1. राजस्थान का यूरेनियम खनन के क्षेत्र में प्रवेश
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राजस्थान ने 26 जून, 2022 को राज्य में यूरेनियम की खोज के लिए आशय पत्र (एलओआई) जारी कर यूरेनियम खनन के क्षेत्र में प्रवेश किया है।
यह एलओआई सीकर के पास खंडेला तहसील के रोहिल में यूरेनियम अयस्क के खनन के लिये यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को खनन पट्टा हेतु ज़ारी किया गया है।
सीकर ज़िले की खंडेला तहसील के रोहिल में 1086.46 हेक्टेयर क्षेत्र में यूरेनियम के विपुल भंडार मिले हैं। आरंभिक अनुमानों के अनुसार इस क्षेत्र में करीब 12 मिलियन टन यूरेनियम के भंडार संभावित हैं।
देश में अभी झारखंड के सिंहभूमि के जादूगोडा और आंध्र प्रदेश में यूरेनियम का उत्खनन किया जा रहा है।
वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक यूरेनियम का उत्पादन कज़ाखस्तान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में होता है। इसके अलावा रूस, नामीबिया, उज़्बेकिस्तान, यूएसए व यूक्रेन में भी यूरेनियम खनिज मिला है।
यूरेनियम का उपयोग मुख्यत: बिजली बनाने में किया जाता है। हालाँकि, परमाणु ऊर्जा के अलावा दवा, रक्षा उपकरणों, फोटोग्राफी सहित अन्य में भी यूरेनियम का उपयोग किया जाता है।
यूरेनियम के बारे में -
यूरेनियम आवर्त सारणी की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, ऐक्टिनाइड श्रेणी का तृतीय तत्व है।
यूरेनियम तत्व की खोज 1789 ई0 में क्लाप्रोट (Klaproth) द्वारा पिचब्लेंड नामक अयस्क से की गयी थी।
1896 ई0 में हेनरी बेक्वरेल ने यूरेनियम में रेडियो ऐक्टिवता की खोज की थी ।
यूरेनियम चमकदार श्वेत रंग की धातु है। इसका संकेत U, परमाणु संख्या 92, परमाणु भार 238.03 होता है I
2. गुजरात के बनासकांठा से 17वां 'शाला प्रवेशोत्सव' शुरू
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गुजरात में पहली कक्षा में विद्यार्थियों के नामांकन के लिए चलने वाले वार्षिक अभियान 'शाला प्रवेशोत्सव' के 17वें संस्करण का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल द्वारा 23 जून को बनासकांठा के वडगाम तालुका के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय किया गया I
राज्य सरकार द्वारा समग्र राज्य में 23 से 25 जून, 2022 के दौरान शाला प्रवेशोत्सव का आयोजन किया गया है।
'शाला प्रवेशोत्सव' अभियान की शुरुआत के बाद राज्य में बच्चों के बड़े पैमाने पर नामांकन अभियान के बाद छात्रों की ड्रॉपआउट दर में भारी कमी आई है।
राज्य की ड्रॉप आउट दर 2002 में 37.22 प्रतिशत से घटकर मात्र 3.07 प्रतिशत रह गई है।
इस तीन दिवसीय अभियान के दौरान अधिकारी और निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा लगभग 32,000 सरकारी प्राथमिक स्कूलों को कवर किया गया ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2003 में 'शाला प्रवेशोत्सव' शुरू किया था, जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे, जिसका मुख्य उद्देश्य स्कूलों में अधिकतम नामांकन सुनिश्चित करना था।
अतिरिक्त जानकारी -
गुजरात राज्य के बारे में -
गठन- 1 मई 1960
गुजरात को ‘द लैंड ऑफ लीजेंड्स’ भी कहा जाता है।
गुजरात में गिर वन राष्ट्रीय उद्यान दुनिया में एशियाई शेर की एकमात्र जंगली आबादी का घर है।
गुजरात कपास, तम्बाकू और मूँगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है I
गरबा गुजरात का प्रमुख पारंपरिक नृत्य है I
लोथल गुजरात का प्राचीन नगर था जहां भारत का पहला बंदरगाह स्थापित किया गया था।
राजधानी- गाँधीनगर
राज्यपाल- आचार्य देवव्रत
मुख्यमंत्री- भूपेंद्रभाई पटेल (भाजपा)
विधानसभा सीटें-182
राज्यसभा सीटें- 11
लोकसभा सीटें- 26
3. धर्मशाला में 'जेंडर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस' पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में ‘जेंडर रिस्पोंसिव गवर्नेंस’ यानी ‘लिंग उत्तरदायी शासन’ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
यह कार्यशाला महिला आयोग और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के संयुक्त प्रयासों से आयोजित की जा रही है।
इस कार्यशाला में उत्तर भारत के पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से 116 महिला विधायक भाग लेंगी।
कार्यशाला की मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा सुश्री रेखा शर्मा ने कहा कि कार्यशाला का आयोजन 'सशक्त महिला नेतृत्व, सशक्त लोकतंत्र' के विचार से किया गया है।
इस कार्यक्रम की अवधारणा और विकास महिला नेताओं के क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था।
हिमाचल प्रदेश के बारे में
हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ है "बर्फीले पहाड़ों का प्रांत", हिमाचल प्रदेश को "देव भूमि" के नाम से भी जाना जाता है।
हिमाचल प्रदेश सन 1956 में केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया था , लेकिन 1971 में इसे, हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अन्तर्गत 25 जनवरी 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया।
हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का हिस्सा है।
हिमाचल प्रदेश में बहने वाली पांच नदियों में से चार का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
उस समय ये अन्य नामों से जानी जाती थीं जैसे अरिकरी (चिनाब) पुरूष्णी (रावी), विपाशा (ब्यास) तथा शतदुई (सतलुज) पांचवी नदी (कालिंदी) जो यमुनोत्तरी से निकलती है उसका सूर्य देव से पौराणिक संबंध दर्शाया जाता है।
राजधानी- शिमला(ग्रीष्मकालीन ), धर्मशाला(शीतकालीन)
राज्यपाल- राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर
मुख्यमंत्री- जयराम ठाकुर
विधान सभा सीटें - 68
राज्य सभा सीटें- 3
लोक सभा सीटें- 4
4. महाराष्ट्र राजनीतिक संकट और दलबदल विरोधी कानून
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34 विधायकों द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल को पत्र लिखकर शिवसेना के 'विद्रोही' विधायक एकनाथ शिंदे को अपना समर्थन देने का वादा करने के बाद, दलबदल विरोधी कानून एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
कुछ विधायक पार्टी के बागी नेता के साथ गठबंधन कर चुके हैं और गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं.
पार्टी ने अपने विधायकों को चेतावनी दी है कि बैठक से उनकी अनुपस्थिति से यह अनुमान लगाया जाएगा कि वे राजनीतिक दल छोड़ना चाहते हैं।
इसलिए उनके खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
दलबदल विरोधी कानून क्या है?
दसवीं अनुसूची, जिसे दल-बदल विरोधी अधिनियम के रूप में जाना जाता है, को 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था।
यह किसी अन्य राजनीतिक दल में दलबदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता के प्रावधानों को निर्धारित करता है।
दलबदल विरोधी कानून उन विधायकों की अयोग्यता का प्रावधान करता है, जो एक राजनीतिक दल के टिकट पर चुने जाने के बाद, "स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देते हैं"।
यह कानून निर्दलीय विधायकों पर भी लागू होता है।
लेकिन यह कानून तब लागू नहीं होता है जब किसी राजनीतिक दल को छोड़ने वाले विधायकों की संख्या विधायिका में पार्टी की ताकत का दो-तिहाई हो।
ये विधायक दूसरी पार्टी में विलय कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में दो तिहाई का नियम
रिपोर्ट्स के मुताबिक 30 विधायक बागी नेता के साथ हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास 55 विधायक हैं, अगर बागी विधायक विलय करना चाहते हैं तो 55 का दो तिहाई यानी 37 विधायकों को एक साथ दूसरी पार्टी में जाना होगा।
अगर ऐसा होता है तो उन विधायकों पर कोई संवैधानिक कार्रवाही नहीं होगी।
लेकिन ऐसा नहीं होता है तो दलबदल विरोधी कानून के तहत इन विधायकों पर कार्यवाही हो सकती है।
5. असम में एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना लागू
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वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को लागू करने वाला असम देश का 36वां राज्य बन गया है।
असम में लागू होने के बाद यह योजना पूरे देश में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक लागू की गई है।
इस योजना ने कोविड महामारी के दौरान लाभार्थियों विशेषकर प्रवासी लाभार्थियों को रियायती दर पर खाद्यान्न सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बहुत कम समय में, इसने 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया।
केंद्रीकृत अधिकृत दुकान डेटा का उपयोग अंतर- और अंतर-राज्य प्रवास पर नीतियां तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
अगस्त 2019 में योजना लागू होने के बाद से, इसके तहत लगभग 71 करोड़ पोर्टेबल लेनदेन हुए हैं, खाद्य सब्सिडी के रूप में 40 हजार करोड़ रुपये के बराबर खाद्यान्न वितरित किया गया है।
मेरा राशन मोबाइल ऐप
इस योजना को और अधिक निर्बाध और तेज बनाने के लिए मेरा राशन मोबाइल एप्लिकेशन शुरू किया गया था।
यह मोबाइल ऐप लाभार्थियों को उपयोगी रीयल टाइम जानकारी प्रदान कर रहा है और 13 भाषाओं में उपलब्ध है।
'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' योजना के बारे में
इसे उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 2019 में 4 राज्यों में पायलट आधार पर शुरू किया गया था।
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत देश में कहीं भी सभी प्रवासी लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न की परेशानी मुक्त डिलीवरी सुनिश्चित करना है।
इस योजना के तहत प्रवासी लाभार्थियों को बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ अपने मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके देश में कहीं भी अपनी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार है।
योजना के लाभ
यह दोहरे राशन कार्डधारकों की संख्या को कम करने में मदद करेगा।
यह न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन के आदर्श वाक्य के अनुरूप है।
केंद्रीकृत अधिकृत दुकान डेटा का उपयोग अंतर- और अंतर-राज्य प्रवास पर नीतियां तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
यह ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में सुधार करने में मदद करेगा।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
इसे भारत सरकार द्वारा 2013 में पेश किया गया था।
यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य दो के अनुरूप है।
लक्ष्य 2 के तहत 2030 तक सभी रूपों में भूख को समाप्त करनाऔर खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए स्थायी समाधान करना है।
मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएमएस), सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), और एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) इसअधिनियम के तहत शामिल हैं।
6. हिमाचल प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक उत्सव 'उन्मेष' आयोजित किया गया
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संस्कृति मंत्रालय और साहित्य अकादमी, हिमाचल प्रदेश सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में शिमला में एक अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव उन्मेष का आयोजन किया गया।
इस उत्सव का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा किया गया।
भारत सहित 15 देशों के 425 से अधिक लेखकों, कवियों, अनुवादकों, आलोचकों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट व्यक्तित्वों के साथ 60 से अधिक भाषाओं तथा 64 कार्यक्रमों का प्रतिनिधित्व करते हुए UNMESHA देश का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव है।
अभिव्यक्ति का उत्सव उन्मेष देश का अब तक का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक उत्सव है।
साहित्य अकादमी
12 मार्च, 1954 को भारत सरकार द्वारा औपचारिक रूप से साहित्य अकादमी का उद्घाटन किया गया।
साहित्य अकादमी एक स्वायत्त संगठन के रूप में कार्य करती है। इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत जनवरी 1956 में एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
साहित्य अकादमी, भारत की राष्ट्रीय पत्र अकादमी, देश में साहित्यिक संवाद, प्रकाशन और प्रचार के लिये केंद्रीय संस्था है तथा अंग्रेज़ी सहित 24 भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियों का संचालन करने वाली एकमात्र संस्था है।
यह भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने के लिये दुनिया भर के विभिन्न देशों के साथ साहित्यिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भी चलाता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान है।
7. तमिलनाडु सरकार ने तमिलनाडु सरकार ने एन्नम एझुथुम योजना शुरू की
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम॰ के॰ स्टालिन ने जून 2022 में एन्नम एझुथुम योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य 2025 तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता सुनिश्चित करना है।
इस योजना को अझिनजीवक्कम पंचायत यूनियन मिडिल स्कूल, तिरुवल्लुर में एक कार्यक्रम में लॉन्च किया गया है।
यह योजना COVID-19 महामारी के परिणामस्वरूप 8 वर्ष से कम आयु के छात्रों के बीच सीखने की खाई को पाटने के लिए शुरू की गई हैI
कार्यक्रम के तहत शिक्षा विभाग कक्षा 1 से 3 तक के छात्रों को सीखने के अन्तराल का आकलन करने और उसे समझने के लिए कार्यपुस्तिकाएं वितरित करेगा।
इस पहल के तहत बच्चों को तीन विषयों तमिल, अंग्रेजी और गणित में प्रशिक्षित किया जाएगा।
कार्यक्रम के तहत शिक्षकों को सलाह दी गई कि वे इंटरएक्टिव शिक्षण विधियों का चयन करें और छात्रों को स्कूल पुस्तकालय में समाचार पत्र और किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
यह योजना क्यों शुरू की गई?
यह योजना तमिलनाडु राज्य के स्कूलों को कोविड -19 महामारी के दौरान 19 महीने से अधिक समय तक बंद रखने के कारण शुरू की गई थी। इस प्रकार, इस सीखने की खाई को केवल नियमित कक्षाओं द्वारा ही नहीं पाटा जा सकता है। इस प्रकार, प्रत्येक बच्चे को व्यक्तिगत रूप से मदद करने के लिए यह योजना शुरू की गई है।
तमिलनाडु राज्य के बारे में
26 जनवरी 1950 को इस राज्य का गठन किया गया था लेकिन 14 जनवरी 1969 को इसकी सीमाएं फिर से निर्धारित की गईं थी।
तमिलनाडु अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के मुहाने पर स्थित है।
भरतनाट्यम् तमिलनाडु का काफी लोकप्रिय और प्रसिद्ध नृत्य हैI
तमिल नाडु केलों और फूलों का सबसे बड़ा, आम, रबड़, मूंगफली, नारियल का दूसरा सबसे बड़ा और कॉफ़ी का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
राज्यपाल- रविन्द्र नारायण रवि
मुख्यमंत्री- एम.के.स्टालिन
विधानसभा सीटें 235 सीटें
राज्य सभा सीटें - 18
लोक सभा सीटें- 39
8. गुजरात के पांच गांवों में गठित भारत की पहली 'बालिका पंचायत'
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महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में अनूठी पहल करते हुए गुजरात के कच्छ में देश की पहली बालिका पंचायत की शुरुआत की गई है।
बालिका पंचायत की अनूठी पहल का गुजरात के कच्छ जिले के चार गाँव कुनरिया,मस्का मोटागिंया, वाडासर कुकमा गांव में इस पंचायत का आगाज हुआ है।
इसकी जिम्मेदारी 11 से 21 साल की उम्र की बालिकाओं को दी जाती है।
इसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को सामाजिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देना और समाज में मौजूद कुरीतियों को दूर कर उनकी समस्याओं का समाधान करना है।
यह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत महिला एवं बाल विकास कल्याण गुजरात सरकार की अनोखी पहल है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पूरे भारत में बालिका पंचायत शुरू करने की योजना बना रहा है।
बालिका पंचायत का सदस्य ग्राम पंचायत की तरह ही मनोनीत होता है।
पंचायती राज के बारे में
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी।
भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर), पंचायत समिति (मध्यवर्ती स्तर पर) और ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर) शामिल हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में पंचायतों का उल्लेख किया गया है और अनुच्छेद 246 में राज्य विधानमंडल को स्थानीय स्वशासन से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।
पंचायती राज संस्थान भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है।
ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना करने के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थान को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और उन्हें देश में ग्रामीण विकास का कार्य सौंपा गया।
73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान में "पंचायतों" शीर्षक से भाग IX जोड़ा गया।
पंचायतों का कार्यकाल पाँच वर्ष निर्धारित है लेकिन कार्यकाल से पहले भी इसे भंग किया जा सकता है I
9. प्रधानमंत्री ने पावागढ़ पहाड़ी पर श्री कालिका माता के पुनर्विकसित मंदिर का उद्घाटन किया
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून को गुजरात के पंचमहल जिले के पावागढ़ पहाड़ी में श्री कालिका माता के पुनर्विकसित मंदिर का उद्घाटन किया।
पुनर्विकास के पहले चरण का उद्घाटन पीएम मोदी ने इस साल की शुरुआत में अप्रैल में किया था।
दूसरे चरण के पुनर्विकास की आधारशिला 2017 में पीएम मोदी ने रखी थी।
इसमें मंदिर के आधार का विस्तार और तीन स्तरों पर 'परिसर', स्ट्रीट लाइट, सीसीटीवी सिस्टम जैसी सुविधाओं की स्थापना आदि शामिल हैं।
मंदिर पर 'शिखर ध्वज' पवित्र ध्वज फहराया गया।
यह 'शिखरध्वज' ध्वज न केवल हमारी आस्था और आध्यात्मिकता का प्रतीक है बल्कि यह ध्वज इस बात का भी प्रतीक है कि सदियां बदलती हैं, युग बदलते हैं, लेकिन 'आस्था' शाश्वत रहती है।"
मंदिर के बारे में
कालिका माता मंदिर परिसर गुजरात के पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी के ऊपर स्थित है।
कालिका माता शब्द का शाब्दिक अर्थ काली माँ है।
मुख्य मंदिर के भूतल में तीन देवियों की मूर्तियां हैं।
कालिका माता की केंद्रीय मूर्ति को लाल रंग के सिर, या 'मुखवातो' के रूप में दर्शाया गया है।
उसके दाहिनी ओर देवी काली और बाईं ओर देवी बहूचरा की मूर्तियाँ हैं।
मंदिर प्रमुख शक्ति पीठों में से एक का स्थल है।
वर्तमान में, मंदिर परिसर एक पुरातात्विक पार्क का एक हिस्सा है।
मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में माना जाता है।
मंदिर का इतिहास
मंदिर का इतिहास 10वीं शताब्दी और 11वीं शताब्दी का है और इसलिए यह इस क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर है।
मूल रूप से, देवी कालिका माता की पूजा स्थानीय पाटीदार, कोली और भील समुदाय द्वारा की जाती थी।
विश्वामित्र द्वारा पावागढ़ पहाड़ी पर देवी की मूर्ति स्थापित की गई थी, जहां उन्हें देवी दुर्गा या चंडी के अवतार के रूप में पूजा जाता है।
10. वडोदरा में 'गुजरात गौरव अभियान' में शामिल हुए पीएम मोदी
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पीएम नरेंद्र मोदी ने 18 जून को गुजरात के वडोदरा में डिजिटल रूप से 21,000 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
इसमें 16,000 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे परियोजनाओं की एक श्रृंखला शामिल है।
विभिन्न विकास परियोजनाएं
प्रधानमंत्री ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 357 किलोमीटर लंबे न्यू पालनपुर-मदार सेक्शन, 166 किलोमीटर लंबे अहमदाबाद-बोटाड सेक्शन के गेज परिवर्तन और 81 किलोमीटर लंबे पालनपुर-मीठा सेक्शन के विद्युतीकरण को राष्ट्र को समर्पित किया।
उन्होंने रेलवे क्षेत्र में कुछ अन्य पहलों के साथ-साथ सूरत, उधना, सोमनाथ और साबरमती स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखी।
इन परियोजनाओं से इस क्षेत्र में रसद लागत कम करने और उद्योग और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
उन्होंने वडोदरा के पास दभोई तालुका के कुंडेला गांव में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी।
उन्होंने राज्य में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को और बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना और पोषण सुधा योजना भी शुरू की।
मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना और पोषण सुधा योजना
“मुख्यमंत्री मातृशक्ति योजना” के तहत गुजरात के आंगनबाडी केंद्रों से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को हर महीने 2 किलो चना, 1 किलो अरहर की दाल और 1 किलो खाद्य तेल मुफ्त दिया जाएगा।
पोषण सुधा योजना वर्तमान में राज्य के सभी आदिवासी लाभार्थियों तक पहुंचाई जा रही है।
यह योजना गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को एक दिन में एक बार पौष्टिक भोजन प्रदान करती है।
योजनाओं के उद्देश्य
एक बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों के दौरान सहायता करना, जो कि गर्भधारण से लेकर दो साल की उम्र तक की अवधि है।
जन्म के समय कम वजन वाले नवजात शिशुओं की संख्या को कम करने के साथ-साथ शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में सुधार करना।