1. पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी पुरस्कार जीता
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शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने 4 अक्टूबर को पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल को सीरिया में शरणार्थी संकट के दौरान उनके 'नैतिक और राजनीतिक साहस' के लिए वर्ष 2022 के यूएनएचसीआर 'नानसेन' शरणार्थी पुरस्कार से सम्मानित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
पुरस्कार चयन समिति ने कहा कि उन्हें उनके नेतृत्व, साहस और करुणा के लिए चुना गया है, जिससे शरण की तलाश कर रहे लाखों हताश लोगों का संरक्षण सुनिश्चित करने में मदद मिली।
मर्केल को जिनेवा में 10 अक्टूबर को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
शरणार्थी संरक्षण के लिए मर्केल द्वारा किए गए प्रयास
पूर्व जर्मन चांसलर ऐंगेला मर्केल के नेतृत्व में जर्मनी ने वर्ष 2015 और 2016 में 12 लाख से अधिक शरणार्थियों व शरण की तलाश कर रहे लोगों को शरण दी।
ये शरणार्थी सीरिया समेत अन्य स्थानों पर हिंसक संघर्ष से जान बचाने के लिए जर्मनी पहुँचे थे।
यूएन शरणार्थी एजेंसी के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने शरणार्थियों की रक्षा, मानवाधिकारों व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के समर्थन में खड़े होने के लिये पूर्व चांसलर के संकल्प की सराहना की।
UNHCR नानसेन रिफ्यूजी अवार्ड के बारे में
यह पुरस्कार 1954 में स्थापित किया गया था।
यह पुरस्कार हर वर्ष नॉर्वे के वैज्ञानिक, राजनयिक और मानव कल्याण कार्यों के लिये समर्पित फ़्रिडजोफ़ नेनसन की स्मृति में दिया जाता है।
इस पुरस्कार से एक ऐसे व्यक्ति, समूह या संगठन को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने शरणार्थियों, विस्थापितों और देशाविहीन लोगों की रक्षा के प्रयास किए हैं।
2. एनपीसीआई ओमान में रुपे डेबिट कार्ड शुरू करेगा
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ओमान दुनिया का नवीनतम देश बन गया है जहां भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) अपना रुपे(RuPay) डेबिट कार्ड लॉन्च करेगा।डिजिटल भुगतान प्रणालियों में सहयोग के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ ओमान (सीबीओ) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के बीच 4 अक्टूबर 2022 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन की ओमान यात्रा के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। वह दो दिवसीय (3-4 अक्टूबर) ओमान की यात्रा पर थे।
ओमान की यह उनकी दूसरी यात्रा थी और उन्होंने ओमान के विदेश मंत्री सैय्यद बद्र बिन हमद बिन हमद अलबुसैदी से मुलाकात की।
रुपे कार्ड
रुपे , वीज़ा या मास्टरकार्ड की तरह एक भारतीय भुगतान गेटवे है और इसका विस्तार भारत के पड़ोसी देशों या विशाल भारतीय प्रवासी वाले देशों में किया जा रहा है।
रुपे कार्ड को आधिकारिक तौर पर भारत में जनता के लिए 8 मई 2014 को लॉन्च किया गया था
विदेश में इसे पहली बार, मई 2018 में, सिंगापुर में शुरू किया गया था, इसके बाद भूटान और मालदीव में इसे शुरू किया था।
पश्चिम एशिया में यूएई खाड़ी का पहला देश था जहां पीएम मोदी की अगस्त 2019 की यात्रा के दौरान रुपे को शुरू किया गया था।
संबंधित देशों में इसके प्रक्षेपण के लिए सऊदी अरब, बहरीन, फ्रांस और नेपाल के साथ भी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई):
- एनपीसीआई, भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन हेतु एक अम्ब्रेला संगठन है, जिसे ‘आरबीआई’ और ‘भारतीय बैंक संघ’ (आईबीए) द्वारा ‘भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007’ के तहत शुरू किया गया है।
- यह कंपनी अधिनियम 1956(2013 में संशोधित ) के प्रावधानों के तहत स्थापित एक ‘गैर-लाभकारी’ कंपनी है, जिसका उद्देश्य भारत में संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली को भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान हेतु बुनियादी ढाँचा प्रदान करना है।
3. भारतीय अमेरिकी विवेक लाल को अमेरिका में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
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भारतीय मूल के जनरल एटॉमिक्स के सीईओ विवेक लाल को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 'विद ग्रेटफुल रिकॉग्निशन' के प्रशस्ति पत्र के साथ लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह पुरस्कार उन्हें AmeriCorps और राष्ट्रपति के कार्यालय द्वारा दिया गया है।
AmeriCorps अमेरिकी सरकार के एक हिस्से के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देना है जो अमेरिकियों को "समुदायों की सेवा करने" के लिए प्रेरित करती है।
भारतीय मूल के अमेरिकी विवेक लाल वर्तमान में जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है।
लाल का जन्म 05 मार्च 1969 में जकार्ता, इण्डोनेशिया में हुआ था।
लाल ने कंसास के विचिटा स्टेट यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की है।
वह रिलायंस न्यू वेंचर्स रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सीईओ और अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
4. एलेन एस्पेक्ट, जॉन क्लॉसर, एंटन ज़िलिंगर को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार 2022 के लिए चुना गया
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रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस ने 4 अक्टूबर 2022 को भौतिकी में 2022 के नोबेल पुरस्कारके विजेताओं की घोषणा की है।
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस ने 4 अक्टूबर 2022 को भौतिकी में 2022 के नोबेल पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की है। तीन वैज्ञानिकों; फ्रांस के एलेन एस्पेक्ट, अमेरिका के जॉन क्लॉसर और ऑस्ट्रिया के एंटोन ज़िलिंगर को क्वांटम भौतिकी में उनके काम के लिए सम्मानित किया गया।
अकादमी के अनुसार पुरस्कार उनके "उलझे हुए फोटॉन के साथ प्रयोग, और अग्रणी क्वांटम सूचना विज्ञान" के काम के लिए दिए गए हैं ।
क्वांटम भौतिकी विज्ञान का एक क्षेत्र है जिसका उद्देश्य सबसे मौलिक स्तर पर पदार्थ और ऊर्जा का अध्ययन करना है। तीन विजेताओं में से प्रत्येक ने उलझी हुई क्वांटम अवस्थाओं का उपयोग करते हुए अभूतपूर्व प्रयोग किए, जहाँ दो कण अलग होने पर भी एक इकाई की तरह व्यवहार करते हैं।
अकादमी ने कहा कि उनके काम के परिणामस्वरूप, "क्वांटम कंप्यूटर बनाने, माप में सुधार, क्वांटम नेटवर्क बनाने और सुरक्षित क्वांटम एन्क्रिप्टेड संचार स्थापित करने के लिए व्यक्तिगत कण प्रणालियों के विशेष गुणों का उपयोग करने के लिए विकासकार्य चल रहा है ।"
3 अक्टूबर 2022 को, स्वीडन के स्वंते पाबो को चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार के लिया चुना गया था ।
नोबेल पुरस्कार 10 दिसंबर 2022 को स्टॉकहोम, स्वीडन में प्रदान किया जाएगा।
भारत से नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची -
- रवींद्रनाथ टैगोर (1913) - साहित्य,नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले एशियाई।
- सीवी रमन (1930) - भौतिकी
- हर गोबिंद खुराना (1968) – चिकित्सा, वह एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक थे।
- मदर टेरेसा (1979) - शांति
- सुब्रमण्यन चंद्रशेखर (1983) – भौतिकी, वह एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक थे।
- अमर्त्य सेन (1998) - अर्थशास्त्र
- वेंकटरमण रामकृष्णन (2009) - रसायन विज्ञान, वह एक भारतीय मूल के ब्रिटिश और अमेरिकी नागरिक हैं।
- कैलाश सत्यार्थी (2014) - शांति
- अभिजीत बनर्जी (2019) – अर्थशास्त्र, वह एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं ।
5. फ्रांस में भारतीय राजदूत जावेद अशरफ पेरिस इंफ्रा वीक में शामिल हुए
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फ्रांस में भारतीय राजदूत जावेद अशरफ 3 अक्टूबर को पेरिस इंफ्रा वीक के उद्घाटन में शामिल हुए।
महत्वपूर्ण तथ्य
इस आयोजन में, उन्होंने भारत के बुनियादी ढांचे, डिजिटलीकरण, लोजिस्टिक सपोर्ट ग्रोथ, समावेश, स्थिरता, संप्रभुता, रणनीतिक स्वायत्तता और लचीलापन पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
भारत-फ्रांस संबंध
भारत और फ्रांस के बीच हमेशा पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं।
1998 में, दोनों देशों ने एक रणनीतिक साझेदारी में प्रवेश किया, जो घनिष्ठ और बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों के अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उनके विचारों के अभिसरण का प्रतीक है।
भारत में रक्षा, आईटीईएस, परामर्श, इंजीनियरिंग सेवाओं, भारी उद्योग आदि जैसे विविध क्षेत्रों में 1000 से अधिक फ्रांसीसी व्यवसाय हैं।
2 अप्रैल 2000 से दिसंबर 2020 तक 9 बिलियन अमरीकी डालर के संचयी एफडीआई स्टॉक के साथ फ्रांस भारत में 7वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जो भारत में कुल एफडीआई प्रवाह का 2 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत में COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान, फ्रांस ने एक विशाल एकजुटता मिशन के साथ भारत का समर्थन किया।
मिशन को IFCCI और टीम फ्रांस के नेतृत्व में भारत में फ्रांस के दूतावास द्वारा कार्यान्वित किया गया था।
इस मिशन के दौरान, देश भर के भारतीय अस्पतालों में 29 अत्याधुनिक फ्रांसीसी-निर्मित ऑक्सीजन-उत्पादक संयंत्रों की स्थापना की गई और 55 फ्रांसीसी और भारतीय समूहों से 55 करोड़ (6.1 मिलियन यूरो) जुटाए गए।
फ्रांस के बारे में
प्रधान मंत्री - एलिजाबेथ बोर्न
राजधानी - पेरिस
राष्ट्रपति - इमैनुएल मैक्रोन
मुद्रा - यूरो
राजभाषा - फ्रेंच
आधिकारिक नाम - फ्रेंच गणराज्य
6. विदेश मंत्री एस जयशंकर 5 अक्टूबर से न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे
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विदेश मंत्री एस जयशंकर 5-11 अक्टूबर 2022 तक न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की आधिकारिक यात्रा पर होंगे। विदेश मंत्री के रूप में यह उनकी पहली न्यूजीलैंड का दौरा होगा , जबकि वे इस साल समय दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे।
न्यूजीलैंड का दौरा
विदेश मंत्रालय के अनुसार एस जयशंकर न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री नानाया महूता से मुलाकात करेंगे और भारत और न्यूजीलैंड के बीच संबंधों पर चर्चा करेंगे।
6 अक्टूबर को वह भारतीय समुदाय के सदस्यों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों और योगदान के लिए सम्मानित करने के लिए न्यूजीलैंड की प्रधान मंत्री जैसिंडा अर्डर्न के साथ शामिल होंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार ""दोनों नेता न्यूजीलैंड में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने और प्रदर्शित करने के लिए भारत@75 डाक टिकट जारी करेंगे,"
इस अवसर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सिख समुदाय के साथ विशेष बंधन पर प्रकाश डालने वाली पुस्तक 'हार्टफेल्ट - द लिगेसी ऑफ फेथ' का भी विमोचन किया जाएगा। जयशंकर 'मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी' पुस्तक का भी विमोचन करेंगे।
वह न्यूजीलैंड के कई अन्य नेताओं जैसे प्रियंका राधाकृष्णन, सामुदायिक और स्वैच्छिक क्षेत्र, विविधता, समावेश और जातीय समुदाय और युवा मंत्री के साथ भी मुलाकात करेंगे।
प्रियंका राधाकृष्णन, न्यूजीलैंड में मंत्री बनने वाली भारतीय मूल की पहली व्यक्ति हैं।
ऑस्ट्रेलियाई दौरा
अपनी ऑस्ट्रेलियाई यात्रा के दौरान वह अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ 13वीं विदेश मंत्रियों की रूपरेखा वार्ता करेंगे।
उनका उप प्रधान मंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के अधिकारियों से भी मिलने का कार्यक्रम है।
7. केतनजी ब्राउन जैक्सन को संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की पहली अश्वेत महिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया
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केतनजी ब्राउन जैक्सन को संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की पहली अश्वेत महिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है।। जैक्सन संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली छठी महिला हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय
- संयुक्त राज्य अमेरिका में दो सर्वोच्च न्यायालय हैं। अमेरिका में प्रत्येक राज्य का अपना सर्वोच्च न्यायालय होता है जो संबंधित राज्य के संविधान की व्याख्या करता है।
- एक संघीय सर्वोच्च न्यायालय है जिसे यूएस सर्वोच्च न्यायालय के रूप में भी जाना जाता है और जो सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान की व्याख्या करता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी 50 राज्यों का अपना एक संविधान है और संघीय सरकार (संयुक्त राज्य सरकार) का अपना एक संविधान है।
- इसकी स्थापना 1789 में हुई थी।
- इसमें एक मुख्य न्यायाधीश और आठ अन्य न्यायाधीश हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जीवन भर के लिए होते हैं। अर्थात उनकी कोई सेवानिवृत्ति की आयु नहीं है (भारत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद सेवानिवृत्त होते हैं)।
- संयुक्त राज्य के सर्वोच्च न्यायालय की अपनी एक पुलिस है जो अपने निर्णय को लागू करती है (भारत में सर्वोच्च न्यायालय में कोई अलग पुलिस बल नहीं है)।
- यह वाशिंगटन डी.सी में स्थित है।
8. आदिमानव का जीनोम खोजने वाले वैज्ञानिक स्वंते पाबो कोमेडिसिन का नोबेल पुरस्कार
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स्वीडिश आनुवंशिकीविद् स्वंते पाबो ने 3 अक्टूबर 2022 को ,उन खोजों के लिए फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 2022 का नोबेल पुरस्कार जीता, जो हमें यह समझने में मदद करती हैं कि आधुनिक मानव विलुप्त पूर्वजों से कैसे विकसित हुआ।
नोबेल समिति के अनुसार, स्वंते पाबो ने "विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित खोजों" के लिए यह पुरस्कार जीता है ।
स्वंते पाबो वर्तमान में जर्मनी के लीपज़िग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी में निदेशक हैं।
स्वंते पाबो स्वीडिश बायोकेमिस्ट कार्ल सुने डेटलोफ बर्गस्ट्रॉम के बेटे हैं, जिन्होंने 1982 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार जीता था।
उनका अग्रणी कार्य
उन्होंने साइबेरिया में खोजी गई उंगली की हड्डी के 40,000 साल पुराने टुकड़े से डेनिसोवन्स नामक एक नई मानव प्रजाति की खोज की।
इंसान की निएंडरथाल नाम की विलुप्त हो चुकी प्रजाति के जीनोम की खोज के दौरान उन्होंने एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली जिससे किसी भी जीवाश्म के जीनोम तक पहुंचा जा सकता है।
डॉ. पेबो ने ऐसी तकनीक विकसित की जिससे जीवाश्म के रूप में मिलने वाली छोटी सी हड्डियों से भी जीनोम निकाला जा सकता है।
डॉ. पेबो की 40 साल से ज्यादा लंबी मेहनत ने ऐसी तकनीक खोजी, जिससे लाखों साल पुराने जीनोम का सटीक विश्लेषण किया जा सकता है. इस तकनीक के जरिए डीएनए से, बैक्टीरिया, फंगस, धूल, मौसमी बदलावों और बाहरी रासायनिक परिवर्तन जैसे फैक्टरों को साफ किया जाता है। बीते 20 साल में यह तकनीक इतनी आगे जा चुकी है कि अब एक साथ लाखों डीएनए का विश्लेषण किया जा सकता है.
जीनोम क्या है
जीनोम ,किसी कोशिका के भीतर जींस की जानकारी वाले सेट होते हैं। जीनोम के भीतर डीएनए में उस जीव की पूरी अनुवांशिक जानकारी रहती है।जीनोम कही जाने वाली ये इंफॉर्मेशन डीएनए मॉलिक्यूल्स से बनी होती हैऔर जब कभी कोशिका विभाजित या कॉपी होती है तो ये सूचना भी साथ में कॉपी होती है।
नोबेल पुरुस्कार
नोबेल पुरस्कार, जिसे दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है, स्वीडिश डायनामाइट के आविष्कारक और धनी व्यापारी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में बनाया गया था।
विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए पुरस्कार 1901 से दिए जाते रहे हैं और अर्थशास्त्र पुरस्कार पहली बार 1969 में दिया गया था।
पुरस्कारों में 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग $900,000) का नकद पुरस्कार होता है और यह 10 दिसंबर 2022 को दिया जाएगा। 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि है।।
9. बुर्किना फासो तख्तापलट : अपदस्थ सैन्य नेता दामिबा ने 'इस्तीफा' दिया
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पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में एक बार फिर सैन्य तख्तापलट हुआ है। अपदस्थ सैन्य नेता दामिबा ने 2 अक्टूबर को 'इस्तीफा' दे दिया। बुर्किना फासो में एक नए सैन्य अधिग्रहण की घोषणा की गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य
पॉल-हेनरी सांडोगो दामिबा ने "गंभीर मानवीय और भौतिक परिणामों के साथ टकराव से बचने के लिए" अपने इस्तीफे की पेशकश की।
देश में नौ महीने पहले ही सैन्य तख्तापलट के जरिये राष्ट्रपति को पद से हटा दिया गया था।
29 सितंबर को सरकारी टेलीविजन पर सेना के एक अधिकारी ने वर्तमान सरकार को भंग करने और जुंटा नेता, राष्ट्रपति लेफ्टिनेंट-कर्नल पॉल हेनरी डमिबा के बर्खास्तगी की घोषणा की।
सेना के कप्तान इब्राहिम त्रोरे अब देश के सत्तारूढ़ जुंटा, पैट्रियटिक मूवमेंट फॉर सेफगार्ड एंड रिस्टोरेशन के अध्यक्ष के रूप में बागडोर संभालेंगे।
बुर्किना फासो के बारे में
बुर्किना फासो पश्चिम अफ्रीका में एक भू-आबद्ध देश है।
इसकी सीमा उत्तर-पश्चिम में माली, उत्तर-पूर्व में नाइजर, दक्षिण-पूर्व में बेनिन, दक्षिण में टोगो और घाना और दक्षिण-पश्चिम में आइवरी कोस्ट से लगती है।
इसे पहले रिपब्लिक ऑफ अपर वोल्टा कहा जाता था।
राजधानी - औगाडौगौ
सरकार का स्वरूप - सैन्य शासन
राजभाषा - फ्रेंच
मुद्रा - फ़्रैंक
10. नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन रिसाव
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स्वीडन के तट रक्षक बल ने 29 सितंबर को कहा कि उसे नॉर्ड स्ट्रीम के दो क्षतिग्रस्त पाइपलाइनों में चौथी बार रिसाव होने का पता चला है।
महत्वपूर्ण तथ्य
ये रिसाव महत्वपूर्ण नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन (नॉर्ड स्ट्रीम 1 और नॉर्ड स्ट्रीम 2) में हो रहा है।
ये पाइपलाइन रूस से बाल्टिक सागर होते हुए जर्मनी तक प्राकृतिक गैस पहुंचाती हैं।
इस सप्ताह की शुरुआत में डेनमार्क के पास दो अन्य रिसाव पाए गए थे।
डेनमार्क की सेना ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि उसने बॉर्नहोम द्वीप के पास समुद्र की सतह पर गैस के बुलबुले देखे हैं।
लीकेज के समय दोनों से ही यूरोप को गैस की सप्लाई नहीं हो रही थी। टूटी हुई पाइपलाइनों से मीथेन के रिसाव ने पर्यावरणविदों को भी गंभीर चिंता में डाल दिया है।
जर्मनी रूस का सबसे बड़ा यूरोपीय गैस उपभोक्ता है, और इसका अधिकांश भाग नॉर्ड स्ट्रीम के माध्यम से आता है।
नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन
नॉर्ड स्ट्रीम में दो पाइपलाइन हैं, जिनमें से प्रत्येक में दो लाइनें हैं।
नॉर्ड स्ट्रीम 1
यह 2011 में पूरा हुआ था। यह उत्तर पश्चिमी रूस में वायबोर्ग से बाल्टिक सागर के रास्ते उत्तरपूर्वी जर्मनी में लुबमिन तक जाती है।
नॉर्ड स्ट्रीम 2
2015 में, रूसी ऊर्जा प्रमुख गज़प्रोम और पांच अन्य यूरोपीय फर्मों ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 बनाने का फैसला किया।
यह रूस में उस्त-लुगा से बाल्टिक सागर के माध्यम से जर्मनी में ग्रिफ़्सवाल्ड तक चलता है और सितंबर 2021 में पूरा हुआ था।
इसमें प्रति वर्ष 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस होगी।
नॉर्ड स्ट्रीम 1 और 2 मिलकर प्रति वर्ष जर्मनी को कुल 110 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की आपूर्ति करेंगे।
पाइपलाइन यूरोपीय संघ के सदस्यों जर्मनी और डेनमार्क के क्षेत्र में आती है।
दिसंबर 2019 में, अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकी के कारण परियोजना पर काम निलंबित कर दिया गया था।
जनवरी 2021 में, अमेरिका ने परियोजना के लिए पाइप बिछाने का काम करने वाले एक रूसी जहाज पर प्रतिबंध लगा दिया।
नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पर अमेरिका और जर्मनी के बीच एक समझौता हुआ।
शीर्ष 5 प्राकृतिक गैस उत्पादक देश
संयुक्त राज्य अमेरिका - 914.6 बिलियन क्यूबिक मीटर
रूस - 638.5 बिलियन क्यूबिक मीटर
ईरान - 250.8 बिलियन क्यूबिक मीटर
चीन - 194 बिलियन क्यूबिक मीटर
कतर 171.3 बिलियन क्यूबिक मीटर
सबसे अधिक प्राकृतिक गैस की खपत करने वाले शीर्ष 5 देश
संयुक्त राज्य अमेरिका
रूस
चीन
ईरान
कनाडा
सबसे बड़े प्राकृतिक गैस भंडार वाले शीर्ष 5 देश
रूस
ईरान
कतर
तुर्कमेनिस्तान
संयुक्त राज्य अमेरिका