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By admin: April 19, 2022

1. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा घटना प्रतिक्रिया अभ्यास (NCX इंडिया)

Tags: National News

हाल ही में, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा घटना प्रतिक्रिया अभ्यास (NCX India) का आयोजन किया।

  • यह 18 से 29 अप्रैल 2022 तक दस दिनों की अवधि में एक संकर अभ्यास के रूप में आयोजित किया जाएगा।

  • इसका उद्देश्य सरकार/महत्वपूर्ण क्षेत्र के संगठनों और एजेंसियों के वरिष्ठ प्रबंधन और तकनीकी कर्मियों को समकालीन साइबर खतरों और साइबर घटनाओं और प्रतिक्रिया से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना है।

  • यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस), भारत सरकार द्वारा डेटा सुरक्षा परिषद (डीएससीआई) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

  • यह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा समर्थित है।

  • एस्टोनियाई साइबर सुरक्षा कंपनी साइबरएक्सर टेक्नोलॉजीज द्वारा प्रशिक्षण के लिए मंच प्रदान किया जा रहा है।

  • प्रशिक्षण सत्र में लाइव फायर और सामरिक अभ्यास के माध्यम से 140 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

  • प्रतिभागियों को विभिन्न प्रमुख साइबर सुरक्षा क्षेत्रों जैसे घुसपैठ का पता लगाने की तकनीक, मैलवेयर सूचना साझाकरण प्लेटफॉर्म (MISP), भेद्यता प्रबंधन और प्रवेश परीक्षण, नेटवर्क प्रोटोकॉल और डेटा प्रवाह, डिजिटल फोरेंसिक, आदि पर प्रशिक्षित किया जाएगा।

By admin: April 12, 2022

2. हेलीना मिसाइल का सफल परीक्षण, अब अंधेरे में भी दुश्‍मन के टैंक पर लगा सकती है सटीक निशाना

Tags: National Defence

भारत ने 11 अप्रैल को एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल हेलीना का सफल परीक्षण किया है। इस मिसाइल का परीक्षण एडवांस्‍ड लाइट हेलीकाप्‍टर द्वारा लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्र में किया गया, जो पुर्णतः सफल रहा है।

  • ये मिसाइल फायर एंड फारगेट सिद्धांत पर कार्य करती है। इसका अर्थ है कि इसको लान्‍च करने के बाद में भूल जाओ, क्‍योंकि ये अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम हैं।

  • यह मिसाइल इंफ्रारेड इमेजिंग सिस्‍टम पर कार्य करती है।

  • टेस्‍ट के दौरान इस मिसाइल ने एक सिम्‍यु‍लेटेड टैंक पर अचूक निशाना लगाया। इस मिसाइल को एडवांस्‍ड लाइट हेलीकाप्‍टर से लान्‍च किया गया था।

  • भारत के पास एक और एंटी टैंक मिसाइल है जिसका नाम है नाग। ये दोनों ही मिसाइल हेलीकाप्‍टर से दागी जा सकती हैं और दोनों की ही रेंज सात किमी है।

  • रक्षा मंत्रालय के अनुसार डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और सेना ने मिलकर इस परिक्षण को अंजाम दिया है।

मिसाइल  की विशेषताएँ:

  • इसको किसी भी मौसम में दागा जा सकता है।

  • ये मिसाइल रात के अंधेरे में भी सटीक निशाना लगाने में सक्षम है और दुश्‍मन के टैंक नष्ट कर सकती है।

  • ये दो तरह से दुश्‍मन के टैंक को निशाना बनाने में सक्षम हैं। एक ये उसको सीधा मार सकती है और दूसरा टाप अटैक मोड में टैंक को निशाना बना सकती है।

भारत ने हाल ही में 101 ऐसे हथियारों और सिस्‍टम की कुल तीसरी सूची जारी की है जिसको अन्य देशों से आयात करने पर रोक लगाई गई है। ये रोक अगले पांच वर्षों तक है। भारत का ऐसा करने के पीछे उद्देश्य स्वयं को रक्षा के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनाना है। 

By admin: April 11, 2022

3. टैंक रोधी मार्गदर्शित मिसाइल 'हेलीना' का सफल परीक्षण

Tags: Defence

स्वदेश में ही विकसित हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली टैंक-रोधी मार्गदर्शित मिसाइल 'हेलीना' का 11 अप्रैल, 2022 को उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की वैज्ञानिकों की टीमों द्वारा यह परीक्षण उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण ट्रायल्स के भाग के रूप में संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।

  • ये परीक्षण एक उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) से किए गए थे और मिसाइल को नकली टैंक लक्ष्य पर सफलतापूर्वक दागा गया।

  • मिसाइल को एक इन्फ्रारेड इमेजिंग सीकर (आईआईआर) द्वारा निर्देशित किया जाता है जो लॉन्च से पहले लॉक ऑन मोड में काम करता है। 

  • यह दुनिया के सबसे उन्नत टैंक रोधी हथियारों में से एक है।

  • पोखरण में किए गए प्रमाणीकरण परीक्षणों के विस्तार में, उच्च ऊंचाई पर इसकी प्रभावकारिता का प्रमाण उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर के साथ इसके एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करता है।

By admin: April 11, 2022

4. भारत ने पिनाका एमके-आई राकेट के अपग्रेड वर्जन का सफल परीक्षण किया

Tags: Defence

पिनाका एमके- आई रॉकेट प्रणाली (ईपीआरएस) तथा पिनाका एरिया डेनियल मुनिशन (एडीएम) रॉकेट प्रणाली का पोखरण फायरिंग रेंज में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना द्वारा सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।

  • ट्रायल के दौरान परीक्षण के सभी उद्देश्यों को संतोषजनक तरीके से पूरा करते हुए इन रॉकेटों के द्वारा आवश्यक सटीकता और स्थिरता हासिल की गई थी।

पिनाका एमके-I :

  • पिनाका एमके-I एक अपग्रेटेड राकेट प्रणाली है जिसकी मारक क्षमता लगभग 45 किलोमीटर है। वहीं पिनाका-II राकेट सिस्‍टम की मारक क्षमता 60 किलोमीटर है। इस राकेट प्रणाली को डीआरडीओ की दो प्रयोगशालाओं आयुध उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) और अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) ने संयुक्त रूप से डिजाइन किया है।

पिनाका एमके-I की सामरिक क्षमता :  

  • चीन से तनाव बढ़ने के दौरान भारत ने पूर्वी लद्दाख और एलएसी पर पूरी तरह स्वदेशी इस प्रणाली को तैनात किया था।

  • इसका नाम भगवान शिव के धनुष 'पिनाक' के नाम पर रखा गया है। यह मल्टी बैरल राकेट लांचर प्रणाली है।

  • पिनाका एमके-I एन्हांस्ड राकेट सिस्टम शुरुआती पिनाका का अपग्रेडेट वर्जन है।

  • इस राकेट प्रणाली ने सेना को जमीन पर हमले का घातक विकल्प दिया है।

  • मल्‍टी-बैरल लांचर महज 44 सेकेंड्स में 72 राकेट्स दागने की क्षमता रखता है।

By admin: March 28, 2022

5. डीआरडीओ ने सतह से हवा में मार करने वाली दो मिसाइलों का परीक्षण किया

Tags: Defence

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 27 मार्च, 2022 को ओडिशा के तट पर चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) के भारतीय सेना संस्करण के दो सफल उड़ान परीक्षण किए।

  • यह एमआरएसएएम संस्करण भारतीय सेना द्वारा उपयोग के लिए डीआरडीओ और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई), इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।

  • यह 70 किलोमीटर तक की दूरी पर कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।

  • एमआरएसएएम आर्मी वेपन सिस्टम में मल्टी-फंक्शन रडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम और अन्य वाहन शामिल हैं।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण

डीआरडीओ अध्यक्ष: डॉ जी सतीश रेड्डी

डीआरडीओ  के अध्यक्ष रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार भी होते हैं।


 फुल फॉर्म : 

 एमआरएसएएम :  मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (MRSAM)

By admin: March 21, 2022

6. रूस द्वारा यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला

Tags: Popular International News

रूस ने 19 मार्च 2022 को जानकारी दी कि उसने यूक्रेन के पश्चिमी इवानो-फ्रैंकिव्स्क क्षेत्र में एक बड़े आयुध भंडार (हथियार डिपो) को नष्ट करने के लिए हाइपरसोनिक एरोबॉलिस्टिक किंजल (Kh-47M2) मिसाइलों का उपयोग किया है। 

यह पहली बार है जब रूस ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन में अपने सैनिकों को भेजने के बाद से हाइपरसोनिक किंजल प्रणाली को तैनात किया था।

मिग-31 लड़ाकू विमान से किंजल मिसाइल दागी जा सकती है। ये मिसाइल पारंपरिक हथियार या परमाणु हथियार दोनों ले जा सकती है।

हाइपरसोनिक मिसाइल

  • हाइपरसोनिक मिसाइल वे मिसाइलें हैं जो ऊपरी वायुमंडल में ध्वनि की गति से पांच गुना या लगभग 6,200 किमी प्रति घंटे की गति से उड़ सकती हैं।

  • मिसाइल की मुख्य विशेषता इसकी गतिशीलता है जो रडार द्वारा इसका पता लगाना बहुत कठिन बना देती है।

  • फिलहाल चीन ने मिसाइल का परीक्षण किया है और उत्तर कोरिया ने भी इसका परीक्षण करने का दावा किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के पास इस प्रकार की मिसाइलें नहीं हैं।

  • रक्षा एवं अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भी भारत में इस तकनीक को विकसित करने पर काम कर रहा है। 2020 में इसने स्वदेशी रूप से विकसित प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए हाई-स्पीड टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक किया था।

By admin: Jan. 24, 2022

7. भारत का अर्धचालक मिशन

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परिचय

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 29 दिसंबर, 2021 को भारत सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत की। जो कंपनियां भारत में अर्धचालकों और प्रदर्शन विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित 76,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहनों का लाभ लेने में रुचि रखती हैं, वे 1 जनवरी 2022 से इसके लिए आवेदन करना शुरू कर सकती हैं। अर्धचालक वे पदार्थ होते हैं जिनकी चालकता कंडक्टर और इन्सुलेटर के बीच होती है। वे सिलिकॉन या जर्मेनियम के शुद्ध तत्व, अथवा; गैलियमआर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड के यौगिक हो सकते हैं।

  • ये बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक हैं जो सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों के हृदय और मस्तिष्क के रूप में कार्य करते हैं।
  • ये चिप अब समकालीन ऑटोमोबाइल, घरेलू गैजेट्स और ईसीजी मशीनों जैसे आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का एक अभिन्न अंग हैं।

भारत के अर्धचालक मिशन की प्रमुख विशेषताएं

  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन के अंदर एक विशेष और स्वतंत्र व्यापार प्रभाग है। 
  • यह इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत के उद्भव को सक्षम करने के लिए एक जीवंत अर्धचालक और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
  • मिशन को सेमीकंडक्टर फैब योजना और डिस्प्ले फैब योजना के तहत आवेदकों के साथ बातचीत करने के लिए अधिकृत किया गया है। 
  • फैब (फैब्रिकेशन सुविधा) फैब्रिकेशन प्लांट के लिए छोटा है जहां कच्चे सिलिकॉन वेफर्स को संसाधित किया जाता है और एकीकृत सर्किट में बदल दिया जाता है।
  • इस मिशन को उचित प्रौद्योगिकी मिश्रण, अनुप्रयोगों, नोड उत्पादन, क्षमता, दूसरों के बीच में निर्णय लेने और चयनित आवेदकों के लिए राजकोषीय सहायता की संरचना और मात्रा का प्रस्ताव करने के लिए स्वायत्तता दी गई है। 
  • डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना का उद्देश्य नवोदित भारतीय सेमीकंडक्टर डिजाइन फर्मों की मदद करना है। भारत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, एक बड़े, योग्य इंजीनियरिंग कार्यबल और अनुकूल सरकारी नीतियों के सौजन्य से चिप डिजाइन के लिए एक प्रमुख वैश्विक केंद्र है
  • भारत में सिलिकॉन आधारित सेमीकंडक्टर फैब के कुछ प्रकारों स्थापना के लिए परियोजना लागत के 50 प्रतिशत तक के राजकोषीय समर्थन को मंजूरी दी गई है। 
  • वित्तीय सहायता अनुमोदन की तारीख से छह साल के लिए है। 
  • भारत में स्थापित सेमीकंडक्टर फैब्स भी सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की खरीद में खरीद वरीयता के लिए पात्र होंगे।
  • भारत में डिस्प्ले फैब्स स्थापित करने के लिए इस योजना के तहत प्रति फैब 12,000 करोड़ रुपये तक की सहायता निर्धारित की गई है। इस योजना का उद्देश्य टीएफटी एलसीडी या एमोलेड-आधारित डिस्प्ले पैनलों के विनिर्माण में बड़े निवेश को आकर्षित करना है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सेमी-कंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल) के आधुनिकीकरण और व्यावसायीकरण के लिए अपेक्षित कदम उठाएगा।
  • देश में कम्पाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर सुविधाओं की स्थापना के लिए एक स्कीम अनुमोदित इकाइयों को पूंजीगत व्यय के 30 प्रतिशत की राजकोषीय सहायता प्रदान करती है। 

सेमीकंडक्टर उद्योग का महत्व क्या है 

  • सेमीकंडक्टर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) वातावरण में ऐसा करना जारी रखेंगे, जहां दुनिया भर में सभी प्रकार के भौतिक उपकरण इंटरनेट से जुड़े होंगे, मूल रूप से 5 जी नेटवर्क पर डेटा एकत्र और साझा करेंगे।
  • अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का एक आवश्यक घटक है। सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) वह इंजन है जो आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं को चलाता है। कोर आईसीटी - जिसमें अर्धचालक, 5 जी बुनियादी ढांचा, डेटा केंद्र शामिल हैं - वह सेवा परत है जहां एप्लिकेशन प्रदान किए जाते हैं, चाहे वह सोशल मीडिया या ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म हो। कोर आईसीटी स्मार्टफोन, कंप्यूटिंग, स्वास्थ्य देखभाल, सैन्य प्रणालियों, परिवहन, स्वच्छ ऊर्जा, खोज इंजन, जीन अनुक्रमण और अनगिनत अन्य अनुप्रयोगों में नवाचार को सक्षम बनाता है।

भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण 

  • इस मिशन के साथ भारत सरकार देश में कम से कम दो ग्रीनफील्ड सेमीकंडक्टर फैब्स और दो डिस्प्ले फैब्स स्थापित करने के लिए आवेदनों को मंजूरी देने के लिए भूमि, अर्धचालक ग्रेड पानी, उच्च गुणवत्ता वाली शक्ति, प्रचालन तंत्र और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के संदर्भ में आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ उच्च तकनीक क्लस्टर स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी।
  • उदाहरण के लिए, भारत में, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश ऑटोमोबाइल, मोबाइल फोन और औद्योगिक भागों के लिए विनिर्माण केंद्रों का नेतृत्व कर रहे हैं और अर्धचालक विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना कर रहे हैं
  • वर्तमान में, भारत में दो निर्माण सुविधाएं (फैब्स) हैं, यानी सितार, बेंगलुरु में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक इकाई और चंडीगढ़ में एक अर्धचालक प्रयोगशाला, जो रक्षा और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक उद्देश्यों के लिए सिलिकॉन चिप्स का निर्माण करती है, न कि वाणिज्यिक उपयोग के लिए।
  • कई प्रमुख स्टार्टअप हैं, जैसे सिग्नलचिप, एक सेमीकंडक्टर कंपनी जो बेंगलुरु में स्थित है, जिसने 4 जी और 5 जी मॉडम चिप्स को रोल आउट किया है। 
  • सांख्य लैब्स, बेंगलुरु स्थित एक और स्टार्टअप है जो रक्षा, उपग्रह संचार और प्रसारण में उपयोग के लिए चिपसेट बना रहा है। एक औरशक्ति नामक एक माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे आईआईटी मद्रास में विकसित किया गया है, जिसका उपयोग मोबाइल कंप्यूटिंग उपकरणों, एम्बेडेड कम शक्ति वाले वायरलेस सिस्टम जैसे स्मार्टफोन, निगरानी कैमरों और नेटवर्किंग सिस्टम में किया जा सकता है। 

भारत में सेमीकंडक्टर मिशन की क्या जरूरत है

  • चीन का एकाधिकारचीन दुनिया के वैश्विक अर्धचालक बाजार का 54% है, इसलिए चीन से आर्थिक गतिविधियों को कम करना संभव नहीं हो सकता है। अमेरिका-चीन रणनीतिक प्रतिस्पर्धा भारतीय कंपनियों पर दबाव डालेगी क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्थाओं को खोने का कारण बन सकता है जिससे उद्योग को लाभ होता है। यह माना गया है कि चीन को माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से बाहर करना संभव नहीं है, इसलिए स्वदेशी डिजाइन क्षमता विकसित करना फिर भी महत्वपूर्ण है।
  • मजबूत अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकताकोविड -19 के कारण कई उद्योगों ने चिपों की कमी देखी है और भारत में एक मजबूत अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की मांग की है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और चिकित्सा प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों को चिपों की कमी से गंभीर रूप से प्रभावित किया गया है जो मुख्य रूप से पूर्वी एशिया में निर्मित हैं। इस पृष्ठभूमि में, मिशन 'एक स्थायी अर्धचालक और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए एक व्यापक कार्यक्रम' है।

केंद्र ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए 2.30 ट्रिलियन रुपये का समर्थन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इस संदर्भ में मिशन आत्म निर्भर भारत के लिए आगे बढ़ने का एक तरीका है। 

  • सामरिक महत्व: वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में, अर्धचालक और डिस्प्ले के विश्वसनीय स्रोत रणनीतिक महत्व रखते हैं और महत्वपूर्ण सूचना बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। 
  • डिजिटल संप्रभुताअनुमोदित कार्यक्रम नवाचार को बढ़ावा देगा और भारत की डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए घरेलू क्षमताओं का निर्माण करेगा। ताइवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान और हाल ही में, चीन सहित मुट्ठी भर देशों में केंद्रित अर्धचालक विनिर्माण और आपूर्ति क्षमता के थोक के साथ, दुनिया भर की सरकारों ने महसूस किया है कि चिप विनिर्माण को रणनीतिक अनिवार्यता के रूप में मानना राष्ट्रीय हित में है
  • रोजगार के कुशल अवसरयह देश के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने के लिए अत्यधिक कुशल रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
  • वैश्विक बाजार के साथ गहरा एकीकरणअर्धचालक और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का वैश्विक मूल्य श्रृंखला के गहरे एकीकरण के साथ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में गुणक प्रभाव पड़ेगा। कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में उच्च घरेलू मूल्य वर्धन को बढ़ावा देगा और 2025 तक 1 ट्रिलियन अमरीकी डालर की डिजिटल अर्थव्यवस्था और 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर की जीडीपी प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
  • विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन पैकेजकार्यक्रम अर्धचालक और प्रदर्शन विनिर्माण के साथ-साथ डिजाइन में कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करके इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में एक नए युग की शुरुआत करेगा। इससे भारत के तकनीकी नेतृत्व और आर्थिक आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होगा।
  • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की नींव हैं जो उद्योग 4.0 के तहत डिजिटल परिवर्तन के अगले चरण को चला रहे हैं। 
  • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग एक बहुत ही जटिल और प्रौद्योगिकी-गहन क्षेत्र है जिसमें भारी पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, लंबी विकसित होने कि प्रक्रिया और पेबैक अवधि, और प्रौद्योगिकी में तेजी से परिवर्तन शामिल हैं, जिसके लिए महत्वपूर्ण और निरंतर निवेश की आवश्यकता होती है। यह कार्यक्रम पूंजीगत समर्थन और तकनीकी सहयोग को सुविधाजनक बनाकर अर्धचालक और प्रदर्शन विनिर्माण को बढ़ावा देगा।

सेमीकंडक्टर मिशन शुरू करने के लिए भारत के सामने चुनौतियां

  • ताइवान और वियतनाम का गढ़: भारत इस महामारी की स्थिति में भी विदेशी कंपनियों को अपने व्यवसाय को शुरू करने के लिए भारत आने के लिए लाभ प्रदान कर रहा है जैसे कि व्यापार करने के लिए आवश्यक भूमि से दोगुना और नई कंपनियों को आकर्षित करने के लिए मुफ्त बिजली और पानी की आपूर्ति आदि। लेकिन चीन से बाहर निकलने वाली अधिकांश कंपनियां वियतनाम और ताइवान को पसंद कर रही हैं। 

ताइवान सेमीकंडक्टर विनिर्माण कंपनी, वैश्विक चिप विनिर्माण उद्योग में एक आभासी एकाधिकार रखती है। कंपनी दुनिया में निर्मित होने वाले सभी सेमीकंडक्टर चिपों के आधे से अधिक का निर्माण करता है, और कुल मिलाकर देश वैश्विक उत्पादन के 60 प्रतिशत से अधिक का निर्माण करताहै। अन्य प्रमुख केंद्रों में दक्षिण कोरिया और अमेरिका शामिल हैं।

  • भारत के असफल प्रयास: सरकार ने इससे पहले 2017 में विदेशी कंपनियों को संबंधित मशीनरी और उपकरणों के आयात के लिए सीमा शुल्क माफ करके भारत में अपनी सुविधाएं स्थापित करने की पेशकश की थी। हालांकि, इसका जवाब शून्य था।

2020 में, केंद्र सरकार ने रुचि की एक और अभिव्यक्ति (ईओआई) जारी की, जिसमें उन कंपनियों को आमंत्रित किया गया जो अर्धचालक निर्माण इकाइयों की स्थापना में रुचि रखते थे। सेमीकंडक्टर दिग्गज इंटेल को भारत में लुभाने का एक पहले असफल प्रयास जिसने इसके बजाय वियतनाम को चुना था, वह भी मोर्चे पर भारत की वास्तविक प्रगति की कमी की याद दिलाता है।

  • सेमीकंडक्टर योजना में खामियां: हाल ही में शुरू की गई योजना देश में डिजाइन सेवा फर्मों के बारे में बात नहीं करती है जबकि इस क्षेत्र में अधिकांश भारतीय इंजीनियर वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन फर्मों को सेवाएं प्रदान करते हैं। सरकार को इन डिजाइन सेवा कंपनियों को डिजाइन बुनियादी ढांचे के समर्थन प्रोत्साहन के तहत लाना चाहिए था। 

100 फर्मों के लिए एक औद्योगिक नीति के प्रशासन के लिए नोडल एजेंसी, सी-डैक को अपनी नियामक क्षमता में काफी सुधार करने की आवश्यकता होती है। अन्यथा, देरी, रेंट सीकिंग और भ्रष्टाचार इस योजना को प्रभावित करेगा।

  • यह योजना उच्च आवृत्ति, उच्च शक्ति, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले विशेष फैब्स के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है। यह पारंपरिक सिलिकॉन अर्धचालक चिपों की असेंबली, परीक्षण, अंकन और पैकेजिंग (ATMP) इकाइयों को भी कवर करेगा। क्या इस योजना से भारत में एटीएमपी इकाइयों की स्थापना होगी, यह योजना के बाहर के कारकों पर निर्भर कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश एटीएमपी इकाइयां लागत कारणों से चिप फैब्स के साथ युग्मित होती हैं। इसे भारत में आयात, पैकेज्ड और उसके बाद फिर से निर्यात करने की आवश्यकता होगी। ऐसी एटीएमपी इकाइयों को लागत-प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए आयात बाधाओं को कम करने की आवश्यकता होगी।
  • प्रौद्योगिकी में परिवर्तन: सेमीकंडक्टर से संबंधित प्रौद्योगिकी तेजी से बदल रही है और वह भी कुछ कंपनियों के साथ सीमित है। नोड स्केलिंग से सीमित सुधारों को देखते हुए, चिपों का उत्पादन बढ़ाने के लिएचिप पैकेजिंग अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनता जारहा है। क्वाड और ताइवान जैसे अन्य विश्वसनीय भागीदारों के साथ इस क्षेत्र में अनुसंधान सहयोग दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  • बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकताफैब विनिर्माण इकाइयों की स्थापना में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक यह तथ्य है कि इसे अरबों रुपयों के बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है।
  • बुनियादी ढांचे की कमी: इस मुद्दे का मुख्य बिन्दु यह है कि चिप विनिर्माण क्षेत्र में प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के मामले में भारत अभी भी बराबर नहीं है। एक चिप के लिए सैकड़ों गैलन शुद्ध पानी की आवश्यकता होती है, जो आवश्यक मात्रा में भारत में ढूंढना भी मुश्किल हो सकता है। चिप विनिर्माण के लिए निर्बाध बिजली की आपूर्ति की आवश्यकता होती है|
  • अन्य वैश्विक निर्माताओं, विशेष रूप से चीन, जो 2025 तक अपने 70% उत्पादों में स्थानीय अर्धचालकों को अपनाने के लिए एक घरेलू चिप कार्यक्रम का निर्माण कर रहा है, से भी निरंतर मूल्य दबाव है।

क्या किया जा सकता है 

  • अर्धचालक उत्पादन एक अत्यधिक संसाधन, ज्ञान और उत्सर्जन गहन प्रक्रिया है। कारखानों को तकनीकी ज्ञान और एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र के अलावा बिजली की निरंतर निर्बाध आपूर्ति और पानी की विशाल मात्रा की आवश्यकता होती है जिसमें चिपों के बीच के बाकी प्रसंस्करण को शामिल किया जाता है और फिर उत्पादों में वास्तविक उपयोग के लिए रखा जाता है।
  • पर्याप्त भूमि, जल और जनशक्ति वाले संयंत्रों के लिए नियोजित क्षेत्र स्थापित करने के लिए उपयुक्त स्थानों की भी आवश्यकता है।
  • भारत को एक परेशानी रहित व्यापार प्रक्रिया प्रदान करने के लिए कर बाधाओं पर काम करना चाहिए।

By admin: Jan. 11, 2022

8. भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत समुद्री संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

Tags: Science and Technology

भारत ने 11 जनवरी 2022 को नव कमीशन आईएनएस विशाखापत्तनम से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के उन्नत समुद्री संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत समुद्री संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ ने कहा कि मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य को सटीक रूप से पहुच गया।
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के टीम वर्क को बधाई दी।
  • भारतीय नौसेना ने ट्वीट किया है कि “आईएनएस विशाखापत्तनम से विस्तारित दूरी की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया और भारतीय नौसेना का नवीनतम स्वदेशी निर्मित विध्वंसक मिसाइल जुड़वां उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता है जो जहाज की युद्ध प्रणाली और आयुध परिसर की सटीकता को प्रमाणित करता है। एक नई क्षमता की पुष्टि करता है जो मिसाइल नौसेना और राष्ट्र को प्रदान करती है।"

अतिरिक्त जानकारी:

  • भारतीय नौसेना ने 2005 से ब्रह्मोस को तैनात किया है जो रडार क्षितिज से परे समुद्र-आधारित लक्ष्यों को प्रहार करने की क्षमता रखता है।
  • जहाज से ब्रह्मोस को एक इकाई के रूप में या 2.5 सेकंड के अंतराल से अलग करके आठ तक की संख्या में एक सैल्वो में शुरू किया जा सकता है। ये साल्वो आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों वाले लक्ष्यों के समूह को मार और नष्ट कर सकते हैं। जहाजों के लिए 'प्राइम-स्ट्राइक वेपन' के रूप में ब्रह्मोस लंबी दूरी पर नौसैनिक-सतह के लक्ष्यों को भेदने की उनकी क्षमता में काफी वृद्धि करता है।

ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नामों का एक संयोजन हैब्रह्मोस मिसाइलों को ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है, जो डीआरडीओ और रूस के मशीनोस्ट्रोनिया द्वारा स्थापित एक संयुक्त उद्यम कंपनी है

By admin: Jan. 3, 2022

9. उपराष्ट्रपति का लक्षद्वीप और केरल का दौरा

Tags: National News

  • उपराष्ट्रपति 31 दिसंबर 2021 से 4 जनवरी 2022 तक लक्षद्वीप और केरल की 5 दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं।

उनकी लक्षद्वीप यात्रा के महत्वपूर्ण अंश:

  • उन्होंने 31 दिसंबर, 2021 को लक्षद्वीप का दौरा किया।
  • उन्होंने 1 जनवरी, 2022 को लक्षद्वीप के कदमत और एंड्रोट द्वीपों में कला और विज्ञान के दो कॉलेजों का उद्घाटन किया।

इसके बाद उन्होंने 2 जनवरी 2022 को केरल का दौरा किया:

  • उन्होंने कोच्चि का दौरा किया, जहां भारत का स्वदेशी नौसेना विमान वाहक आईएनएस विक्रांत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन है।
  • बाद में कोच्चि में एक डीआरडीओ सुविधा, नेवल फिजिकल एंड ओशनोग्राफिक लेबोरेटरी (एनपीओएल) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल का अनावरण किया।
  • उन्होंने टोड एरे इंटीग्रेशन फैसिलिटी की आधारशिला भी रखी और नौसेना को एक स्वचालित सोनार ट्रेनर सौंपा

आईएनएस विक्रांत

जहाज का आदर्श वाक्य "जयमा सां युधिस्पति:" है, जो ऋग्वेद से लिया गया है और इसका अर्थ है "मैं उन लोगों को हराता हूं जो मेरे खिलाफ लड़ते हैं"।

  • आईएनएस विक्रांत जिसे स्वदेशी विमान वाहक 1 (IAC-1) के रूप में भी जाना जाता है, भारत में निर्मित होने वाला पहला विमानवाहक पोत है, इसका निर्माण भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया जा रहा है।

भारत के पहले विमानवाहक पोत विक्रांत (R11) को श्रद्धांजलि के रूप में इसका नाम 'विक्रांत' रखा गया है।

By admin: Dec. 27, 2021

10. रक्षा मंत्री ने लखनऊ में नए ब्रह्मोस विनिर्माण केंद्र की नींव रखी

Tags: Defence

  • रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में  उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपी डीआईसी), में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्थापित रक्षा प्रौद्योगिकी और परीक्षण केंद्र तथा ब्रह्मोस विनिर्माण केंद्र की आधारशिला रखी।
  • यह 200 एकड़ से अधिक को कवर करेगा और नए ब्रह्मोस-एनजी (अगली पीढ़ी) संस्करण का उत्पादन करेगा, जो ब्रह्मोस हथियार प्रणाली की वंशावली को आगे बढ़ाता है।
  • यह नया केंद्र अगले दो से तीन वर्षों में तैयार हो जाएगा और प्रति वर्ष 80-100 ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलों की दर से उत्पादन शुरू करेगा।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड

  • यह रूस केएनपीओ माशिनोस्ट्रोयेनिया और डीआरडीओ का संयुक्त उद्यम है।
  • कंपनी का नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
  • इसने दुनिया की पहली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस विकसित की है जिसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है और इसकी गति 2.8 से 3 मच(Mach) है।
  • वर्तमान में ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड के हैदराबाद, नागपुर और बिलानी (मध्य प्रदेश) में विनिर्माण केंद्र हैं।
  • नई पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी (अगली पीढ़ी) मौजूदा ब्रह्मोस पर आधारित एक छोटा संस्करण है, जिसकी सीमा और गति मौजूदा ब्रह्मोस के समान होगी लेकिन इसका वजन लगभग 1.5 टन, लंबाई में 5 मीटर ,व्यास में 50 सेमी कम , 50 प्रतिशत हल्का और अपने पूर्ववर्ती से तीन मीटर छोटा होगा।

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