1. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने 5 हवाई अड्डों के संचालन के लिए यूपी सरकार के साथ समझौता किया
Tags: Popular National News
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने 30 वर्षों की अवधि के लिए यूपी सरकार के स्वामित्व वाले पांच हवाई अड्डों के संचालन के लिए एक संचालन और प्रबंधन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
ये पांच हवाई अड्डे अलीगढ़, आजमगढ़, चित्रकूट, मीरपुर और श्रावस्ती हैं।
एयरपोर्ट का विकास राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा सेवा प्रदाता के रूप में संचालन और प्रबंधन की सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में प्रदेश में नागरिक उड्डयन विभाग के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल और भाविप्रा के अध्यक्ष एके पाठक के बीच अनुबंध पत्र (एमओयू) का आदान-प्रदान हुआ।
संचार नेविगेशन निगरानी सेवाएं भी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाएंगी, जिसके लिए राज्य सरकार एक अलग समझौता करेगी।
एमओयू के उपरांत अब इन हवाईअड्डों के लाइसेंसिंग की प्रक्रिया होगी और जल्द ही सभी पांच एयरपोर्टों से वायुसेवा शुरू हो जाएगी।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बारे में
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एक संगठन / प्राधिकरण है, जो कि भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं।
स्थापना- 1 अप्रैल, 1995
अध्यक्ष- संजीव कुमार
मुख्यालय - नई दिल्ली
2. चेनकुरिंजी को जलवायु परिवर्तन से बचाना
Tags: Popular National News
चेनकुरिंजी (ग्लूटा ट्रैवनकोरिका) अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिजर्व के लिए एक स्थानिक प्रजाति है। जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी संख्या लगातार कम हो रही है.
चेनकुरिंजी के बारे में
यह एनाकार्डियासी परिवार से संबंधित है।
यह पेड़ कभी आर्यनकावु दर्रे, कोल्लम जिला (केरल) के दक्षिणी हिस्सों की पहाड़ियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता था, लेकिन कुछ वर्षों से इस क्षेत्र से इसकी उपस्थिति तेजी से घट रही है।
यह जलवायु परिवर्तन के लिए अतिसंवेदनशील है और कम पुनर्जनन के कारण इन प्रजातियों की वर्तमान स्थिति काफी खराब है।
इन पेड़ों की पर्याप्त संख्या है लेकिन उनमें से अधिकांश उत्पादक नहीं हैं, जिससे इसकी आबादी में नकारात्मक प्रवृत्ति पैदा हो रही है।
अधिकांश पेड़ों में फूल और फल की दर काफी ख़राब है।
पेड़ के औषधीय गुण
इसमें औषधीय गुण है और इसका उपयोग रक्तचाप को कम करने और गठिया के इलाज के लिए किया जाता है।
वन विभाग ने 'चेनकुरिंजी बचाओ' अभियान शुरू किया है।
3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में डिजिटल इंडिया वीक 2022 का उद्घाटन किया
Tags: Popular National News
डिजिटल इंडिया वीक 2022 का उद्घाटन 4 जुलाई को गुजरात के गांधीनगर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री द्वारा प्रौद्योगिकी की पहुंच बढ़ाने, जीवन को आसान बनाने और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सेवा वितरण को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से कई डिजिटल पहल शुरू किया गया।
स्टेट इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट (आईटी) डिजिटल इंडिया के सात साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
डिजिटल इंडिया वीक की थीम - न्यू इंडिया टेक्नोलॉजी इंस्पिरेशन
पीएम ने चिप्स टू स्टार्टअप प्रोग्राम के तहत 30 संस्थानों के पहले समूह को समर्थन देने की भी घोषणा की।
कार्यक्रम का उद्देश्य
टेक्नोलॉजी की पहुंच को बढ़ाना, लाइफ स्टाइल को सुगम बनाने के लिए सर्विस डिलिवरी सिस्टम को सुचारू बनाना और स्टार्टअप को बढ़ावा देना है।
'डिजिटल इंडिया भाषिनी'
इस अवसर पर, प्रधान मंत्री द्वारा 'डिजिटल इंडिया भाषिनी' का अनावरण किया गया.
यह भारतीय भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुंच को सक्षम करेगा, जिसमें आवाज आधारित पहुंच शामिल है, और भारतीय भाषाओं में विषय-वस्तु के निर्माण में मदद मिलेगी।
'डिजिटल इंडिया जेनेसिस'
पीएम ने 'डिजिटल इंडिया जेनेसिस' का भी शुभारंभ किया।
यह एक राष्ट्रीय डीप-टेक स्टार्टअप प्लेटफॉर्म है, जो भारत के टियर- II और टियर- III शहरों में खोज, समर्थन, विकास और सफल स्टार्टअप बनाने का कार्य करेगा।
इस योजना के लिए कुल 750 करोड़ रुपये के परिव्यय की परिकल्पना की गई है।
'इंडियास्टैक.ग्लोबल'
पीएम ने 'इंडियास्टैक.ग्लोबल' भी लॉन्च किया।
यह आधार, यूपीआई, डिजिलॉकर, काउइन वैक्सीनेशन प्लेटफॉर्म और गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस जैसी इंडिया स्टैक के तहत कार्यान्वित प्रमुख परियोजनाओं का वैश्विक भंडार है।
ग्लोबल पब्लिक डिजिटल गुड्स रिपोजिटरी के लिए भारत की यह पेशकश भारत को जनसंख्या पैमाने पर डिजिटल परिवर्तन परियोजनाओं के निर्माण में अग्रणी बनाने में मदद करेगी।
यह उन अन्य देशों के लिए भी काफी मददगार साबित होगा जो ऐसे तकनीकी समाधानों की तलाश में हैं।
'माईस्कीम'
प्रधानमंत्री ने नागरिकों को 'माईस्कीम' समर्पित किया।
यह सरकारी योजनाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान करने वाला एक सेवा खोज मंच है।
इसका उद्देश्य वन-स्टॉप सर्च और डिस्कवरी पोर्टल की पेशकश करना है जहां उपयोगकर्ता उन योजनाओं को ढूंढ सकते हैं जिनके लिए वे पात्र हैं।
'मेरी पहचान'
प्रधानमंत्री ने नागरिकों को 'मेरी पहचान'- एक नागरिक लॉगिन के लिए राष्ट्रीय एकल साइन ऑन भी समर्पित किया।
नेशनल सिंगल साइन-ऑन एक उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण सेवा है जिसमें क्रेडेंशियल का एक सेट कई ऑनलाइन एप्लिकेशन या सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के बारे में
इसे 1 जुलाई 2015 को लॉन्च किया गया था।
इसका दृष्टिकोण भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना है।
इसके उद्देश्य हैं-
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना,
डिजिटल रूप से सेवाएं प्रदान करना
लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना
4. आषाढ़ी बिज - कच्छ समुदाय का नया साल
Tags: Popular National News
आषाढ़ी बीज हर साल आषाढ़ महीने के दूसरे दिन गुजरात के कच्छ क्षेत्र में कच्छी समुदाय द्वारा हिंदू नव वर्ष के रुप में मनाया जाता है I
महत्वपूर्ण तथ्य
2022 में, यह 1 जुलाई को मनाया गया। इसे कच्छी नव वर्ष के रुप में भी जाना जाता है I
कच्छी नव वर्ष एक पारंपरिक उत्सव है और घरों में मनाया जाता है।
यह त्योहार गुजरात के कच्छ क्षेत्र में बारिश की शुरुआत का प्रतीक है।
आषाढ़ी बीज के दौरान, वातावरण में नमी की जांच की जाती है ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि आने वाले मानसून में कौन सी फसल बेहतर होगी।
इस अवसर पर भगवान् गणेश, देवी लक्ष्मी और अन्य क्षेत्रीय देवताओं की पूजा की जाती है।
गुजरात के अन्य हिस्सों में, हिंदू नव वर्ष दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन मनाया जाता है।
कच्छ का रण
भारत में कच्छ का रण भारतीय राज्य गुजरात में थार रेगिस्तान जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी फैला हुआ है।
कच्छ का रण लगभग 10,000 वर्ग मील के विशाल क्षेत्र को कवर करता है और कच्छ की खाड़ी और दक्षिणी पाकिस्तान में सिंधु नदी के मुहाने के बीच स्थित है।
कच्छ के रण के उत्तर-पूर्व कोने में लूनी नदी है, जो राजस्थान से निकलती है।
कच्छ के रण को भारत की आर्द्रभूमि में गिना जाता है।
कच्छ की खाड़ी इस क्षेत्र के पश्चिम में स्थित है और खंभात की खाड़ी पूर्व में है।
यह क्षेत्र जंगली एशियाई गधे की बड़ी आबादी को आश्रय देता है जो कि जंगली घोड़ा परिवार का सदस्य है।
कच्छ के छोटे रण नामक भारतीय जंगली गधा अभयारण्य के लिए काफी प्रसिद्ध है।
भारत में कच्छ का रण एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो प्रवासी राजहंसों को शरण देता है।
यह क्षेत्र लार्क की कुल 13 प्रजातियों का घर है।
कच्छ की दलदली भूमि में पाई जाने वाली कुछ अन्य पक्षी प्रजातियों में इबिस, स्पूनबिल, कॉमन क्रेन, पेलिकन आदि शामिल हैं।
कच्छ के रण के बायोस्फीयर रिजर्व को गंभीर रूप से संकटग्रस्त गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।
5. हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2022
Tags: Popular International News
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने “हैबिटेट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट 2022” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।
2035 में भारत में शहरी आबादी 675 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा होगा।
कोविड -19 महामारी के बाद, वैश्विक शहरी आबादी फिर से बढ़ रही है। यह 2050 तक 2.2 बिलियन और बढ़ जाएगी।
भारत की शहरी आबादी 2035 में 675,456,000 तक पहुंचने की संभावना है, जबकि 2020 में यह 483,099,000 थी।
भारत के शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का प्रतिशत 2035 तक 43.2 प्रतिशत होगा।
वैश्विक परिदृश्य
चीन में शहरी जनसंख्या 2035 में 1.05 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
एशिया में शहरी आबादी 2035 में बढ़कर 2.99 अरब हो जाएगी।
पिछले दो दशकों में, भारत और चीन ने तेजी से शहरीकरण और आर्थिक विकास का अनुभव किया। नतीजतन, गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या कम हो गई है।
चीन और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा है। इन देशों में विकास प्रक्षेपवक्र ने वैश्विक असमानता को प्रभावित किया है।
संयुक्त राष्ट्र मानव अधिवासन कार्यक्रम (यूएन-हैबिटेट) के बारे में
इसकी स्थापना 1978 में की गयी थी।
संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास मानव बस्तियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सबके लिए उपयुक्त आवास प्रदान करने के लक्ष्य की दिशा में सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से संवहनीय कस्बों और शहरों को बढ़ावा देने का दायित्व सौंपा है।
मुख्यालय- नैरोबी,केन्या
कार्यकारी निदेशक- मैमुनाह मोहम्मद शरीफ
6. नीति आयोग ने विभिन्न आयुष आधारित पहलों का संग्रह जारी किया
Tags: Popular National News
नीति आयोग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आयुष आधारित चिकित्सा उपायों का एक सार-संग्रह जारी किया है।
इस संग्रह का नाम “मिटीगेशन एंड मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19: कम्पेंडियम ऑफ आयुष-बेस्ड प्रैक्टिसिस फ्रॉम इंडियन स्टेट्स एंड यूनियन टेरेटरीज़” है.
इस संग्रह में कोविड़-19 महामारी के फैलने को मद्देनजर रखते हुये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशो द्वारा की गई आयुष-आधारित विभिन्न पहलों तथा उपायों की विस्तृत सूचना दी गई है।
इसे नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी और आयुष तथा महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ मुंजपरा महेन्द्रभाई कालूभाई ने जारी किया।
आयुष-आधारित उपायों के इस संग्रह को तैयार करने में नीति आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संपर्क किया और आग्रह किया कि उन्होंने कोविड-19 महामारी को कम करने तथा उसके प्रबंधन में जो आयुष उपाय किये, उन्हें साझा करें।
रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि देश में परंपरागत स्वास्थ्य प्रणालियों को और मजबूत करने की जरूरत है।
संग्रह में आयुष मंत्रालय का सार-संक्षेप, भारत सरकार के दिशा-निर्देश और पहलों को भी सम्मिलित किया गया है।
संग्रह में उल्लिखित उपायों को पांच वर्गों में बांटा गयाः
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनाए गए उपायों के लक्ष्यों की जानकारी
आयुष मानव संसाधन और अवसंरचा
त्वरित कार्रवाई और पहलें
डिजिटल प्लेटफॉर्म और टेली-मेडेसिन
पैदा होने वाले मुद्दे या समाधान किये जाने वाले मुद्दे
नीति आयोग के बारे में
यह भारत सरकार का प्रमुख नीतिगत थिंक टैंक है, यह दिशात्मक और नीतिगत इनपुट प्रदान करता है।
यह रणनीतिक और दीर्घकालिक नीतियों को डिजाइन करता है।
यह केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रासंगिक तकनीकी सलाह भी प्रदान करता है।
नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की अध्यक्षता प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होते हैं।
इसका गठन 1 जनवरी 2015 को किया गया था।
NITI का मतलब नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया है।
भारत सरकार ने योजना आयोग को बदलने के लिए नीति आयोग का गठन किया, जिसे 1950 में स्थापित किया गया था।
लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
7. एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
Tags: Popular State News
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दक्षिण मुंबई में राजभवन में शिंदे और उनके डिप्टी फडणवीस को पद की शपथ दिलाई।
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री शिंदे से राज्य विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने को कहा है।
मंत्रिमंडल ने 2 और 3 जुलाई को राज्य विधानमंडल का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया।
विशेष सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव भी किया जाएगा।
पिछली महा विकास अघाड़ी सरकार में शहरी विकास मंत्री के रूप में कार्य करने वाले शिंदे ने शिवसेना प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया था।
उन्होंने सेना के 39 अन्य विधायकों के साथ गुवाहाटी और बाद में गोवा में एक होटल में डेरा डाला, जिससे अघाड़ी सरकार अल्पमत में आ गई।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्लोर टेस्ट कराने के राज्यपाल के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद, ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
एकनाथ शिंदे के बारे में
शिवसेना के नेता के रूप में उभरने से पहले एकनाथ संभाजी शिंदे ने जीविकोपार्जन के लिए ऑटो-रिक्शा चलाया।
9 फरवरी 1964 को जन्मे शिंदे ने ग्रेजुएशन पूरा करने से पहले ही कॉलेज छोड़ दिया था।
वह 58 साल के हैं और पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले के रहने वाले हैं, उन्होंने ठाणे, मुंबई से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
वह चार बार के विधायक रह चुके हैं, उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी विभागों को संभाला था।
2014 में कुछ समय के लिए शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था।
महाराष्ट्र के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
स्थापना - 1 मई 1960
राजभाषा - मराठी
पड़ोसी राज्य - गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, दादरा और नगर हवेली, छत्तीसगढ़
संसद सदस्य - लोकसभा 48 (राज्य सभा सीटें 19)
विधानमंडल - द्विसदनीय (विधानसभा 289 और परिषद 78 सीटें)
साक्षरता - 82.91%
जिले - 36
प्रमुख नदियाँ - ताप्ती, भीमा, गोदावरी और कृष्णा की सहायक नदियाँ
राजधानी - मुंबई
जनसंख्या - 11.23 करोड़ (2011 की जनगणना)
8. गैबॉन और टोगो राष्ट्रमंडल देशों के समूह में शामिल हुए
Tags: Popular International News
रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे की अध्यक्षता में रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक में दो अफ्रीकी देशों टोगो और गैबॉन को क्रमशः 55 बें और 56 बें सदस्यों के रुप में राष्ट्रमंडल राष्ट्र में शामिल किया गया है I
रवांडा 2009 में राष्ट्रमंडल में शामिल होने बाला आखिरी देश था I
टोगो और गैबॉन ऐतिहासिक रूप से फ्रांसीसी उपनिवेश थे जो कभी ब्रिटिश उपनिवेश नहीं रहे I
नये सदस्य टोगो और गैबॉन
मध्य अफ्रीकी राष्ट्र गैबॉन के लिए औपचारिक राष्ट्रमंडल सदस्य प्रक्रिया 2017 में शुरू हुई थी जबकि पश्चिमी अफ़्रीकी राष्ट्र टोगो के किये प्रक्रिया 2014 में शुरू हुई थी I
गैबॉन , ईक्वीटोरियल गिनी, कैमरून और कांगो गणराज्य से घिरा हुआ है जो राष्ट्रमंडल सदस्य भी है I
टोगो की सीमा घाना, एक राष्ट्रमंडल सदस्य के साथ साथ बेनिन और बुर्किना फासो से घिरा हुआ है।
राष्ट्रमंडल के बारे में -
राष्ट्रमंडल, जिसे आम तौर पर कॉमनवेल्थ के रूप में जाना जाता है, पहले 54 और अब 56 सदस्य राज्यों का एक राजनीतिक संघ है I
यह मूल रूप से 1926 के शाही सम्मेलन में बाल्फोर घोषणा के माध्यम से राष्ट्रों के ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के रूप में बनाया गया था I
वर्तमान राष्ट्रमंडल राष्ट्र औपचारिक रूप से 1949 में लंदन घोषणा द्वारा गठित किया गया था I
राष्ट्रमंडल के प्रमुख वर्तमान में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय हैं I
महासचिव- पैट्रिशिया स्कॉटलैंड
मुख्यालय- लंदन
9. एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा
Tags: Popular National News
हाल ही में, केंद्र सरकार ने एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की एक सूची को तैयार किया है जिन्हें 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन सहित अधिसूचित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग प्रतिबंधित होगा।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 2021 में गजट अधिसूचना जारी की गई और प्रतिबंध की घोषणा की गई।
सिंगल यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक उन प्लास्टिक वस्तुओं को संदर्भित करता है जो एक बार उपयोग की जाती हैं और त्याग दी जाती हैं।
एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद जैसे- प्लास्टिक की थैलियाँ, स्ट्रॉ, कॉफी बैग, सोडा और पानी की बोतलें तथा अधिकांशतः खाद्य पैकेजिंग के लिये प्रयुक्त होने वाला प्लास्टिक।
सिंगल यूज प्लास्टिक का हिस्सा
मिंडेरू फाउंडेशन की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का वैश्विक उत्पादन में एक तिहाई हिस्सा होता है, जिसमें 98% जीवाश्म ईंधन से निर्मित होता है।
2019 में वैश्विक स्तर पर 130 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे में से अधिकांश के लिए सिंगल-यूज प्लास्टिक जिम्मेदार हैं, जिसमें से सभी को जला दिया जाता है, लैंडफिल किया जाता है या सीधे पर्यावरण में छोड़ दिया जाता है।
भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट जनरेशन
रिपोर्ट में पाया गया कि भारत एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन के शीर्ष 100 देशों में शामिल है - रैंक 94 (शीर्ष तीन सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और ओमान) है।
सालाना 11.8 मिलियन मीट्रिक टन के घरेलू उत्पादन और 2.9 MMT आयात के साथ, भारत का एकल उपयोग प्लास्टिक कचरे का शुद्ध उत्पादन 5.6 MMT और प्रति व्यक्ति उत्पादन 4 किलो है।
भारत में किन वस्तुओं पर प्रतिबंध रहेगा?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने ईयरबड्स, कैंडी, बैलून स्टिक और आइसक्रीम स्टिक जैसी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
प्लेट, गिलास, कप, चम्मच, चाकू, कांटे, ट्रे सहित कटलरी की वस्तुओं पर भी प्रतिबंध रहेगा।
इसने मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैक, 100 माइक्रोन से कम के पीवीसी बैनर के साथ-साथ सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन पर भी प्रतिबंध लगाने की सूचना दी है।
अतिरिक्त जानकारी -
प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने वाले देश
बांग्लादेश- बांग्लादेश वर्ष 2002 में पतले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बना।
न्यूज़ीलैंड- जुलाई 2019 में न्यूज़ीलैंड प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाला नवीनतम देश बन गया
चीन- चीन ने वर्ष 2020 में चरणबद्ध कार्यान्वयन के साथ प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध जारी किया
अमेरिका- अमेरिका में आठ राज्यों ने एकल प्रयोग प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसकी शुरुआत 2014 में कैलिफोर्निया से हुई थी।
10. भारत-नेपाल भारत गौरव पर्यटक ट्रेन
Tags: Popular National News
पहली भारत-नेपाल भारत गौरव पर्यटन ट्रेन को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया है।
यह पर्यटक ट्रेन पहली बार भारत और नेपाल को जोड़ेगी।
इस ट्रेन में 500 भारतीय पर्यटक सवार हैं।
भारत और नेपाल के बीच भारत गौरव पर्यटक ट्रेन देश भर के लोगों को देश के स्थापत्य, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का दर्शन कराने का अवसर प्रदान करेगी।
इस ट्रेन की पहली यात्रा (रामायण सर्किट) में अयोध्या, नंदीग्राम, वाराणसी, सीतामढ़ी, चित्रकूट, प्रयागराज, हम्पी, पंचवटी (नासिक), रामेश्वरम् और भद्राचलम् जैसे अन्य लोकप्रिय स्थलों के अलावा जनकपुर (नेपाल में) के धार्मिक गंतव्य को भी कवर किया जायेगा।
भारत गौरव ट्रेनें भारत की समृद्ध आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को अपने लोगों को दिखाने का एक प्रयास है।
इस अनोखे विचार की परिकल्पना रेल मंत्रालय ने की थी।
यह ट्रेन 18 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद वापस दिल्ली लौटेगी।
यह पूरे रामायण दौरे में करीब 8000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
भारत गौरव ट्रेन की थीम 'देखो अपना देश' रखी गई है I
आईआरसीटीसी (IRCTC) ने इस 18 दिनों की यात्रा के लिए रु 62370/- प्रति व्यक्ति का शुल्क निर्धारित किया है I
भारत गौरव योजना के बारे में
नवंबर 2021 में, भारतीय रेलवे ने भारत गौरव ट्रेनें शुरू कीं जो निजी संचालकों द्वारा संचालित की जाएंगी और थीम-आधारित सर्किट पर चलेंगी।
इस योजना के माध्यम से ऑपरेटरों के पास रेलवे रेक और बुनियादी ढांचे का "उपयोग का अधिकार" है।
इस योजना के तहत, निजी प्लेयर और टूर ऑपरेटर रेलवे से लीज पर ट्रेनें खरीद सकते हैं और उन्हें अपनी पसंद के किसी भी सर्किट पर संचालित कर सकते हैं और किराए, मार्ग और सेवाओं की गुणवत्ता तय कर सकते हैं।
अब तक, रेलवे यात्री खंड और माल खंड का संचालन करता था लेकिन अब इसमें इस योजना के अंतर्गत पर्यटन खंड भी जुड़ गया है।
इस योजना को ओडिशा, राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित कई राज्य सरकारों और हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा के बाद विकसित किया गया है।
"भारत गौरव" योजना के तहत एक निजी ऑपरेटर द्वारा कोयंबटूर (तमिलनाडु) और शिरडी (महाराष्ट्र) के बीच संचालित होने वाली पहली ट्रेन को 14 जून को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया था I