1. सरकार ने जम्मू में आतंकवाद से लड़ने के लिए ग्राम रक्षा गार्ड योजना शुरू की
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जम्मू-कश्मीर सरकार ने "सीमा पार से प्रेरित और समर्थित आतंकवादी कृत्यों की घटनाओं को रोकने और केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा ग्रिड को बढ़ावा देने के लिए" ग्राम रक्षा गार्ड योजना (VDGS)-2022 के निर्माण को मंजूरी दी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह योजना 15 अगस्त, 2022 से प्रभावी हो गई है और इसका संभावित सकारात्मक प्रभाव होगा।
इस योजना का उद्देश्य गांवों की सुरक्षा के लिए आत्मरक्षा की भावना पैदा करने के लिए सीमा से लगे गांवों में स्वयंसेवी सशस्त्र नागरिकों के एक छोटे समूह को संगठित करना है।
प्रत्येक समूह में अधिकतम 15 व्यक्तियों को "ग्राम रक्षा गार्ड" (वीडीजी) के रूप में नामित किया जाएगा।
प्रत्येक समूह को "ग्राम रक्षा समूह" के रूप में जाना जाएगा और इसका नेतृत्व सेना, सीपीएमएफ, या जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सेवानिवृत्त अधिकारी द्वारा किया जाएगा।
जम्मू और कश्मीर
जम्मू और कश्मीर 5 अगस्त 2019 तक भारत का एक राज्य था जिसे अगस्त 2019 में द्विभाजित कर जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया।
राजधानी- श्रीनगर (मई–अक्टूबर) ,जम्मू (नवम्बर-अप्रैल)
उपराज्यपाल - मनोज सिन्हा
विधान परिषद - 36 सीटे
विधानसभा - 89 सीटें
2. पंजाब में 10 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध
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पंजाब सरकार ने 13 जुलाई को बासमती चावल की विरासत को बचाने के लिए कुछ दिनों के लिए 10 तरह के कीटनाशकों के उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इन कीटनाशकों पर बैन लगाने से पहले कृषि एसोसिएशन ने बासमती की अच्छी उपज को बचाने के लिए अन्य देशों में बासमती निर्यात को लेकर इन कृषि रसायनों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था।
इस प्रतिबन्ध से किसानों को बासमती की सही पैदावार प्राप्त हो सकती है और आने वाले समय में वह इससे अधिक लाभ कमा सकते हैं।
यह प्रतिबंध 12 अगस्त 2022 से शुरू होकर 60 दिनों के लिए लगाया गया है।
प्रतिबंधित किए गए 10 कीटनाशकों के नाम
एसेफेट, बुप्रोफेज़िन, क्लोरोपायरीफॉस, मेथामिडोफोस, प्रोपिकोनाज़ोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, आइसोप्रोथियोलेन, कार्बेन्डाजिम और ट्राईसाइक्लाज़ोल
कीटनाशकों को क्यों बैन किया गया?
राज्य में बासमती चावल के निर्यात और खपत पर बाधा को देखते हुए सरकार ने इन कीटनाशकों पर बैन लगाया है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना ने राज्य में बासमती चावल में कीटों को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक कृषि रसायनों की सिफारिश की है. ताकि आने वाले समय में किसानों को बासमती की अच्छी पैदावार प्राप्त हो सके।
कीटनाशकों के प्रतिबंध से अच्छी गुणवत्ता के बासमती चावल का उत्पादन किया जा सकता है।
3. झारखंड जनजातीय महोत्सव
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विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में 9 व 10 अगस्त 2022 को 'झारखंड जनजातीय महोत्सव' का आयोजन किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
राज्यसभा सदस्य और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने 9 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में महोत्सव का उद्घाटन किया।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 10 अगस्त को कार्यक्रम के समापन समारोह में शिरकत करेंगे।
दो दिवसीय महोत्सव के दौरान आदिवासी कला, संस्कृति, परंपरा और साहित्य से संबंधित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी।
इस आयोजन में खेल, पैनल चर्चा, सेमिनार, प्रदर्शनियां और आदिवासी फैशन शो आयोजित किए जाते हैं।
महोत्सव में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, सिक्किम और उत्तर पूर्व के कलाकारों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी सभ्यता और संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर ले जाना है।
झारखंड के अन्य महोत्सव
सरहुल - यह वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाता है जब साल के पेड़ों की शाखाओं पर नए फूल लगते हैं।
इसमें ग्राम देवता की पूजा की जाती है जिन्हें जनजातियों का रक्षक माना जाता है।
करम / कर्म - यह शक्ति और यौवन के देवता करम देवता की पूजा है। यह भाद्र मास में चंद्रमा की 11 तारीख को आयोजित किया जाता है। युवा ग्रामीणों के समूह जंगल में जाते हैं और लकड़ी, फल और फूल इकट्ठा करते हैं जो पूजा के काम आता है।
तुसु परब या मकर - यह त्यौहार ज्यादातर जाहरखंड के बुंदू, तामार और रैडीह क्षेत्र के बीच के क्षेत्र में होता है। यह पूस माह के अंतिम दिन सर्दियों के दौरान आयोजित होने वाला फसल उत्सव है।
रोहिणी - यह शायद झारखंड का पहला त्योहार है। यह खेत में बीज बोने का त्योहार है। रोहिणी के साथ कुछ अन्य त्यौहार जैसे राजसावाला अम्बावती और चितगोम्हा भी मनाए जाते हैं।
भगत परब - यह वसंत और गर्मियों की अवधि के बीच आता है। इसे बुद्ध बाबा की पूजा के रूप में जाना जाता है।
सोहराई - यह गाय और भैंस जैसे घरेलू पशुओं की देखभाल के लिए जाना जाता है। यह दीपावली के तुरंत बाद, अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
4. जद (यू) नेता नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली
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जद (यू) नेता नीतीश कुमार ने 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप मेंऔर राजद नेता तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री के रूप में 10 अगस्त को पद की शपथ ली।
महत्वपूर्ण तथ्य
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात कर एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा सौंपा।
नीतीश कुमार ने 9 अगस्त को राज्यपाल फागू चौहान से दुबारा मुलाकात की और राज्य में नई सरकार बनाने का दावा पेश किया.
नीतीश कुमार ने उनका समर्थन करने वाले सात दलों के 164 विधायकों की सूची भी राज्यपाल को सौंपी. इनमें राजद, कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, वामपंथी दल और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
नितीश कुमार को सर्वसम्मति से इन दलों की एक संयुक्त बैठक में नेता के रूप में चुना गया।
यह बैठक जद (यू) द्वारा भाजपा के नेतृत्व में राजग से नाता तोड़ने के बाद हुई।
नीतीश कुमार का प्रारंभिक जीवन
उनका जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में हुआ था।
वह बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (वर्तमान एनआईटी पटना) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं।
राजनीति में आने से पहले वे बिहार राज्य विद्युत बोर्ड से जुड़े थे।
नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर
1974 से 1977 के दौरान, उन्होंने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में भाग लिया और सत्येंद्र नारायण सिन्हा के नेतृत्व वाली जनता पार्टी में शामिल हो गए।
1989 में, नितीश कुमार ने जनता दल का समर्थन किया और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में लालू प्रसाद यादव का समर्थन किया।
1994 में, उन्होंने जॉर्ज फर्नांडीस के साथ एक नया दल समता पार्टी बनाई।
1996 में भाजपा से हाथ मिलाने के बाद वे अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट में मंत्री बने।
मार्च 2000 में, नीतीश सात दिनों के लिए राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
2003 में, समता पार्टी का शरद यादव के जनता दल में विलय हो गया।
उसी वर्ष, जनता दल (यूनाइटेड) का गठन किया गया।
2010 में, नीतीश की पार्टी भाजपा के साथ सहयोगी के रूप में सत्ता में आई और नितीश फिर से मुख्यमंत्री बने।
2013 में, जदयू नेता नितीश ने 17 साल बाद भाजपा के साथ अपनी पार्टी का गठबंधन तोड़ लिया।
एक साल के भीतर, नितीश राजद और कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में फिर से वापस आ गए।
2020 में, नितीश कुमार ने भाजपा के समर्थन से सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
नितीश कुमार ने पुनः भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ अपना गठबंधन समाप्त कर दिया और राजद के साथ फिर से हाथ मिला लिया।
उन्होंने कुछ समय के लिए केंद्रीय रेल मंत्री, भूतल परिवहन मंत्री और कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया।
5. पीएम मोदी ने हरियाणा के पानीपत में दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल प्लांट को राष्ट्र को समर्पित किया
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को हरियाणा के पानीपत में दूसरी पीढ़ी (2 जी) इथेनॉल संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह देश में जैव ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा वर्षों से उठाए गए कदमों की एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है।
यह ऊर्जा क्षेत्र को अधिक किफायती, सुलभ, कुशल और टिकाऊ बनाने के लिए प्रधान मंत्री के प्रयासों के अनुरूप है।
संयंत्र के बारे में
इसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) द्वारा 900 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत से बनाया गया है।
यह पानीपत रिफाइनरी के करीब स्थित है।
यह परियोजना सालाना लगभग तीन करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पन्न करने के लिए सालाना लगभग दो लाख टन चावल के भूसे (पराली) का उपयोग करेगी।
कृषि-फसल अवशेषों के बेहतर इस्तेमाल के लिए किसानों को सशक्त बनाया जाएगा और उनके लिए अतिरिक्त आय सृजन का अवसर प्रदान किया जाएगा।
परियोजना में शून्य तरल निर्वहन होगा।
चावल के भूसे (पराली) को जलाने में कमी आने से प्रति वर्ष लगभग 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी और ग्रीनहाउस गैसों में कमी आएगी।
इथेनॉल के बारे में
एथेनॉल एक प्रकार का एल्कोहल है, इसे एथिल एल्कोहल भी कहते हैं।
इसे पेट्रोल में मिलाकर वाहनों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
गन्ने के बाद अब केंद्र सरकार चावल से एथेनॉल तैयार करने पर ध्यान दे रही है।
एथेनॉल का उत्पादन कर किसान अच्छा मुनाफा कमाकर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं।
इथेनॉल मुख्य रूप से गन्ने की फसल से उत्पन्न होता है, लेकिन इसे विभिन्न प्रकार की चीनी फसलों से भी तैयार किया जा सकता है।
भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी)
इस कार्यक्रम के तहत खुदरा दुकानों को 5 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति की जाएगी।
इसका उद्देश्य 9 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में 5 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल को लोकप्रिय बनाना है।
इसका उद्देश्य कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना और किसानों की आय को बढ़ाना है।
6. चंदौली, यूपी में सब्जियों के लिए भारत-इजरायल उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन
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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 8 अगस्त को उत्तर प्रदेश के 'चावल का कटोरा' कहे जाने वाले चंदौली जिले में सब्जियों के लिए एक इंडो-इज़राइल 'उत्कृष्टता केंद्र' की आधारशिला रखी।
महत्वपूर्ण तथ्य
इजराइल की मदद से अब चंद्रौली में सब्जियों की खेती आधुनिक तरीके से की जाएगी।
इस केंद्र से न सिर्फ चंदौली बल्कि मिर्जापुर, गाजीपुर और बनारस समेत आसपास के कई जिलों को फायदा होगा.
इस केंद्र के माध्यम से किसानों को सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने में काफी लाभ मिलेगा।
इसके माध्यम से खेती के नवीनतम तरीकों का उपयोग करके किसान बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकेंगे।
यहाँ विश्व स्तर पर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सब्जियों सहित अन्य कृषि उत्पादों की नर्सरी तैयार की जाएगी।
सरकार की मंशा है कि धान और गेहूं के उत्पादन में अग्रणी इस जिले को सब्जी उत्पादन में भी बेहतर बनाया जाय.
किसानों को मिलेगा उन्नत बीज
ये उत्कृष्टता केंद्र बागवानी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों के लिए प्रदर्शन और प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं।
ये केंद्र संरक्षित खेती के लिए फल और सब्जियां लगाने के लिए रोपण सामग्री के स्रोत के रूप में भी काम करते हैं।
यहां उन्नत सब्जियों के बीज व पौधे तैयार कर किसानों को वितरित किए जाएंगे।
सूक्ष्म सिंचाई पर ध्यान
खुले मैदान में टमाटर, काली मिर्च, बैगन, मिर्च, खीरा, बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न और विदेशी सब्जियों की खेती भी प्रस्तावित है.
यहाँ पर सीपेज और स्प्रिंकलर सिंचाई का भी प्रदर्शन होगा।
7. मणिपुर विधानसभा ने जनसंख्या आयोग के गठन के प्रस्ताव को पारित किया
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मणिपुर विधानसभा ने 5 अगस्त को नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) को लागू करने और एक राज्य जनसंख्या आयोग (SPC) स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
राज्य विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन जद (यू) के विधायक जयकिशन द्वारा प्रस्ताव पेश किए गए।
उन्होंने दावा किया कि राज्य के पर्वतीय इलाकों में 1971 से 2001 के बीच जनसंख्या में 153.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2002 से 2011 के दौरान यह दर बढ़कर 250.9 प्रतिशत पर पहुंच गई।
उन्होंने कहा कि घाटी के क्षेत्रों में भी 1971 से 2001 तक 94.8 प्रतिशत और 2001 से 2011 तक लगभग 125 प्रतिशत की जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) क्या है?
एनआरसी वह रजिस्टर है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों का विवरण शामिल है। इसे वर्ष 1951 की जनगणना के पश्चात् तैयार किया गया था।
रजिस्टर में उस जनगणना के दौरान गणना किये गए सभी व्यक्तियों के विवरण शामिल थे।
भारत में अब तक एनआरसी केवल असम में लागू की गई है, जिसमें केवल उन भारतीयों के नाम को शामिल किया गया है जो कि 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं।
एनआरसी उन्हीं राज्यों में लागू की जाती है जहाँ से अन्य देश के नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं।
एनआरसी की रिपोर्ट बताती है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं है।
1947 में भारत-पाकिस्तान का बँटवारे के समय कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) चले गए, किंतु उनकी ज़मीन असम में थी और लोगों का दोनों ओर से आना-जाना बँटवारे के बाद भी जारी रहा।
जिसके कारण वर्ष 1951 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) तैयार किया गया था।
भारत सरकार ने 2021 में एनआरसी को देश के बाकी हिस्सों में लागू करने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
8. कॉर्बेट रिजर्व में 'मोदी सर्किट' विकसित करेगा उत्तराखंड पर्यटन विभाग
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उत्तराखंड पर्यटन विभाग कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 'मोदी सर्किट' विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
साल 2019 में एक टेलीविजन कार्यक्रम की शूटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पहुंचे।
डिस्कवरी चैनल पर बेयर ग्रिल्स द्वारा होस्ट किए गए 'मैन वर्सेज वाइल्ड' के एक एपिसोड की शूटिंग के दौरान मोदी ने कई साहसिक गतिविधियां की थीं।
शूटिंग के दौरान पीएम मोदी और बेयर ग्रिल्स ने कोसी नदी को एक अस्थायी बेड़ा बनाकर पार किया.
इसके बाद पीएम मोदी एक बाघ के रास्ते से भी गुजरे, इस दौरान प्रधानमंत्री हाथ में भाला लिए हुए थे.
"मोदी सर्किट" कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पर्यटन को और बढ़ावा देगा, जो पहले से ही एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
टाइगर रिजर्व में "मोदी सर्किट" विकसित करने का विचार सबसे पहले उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को क्रोएशिया की यात्रा के दौरान आया, जहां पर्यटकों के लिए "गेम ऑफ थ्रोन्स टूर सर्किट" विकसित किया गया है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है।
यह भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है, यहाँ वनस्पतियों की 400 से अधिक विभिन्न प्रजातियाँ और जीवों की 550 से अधिक विभिन्न प्रजातियाँ हैं।
यह भारत के गंभीर रूप से लुप्तप्राय बंगाल टाइगर के लिए एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
प्रोजेक्ट टाइगर 1973 में कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में लॉन्च किया गया था, जो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का हिस्सा है।
यह लुप्तप्राय बंगाल टाइगर की रक्षा के लिए 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था।
9. हरियाणा सरकार ने शुरू की हरियाणा चिराग योजना
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हरियाणा सरकार ने हाल ही में हरियाणा चिराग योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, सरकार निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी।
महत्वपूर्ण तथ्य
चिराग योजना का अर्थ है, “Chief Minister Equal Education Relief, Assistance and Grant” (Cheerag)।
चिराग योजना के तहत सरकारी स्कूल के छात्र कक्षा 2 वीं से 12 वीं तक निजी स्कूल में दाखिला ले सकते हैं । हालांकि इसके लिए माता-पिता की वार्षिक सत्यापित आय 1.8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
गांवों और छोटे शहरों में लगभग 533 बजट निजी स्कूलों ने चिराग योजना के तहत आवेदन किया था। हालांकि, विभिन्न तकनीकी कारणों से केवल 381 स्कूल ही पात्र पाए गए।
योग्य स्कूलों ने सरकारी स्कूलों के EWS छात्रों को 24,987 सीटें प्रदान कीं। लेकिन केवल 1665 छात्रों ने इस योजना को चुना है, जो कुल प्रदान की गई सीटों का 6.66% है।
हरियाणा सरकार निम्न प्रकार से भुगतान करेगी :
दूसरी से पांचवी कक्षा तक 700 रुपये प्रति छात्र
6वीं से 8वीं कक्षा में प्रति छात्र 900 रुपये
9वीं से 12वीं कक्षा में प्रति छात्र 1,100 रुपये
हरियाणा राज्य के बारे में
गठन- 1 नवम्बर 1966
राजधानी चण्डीगढ़
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (भाजपा)
विधान सभा - 90 सीटें
राज्य सभा - 5 सीटें
लोक सभा - 10 सीटें
10. लक्षद्वीप में स्थापित किया जा रहा महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र
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राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) जो कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, कवरत्ती लक्षद्वीप में 65 किलोवाट की क्षमता वाला एक महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संयंत्र स्थापित कर रहा है।
महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संयंत्र क्या है?
ओटीईसी समुद्र की सतह के पानी और गहरे समुद्र के पानी के बीच तापमान अंतर (थर्मल ग्रेडिएंट) का उपयोग करके ऊर्जा उत्पादन के लिए एक प्रक्रिया या तकनीक है।
सूर्य की ऊर्जा समुद्र के सतही जल को गर्म करती है।
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, सतही जल गहरे पानी की तुलना में अधिक गर्म हो सकता है।
इस तापमान अंतर का उपयोग बिजली पैदा करने और समुद्र के पानी को विलवणीकृत करने के लिए किया जा सकता है।
हाल के दिनों में, उच्च बिजली लागत, ग्लोबल वार्मिंग के लिए बढ़ती चिंताओं, और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक राजनीतिक प्रतिबद्धता ने ओटीईसी व्यावसायीकरण को उष्णकटिबंधीय द्वीप समुदायों में आर्थिक रूप से आकर्षक बना दिया है जहां बिजली उत्पादन का एक उच्च प्रतिशत तेल आधारित है।