1. चंदौली, यूपी में सब्जियों के लिए भारत-इजरायल उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन
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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 8 अगस्त को उत्तर प्रदेश के 'चावल का कटोरा' कहे जाने वाले चंदौली जिले में सब्जियों के लिए एक इंडो-इज़राइल 'उत्कृष्टता केंद्र' की आधारशिला रखी।
महत्वपूर्ण तथ्य
इजराइल की मदद से अब चंद्रौली में सब्जियों की खेती आधुनिक तरीके से की जाएगी।
इस केंद्र से न सिर्फ चंदौली बल्कि मिर्जापुर, गाजीपुर और बनारस समेत आसपास के कई जिलों को फायदा होगा.
इस केंद्र के माध्यम से किसानों को सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने में काफी लाभ मिलेगा।
इसके माध्यम से खेती के नवीनतम तरीकों का उपयोग करके किसान बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकेंगे।
यहाँ विश्व स्तर पर कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सब्जियों सहित अन्य कृषि उत्पादों की नर्सरी तैयार की जाएगी।
सरकार की मंशा है कि धान और गेहूं के उत्पादन में अग्रणी इस जिले को सब्जी उत्पादन में भी बेहतर बनाया जाय.
किसानों को मिलेगा उन्नत बीज
ये उत्कृष्टता केंद्र बागवानी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों के लिए प्रदर्शन और प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं।
ये केंद्र संरक्षित खेती के लिए फल और सब्जियां लगाने के लिए रोपण सामग्री के स्रोत के रूप में भी काम करते हैं।
यहां उन्नत सब्जियों के बीज व पौधे तैयार कर किसानों को वितरित किए जाएंगे।
सूक्ष्म सिंचाई पर ध्यान
खुले मैदान में टमाटर, काली मिर्च, बैगन, मिर्च, खीरा, बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न और विदेशी सब्जियों की खेती भी प्रस्तावित है.
यहाँ पर सीपेज और स्प्रिंकलर सिंचाई का भी प्रदर्शन होगा।
2. मणिपुर विधानसभा ने जनसंख्या आयोग के गठन के प्रस्ताव को पारित किया
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मणिपुर विधानसभा ने 5 अगस्त को नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) को लागू करने और एक राज्य जनसंख्या आयोग (SPC) स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
राज्य विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन जद (यू) के विधायक जयकिशन द्वारा प्रस्ताव पेश किए गए।
उन्होंने दावा किया कि राज्य के पर्वतीय इलाकों में 1971 से 2001 के बीच जनसंख्या में 153.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2002 से 2011 के दौरान यह दर बढ़कर 250.9 प्रतिशत पर पहुंच गई।
उन्होंने कहा कि घाटी के क्षेत्रों में भी 1971 से 2001 तक 94.8 प्रतिशत और 2001 से 2011 तक लगभग 125 प्रतिशत की जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) क्या है?
एनआरसी वह रजिस्टर है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों का विवरण शामिल है। इसे वर्ष 1951 की जनगणना के पश्चात् तैयार किया गया था।
रजिस्टर में उस जनगणना के दौरान गणना किये गए सभी व्यक्तियों के विवरण शामिल थे।
भारत में अब तक एनआरसी केवल असम में लागू की गई है, जिसमें केवल उन भारतीयों के नाम को शामिल किया गया है जो कि 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं।
एनआरसी उन्हीं राज्यों में लागू की जाती है जहाँ से अन्य देश के नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं।
एनआरसी की रिपोर्ट बताती है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं है।
1947 में भारत-पाकिस्तान का बँटवारे के समय कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) चले गए, किंतु उनकी ज़मीन असम में थी और लोगों का दोनों ओर से आना-जाना बँटवारे के बाद भी जारी रहा।
जिसके कारण वर्ष 1951 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) तैयार किया गया था।
भारत सरकार ने 2021 में एनआरसी को देश के बाकी हिस्सों में लागू करने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
3. कॉर्बेट रिजर्व में 'मोदी सर्किट' विकसित करेगा उत्तराखंड पर्यटन विभाग
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उत्तराखंड पर्यटन विभाग कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 'मोदी सर्किट' विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
साल 2019 में एक टेलीविजन कार्यक्रम की शूटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पहुंचे।
डिस्कवरी चैनल पर बेयर ग्रिल्स द्वारा होस्ट किए गए 'मैन वर्सेज वाइल्ड' के एक एपिसोड की शूटिंग के दौरान मोदी ने कई साहसिक गतिविधियां की थीं।
शूटिंग के दौरान पीएम मोदी और बेयर ग्रिल्स ने कोसी नदी को एक अस्थायी बेड़ा बनाकर पार किया.
इसके बाद पीएम मोदी एक बाघ के रास्ते से भी गुजरे, इस दौरान प्रधानमंत्री हाथ में भाला लिए हुए थे.
"मोदी सर्किट" कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पर्यटन को और बढ़ावा देगा, जो पहले से ही एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
टाइगर रिजर्व में "मोदी सर्किट" विकसित करने का विचार सबसे पहले उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को क्रोएशिया की यात्रा के दौरान आया, जहां पर्यटकों के लिए "गेम ऑफ थ्रोन्स टूर सर्किट" विकसित किया गया है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है।
यह भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है, यहाँ वनस्पतियों की 400 से अधिक विभिन्न प्रजातियाँ और जीवों की 550 से अधिक विभिन्न प्रजातियाँ हैं।
यह भारत के गंभीर रूप से लुप्तप्राय बंगाल टाइगर के लिए एक संरक्षित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
प्रोजेक्ट टाइगर 1973 में कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान) में लॉन्च किया गया था, जो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का हिस्सा है।
यह लुप्तप्राय बंगाल टाइगर की रक्षा के लिए 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित किया गया था।
4. हरियाणा सरकार ने शुरू की हरियाणा चिराग योजना
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हरियाणा सरकार ने हाल ही में हरियाणा चिराग योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, सरकार निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगी।
महत्वपूर्ण तथ्य
चिराग योजना का अर्थ है, “Chief Minister Equal Education Relief, Assistance and Grant” (Cheerag)।
चिराग योजना के तहत सरकारी स्कूल के छात्र कक्षा 2 वीं से 12 वीं तक निजी स्कूल में दाखिला ले सकते हैं । हालांकि इसके लिए माता-पिता की वार्षिक सत्यापित आय 1.8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
गांवों और छोटे शहरों में लगभग 533 बजट निजी स्कूलों ने चिराग योजना के तहत आवेदन किया था। हालांकि, विभिन्न तकनीकी कारणों से केवल 381 स्कूल ही पात्र पाए गए।
योग्य स्कूलों ने सरकारी स्कूलों के EWS छात्रों को 24,987 सीटें प्रदान कीं। लेकिन केवल 1665 छात्रों ने इस योजना को चुना है, जो कुल प्रदान की गई सीटों का 6.66% है।
हरियाणा सरकार निम्न प्रकार से भुगतान करेगी :
दूसरी से पांचवी कक्षा तक 700 रुपये प्रति छात्र
6वीं से 8वीं कक्षा में प्रति छात्र 900 रुपये
9वीं से 12वीं कक्षा में प्रति छात्र 1,100 रुपये
हरियाणा राज्य के बारे में
गठन- 1 नवम्बर 1966
राजधानी चण्डीगढ़
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (भाजपा)
विधान सभा - 90 सीटें
राज्य सभा - 5 सीटें
लोक सभा - 10 सीटें
5. लक्षद्वीप में स्थापित किया जा रहा महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र
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राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) जो कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, कवरत्ती लक्षद्वीप में 65 किलोवाट की क्षमता वाला एक महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संयंत्र स्थापित कर रहा है।
महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण (OTEC) संयंत्र क्या है?
ओटीईसी समुद्र की सतह के पानी और गहरे समुद्र के पानी के बीच तापमान अंतर (थर्मल ग्रेडिएंट) का उपयोग करके ऊर्जा उत्पादन के लिए एक प्रक्रिया या तकनीक है।
सूर्य की ऊर्जा समुद्र के सतही जल को गर्म करती है।
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, सतही जल गहरे पानी की तुलना में अधिक गर्म हो सकता है।
इस तापमान अंतर का उपयोग बिजली पैदा करने और समुद्र के पानी को विलवणीकृत करने के लिए किया जा सकता है।
हाल के दिनों में, उच्च बिजली लागत, ग्लोबल वार्मिंग के लिए बढ़ती चिंताओं, और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक राजनीतिक प्रतिबद्धता ने ओटीईसी व्यावसायीकरण को उष्णकटिबंधीय द्वीप समुदायों में आर्थिक रूप से आकर्षक बना दिया है जहां बिजली उत्पादन का एक उच्च प्रतिशत तेल आधारित है।
6. बिहार कॉलेज खगोल विज्ञान प्रयोगशाला यूनेस्को विरासत सूची में शामिल
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यूनेस्को ने बिहार के मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज में 106 साल पुरानी खगोलीय वेधशाला को दुनिया की महत्वपूर्ण लुप्तप्राय विरासत वेधशालाओं की सूची में शामिल किया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
वेधशाला 1916 में 123 साल पुराने कॉलेज में बनाई गई थी, जो अब भीम राव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
1946 में महाविद्यालय में संभवतः भारत में पहला तारामंडल भी स्थापित किया गया था।
वेधशाला और तारामंडल 1970 के दशक की शुरुआत तक संतोषजनक ढंग से काम कर रहे थे। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे इनका उपयोग कम होने लगा।
वर्तमान में, यह पूरी तरह से बेकार पड़ी है और वेधशाला में अधिकांश महंगी मशीनें या तो गायब हो गई हैं या कबाड़ बन गई हैं।
खतरे में विश्व विरासत की सूची क्या है?
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) खतरे में विश्व विरासत की सूची संकलित करता है।
सूची में ऐसे विश्व धरोहर स्थल शामिल किए जाते हैं जो प्राकृतिक आपदाओं, सशस्त्र संघर्षों, युद्धों, प्रदूषण, अनियंत्रित शहरीकरण, अवैध शिकार और निर्बाध पर्यटक विकास जैसी विभिन्न स्थितियों से खतरे में हैं।
7. केरल के कन्नूर में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि
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हाल ही में, केरल के एक निजी सुअर फार्म में पहली बार अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है, पिछले दस दिनों में इस बीमारी के कारण फार्म पर 15 से अधिक सूअरों की मृत्यु हो गई ।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के बारे में
अफ्रीकी स्वाइन फीवर घरेलू और जंगली सूअरों में होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल बीमारी है।
यह पहली बार वर्ष 1920 के दशक में अफ्रीका में पाया गया था।
ऐतिहासिक रूप से, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों, दक्षिण अमेरिका और कैरीबियन में संक्रमण की सूचना मिली है।
हालाँकि, वर्ष 2007 के बाद से, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कई देशों में घरेलू और जंगली सूअरों में इस बीमारी की सूचना मिली है।
इसमें मृत्यु दर लगभग 95-100% है और इस बुखार का कोई इलाज़ नहीं है, इसलिये इसके प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर मनुष्य के लिये खतरा नहीं होता है, क्योंकि यह केवल जानवरों से जानवरों में फैलता है।
अफ्रीकी स्वाइन फीवर, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के पशु स्वास्थ्य कोड में सूचीबद्ध एक बीमारी है।
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन
यह दुनिया-भर में पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार हेतु उत्तरदायी एक अंतर-सरकारी संगठन है।
वर्तमान में कुल 182 देश इसके सदस्य हैं। भारत इसके सदस्य देशों में से एक है।
यह नियमों से संबंधित मानक दस्तावेज़ विकसित करता है जिनके उपयोग से सदस्य देश बीमारियों और रोगजनकों से स्वयं को सुरक्षित कर सकते हैं। इसमें से एक क्षेत्रीय पशु स्वास्थ्य संहिता भी है।
इसके मानकों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा संदर्भित संगठन के अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता नियमों के रूप में मान्यता प्राप्त है।
इसका मुख्यालय पेरिस (फ्राँस) में स्थित है।
8. पश्चिम बंगाल में 7 नए जिले
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ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रशासनिक कार्यों को आसान बनाने के लिए राज्य में सात नए जिले बनाने का फैसला किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
पहले बंगाल में 23 जिले थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं।
सात नए जिलो के नाम सुंदरबन, इछेमती, राणाघाट, बिष्णुपुर, जंगीपुर, बेहरामपुर, बशीरहाट हैं।
दक्षिण 24-परगना जिले से एक नया सुंदरवन जिला और उत्तर 24-परगना जिले से दो नए जिले बनाए जाएंगेI
बोंगांव उपखंड में इछामती जिला और बशीरहाट में एक अन्य जिला (जिसका नाम अभी नहीं तय किया गया है) बनाया जायेगाI
नादिया जिले का एक शहर और नगर पालिका राणाघाट चौथा नया जिला बनेगाI
मौजूदा बांकुरा जिले से बिष्णुपुर नाम का एक नया जिला और मुर्शिदाबाद जिले से दो नए जिले बहरामपुर और जंगीपुर बनाए जाएंगे I
भारत में जिले कैसे और क्यों बनाए या समाप्त किए जाते हैं?
जिलों को बनाने या इनके बॉर्डर में बदलाव करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास होता हैI
सरकार विधानसभा में एक कानून पारित कर सकती है या केवल एक आदेश जारी कर सकती है और इसे राजपत्र में अधिसूचित कर सकती हैI
इस मामले में केंद्र का कोई दखल नहीं होता हैI
भारत सरकार द्वारा संचालित एक वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान में देश में 718 जिले हैं।
पश्चिम बंगाल के बारे में
पड़ोसी देश - इसकी सीमा पूर्व में बांग्लादेश, उत्तर में नेपाल और भूटान से लगती है।
पड़ोसी राज्य - इसकी सीमा से असम, झारखंड, बिहार, सिक्किम और ओडिशा राज्य मिलते हैं।
राजधानी- कोलकता
राज्यपाल- जगदीप धनगढ़
मुख्यमंत्री- ममता बनर्जी
विधानसभा सीटों की संख्या- 294
लोकसभा सीटें- 42
राज्यसभा सीटें- 16
9. चंबा के मिंजर मेले को मिला अंतरराष्ट्रीय दर्जा, अधिसूचना जारी
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हिमाचल प्रदेश के चंबा घाटी में मनाये जाने वाले 'मिंजर मेला' को राज्यपाल की मंजूरी के बाद भाषा एवं संस्कृति विभाग के सचिव राजेश कंवर ने इसकी अधिसूचना जारी की है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इस वर्ष यह 24 जुलाई से 31 जुलाई 2022 तक मनाया गया है।
दरअसल, मक्के के पौधे के पुष्पक्रम को मिंजर कहते हैं।
जब मक्के पर फूल खिलते हैं, तो मिंजर मेला मनाया जाता है और इस मेले में देश भर से पर्यटक हिस्सा लेने आते हैं।
मिंजर मेला 935 ई. में त्रिगर्त (अब कांगड़ा के नाम से जाना जाने वाला) के शासक पर चंबा के राजा की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि अपने विजयी राजा की वापसी पर लोगों ने उसका धान और मक्का की मालाओं से अभिवादन किया, जो कि समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।
यह मेला श्रावण मास के दूसरे रविवार को आयोजित किया जाता है।
इस मेले की घोषणा के समय मिंजर का वितरण किया जाता है, जो पुरुषों और महिलाओं द्वारा समान रूप से पोशाक के कुछ हिस्सों पर पहना जाने वाला एक रेशम की लटकन है।
सप्ताह भर चलने वाले मेले की शुरुआत ऐतिहासिक चौगान में मिंजर झंडा फहराने से होती है।
भारत के अन्य विश्व प्रसिद्ध मेले
मेला | राज्य |
गंगासागर मेला | पश्चिम बंगाल |
कुंभ मेला (12 वर्ष में) | नासिक, हरिद्वार,प्रयागराज , उज्जैन |
पुष्कर (ऊंट) मेला | राजस्थान |
सोनपुर मवेशी मेला | बिहार |
हेमिस गोम्पा मेला | लद्दाख |
अम्बूबासी मेला | असम |
चंद्रभागा मेला | झालावाड़(राजस्थान) |
नौचंडी मेला | मेरठ(उत्तर प्रदेश) |
सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला | हरियाणा |
माघ मेला | प्रयागराज(उत्तरप्रदेश) |
मेदाराम जातरा | तेलंगाना |
सूरजकुंड मेला | हरियाणा |
ओणम | केरल |
हाथी उत्सव | जयपुर(राजस्थान) |
सोनपुर मेला | बिहार |
रथ यात्रा | उड़ीसा |
कंस मेला | मथुरा(उत्तर प्रदेश) |
10. असम के मुख्यमंत्री ने छात्रों के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी करने का डिजिटल प्रक्रिया शुरू की
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 1 अगस्त को छात्रों को डिजिटल जाति प्रमाण पत्र जारी करने का एक डिजिटल तरीका 'मिशन भूमिपुत्र' लॉन्च किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
मुख्यमंत्री ने श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम में भूमिपुत्र पोर्टल का उद्घाटन किया.
यह मिशन जनजातीय कार्य और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
अब जाति प्रमाण पत्र जारी करने की मैनुअल प्रणाली समाप्त हो जाएगी।
उपायुक्त 8 अगस्त से शैक्षणिक संस्थानों के प्रधानाध्यापकों को जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदनों का प्रारूप देंगे।
प्रधानाध्यापक आवेदन प्रारूपों को भरेंगे तथा उपायुक्तों को भेजेंगे, तत्पश्चात संबंधित जाति या जनजाति के बोर्डों को आवेदन अग्रेषित किया जाएगा।
इसके बाद उपायुक्त छात्रों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने के प्रोटोकॉल पर निर्णय लेने के लिए बोर्डों के साथ बैठक करेंगे।
यदि प्रक्रिया में कोई संदेह उत्पन्न होता है, तो आवेदन को आगे के सत्यापन के लिए भेजा जा सकता है।
प्रमाणपत्र संबंधित उपायुक्तों द्वारा डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित आईटी अधिनियम के तहत डिजी लॉकर में उपलब्ध होंगे।
मिशन भूमिपुत्र के शुभारंभ के साथ लोगों को दस्तावेजों को सुरक्षित करने के संबंध में पहले जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा था, उन्हें हल किया जाएगा।