1. निर्मला सीतारमण गोवा में राष्ट्रीय सीमा शुल्क और जीएसटी संग्रहालय - धरोहर को राष्ट्र को समर्पित करेंगी
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केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण 11 जून को पणजी, गोवा में राष्ट्रीय सीमा शुल्क और जीएसटी संग्रहालय 'धरोहर' राष्ट्र को समर्पित करेंगी।
मंडोवी नदी के तट पर पणजी की प्रसिद्ध ब्लू बिल्डिंग में धरोहर को स्थापित किया गया है।
यह इमारत दो मंजिला है जिसे गोवा में पुर्तगाली शासन के दौरान अल्फांडेगा के नाम से जाना जाता था, 400 से अधिक वर्षों से इस स्थान पर खड़ी है।
धरोहर देश में अपनी तरह का एक विशिष्ट संग्रहालय है जो न केवल देश भर में भारतीय सीमा शुल्क द्वारा जब्त की गई कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है बल्कि आम जनता के ज्ञान के लिए बुनियादी सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को भी दर्शाता है।
इसके प्रदर्शनियों में उल्लेखनीय हैं आइन-ए-अकबरी की हस्तलिखित पांडुलिपि, अमीन स्तंभों की प्रतिकृति, जब्त धातु और पत्थर की कलाकृतियां, हाथीदांत की वस्तुएं और वन्यजीव वस्तुएं।
2. अमेज़न इंडिया ने मणिपुर सरकार के साथ पंथोइबी एम्पोरियम उत्पादों को बेचने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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ई-कॉमर्स अमेज़न और मणिपुर सरकार ने राज्य के हथकरघा और हस्तशिल्प के प्रदर्शन और बिक्री के लिये एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पंथोइबी एम्पोरियम का उद्घाटन कियाI
ई-कॉमर्स अमेज़न और मणिपुर सरकार के बीच इस ऑनलाइन स्टोर के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर भी किये गए।
इस पहल से राज्य में लगभग 300,000 कारीगरों, बुनकरों और आदिवासी समुदायों के सदस्यों को लाभ होगा।
हथकरघा एवं वस्त्र निदेशालय के संरक्षण में संचालित, पंथोइबी एम्पोरियम मणिपुर हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (MHHDCL) का एक हिस्सा है, जो स्थानीय कारीगरों के विकास के लिये एक सरकारी उद्यम है।
Amazon.in पर पंथोइबी एम्पोरियम में हाथ से बुने हुए कपड़े, दस्तकारी टोपी और बैग, टेराकोटा उत्पादों के साथ-साथ कौना शिल्प शामिल हैं - मणिपुर का एक अनूठा हस्तशिल्प जिसमें कौना की लकड़ी का उपयोग टोकरी, पर्स, बैग आदि बनाने के लिए किया जाता है।
मणिपुरी रानी फी, रेशम से बनी हाथ से बुनी हुई शॉल भी वेबसाइट पर देखी जा सकती है।
इसके अलावा, काले चावल, चाय, जीआई टैग वाली मिर्च, नींबू और संतरे सहित मणिपुर के विशिष्ट खाद्य पदार्थ भी बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे।
मणिपुर के बारे में
मणिपुर को देश की 'ऑर्किड बास्केट' भी कहा जाता है। यहाँ ऑर्किड पुष्प की 500 प्रजातियां पाई जाती हैं।
इस पूर्वोत्तर राज्य का वर्णन स्वर्ण भूमि अथवा ‘सुवर्णभू’ के रूप में किया जाता है।
यहाँ की प्रमुख जनसंख्या मणिपुरी लोगों की है जिन्हें मैती के नाम से जाना जाता है।
लोकटक झील यहां की एक महत्वपूर्ण झील है।
यहाँ के लोगों की भाषा मणिपुरी है जिसे 1992 में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया था I
राजधानी- इम्फाल
राज्यपाल- एल ए गणेशन
मुख्य मंत्री- एन बिरेन सिंह
3. जम्मू-कश्मीर में दो साल बाद मेला खीर भवानी शुरू हुआ
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वार्षिक माता खीर भवानी मेला 8 जून को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के तुल्लामुल्ला गांव में शुरू हुआ, जिसमें कश्मीरी पंडितों और पर्यटकों ने खीर भवानी मंदिर में मत्था टेका।
खीरभवानी मंदिर
मंदिर देवी राग्या देवी को समर्पित है।
मंदिर श्रीनगर शहर से 30 किमी दूर स्थित है, यह कश्मीरी हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।
मंदिर का नाम खीर, या दूध और चावल के हलवे से मिलता है, जिसे तीर्थयात्री देवी को प्रसाद के रूप में मंदिर परिसर के अंदर चढ़ाते हैं।
खीरभवानी मेला, वार्षिक अमरनाथ यात्रा के बाद कश्मीर में हिंदुओं का सबसे बड़ा जमावड़ा है।
किंवदंती है कि मंदिर के झरने का पानी सफेद से लाल और काले रंग में बदल जाता है।
कहा जाता है कि पानी का रंग आसन्न भविष्य की भविष्यवाणी करता है।
यदि पानी काले रंग में बदल जाए तो इसे अशुभ या आने वाली आपदा के रूप में देखा जाता है।
कश्मीरी पंडितों का कहना है कि 1990 के उग्रवाद के दौरान उन्हें कश्मीर से भागने के लिए मजबूर करने से पहले पानी काला हो गया था।
4. एफएसएसएआई की राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला का उद्घाटन रक्सौल, बिहार में किया गया
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केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और रसायन और उर्वरक मंत्री श्री मनसुख मंडाविया के द्वारा बिहार के रक्सौल में एफएसएसएआई की राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया।
भारत और नेपाल के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत नेपाल से आयातित खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच में लगने वाले समय को कम करने के लिए रक्सौल में इस प्रयोगशाला की स्थापना की गई हैI
वर्ष 2009 में प्रयोगशाला के लिए भवन का निर्माण किया गया था, लेकिन दक्ष कर्मियों की कमी और विभागीय उपेक्षा के चलते यह संस्थान अभी तक केवल कलेक्शन सेंटर के रुप में कार्य करता था।
प्रयोगशाला में तेल, वसायुक्त सामान, पानी, फल और सब्जियां, पेय पदार्थ, अनाज आदि जैसे उत्पादों के परीक्षण की व्यवस्था है।
इसमें उत्पाद की गुणवत्ता और जनजीवन पर पडऩे वाले प्रभावों की जांच की जाती है जिसके बाद व्यवसाय व उपयोग की अनुमति प्रदान की जाती है।
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के बारे में
केंद्र सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का गठन किया गया था।
इसका संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है।
मुख्यालय- दिल्ली
कार्य
एफएसएसएआई मानव उपभोग के लिये पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात की सुरक्षित व्यवस्था सुनिश्चित करने का कार्य करता है।
इसके अलावा यह देश के सभी राज्यों, ज़िला एवं ग्राम पंचायत स्तर पर खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री के निर्धारित मानकों को बनाए रखने में सहयोग करता है।
5. चंडीगढ़ में बनेगा वायुसेना का हेरिटेज सेंटर
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विभिन्न युद्धों में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की भूमिका और इसके समग्र कामकाज को प्रदर्शित करने के लिए चंडीगढ़ में एक विरासत केंद्र की स्थापना की जाएगीI
इस केंद्र की स्थापना के लिए केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और भारतीय वायुसेना के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
भारतीय वायु सेना और चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से ‘आईएएफ हेरिटेज सेंटर’ की स्थापना की जाएगी।
विरासत केंद्र का उद्देश्य युवाओं को भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करना है।
देश के पहले वायुसेना विरासत केंद्र में युद्ध के समय इस्तेमाल विमान, सिम्युलेटर, रॉकेट्स, मिसाइल और अन्य चीजें रहेंगी तथा लोग वायुसेना का इतिहास को पढ़ और देख सकेंगे।
भारतीय वायु सेना के बारे में
भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गयी थी।
स्वतन्त्रता से पूर्व इसे रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था I
हाल ही में जारी विश्व वायु शक्ति सूचकांक 2022 में भारतीय वायुसेना को अमेरिका और रूस के बाद तीसरे स्थान पर रखा गया है I
मुख्यालय- नई दिल्ली
वायु सेना प्रमुख- विवेक राम चौधरी।
6. कुरुक्षेत्र, हरियाणा में एक नई बायोमास आधारित बॉयलर तकनीक का शुभारंभ किया गया
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कुरुक्षेत्र, हरियाणा में एक नई बायोमास-आधारित बॉयलर तकनीक शुरू की गई है जो सभी प्रकार के कृषि अवशेषों को ईंधन के रूप में समायोजित करने का दावा करती है और पराली जलाने के बोझ को कम करने में भी मदद कर सकती है।
नए बॉयलर की क्षमता 75 टन प्रति घंटा है और इससे 15 मेगावाट बिजली पैदा होती है।
यह डेनमार्क की तकनीक है
कंपन करने वाली जाली के कारण यह दहन तकनीक लाभप्रद है।
मौजूदा पारंपरिक बॉयलर केवल विशिष्ट प्रकार के कृषि अवशेषों जैसे धान की भूसी, सरसों आदि के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और ऊर्जा उत्पादन में बायोमास योगदान को प्रतिबंधित करते हैं।
दूसरी ओर किसी भी प्रकार के बायोमास को जलाने के लिए वाइब्रेटिंग ग्रेट बॉयलर तकनीक एक बेहतर उपाय हो सकती है।
बायोमास क्या है?
यह अक्षय कार्बनिक पदार्थ है जो पौधों और जानवरों से बनता है।
यह कई देशों में एक महत्वपूर्ण ईंधन है, खासकर विकासशील देशों में खाना पकाने और गर्म करने के लिए।
कई विकसित देशों में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से बचने के साधन के रूप में परिवहन और बिजली उत्पादन के लिए बायोमास ईंधन का उपयोग बढ़ रहा है।
बायोमास में सूर्य से संग्रहीत रासायनिक ऊर्जा होती है।
7. पीएम मोदी ने यूपी में 80,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 3 जून को लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट (3.0) में भाग लिया और 80,000 करोड़ रुपये की 1,406 परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
इस समारोह में देश के शीर्ष उद्योग जगत के नेताओं ने भाग लिया।
पहला ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह 29 जुलाई, 2018 को हुआ था।
दूसरा ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह 28 जुलाई 2019 को आयोजित किया गया था।
पहले ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के दौरान 61,500 करोड़ रुपये से अधिक की 81 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया.
दूसरे ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में 67,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली 290 परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई।
निम्नलिखित परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई
कृषि और संबद्ध क्षेत्र, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, एमएसएमई, विनिर्माण, अक्षय ऊर्जा, फार्मा, पर्यटन, रक्षा और एयरोस्पेस, हथकरघा और कपड़ा आदि।
8. उत्तराखंड में फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुली
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विश्व प्रसिद्ध धरोहर स्थल एवं राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड की फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिये खोल दिया गया है यह गढ़वाल क्षेत्र में स्थित नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है।
समुद्र सतह से 3962 मीटर की ऊंँचाई पर स्थित फूलों की घाटी 87 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
6 नवंबर, 1982 को यूनेस्को ने इस घाटी को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।
फूलों की घाटी में पांँच सौ से अधिक रंग-बिरंगे फूलों की प्रजातियांँ पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र हैं।
इस राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में अल्पाइन फूलों तथा सुंदर घास के मैदान पाए जाते हैं।
यहाँ वनस्पतियों एवं जीवों की उच्च विविधता और घनत्व पाया जाता है, जिनमें हिम तेंदुए, हिमालयी कस्तूरी मृग तथा पौधों की विभिन्न प्रजातियों सहित अनेक संकटापन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
घाटी को हिंदू पौराणिक कथाओं में `नंदन कानन` अर्थात् “इंद्र का स्वर्ग” के रूप में वर्णित किया गया है।
नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982 में संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान के रुप में की गयी थीI
नन्दा देवी राष्ट्रीय उत्तराखंड के चमोली जिले ने स्थित हैI
यह उत्तरी भारत में उत्तराखंड राज्य में नंदा देवी की चोटी (7816 मी) पर स्थित है।
वर्ष 1988 में यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया था।
9. तेलंगाना स्थापना दिवस
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हर वर्ष 2 जून को तेलांगना फॉर्मेशन डे मनाया जाता है क्योंकि तेलंगाना 2 जून 2014 को भारत के 29वाँ राज्य के रूप में सामने आया थाI
यह दिन उन सभी लोगों के बलिदान और सहयोग को याद करता है जिन्होंने इस अलग राज्य को बनाने में अपना जी जान लगा दिया था।
राज्य का इतिहास
तेलंगाना का 1 नवंबर 1956 को तत्कालीन मद्रास से विभाजित कर तेलुगु बोलेने वाले लोग का आंध्र प्रदेश के साथ विलय कर दिया गया था।
1969 में, तेलंगाना क्षेत्र में एक नए राज्य के लिए विरोध और आंदोलन किया गया।
विरोध के बाद 1972 में आंध्र प्रदेश के रूप में एक अलग नए राज्य का गठन किया गया।
लगभग 40 वर्षों के विरोध के बाद, तेलंगाना बिल फरवरी 2014 में कांग्रेस वर्किंग कमीटी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा लोकसभा में पारित किया गया था।
विधेयक को 2014 में भारतीय संसद में पेश किया गया था और आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम को उसी वर्ष अपनी मंजूरी मिली थी।
विधेयक के अनुसार, तेलंगाना का गठन उत्तर-पश्चिमी आंध्र प्रदेश के दस जिलों द्वारा किया गया।
तेलंगाना राज्य के बारे में
राजधानी- हैदराबाद
राज्यपाल- तमिलसाई सौंदरंजन
मुख्यमंत्री- के. चंद्रशेखर राव
विधान सभा सीटें- 119
लोक सभा सीटें- 17
राज्य पक्षी- पलपिट्टा या नीलकंठ
राज्य पशु- जिन्का या कृष्णमृग
राज्य फूल- तांगेदु
महत्त्वपूर्ण तथ्य
राज्य | स्थापना दिवस |
राजस्थान | 1 नवंबर |
महाराष्ट्र | 1 मई |
गुजरात | 1 मई |
10. केंद्र ने चोरी की 10 मूर्तियां तमिलनाडु को सौंपी
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तमिलनाडु के मंदिरों से चोरी की गई 10 मूर्तियों को केंद्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार को वापस सौंप दिया है।
ये मूर्तियां 1960 से 2008 के बीच अलग-अलग जगहों से चोरी की गई थी।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को ये मूर्तियां अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने 2020, 2021, 2022 में सौंपी थी।
इन मूर्तियों को तमिलनाडु के डीजीपी सी शैलेंद्र बाबू को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान सौंपा गया।
जो मूर्तियां वापस की गई हैं उसमे द्वारपाल की दो मूर्ति है जोकि 15-16वीं शताब्दी की है, इसे 1994 में तिरुनेलवली से चुराया गया था।
दोनों ही मूर्तियों को ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 2020 में सौंपा था।
इसके अलावा दो धातु की मुर्तियां नरसिंघधर स्वामी मंदिर से 1985 में चोरी हुई थी, इसे अमेरिका ने भारत को सौंपा है।
एक कांसे की मूर्ति जोकि भगवान नटराज की है, यह 11-12वीं शताब्दी की मूर्ति है, इसे पुन्नैनल्लूर अरुलमिगु मरियमन मंदिर से 1966-77 में चोरी किया गया था। यह न्यूयॉर्क के म्युजियम में रखी थी।
इसके अलावा कांसे की एक और भगवान शिव व पार्वती की मूर्ति वनमिगंधार स्वामी मंदिर से चोरी हुई थी, यह मूर्ति इंडियाना से मिली है।
कुल मिलाकर, आठ कांस्य और दो पत्थर की मूर्तियां लौटाई गई हैं। मूर्तियों में से छह अमेरिका से और चार ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त की गई हैं।
तमिलनाडु की आइडल विंग
इसकी स्थापना 1983 में मूर्तियों की चोरी के मामलों की जांच के लिए की गई थी।
इसने अब तक 878 मूर्तियों को पुनः प्राप्त किया है।