्थिक भागीदारी और अवसर

इसमें  शामिल मेट्रिक्स हैं, महिलाओं का प्रतिशत जो श्रम शक्ति का हिस्सा हैं, समान कार्य के लिए वेतन समानता, अर्जित आय आदि।

  1. शिक्षा प्राप्ति

इसमें साक्षरता दर और प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा में नामांकन दर जैसे मेट्रिक्स शामिल हैं।

  1. स्वास्थ्य और उत्तरजीविता

इसमें दो मीट्रिक शामिल हैं: जन्म के समय लिंगानुपात (%) और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (वर्षों में)।

ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के बारे में

  • यह विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है।

  • इसे पहली बार 2006 में लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को बेंचमार्क करने के लिए पेश किया गया था।

  • यह ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट का 16वां संस्करण है।

  • यह समय के साथ लिंगअंतराल को कम करने की प्रगति को ट्रैक करता है।



By admin: July 11, 2022

2. भारत 2023 में दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ देगा: यूएन

Tags: Popular International News

11 जुलाई को जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 2023 में पृथ्वी पर सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ देगा।

  • महत्वपूर्ण तथ्य

  • जनसंख्या प्रभाग के आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग ने कहा है कि वैश्विक जनसंख्या का 15 नवंबर, 2022 को आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है।

  • संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 1950 के बाद से दुनिया की जनसंख्या सबसे धीमी गति से बढ़ रही है। 2020 में यह 1% से कम हो गया है।

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व की जनसंख्या 2030 में लगभग 8.5 बिलियन और 2050 में 9.7 बिलियन हो सकती है।

  • इस वर्ष के विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई एक मील के पत्थर साबित हुआ है, जब पृथ्वी पर आठ अरबवें व्यक्ति के जन्म की उम्मीद है।

  • 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया के सिर्फ आठ देशों में केंद्रित होगा।

  • 2022 में भारत की जनसंख्या

  • रिपोर्ट के अनुसार, चीन की 1.426 अरब की तुलना में 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 अरब है।

  • भारत, जो 2023 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकल जाएगा, अनुमान है कि 2050 में  भारत की आबादी 1.668 बिलियन होगी, जो सदी के मध्य तक चीन के 1.317 बिलियन लोगों से बहुत आगे है।

  • 2022 में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र

  • 2022 में दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया थे, जिसमें 2.3 बिलियन लोग थे, जो वैश्विक आबादी का 29% प्रतिनिधित्व करते थे।

  • 2.1  बिलियन के साथ मध्य और दक्षिणी एशिया, 2022 में दुनिया की आबादी का 26% हिस्सा है।

  • 2022 में 1.4 बिलियन से अधिक आबादी के साथ, चीन और भारत इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी आबादी के लिए जिम्मेदार हैं।

  • 1 मिलियन से अधिक प्रवासियों का बहिर्वाह

  • अनुमान है कि दस देशों ने 2010 और 2021 के बीच 1 मिलियन से अधिक प्रवासियों के शुद्ध बहिर्वाह का अनुभव किया।

  • इनमें से कई देशों में, ये बहिर्वाह अस्थायी श्रमिकों का अपना देश छोड़ने के कारण थे।

  • पाकिस्तान (2010-2021 के दौरान -16.5 मिलियन का शुद्ध बहिर्वाह), भारत (-3.5 मिलियन), बांग्लादेश (-2.9 मिलियन), नेपाल (-1.6 मिलियन) और श्रीलंका (-1 मिलियन)।

  • स्वास्थ्य मेट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान (आईएचएमई) के अनुमान

  • स्वास्थ्य मेट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान (आईएचएमई) द्वारा वैकल्पिक दीर्घकालिक जनसंख्या अनुमान भी किए गए हैं।

  • अपने हाल के अनुमानों में, IHME ने अनुमान लगाया कि 2100 में वैश्विक जनसंख्या 8.8 बिलियन तक पहुंच जाएगी।



By admin: July 2, 2022

3. हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2022

Tags: Popular International News

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने “हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2022” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।

  • 2035 में भारत में शहरी आबादी 675 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा होगा।

  • कोविड -19 महामारी के बाद, वैश्विक शहरी आबादी फिर से बढ़ रही है। यह 2050 तक 2.2 बिलियन और बढ़ जाएगी।

  • भारत की शहरी आबादी 2035 में 675,456,000 तक पहुंचने की संभावना है, जबकि 2020 में यह 483,099,000 थी।

  • भारत के शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का प्रतिशत 2035 तक 43.2 प्रतिशत होगा।

  • वैश्विक परिदृश्य

  • चीन में शहरी जनसंख्या 2035 में 1.05 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

  • एशिया में शहरी आबादी 2035 में बढ़कर 2.99 अरब हो जाएगी।

  • पिछले दो दशकों में, भारत और चीन ने तेजी से शहरीकरण और आर्थिक विकास का अनुभव किया। नतीजतन, गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या कम हो गई है।

  • चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा है। इन देशों में विकास प्रक्षेपवक्र ने वैश्विक असमानता को प्रभावित किया है।

  • संयुक्त राष्ट्र मानव अधिवासन कार्यक्रम (यूएन-हैबिटेट) के बारे में 

  • इसकी स्थापना 1978 में की गयी थी।

  • संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास  मानव बस्तियों के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र की एजेंसी है जिसे संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने सबके लिए उपयुक्‍त आवास प्रदान करने के लक्ष्‍य की दिशा में सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से संवहनीय कस्‍बों और शहरों को बढ़ावा देने का दायित्‍व सौंपा है।

  • मुख्यालय- नैरोबी,केन्या

  • कार्यकारी निदेशक- मैमुनाह मोहम्मद शरीफ



By admin: June 8, 2022

4. पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2022

Tags: Popular National News

हाल ही में ‘येल विश्वविद्यालय’ द्वारा द्विवार्षिक रूप से जारी किये जाने वाले 'पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक' में भारत 180 देशों में सबसे नीचे 180वें स्थान पर रहा है।

  • ‘पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक’ येल विश्वविद्यालय के 'सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल लॉ एंड पॉलिसी' तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय के 'सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क' की संयुक्त पहल है।

  • 'पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक(ईपीआई)' को ‘विश्व आर्थिक मंच’ के सहयोग से तैयार किया जाता है।

  • ईपीआई 11 श्रेणियों में 40 प्रदर्शन संकेतकों का उपयोग करके 180 देशों को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति के आधार पर अंक देता है।

  • इस सूची में डेनमार्क सबसे ऊपर

  • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) में डेनमार्क सबसे ऊपर है इसके बाद ब्रिटेन और फिनलैंड को स्थान मिला हैI 

  • इन देशों को हालिया वर्षों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए सर्वाधिक अंक प्राप्त हुए हैI

  • भारत सबसे निचले पायदान पर

  • रिपोर्ट के अनुसार भारत सबसे कम अंक(18.9) के साथ सबसे नीचे (180वें) स्थान पर रहाI 

  • भारत के पड़ोसी देशों ने भारत बेहतर प्रदर्शन किया है जिसमें पाकिस्तान 176वें और बांग्लादेश 177वें स्थान पर हैI 

  • अन्य प्रमुख देशों की रैंकिंग 

  • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में अमेरिका 43वें, फ्रांस 12वें, जर्मनी 13वें, ऑस्ट्रेलिया 17वें, इटली 23वें और जापान 25वें स्थान पर रहा।

  • चीन को रिपोर्ट में 28.4 अंकों के साथ 161 वां स्थान मिला हैं।

  • टॉप 10 देश 


देश 


रैकिंग

डेनमार्क

यूनाइटेड किंगडम

2

फिनलैंड

3

माल्टा

4

स्वीडन

5

लग्जमबर्ग

6

स्लोवेनिया

7

ऑस्ट्रिया

8

स्विट्जरलैंड

9

आइसलैंड

10





By admin: June 8, 2022

5. विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को घटाकर 7.5% किया

Tags: Economics/Business

वर्ल्ड बैंक ने 7 जून को बढ़ती मुद्रास्फीति, सप्लाई चेन में गतिरोध और भू-राजनीतिक तनाव को ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया।

  • यह दूसरी बार है जब विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में भारत के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को संशोधित किया है।

  • अप्रैल 2022 में विश्व बैंक ने पूर्वानुमान को 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया था जिसके बाद अब इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

  • 2023-24 में आर्थिक विकास दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान

  • विश्व बैंक रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2023-24 में भारत के विकास के और भी धीमी गति से 7.1 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है। 

  • हालांकि, यह पिछले अनुमान 6.8 प्रतिशत से 30 बेस पॉइंट ज्यादा है।

  • 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.5 प्रतिशत

  • विश्व बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की GDP ग्रोथ 6.5 प्रतिशत आंकी गई है। 

  • हालांकि, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए विकास पूर्वानुमान में गिरावट का यह आंकड़ा लोकल अनुमानों की तुलना में अधिक है।

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.2 प्रतिशत आंकी है।

  • भारत के अन्य विकास अनुमान

  • वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भी भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को घटा दिया था।

  • मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने उच्च मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए वर्ष 2022 के लिए जीडीपी अनुमान को 9.1 प्रतिशत से घटाकर 8.8 प्रतिशत कर दिया।

  • एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी 2022-23 के लिए भारत के विकास अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया था।

  • मार्च में, फिच ने भारत के विकास के अनुमान को 10.3 प्रतिशत से घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया था।

  • आईएमएफ ने भी अनुमान को 9 फीसदी से घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया है।

  • एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

  • अप्रैल में आरबीआई ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अस्थिर कच्चे तेल की कीमतों और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के बीच पूर्वानुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया।

By admin: March 2, 2022

6. आईईए तेल की कीमतों को कम करने के लिए आरक्षित तेल जारी करेगा

Tags: Popular International News

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद तेल की कमी से निपटने के लिए विश्व बाजार में 60 मिलियन तेल भंडार जारी करने पर सहमति व्यक्त की है।

तेल बाजार में रूस का महत्व

  • विश्व तेल बाजार में रूस एक महत्वपूर्ण देश है।

  • यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक है।

  • कच्चे तेल के प्रति दिन लगभग 5 मिलियन बैरल का इसका निर्यात वैश्विक व्यापार का लगभग 12% प्रतिनिधित्व करता है - और इसके लगभग 2.85 मिलियन बैरल पेट्रोलियम उत्पाद वैश्विक परिष्कृत उत्पाद व्यापार के लगभग 15% का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • रूस का लगभग 60% तेल का निर्यात यूरोप और अन्य 20% चीन को जाता है।

डेटा का स्रोत (अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी) 

यद्यपि संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने अभी तक रूसी तेल उद्योग पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, खरीदार रूसी तेल  को खरीदने से बच रहे हैं। तेल की आपूर्ति की अनिश्चितता के कारण विश्व में  तेल की कीमत में तेज वृद्धि हुई है और यह 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। तेल की कीमतों में निरंतर वृद्धि से दुनिया भर में उच्च मुद्रास्फीति का आशंका उत्पन्न हो गया है और इससे कोरोना महामारी के बाद हों रहे  विश्व अर्थव्यवस्था में विकास की संभावना को खतरा है।

आईईए भंडार

  • आईईए के सदस्यों के पास 1.5 बिलियन बैरल का आपातकालीन भंडार है। 60 मिलियन बैरल की प्रस्तावित प्रारंभिक रिलीज,  उस भंडार का 4% है ,  जो 30 दिनों के लिए 2 मिलियन बैरल प्रति दिन के बराबर है। 

  • आईईए द्वारा भंडार से तेल छोड़ने का यह चौथा समन्वित प्रयास है। पूर्व में आईईए ने  1991, 2005 और 2011 में भंडार से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की आपूर्ति बढाई गयी थी ।

  • नियोजित तेल निष्कर्षण का आधा हिस्सा  संयुक्त राज्य अमेरिका से आएगा। विश्व में स्थापित आपातकालीन  तेल भंडार  में अकेला अमेरिका  के पास  आधा भंडार है तथा अन्य 30 आईईए सदस्यों को  अपने 90 दिनों के शुद्ध तेल आयात के बराबर आपातकालीन भंडार में तेल रखने की आवश्यकता होती है।

  • चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद जापान के पास सबसे बड़ा तेल भंडार है।

हालांकि कई जानकारों का मानना है कि यह बाजार में तेल की कीमत को कम नहीं कर पाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी

  • इसकी स्थापना 1973 के तेल संकट के बाद 1974 में विकसित देशों द्वारा की गई थी।

  • इसे शुरू में तेल आपूर्ति की सुरक्षा के लिए स्थापित किया गया था। अब बिजली सुरक्षा से लेकर निवेश, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, ऊर्जा पहुंच और दक्षता आदि जैसे मुद्दों को शामिल करने के लिए इसके क्षेत्र का विस्तार किया गया है।

  • कुल सदस्य 31 देश। सभी विकसित देश हैं। (एशिया से केवल जापान और दक्षिण कोरिया ही इसके सदस्य हैं)

  • भारत, चीन आईईए के सदस्य नहीं हैं। वे आईईए के सहयोगी राज्य हैं।

  • आईईए का मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस

ईआईए द्वारा जारी महत्वपूर्ण रिपोर्ट: 

  • विश्व ऊर्जा रिपोर्ट

  • वैश्विक ऊर्जा समीक्षा

  • तेल बाजार रिपोर्ट 

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण

एक बैरल तेल के बराबर है    : 158.987 लीटर तेल

: 42 गैलन (अमेरिका)

By admin: March 1, 2022

7. आईपीसीसी ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन के अपरिवर्तनीय प्रभाव की चेतावनी दी

Tags: Popular Science and Technology

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने पृथ्वी के लिए एक गंभीर भविष्य की चेतावनी दी है यदि वैश्विक तापन जारी रहती है और वैश्विक तापमान 1.5% से अधिक बढ़ता है।

  • नवीनतम चेतावनियां आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के दूसरे भाग में आई हैं जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जोखिमों और कमजोरियों और अनुकूलन विकल्पों के बारे में बात करती है। रिपोर्ट का पहला भाग पिछले वर्ष अगस्त में जारी किया गया था।

  • आकलन रिपोर्ट, जिनमें से पहली 1990 में सामने आई थी, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का सबसे व्यापक मूल्यांकन है। इसके पश्चात् वर्ष 1995, 2001, 2007 और 2015 में  रिपोर्ट जारी की गई। 

रिपोर्ट में उन बढ़ते प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है जो वैश्विक तापमान में वृद्धि के रूप में अपेक्षित हैं, जो वर्तमान में 1.1C के आसपास है, जो 1850 के स्तर से 1.5C तक बढ़ गया है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • दक्षिण एशिया अपनी असमानता और गरीबी के कारण गंभीर जलवायु परिवर्तन प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है।

  • एशिया में गंगा, सिंधु, अमु दरिया नदी घाटियों को 2050 तक पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ेगा। यह इस क्षेत्र में कृषि और पेयजल की कमी पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

  • अहमदाबाद शहर शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव के जोखिम का सामना कर रहा है। इसका अर्थ है कि शहर का औसत तापमान आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक रहेगा।

  • मुंबई में समुद्र का स्तर बढ़ने और इसके परिणामस्वरूप बाढ़ आने का उच्च जोखिम है।

  • यदि तापमान 1-4 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ता है तो दुनिया में चावल का उत्पादन 10-30% तक गिर सकता है और मक्के का उत्पादन 25-70% तक गिर सकता है।

  • यदि तापमान 1850 के स्तर से 1.7 और 1.8C के बीच बढ़ता है, तो रिपोर्ट में कहा गया है कि आधी मानव आबादी गर्मी और उमस से उत्पन्न होने वाली जीवन-धमकी वाली जलवायु परिस्थितियों के संपर्क में आ सकती है।

बढ़ता समुद्र स्तर: 

आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अगर सरकारें अपने मौजूदा उत्सर्जन-कटौती वादों को पूरा करती हैं, तो इस सदी में वैश्विक समुद्र का स्तर 44-76 सेंटीमीटर बढ़ जाएगा। तेजी से उत्सर्जन में कटौती के साथ, वृद्धि 28-55 सेमी तक सीमित हो सकती है।

लेकिन उच्च उत्सर्जन के साथ, और यदि बर्फ की चादरें अपेक्षा से अधिक तेज़ी से गिरती हैं, तो समुद्र का स्तर इस सदी में 2 मीटर और 2150 तक 5 मीटर तक बढ़ सकता है।

आईपीसीसीसी

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की स्थापना विश्व मौसम विज्ञान संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा 1988 में की गई थी।

आईपीसीसी का उद्देश्य

इसको स्थापित  करने का मुख्य उद्देश्य था की यह :

  • जलवायु परिवर्तन के विज्ञान के ज्ञान की स्थिति के संबंध में एक व्यापक समीक्षा और सिफारिशें तैयार करेगा ;

  • जलवायु परिवर्तन के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का आंकलन करेगा ,

  • भविष्य में होने वाले संभावित जलवायु पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए रणनीतियाँ बनाना और इसमें शामिल होने वाले संभावित तत्त्व को  तलाश करना ।

इसका मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड;

वर्तमान अध्यक्ष: होसुंग ली;

इसने 2007 में पूर्व अमेरिकी उप-राष्ट्रपति अल गोर के साथ नोबेल शांति पुरस्कार साझा किया।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य: 

वेट बल्ब तापमान क्या है? 

मानव शरीर गर्मी और आर्द्रता के बाहरी वातावरण के आधार पर हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। यदि तापमान अधिक होता है तो हमारा शरीर पसीने से हमारे शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश करता है। हम जितना अधिक पसीना बहाते हैं, उतनी ही तेजी से शीतलन होता है। हालाँकि यदि आर्द्रता (हवा में जलवाष्प) अधिक है तो हमारे शरीर की ठंडा करने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए शुष्क गर्मी अत्यधिक आर्द्रता की तुलना में अधिक सहनीय महसूस करती है।

वेट-बल्ब का तापमान, ऊष्मा और आर्द्रता दोनों के लिए उत्तरदायी होता है, और यह दर्शाता है कि मानव शरीर में शीतलन के लिए दोनों संयोजनों (ऊष्मा और आर्द्रता) का क्या अर्थ है।

इस तापमान को मापने में सामान्य थर्मामीटर आदर्श नही होता, बल्कि इसके लिए वेट बल्ब थर्मामीटर इस्तेमाल होता है। इसमें पारा तो होता है लेकिन ये गीले कपड़े से कवर किया जाता है। इसमें आमतौर पर मलमल का कपड़ा उपयोग में लाया जाता है और उसे ठंडे पानी से भरे बर्तन में डुबोकर रखते हैं। इससे जो मापन तापमान लिया जाता है, वो हवा में नमी का संकेत देता है।

वेट बल्ब के तापमान के लिए 35 डिग्री सेंटीग्रेड को अधिकतम सीमा माना जाता है। 

यदि वेट बल्ब का तापमान 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है तो एक सामान्य स्वस्थ इंसान पसीने से अपने शरीर की गर्मी नहीं खो सकता है और अगर वे काफी समय तक बाहर रहते हैं तो हीट स्ट्रोक से मृत्यु हो सकती है।

पृथ्वी के तापमान में निरंतर वृद्धि के साथ, वेट बल्ब के तापमान की घटना का जोखिम सामान्य होने की उम्मीद है।

By admin: March 1, 2022

8. 2022 की तीसरी तिमाही में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि धीमी

Tags: Economy/Finance

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 28 फरवरी 2022 को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अपना दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • तीसरी तिमाही (अक्टूबर 2021 से दिसंबर 2021) में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.4% की वृद्धि हुई। यह चालू वित्त वर्ष 2021-22 में एक तिमाही में सबसे धीमी वृद्धि है।

  • पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी में 20.3% की वृद्धि हुई और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में यह 8.5% बढ़ी।

  • 2021-22 की तीसरी तिमाही में स्थिर (2011-12) कीमतों पर जीडीपी का अनुमान 38.22 ट्रिलियन रुपये था, जबकि 2020-21 की तीसरी तिमाही में 36.26 ट्रिलियन रुपये था, जो 5.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

  • तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.4% है, जो इसे चीन से अधिक विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाती है। 

  • 2021-22 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2020-21 में यह 6.6 प्रतिशत थी।

  • विकास दर बजट अनुमान से कम है जिसमें 2021-22 के लिए 9.2% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था।

  • आरबीआई ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति में 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 9.2% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।

  • अक्टूबर-दिसंबर 2021-22 में जीडीपी 38,22,159 करोड़ रुपये रही, जो 2020-21 की इसी अवधि में 36,22,220 करोड़ रुपये से अधिक है।

क्षेत्र वार वृद्धि 

  • एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) की वृद्धि एक वर्ष पहले के 8.4 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 2021-22 की तीसरी तिमाही में लगभग 0.2 प्रतिशत पर स्थिर रही।

  • तीसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की जीवीए वृद्धि 2.6 प्रतिशत धीमी रही, जबकि एक वर्ष पहले यह 4.1 प्रतिशत थी।

  • निर्माण क्षेत्र के जीवीए में एक वर्ष पहले 6.6 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले 2.8 फीसदी की गिरावट आई है।

  • 5.3 प्रतिशत के संकुचन के मुकाबले खनन क्षेत्र में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवा खंड में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो एक वर्ष पहले 1.5 प्रतिशत थी। 

  • इसी तरह, व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में एक वर्ष पहले के 10.1 प्रतिशत संकुचन की तुलना में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत रही, जबकि पिछले वर्ष यह 10.3 प्रतिशत थी।

  • समीक्षाधीन तिमाही के दौरान लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में एक वर्ष पहले के 2.9 प्रतिशत संकुचन की तुलना में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ)
    यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का हिस्सा है जो केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
    इसे पहले केंद्रीय सांख्यिकी संगठन कहा जाता था।
    सीएसओ निम्नलिखित के संबंध में डेटा एकत्र और जारी करता है:
    राष्ट्रीय आय ;
    उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण;
    आर्थिक जनगणना;
    शहरी गैर-मैनुअल कर्मचारियों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक;
    औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक
    सीएसओ मुख्यालय: नई दिल्ली

By admin: Jan. 26, 2022

9. आईएमएफ ने वित्त वर्ष 23 के लिए भारतीय विकास दर को 9% तक बढ़ाया

Tags: Economics/Business

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास संभावना को 8.5% के पहले के पूर्वानुमान से बढ़ाकर 9% कर दिया है।

25 जनवरी 2022 को जारी आईएमएफ "वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट" ने संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में कमजोर विकास के पूर्वानुमान के साथ दुनिया के लिए आर्थिक विकास दर में कटौती की है।


रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट  2022 में विश्व अर्थव्यवस्था के 4.4% और 2023 में 3.8% बढ़ने की उम्मीद करता है।
  • विश्व अर्थव्यवस्था में 2021 में 5.9% की वृद्धि हुई थी ।
  • विश्व विकास में गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका और चीन में कम वृद्धि है।
  • कमजोर विश्व आर्थिक दृष्टिकोण का मुख्य कारण कोरोनवायरस के ओमिक्रॉन संस्करण का प्रसार है जिसके कारण देशों द्वारा गतिशीलता पर अंकुश लगा गया  है। इससे विश्व आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आया है और सभी देशों में मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है।
  • रिपोर्ट यह उम्मीद करता है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में 4.8% की वृद्धि होगी और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका के 2022 में 4% बढ़ने की उम्मीद है।

एकमात्र भारत का उज्ज्वल स्थान है

  • विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत की विकास दर दुनिया में सबसे अधिक होने की उम्मीद है।
  • आईएमएफ  ने  2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर पहले के 8.5% से बढ़ाकर 9% कर दी गई है।
  • आईएमएफ के अनुसार भारत की ऋण वृद्धि में अपेक्षित सुधार से खपत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही भारत में वित्तीय क्षेत्र की वृद्धि उम्मीद से बेहतर है, जिससे इसकी समग्र विकास दर की संभावना बढ़ रही है।

By admin: Jan. 18, 2022

10. भारत में गरीबी पर ऑक्सफैम रिपोर्ट

Tags: National News

गैर-लाभकारी समूह ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडे से पहले 17 जनवरी, 2022 को ''इनइक्वालिटी किल्स" (घातक असमानता) शीर्षक से अपनी नवीनतम रिपोर्ट प्रकाशित की है।

  • ऑक्सफैम वैश्विक गरीबी के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करने वाले 21 स्वतंत्र धर्मार्थ संगठनों का एक ब्रिटिश-स्थापित परिसंघ है, जिसकी स्थापना 1942 में की गई थी और  इसका नेतृत्व ऑक्सफैम इंटरनेशनल करती है।
  • इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्या में है।
  • गैब्रिएला बुचर ऑक्सफैम की वर्तमान निदेशक हैं।
  • ऑक्सफैम खुद को उन लोगों का वैश्विक आंदोलन बताता है जो गरीबी और अन्याय को खत्म करने के लिए असमानता से लड़ रहे हैं।

ताजा रिपोर्ट के मुख्य अंश -

  • 2021 में देश के 84 प्रतिशत परिवारों की आय में गिरावट आई, लेकिन इसके साथ ही भारतीय अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई है।
  • कोरोनावायरस महामारी (मार्च 2020 से नवंबर 2021) के दौरान ऑक्सफैम के विश्लेषण से पता चला कि भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 23.14 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 53.16 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इसके विपरीत, अकेले 2020 में 4.6 करोड़ से अधिक भारतीयों के अत्यधिक गरीबी में गिरने का अनुमान था, जो संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वैश्विक नए गरीबों का लगभग आधा था।
  • ऑक्सफैम का कहना है कि भारत के अति समृद्ध परिवारों पर 1% संपत्ति कर लगा कर इसके टीकाकरण कार्यक्रम के 50,000 करोड़ रुपये की पूरी लागत का वित्तपोषण कर सकता है, और भारत के सिर्फ 98 सबसे अमीर परिवारों पर 4% संपत्ति कर दो साल के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बजट और 17 साल के लिए मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का खर्च वहन कर सकता है।
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन कुल केंद्रीय बजट के 1.5% से घटकर 0.6% रह गया है। शिक्षा  क्षेत्र के लिए आवंटन में 6% की कटौती हुई है , भले ही कोविड ने भारत में तबाही को जारी रखा है, तब भी देश के स्वास्थ्य सेवा बजट में 2020-21 के आरई (संशोधित अनुमान) से 10% की गिरावट देखी गई है।
  • पिछले साल निवेश आकर्षित करने के लिए कॉर्पोरेट करों को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने से 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे भारत के राजकोषीय घाटे में वृद्धि हुई।
  • भारत में बढ़ती धन असमानता के निदान के तौर पर ऑक्सफैम ने भारत की अति समृद्ध आबादी पर संपत्ति कर लगाने का सुझाव दिया है।

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