1. नीति आयोग का इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2021 - कर्नाटक, मणिपुर और चंडीगढ़ शीर्ष पर
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नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने 21 जुलाई को नीति आयोग का इंडिया इनोवेशन इंडेक्स (तीसरा संस्करण) जारी किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
इंडिया इनोवेशन इंडेक्स में कर्नाटक शीर्ष पर है।
रैंकिंग में तेलंगाना और हरियाणा क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
कर्नाटक ने 'प्रमुख राज्यों' की श्रेणी में फिर से शीर्ष स्थान हासिल किया है।
मणिपुर 'पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों' की श्रेणी में सबसे ऊपर है, उसके बाद उत्तराखंड और मेघालय हैं।
'केंद्र शासित प्रदेशों' की श्रेणी में चंडीगढ़ शीर्ष पर है उसके बाद दिल्ली का स्थान है।
रैंकिंग में कर्नाटक शीर्ष पर क्यों है?
कर्नाटक एफडीआई आकर्षित करने और बड़ी संख्या में उद्यम पूंजी सौदों के कारण शीर्ष पर है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी निर्यात और भौगोलिक संकेत पंजीकरण के मामले में भी कर्नाटक शीर्ष 'प्रदर्शनकर्ता' है।
इंडिया इनोवेशन इंडेक्स क्या है?
सूचकांक हर साल नीति आयोग और प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान द्वारा जारी किया जाता है।
यह देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के मूल्यांकन और विकास के लिए एक व्यापक उपकरण है।
पहला और दूसरा संस्करण क्रमशः 2019 और 2021 में लॉन्च किया गया था।
इसके अंतर्गत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाने के लिए उनके नवाचार प्रदर्शन पर रैंक किया जाता है।
पिछले संस्करण में उपयोग किए गए 36 संकेतकों की तुलना में इस बार 66 संकेतकों को शामिल किया गया है।
सूचकांक का महत्व
नवीनतम रिपोर्ट ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) के ढांचे पर तैयार की गई है जिससे देश में नवाचार विश्लेषण के दायरे को मजबूती मिलती है।
भारत की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों में नवाचार सबसे आगे है।
नवोन्मेष पर जोर देकर, भारत अपने विनिर्माण को बढ़ा सकता है और अपनी निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता विकसित कर सकता है।
यह राज्यों की नवीन क्षमताओं को प्रदर्शित करता है, उनकी क्षमता और कमजोरियों को उजागर करता है।
2. पिछले छह वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 85 प्रतिशत से अधिक निर्यात वृद्धि
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पिछले छह वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि उत्पादों के निर्यात में 85 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
महत्वपूर्ण तथ्य
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार 2016-17 में 2.52 मिलियन डॉलर से 2021-22 में निर्यात 17 मिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।
निर्यात का प्रमुख गंतव्य बांग्लादेश, भूटान, मध्य पूर्व, यूके और यूरोप के देश रहे हैं।
असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर राज्यों से कृषि उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पिछले तीन वर्षों में, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास और प्राधिकरण (APEDA) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में निर्यात जागरूकता पर 136 क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
एपीडा ने 24 जून को गुवाहाटी में प्राकृतिक, जैविक और भौगोलिक संकेतों (जीआई) कृषि उत्पादों की निर्यात क्षमता पर एक सम्मेलन का आयोजन किया।
भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र
उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में आठ राज्य शामिल हैं - अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा।
भारत का उत्तर पूर्वी क्षेत्र एक भू-आबद्ध क्षेत्र है, जिसकी समुद्र तक पहुंच नहीं है।
यह भौगोलिक रूप से शेष भारत से अलग है और सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) नामक भूमि की एक संकीर्ण पट्टी द्वारा मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है।
सिक्किम - सात बहनों का 'भाई'
असम- विश्व का सबसे बड़ा 'चाय उत्पादक'
मणिपुर- भारत का गहना
अरुणाचल प्रदेश- उगते सूरज की भूमि
मेघालय- भारत का स्कॉटलैंड
त्रिपुरा- पूर्वोत्तर में सबसे अधिक 'साक्षर' लगभग 95% साक्षरता दर
3. खारची पूजा महोत्सव 2022
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खर्ची पूजा या खारची पूजा त्रिपुरा का एक हिंदू त्योहार है। इस त्योहार में 14 हिन्दू देवी- देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है, जिन्हें त्रिपुरी लोगों के कुल देवता माना जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
त्यौहार में 14 देवता- शिव, दुर्गा, विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक, गणेश, ब्रह्मा, अबधी (जल के देवता), चंद्र, गंगा, अग्नि, कामदेव और हिमाद्री (हिमालय) शामिल हैं।
खारची पूजा मुख्य रूप से एक आदिवासी त्योहार है लेकिन इसकी उत्पत्ति हिंदू धर्म से हुई है।
वार्षिक ‘खारची पूजा’ और त्योहार नश्वर आत्माओं के पापों को शुद्ध करने के लिए है।
खारची पूजा पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिंदू आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है।
‘खारची पूजा’ में शामिल होने के लिए पूरे देश और पड़ोसी बांग्लादेश से हजारों लोग इकट्ठा होते हैं।
14 देवताओं का मंदिर महाराजा कृष्ण माणिक्य के शासनकाल के दौरान बनाया गया था।
यह 1760 ईस्वी के आसपास से मनाई जा रही एक सदियों पुरानी परंपरा हैI
पूर्वोत्तर राज्यों के प्रमुख त्यौहार
सिक्किम - लोसर , सागा दवा , लोसांग
नागालैंड - हॉर्नबिल फेस्टिवल , मोत्सु फेस्टिवल
असम - बिहू , अम्बुबाची मेला
मणिपुर - योशांग ,पोराग
मिजोरम - चापचरकुट महोत्सव
मेघालय - पोम्बलंग नोंगकर्म, चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल
4. भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर यूनेस्को पैनल के लिए चुना गया
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भारत को 2022-2026 की अवधि के लिए 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण मानकों (आईसीएच) के लिए यूनेस्को के 2003 समझौते की अंतर सरकारी समिति' में चुना गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य
भारत इससे पहले आईसीएच समिति का सदस्य 2006 से 2010 तक और 2014 से 2018 तक दो बार रह चुका है।
भारत यूनेस्को की दो प्रतिष्ठित समितियों में शामिल है। इनमें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (2022-2026) और विश्व विरासत (2021-2025) समितियां हैं।
यह भारत के लिए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मूल्यों को पुन:स्थापित करने का एक और अवसर होगा।’’
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अनुसार एशिया-प्रशांत समूह में चार सीट रिक्त थीं और छह देशों-भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया एवं थाइलैंड ने अपनी उम्मीदवारी पेश की थी।
बयान के मुताबिक भारत को 155 देशों में से 110 के वोट मिले।
2003 के समझौते की अंतरसरकारी समिति में 24 सदस्य हैं।
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त भारत की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
(1) वैदिक जप की परंपरा (3) रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन (3) कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर (4) राममन, गढ़वाल हिमालय के धार्मिक त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान, भारत (5) मुदियेट्टू, अनुष्ठान थियेटर और केरल का नृत्य नाटक (6) कालबेलिया लोक गीत और राजस्थान के नृत्य (7) छऊ नृत्य (8) लद्दाख का बौद्ध जप: हिमालय के लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, भारत में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ (9) मणिपुर का संकीर्तन, पारंपरिक गायन, नगाडे और नृत्य (10) पंजाब के ठठेरों द्वारा बनाए जाने वाले पीतल और तांबे के बर्तन (11) योग (12) नवरोज़, (13) कुंभ मेला (14) दुर्गा पूजा, कोलकाताI
यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 में स्थायी शांति बनाए रखने के रूप में "मानव जाति की बौद्धिक और नैतिक एकजुटता" को विकसित करने के लिये की गई थी।
यूनेस्को सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्त्व के स्थलों को आधिकारिक तौर पर विश्व धरोहर की मान्यता प्रदान करती है।
भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 40 मूर्त विरासत धरोहर स्थल (31 सांस्कृतिक, 8 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं और 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें हैं।
अमूर्त संस्कृति
अमूर्त संस्कृति किसी समुदाय, राष्ट्र आदि की वह निधि है जो सदियों से उस समुदाय या राष्ट्र के अवचेतन को अभिभूत करते हुए निरंतर समृद्ध होती रहती है।
अमूर्त सांस्कृतिक समय के साथ अपनी समकालीन पीढि़यों की विशेषताओं को अपने में आत्मसात करते हुए मौजूदा पीढ़ी के लिये विरासत के रूप में उपलब्ध होती है।
5. हरियाली महोत्सव - 2022
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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 8 जुलाई, 2022 को तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में "आजादी का अमृत महोत्सव" की भावना से "हरियाली महोत्सव 2022 " का आयोजन किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
इसका आयोजन वर्तमान पीढ़ियों के जीवन को बनाए रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के जीवन को सुरक्षित रखने में पेड़ों के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।
इस महोत्सव को वन संरक्षण एवं वृक्षारोपण के प्रति जनता में उत्साह पैदा करने के लिए एक प्रभावी उपकरण के तौर पर मनाया गया।
हरियाली महोत्सव
हरियाली महोत्सव वनों के संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए जनमानस में उत्साह उत्पन्न करने का एक प्रभावी साधन है।
हरियाली महोत्सव 2020 का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दिल्ली में राज्य सरकार, पुलिस और स्कूलों के सहयोग से किया गया ताकि इस अवसर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जा सके।
इस आयोजन को चिह्नित करने के लिए पूरे भारत में वृक्षारोपण अभियान आयोजित किये गए । वृक्षारोपण अभियान में, भारत भर में 75 पुलिस स्टेशन, 75 नगर वन, दिल्ली / एनसीआर में 75 स्कूल और भारत भर में 75 वृक्षारोपण स्थल, भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष के सम्मान में शामिल हुए।
यह आयोजन पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के नेतृत्व वाली पहलों और नीतियों का पूरक है।
2022 के प्रमुख मेले / महोत्सव
महोत्सव | आयोजन स्थल |
40वां हुनर हाट महोत्सव | मुंबई |
सरहुल महोत्सव 2022 | झारखण्ड |
35वां सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला | हरियाणा (भागीदार राष्ट्र - उज्बेकिस्तान) |
राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव 2022 | नई दिल्ली |
विज्ञान सर्वत्र पूज्यते | नई दिल्ली |
मेदाराम जतारा महोत्सव 2022 | तेलंगाना |
हेरथ महोत्सव 2022 | जम्मू कश्मीर |
मारू महोत्सव 2022 | जैसलमेर (राजस्थान ) |
कंचोथ महोत्सव 2022 | जम्मू कश्मीर |
18वां कचाई लेमन फेस्टिवल | काँची, मणिपुर |
6. व्यापार सुधार कार्य योजना (बीआरएपी) रिपोर्ट, 2020
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हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EoDB) रैंकिंग जारी की है, जो बिज़नेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP) रिपोर्ट, 2020 पर आधारित है।
रैंकिंग का उद्देश्य BRAP में राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करने की प्रणाली के माध्यम से एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धी माहौल के माध्यम से निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापार करने में आसानी और देश भर में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना है।
मापदंडों में विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं, जैसे- निर्माण परमिट, श्रम विनियमन, पर्यावरण पंजीकरण, सूचना तक पहुंँच, भूमि की उपलब्धता और एकल खिड़की प्रणाली।
बिज़नेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP) रिपोर्ट में राज्यों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है
टॉप अचीवर्स
सात राज्यों - आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना और तमिलनाडु को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में 'टॉप अचीवर्स' के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
अचीवर्स
हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश अन्य राज्य हैं जिन्हें रैंकिंग में अचीवर्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
आकांक्षीे
सात राज्यों - गोवा, असम, केरल, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और बंगाल को 'आकांक्षी' ज़िलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
उभरते व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र
छह राज्य - मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, पुद्दुचेरी और जम्मू-कश्मीर - 'उभरते व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र' थे।
BRAP के बारे में
इसे वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
इसे राज्यों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने के लिये प्रस्तुत किया गया था।
इससे प्रत्येक राज्य में निवेश आकर्षित करने और आसानी से व्यवसाय करने में मदद मिलेगी।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग, वर्ष 2014 से BRAP अभ्यास में निर्धारित सुधारों के कार्यान्वयन में राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन के आधार पर उनका आकलन कर रहा है।
अब तक वर्ष 2015, वर्ष 2016, वर्ष 2017-18, वर्ष 2019 और वर्ष 2022 के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का आकलन जारी किया जा चुका है।
7. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जिलों के लिए जारी किया प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स
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स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSE&L), शिक्षा मंत्रालय (MoE) द्वारा जारी परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के अनुसार, राजस्थान के तीन ज़िलों- सीकर, झुंझुनू और जयपुर को वर्ष 2019-20 में 'उत्कर्ष' ग्रेड में रखा गया है I
एक साल पहले कोई भी ज़िला 'उत्कर्ष श्रेणी में नहीं आता था।
राजस्थान में इस ग्रेड में सबसे अधिक 24 ज़िले हैं, इसके बाद पंजाब (14), गुजरात (13), और केरल (13) का स्थान है।
वर्ष 2020 में इस श्रेणी में सबसे कम अंक (50 में से 1) वाले ज़िले में साउथ सलमारा-मांकचर (असम), अलीराजपुर (मध्य प्रदेश), नार्थ गारो हिल्स एंड साउथ गारो हिल्स इन मेघालय, एंड खोवै (त्रिपुरा) है I
बिहार, गोवा, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड में एक भी ज़िला अति-उत्तम और उत्तम श्रेणी में नही है I
प्रगति
रिपोर्ट के अनुसार, सभी श्रेणियों में ज़िलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
अति उत्तम ग्रेड में 2018-19 से 2019-20 के दौरान ज़िलों की संख्या 49 से बढ़कर 86 हो गई, जो "उल्लेखनीय सुधार" दर्शाती है।
33 ज़िलों ने परिणामों में अपने स्कोर में सुधार किया, लेकिन ग्रेड-स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ।
डिजिटल लर्निंग श्रेणी: 2018-19 की तुलना में 20 ज़िलों ने 20% से अधिक सुधार दिखाया है, जबकि 43 ज़िलों ने 2019-20 के दौरान अपने स्कोर में 10% से अधिक सुधार किया है।
अवसंरचनात्मक सुविधाएंँ:478 ज़िलों ने वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 में अपने स्कोर में सुधार किया।
परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स के बारे में
PGI-D व्यापक विश्लेषण के लिये एक इंडेक्स बनाकर ज़िला स्तर पर स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का आकलन करता है।
PGI-D संरचना में 83 संकेतकों में कुल 600 अंक शामिल हैं, जिन्हें छह श्रेणियों के तहत समूहीकृत किया गया है I
इन श्रेणियों को आगे 12 डोमेन में विभाजित किया गया है।
आकलन ग्रेड:
PGI-D ज़िलों को 10 ग्रेड में वर्गीकृत करता है। उच्चतम ग्रेड 'दक्ष (Daksh)' है, जो उस श्रेणी या कुल मिलाकर कुल अंकों के 90% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले ज़िलों के लिये है।
इसके बाद 'उत्कर्ष' (81% से 90%), 'अति उत्तम' (71% से 80%), 'उत्तम' (61% से 70%), 'प्रचेष्टा -1' (51% से 60%) और 'प्रचेष्टा-2' (41% से 50%) का स्थान है।
PGI-D में निम्नतम ग्रेड 'आकांक्षी-3' है जो कुल अंकों के 10% तक के स्कोर के लिये है।
8. रक्षा मंत्रालय ने सीमावर्ती क्षेत्रों में 'बीआरओ कैफे' को दी मंजूरी
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रक्षा मंत्रालय ने 12 राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के साथ विभिन्न सड़कों पर 75 स्थानों पर ‘बीआरओ कैफे’ ब्रांड के तहत सुविधाएं स्थापित करने को मंजूरी दी है।
इसका उद्देश्य पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना और सीमा क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना है।
सड़क किनारे स्थापित होने वाले इन प्रतिष्ठानों को ‘बीआरओ कैफे’ के नाम से जाना जाएगा।
इन कैफे में वाहनों के लिए पार्किंग, फूड प्लाजा, रेस्तरां, महिलाओं, पुरुषों व दिव्यांगों के लिए अलग-अलग जनसुविधाएं, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा आदि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
इसके लिए 15 साल के लिए करार किया जाएगा जिसे बाद में पांच और वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है।
इस योजना को लाइसेंस के आधार पर एजेंसियों के साथ मिल कर किया जाएगा।
एजेंसियां बीआरओ द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार बीआरओ कैफे का निर्माण और संचालन करेंगी।
इससे सीमावर्ती इलाकों में यातायात के साथ ही पर्यटन के विकास तेजी से होगा।
इसके लिए अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में मंजूरी दी गई है।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ)
यह 2015 से रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में कार्य करता है।
संगठन की स्थापना 7 मई, 1960 को हुई थी।
यह भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।
यह संगठन देश के सीमावर्ती क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बीआरओ की सबसे बड़ी ढांचागत उपलब्धियों में से एक हिमाचल प्रदेश में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग, अटल सुरंग का निर्माण है।
महानिदेशक सीमा सड़क संगठन - लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी
9. अमेज़न इंडिया ने मणिपुर सरकार के साथ पंथोइबी एम्पोरियम उत्पादों को बेचने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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ई-कॉमर्स अमेज़न और मणिपुर सरकार ने राज्य के हथकरघा और हस्तशिल्प के प्रदर्शन और बिक्री के लिये एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पंथोइबी एम्पोरियम का उद्घाटन कियाI
ई-कॉमर्स अमेज़न और मणिपुर सरकार के बीच इस ऑनलाइन स्टोर के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर भी किये गए।
इस पहल से राज्य में लगभग 300,000 कारीगरों, बुनकरों और आदिवासी समुदायों के सदस्यों को लाभ होगा।
हथकरघा एवं वस्त्र निदेशालय के संरक्षण में संचालित, पंथोइबी एम्पोरियम मणिपुर हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (MHHDCL) का एक हिस्सा है, जो स्थानीय कारीगरों के विकास के लिये एक सरकारी उद्यम है।
Amazon.in पर पंथोइबी एम्पोरियम में हाथ से बुने हुए कपड़े, दस्तकारी टोपी और बैग, टेराकोटा उत्पादों के साथ-साथ कौना शिल्प शामिल हैं - मणिपुर का एक अनूठा हस्तशिल्प जिसमें कौना की लकड़ी का उपयोग टोकरी, पर्स, बैग आदि बनाने के लिए किया जाता है।
मणिपुरी रानी फी, रेशम से बनी हाथ से बुनी हुई शॉल भी वेबसाइट पर देखी जा सकती है।
इसके अलावा, काले चावल, चाय, जीआई टैग वाली मिर्च, नींबू और संतरे सहित मणिपुर के विशिष्ट खाद्य पदार्थ भी बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे।
मणिपुर के बारे में
मणिपुर को देश की 'ऑर्किड बास्केट' भी कहा जाता है। यहाँ ऑर्किड पुष्प की 500 प्रजातियां पाई जाती हैं।
इस पूर्वोत्तर राज्य का वर्णन स्वर्ण भूमि अथवा ‘सुवर्णभू’ के रूप में किया जाता है।
यहाँ की प्रमुख जनसंख्या मणिपुरी लोगों की है जिन्हें मैती के नाम से जाना जाता है।
लोकटक झील यहां की एक महत्वपूर्ण झील है।
यहाँ के लोगों की भाषा मणिपुरी है जिसे 1992 में भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया था I
राजधानी- इम्फाल
राज्यपाल- एल ए गणेशन
मुख्य मंत्री- एन बिरेन सिंह
10. खाद्य सुरक्षा सूचकांक में तमिलनाडु सबसे ऊपर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक, 2021-2022 जारी की
तमिलनाडु इस साल राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में सबसे ऊपर है।
सूचकांक में शीर्ष तीन बड़े राज्य
तमिलनाडु
गुजरात
महाराष्ट्र
सूचकांक में शीर्ष तीन छोटे राज्य
गोवा
मणिपुर
सिक्किम
सूचकांक में शीर्ष तीन केंद्र शासित प्रदेश
जम्मू और कश्मीर
दिल्ली
चंडीगढ़
नई ईट राइट इंडिया पहल की शुरुआत
स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने एफएसएसएआई द्वारा ईट राइट रिसर्च अवार्ड्स और ग्रांट्स फेज II, ईट राइट क्रिएटिविटी चैलेंज फेज III, स्कूल स्तर पर एक प्रतियोगिता सहित विभिन्न नवीन पहलों की शुरुआत की।
उन्होंने आयुर्वेद आहार के लिए लोगो का अनावरण किया जिसमें आयुर्वेद और अहारा के प्रारंभिक अक्षर शामिल हैं, जिसमें 5 पत्ते प्रकृति के पांच तत्वों के प्रतीक हैं।
राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक के बारे में
सूचकांक एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) द्वारा विकसित किया गया है।
इसकी शुरुआत 2018-19 में हुई थी।
इसका उद्देश्य भारत के खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रतिस्पर्धी और सकारात्मक बदलाव लाना है।
यह खाद्य सुरक्षा के पांच महत्वपूर्ण मानकों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापता है।
ये पैरामीटर हैं - मानव संसाधन और संस्थागत डेटा, अनुपालन, खाद्य परीक्षण - बुनियादी ढांचा और निगरानी, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण और उपभोक्ता अधिकारिता।