1. एशिया का सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन कार्यक्रम 'विंग्स इंडिया 2022', की शुरुआत हैदराबाद में
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एशिया का सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन "विंग्स इंडिया" 24 मार्च 2022 को हैदराबाद के बेगमपेट हवाई अड्डे पर आरंभ हुआ है। 5वें संस्करण का आयोजन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय और फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज) द्वारा 24-27 मार्च 2022 तक किया जाएगा।
हालांकि इस आयोजन का औपचारिक उद्घाटन 25 मार्च को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा किया जाएगा।
"विंग्स इंडिया" 2022 का विषय है: "इंडिया@75: एविएशन इंडस्ट्री के लिए नया क्षितिज।"
यह हर दो वर्षों में आयोजित किया जाता है और यह "विंग्स इंडिया" का पांचवां संस्करण है।
चार दिवसीय कार्यक्रम उद्योग जगत के नेताओं, कंपनियों और अन्य हितधारकों के लिए वार्ता करने, व्यापार पर चर्चा करने और अन्य अवसरों का पता लगाने के लिए एक मंच उपलब्ध कराता है।
विंग्स इंडिया 2022 का उद्देश्य:
यह भारत को विश्व के शीर्ष उड्डयन केंद्र में बदलने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
इसका उद्देश्य नए व्यापार अधिग्रहण, निवेश, नीति निर्माण और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करते हुए तेज़ी से बदलती गतिशीलता के लिये एक अनुकूल मंच प्रदान करना है।
यह उड्डयन के लिये वांछित और पुनर्गठित केंद्रित मंच प्रदान करेगा तथा 'विंग्स इंडिया 2022' पर खरीदारों, विक्रेताओं, निवेशकों और अन्य हितधारकों को जोड़ने में मुख्य भूमिका निभाएगा।
शो की पृष्ठभूमि
भारत पूर्व में रक्षा और नागरिक उड्डयन दोनों क्षेत्रों को मिलाकर, बेंगलुरू में एक एकल द्विवार्षिक एयर शो आयोजित करता था। वर्ष 2008 में, यह निर्णय लिया गया कि वाणिज्यिक विमानन एक अलग प्रदर्शनी के योग्य है, जिसके बाद हैदराबाद के बेगमपेट हवाई अड्डे पर भारतीय नागरिक उड्डयन एयरशो का उद्घाटन किया गया।
2017 में शो का नाम बदलकर विंग्स इंडिया कर दिया गया।
डिफेंस एयर शो "एयरो इंडिया" हर दो वर्ष में येलहंका एयर फ़ोर्स स्टेशन, बेंगलुरु कर्नाटक में आयोजित किया जाता है।
2. भारत वर्ष 2031 तक 22480 मेगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता प्राप्त करेगा
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भारत सरकार ने 2031 तक 22480 मेगावाट स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में भारत में स्थापित परमाणु क्षमता 6780 मेगावाट है।
सरकार ने 700 मेगावाट क्षमता के 10 स्वदेशी निर्मित दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) और 500 मेगावाट के प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) के निर्माण को मंजूरी दी है।
सरकार को उम्मीद है कि ये परियोजना वर्ष 2031 तक पूरी हो जाएगी और भारत में कुल स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 22480 मेगावाट हो जाएगी।
भारत सरकार ने संसद को यह भी सूचित किया है कि उसने भारत में कुछ नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
स्वीकृत नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं :
स्थान | क्षमता (मेगावाट) | सहयोगी देश |
जैतापुर, महाराष्ट्र | 6 X 1650 | फ्रांस |
कोव्वाडा, आंध्र प्रदेश | 6 X 1208 | संयुक्त राज्य अमेरिका |
छाया, मीठी विरदी, गुजरात | 6 X 1000 | संयुक्त राज्य अमेरिका |
हरिपुर, पश्चिम बंगाल | 6 X 1000 | रूस |
भीमपुर, मध्य प्रदेश | 4 X 700 | स्वदेशी |
भारत में संचालित परमाणु ऊर्जा संयंत्र
कैगा (कर्नाटक): स्थापित क्षमता 880 मेगावाट
कलपक्कम (तमिलनाडु) : स्थापित क्षमता 440 मेगावाट
काकरापार (गुजरात), स्थापित क्षमता 440 मेगावाट
नरोरा (उत्तर प्रदेश) : स्थापित क्षमता 440 मेगावाट
तारापुर (महाराष्ट्र) : स्थापित क्षमता 1440 मेगावाट
राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र, रावतभाटा : स्थापित क्षमता 1180 मेगावाट
कुडनकुलम (तमिलनाडु) : यह रूस द्वारा बनाया जा रहा है, स्थापित क्षमता 2000 मेगावाट
वर्तमान में, भारत के 7 राज्यों में 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर कार्यरत हैं, जिनकी स्थापित क्षमता 6780मेगावाट है।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना अगस्त 1948 में हुई थी और डॉ. होमी जहांगीर भाभा इसके प्रथम निदेशक थे।
डॉ. होमी जहांगीर भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है।
भारत और एशिया का पहला परमाणु रिएक्टर मुंबई में स्थापित किया गया था जो 1956 में चालू हुआ। यह अप्सरा नामक एक परमाणु अनुसंधान रिएक्टर था। इसे 2009 में बंद कर दिया गया।
भारत में पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र 1969 में तारापुर, महाराष्ट्र में स्थापित किया गया था। इसे संयुक्त राज्य की मदद से स्थापित किया गया था।
3. खरीफ सीजन के लिए भारत इज़राइल से म्यूरेट ऑफ पोटाश आयात करेगा
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रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण शिपमेंट में व्यवधान के बाद आने वाले खरीफ सीजन के लिए पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत, इज़राइल से उर्वरकों का आयात करके आगामी खरीफ सीजन के लिए उर्वरक का भंडार बना रहा है।
इंडियन पोटाश लिमिटेड ने इज़राइल केमिकल लिमिटेड से 600,000 टन म्यूरेट ऑफ पोटाश आयात करने के लिए पांच वर्ष के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत विश्व में उर्वरक का प्रमुख आयातक है। भारत अपनी 40 लाख से 50 लाख टन पोटाश की पूरी वार्षिक खपत के लिए आयात पर निर्भर है और इसका एक तिहाई भाग बेलारूस और रूस से आयात करता था।
लैंडलॉक्ड बेलारूस अपने निर्यात के लिए रूस और लिथुआनिया के बंदरगाहों का उपयोग करता है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, शिपिंग मार्गों को बंद कर दिया गया है और मॉस्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों ने रूसी और बेलारूसी कंपनियों के साथ व्यापार करना मुश्किल बना दिया है।
इंडिया पोटाश लिमिटेड उर्वरक विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
भारत में फसलों के मौसम
भारत में सामान्यतः फसलों तीन मौसम होते हैं:
खरीफ : इन्हें बरसात के मौसम में जून/जुलाई में बोया जाता है और अक्टूबर/नवंबर में काटा जाता है।
मुख्य फसलें धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, अरहर, मूंग, उड़द आदि हैं।
रबी : इन्हें सर्दियों के मौसम में नवंबर/दिसंबर के महीने में बोया जाता है और मार्च/अप्रैल के महीने में काटा जाता है।
मुख्य फसलें गेहूं, सरसों, चना मटर, आलू, जई, जौ, सूरजमुखी,चना आदि हैं।
जायद : ये रबी मौसम के बाद और खरीफ मौसम की शुरुआत से पहले उगाए जाते हैं। मुख्य रूप से सब्जियां, तरबूज, खीरा आदि उगाए जाते हैं।
4. स्टार्टअप को ऋण को इक्विटी में बदलने के लिए मिला 10 वर्ष का समय
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भारत में स्टार्ट अप कंपनियों को एक बड़ी राहत देते हुए भारत सरकार ने स्टार्ट अप द्वारा जारी किए गए डेब्ट इंस्ट्रूमेंट को इक्विटी शेयरों में बदलने की अवधि को 5 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, एक परिवर्तनीय नोट को इक्विटी शेयरों में परिवर्तित किया जा सकता है या स्टार्टअप कंपनी द्वारा जारी किए जाने के 10 वर्षों के भीतर भुनाया जा सकता है। इससे स्टार्टअप को फंड जुटाने में मदद मिलने की संभावना है।
परिवर्तनीय नोट क्या है
यह एक कंपनी द्वारा अपने निवेशक को उनसे प्राप्त धन के लिए जारी किया गया एक ऋण पत्र है। ऋण एक निश्चित समय अवधि के बाद इक्विटी शेयरों में परिवर्तित हो जाता है या एक निश्चित समय अवधि के बाद भुनाया जाता है।
किस प्रकार कार्य करता है
मान लीजिए कि एक स्टार्टअप कंपनी ए को निवेशक बी से 100 रुपये मिलते हैं। कंपनी बी को एक पेपर जारी करती है जिसमें कहा गया है कि उसने बी से 5 वर्ष के लिए 100 रुपये प्राप्त किए हैं और यह बी को प्रति वर्ष 2 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करेगा। पेपर में यह भी उल्लेख किया गया है कि कंपनी ए 100 रुपये की राशि बी को वापस कर देगी या 100 रुपये का भुगतान करने के बजाय इसे 5 साल बाद कंपनी के 2 इक्विटी शेयरों में बदल देगी।
भारत में स्टार्ट अप की विस्तृत परिभाषा के लिए 16 जनवरी 2022 का पोस्ट दखिये
5. आरबीआई ने एचडीएफसी बैंक के नए डिजिटल लॉन्च पर सभी प्रतिबंध हटाए
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भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे बड़े निजी बैंक, एचडीएफसी बैंक डिजिटल बिजनेस प्लान पर लगाई गई रोक को हटा लिया है। दिसंबर 2020 में, RBI ने बैंक पर नए डिजिटल लॉन्च और अपने क्रेडिट कार्ड व्यवसाय के लिए नए ग्राहक प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
यह आरबीआई द्वारा बैंक के ग्राहकों से बैंक की इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग आधारित सेवाओं में गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद किया गया था।
अगस्त 2021 में, RBI ने अपने क्रेडिट कार्ड व्यवसाय से प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन इसके नए डिजिटल लॉन्च पर प्रतिबंध नहीं हटाया गया था। अब सभी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण
भारत में क्रेडिट कार्ड का सबसे बड़ा जारीकर्ता: एचडीएफसी बैंक
क्रेडिट का दूसरा सबसे बड़ा जारीकर्ता एसबीआई और फिर आईसीआईसीआई बैंक है
भारत में डेबिट कार्ड का सबसे बड़ा जारीकर्ता: एसबीआई।
एचडीएफसी बैंक
यह भारत का सबसे बड़ा निजी बैंक है।
यह SBI के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है
एचडीएफसी बैंक का मुख्यालय मुंबई है।
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ): शशिधर जगदीशन
6. डिजिटल शॉपिंग में वैश्विक निवेश के लिए भारत दूसरे स्थान पर
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भारत डिजिटल शॉपिंग कंपनियों के लिए दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उद्यम पूंजी निवेश गंतव्य है। लंदन एंड पार्टनर्स विश्लेषण Dealroom.co निवेश डेटा के अनुसार, इसमें 175 % की वृद्धि देखी गई जो 2020 में 8 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर 2021 में 22 बिलियन अमरीकी डालर हो गया।
भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर था। 2021 में अमेरिका ने 51 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश आकर्षित किया, उसके बाद चीन 14 बिलियन अमरीकी डालर के साथ तीसरे और ब्रिटेन 7 बिलियन अमरीकी डालर के साथ चौथे स्थान पर रहा।
बेंगलुरू दुनिया का शीर्ष शहर रहा है जिसने 14 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश आकर्षित किया और गुरुग्राम 4 बिलियन अमरीकी डालर के निवेश के साथ सातवें और मुंबई 2021 में 3 बिलियन अमरीकी डालर के साथ नंबर 10 पर आया।
- विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर बेंगलुरु के बाद दूसरे और संयुक्त राज्य अमेरिका का ही सैन फ्रांसिस्को भी तीसरे स्थान पर आया।
7. भारत सरकार ने बढ़ाया ब्याज समकारी प्रणाली
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देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने 31 मार्च, 2024 तक या आगे की समीक्षा तक, जो भी पहले हो, "पोस्ट और प्री शिपमेंट रुपया निर्यात ऋण (योजना) के लिए ब्याज समानीकरण योजना" को बढ़ा दिया है। यह विस्तार 1 अक्टूबर, 2021 से प्रभावी होता है और 31 मार्च, 2024 को समाप्त होगा।
इस योजना की घोषणा भारत सरकार द्वारा अप्रैल 2015 में की गई थी और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया है।
इस योजना के तहत बड़े सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के निर्माताओं और निर्यातकों के लिए किसी भी हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) के तहत ब्याज समकारी दर 3% और 410 एचएस लाइनों के तहत निर्यात करने वाले विनिर्माता निर्यातकों और व्यापारी निर्यातकों के लिए दो प्रतिशत होगी। (दूरसंचार क्षेत्र की 6 एचएस लाइनों को छोड़कर)।
क्या है इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम?
इस योजना में ब्याज सब्सिडी और प्रतिपूर्ति दोनों शामिल हैं।
यह काम किस प्रकार करता है?
भारत में बैंकों को ऋणों पर ब्याज दर तय करने की शक्ति है।
मान लीजिए कि एसबीआई ऋण दर 9% है और यह पात्र निर्यातकों को 9% ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करता है। मान लीजिए कि निर्यातक 3% ब्याज समकारी योजना के अंतर्गत आते हैं। फिर बैंक 9% पर ऋण प्रदान करेंगे और बाद में निर्यातक खातों में 3% की सब्सिडी राशि जमा करेंगे।
प्रभावी रूप से निर्यातक को 6% पर ऋण मिलता है। यहां ब्याज सब्सिडी 3% है।
फिर एसबीआई उचित दस्तावेजों के साथ भारत सरकार से संपर्क करेगा और सरकार से 3% की ब्याज सब्सिडी का दावा करेगा। सरकार एसबीआई की प्रतिपूर्ति करेगी। इस प्रकार बैंक को अपना पैसा बिना किसी नुकसान के मिलेगा और निर्यातक को सस्ती दर पर ऋण मिलेगा जो भारत से निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
- 2021-22 के लिए व्यापारिक निर्यात का निर्यात लक्ष्य 400 अरब डॉलर है।
पोस्ट और प्री शिपमेंट क्रेडिट
निर्यातक को प्रदान किए गए लोन या क्रेडिट को प्री-शिपमेंट और पोस्ट-शिपमेंट में विभाजित किया जा सकता है।
प्री शिपमेंट क्रेडिट
जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह निर्यातक को निर्यातित माल की शिपिंग से पहले उसकी निर्यात आवश्यकता को पूरा करने के लिए दिया जाता है।
मान लीजिए कि एबीसी कंपनी को संयुक्त राज्य की कंपनी को कुर्सियों का निर्यात करने के लिए 1000 रुपये का ऑर्डर मिलता है। एबीसी कंपनी को निर्यात की जाने वाली कुर्सी बनाने के लिए कच्चा माल खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता होगी। यह निर्यात आदेश के साथ एक बैंक से संपर्क करेगा और इस उद्देश्य के लिए ऋण मांगेगा। बैंक संतुष्ट होने के बाद उसे ऋण प्रदान कर सकता है जिससे वह अपने निर्यात को पूरा कर सके। इस ऋण को प्री-शिपमेंट क्रेडिट कहा जाता है।
पोस्ट-शिपमेंट क्रेडिट
एबीसी कंपनी कुर्सियों को भेजती है और उसके बाद अमेरिकी आयातक से पैसा प्राप्त करेगी। इस प्रक्रिया में समय लगता है। लेकिन एबीसी कंपनी को अभी अपने कारोबार के लिए पैसों की आवश्यकता होती है। यहां एबीसी कंपनी बैंक से संपर्क करेगी और उसे सीमा शुल्क से रसीद दिखाएगी कि उसने एक अमेरिकी को $ 100 मूल्य की कुर्सियों को भेज दिया है और बैंक से ऋण मांगा है।
बैंक संतुष्ट होने के बाद एबीसी कंपनी को कर्ज दे सकता है जिससे कि वह अपना कारोबार जारी रख सके और कंपनी अमेरिकी आयातक से पैसा मिलने के बाद कर्ज लौटा देती है, इसे पोस्ट-शिपमेंट क्रेडिट कहा जाता है।
8. एक्सिस बैंक ने एयरटेल के साथ एक को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया
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भारतीय निजी बैंक एक्सिस बैंक ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी एयरटेल के ग्राहकों के लिए एक को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया है।
एयरटेल एक टेलीकॉम कंपनी होने के कारण अपने आप क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकती है।
भारत में केवल भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित बैंक ही भारत में क्रेडिट कार्ड जारी कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
एक्सिस बैंक : इसने 1993 में यूटीआई बैंक के रूप में अपना व्यवसाय आरंभ किया था। 2007 में इसका नाम बदलकर एक्सिस बैंक कर दिया गया।
एक्सिस बैंक का मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र।
प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी: अमिताभ चौधरी।
9. भारतीय हीरा उद्योग पर रूसी-यूक्रेनी युद्ध का प्रभाव
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यूक्रेन पर रूसी आक्रमण और रूस पर संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों द्वारा परिणामी प्रतिबंधों ने भारत में हीरा क्षेत्र में अनिश्चितता पैदा कर दी है।
भारत वैश्विक हीरा व्यापार के केंद्रों में से एक है और दुनिया में लगभग 90% कच्चे हीरे भारत में विशेषकर गुजराती शहर सूरत में कटिंग और पॉलिश किए जाते हैं।
भारत विश्व में कटिंग और पॉलिश किए गए हीरों का सबसे बड़ा निर्यातक है। अप्रैल से जनवरी 2021-22 की अवधि के दौरान कटे और पॉलिश किए गए हीरे का निर्यात $20.06 बिलियन था जो भारत से कुल व्यापारिक निर्यात का लगभग 6% है।
भारत पूर्णतः आयातित हीरों पर निर्भर है और अप्रैल से जनवरी 2021-22 की अवधि के दौरान 14.83 अरब डॉलर के कच्चे हीरे का आयात किया।
भारत को हीरे का प्रमुख आपूर्तिकर्ता विश्व की सबसे बड़ी हीरा कंपनी, रूस की अलरोसा है जो विश्व के प्राकृतिक उत्पादन में लगभग 30% का योगदान करती है।
रूस के प्रमुख बैंकों को अंतरराष्ट्रीय भुगतान के लिए स्विफ्ट (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन) वित्तीय संदेश प्रणाली से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे भारतीय आयातकों द्वारा रूस को अमेरिकी डॉलर और यूरो में भुगतान की समस्या पैदा कर दी है और यूरो में भुगतान लगभग असंभव हो रहा है।
इससे भारत में हीरा उद्योग के लिए एक बड़ी समस्या उत्पन्न होने की संभावना है जो भारत में लाखों रोजगार पैदा करता है।
हीरा के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण तथ्य
विश्व में कच्चे हीरों के शीर्ष उत्पादक
विश्व में प्राकृतिक हीरे का सबसे बड़ा उत्पादक रूस है जिसके बाद बोत्सवाना और कांगो (वर्ष 2016 के आंकड़े) हैं। ये तीन कंपनियां दुनिया के प्राकृतिक हीरे के उत्पादन के 60% से अधिक को नियंत्रित करती हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी हीरा व्यापारिक कंपनियां रूस की अलरोसा हैं, इसके बाद लक्जमबर्ग की डी बीयर्स और ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की रियो टिंटो कंपनी हैं।
10. भारत के लिए गेहूं और मक्का निर्यात के बड़ा अवसर
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रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में भारत के गेहूं और मक्का (कोर्न ) की मांग बढ़ गई है। मक्का या कोर्न दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादित अनाज है और गेहूं दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादित अनाज है।
दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक रूस है और 2019 में अमेरिका, कनाडा और फ्रांस के बाद यूक्रेन, दुनिया में गेहूं का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक था। रूस और यूक्रेन दोनों, विश्व गेहूं के निर्यात में लगभग 25% का योगदान करते हैं।
मकई जो दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादित अनाज है। इसे अनाज की रानी भी कहा जाता है क्योंकि इसमें अनाजों में सबसे अधिक आनुवंशिक उपज क्षमता होती है।
विश्व में 2019 में मक्का का सबसे बड़ा निर्यातक संयुक्त राज्य अमेरिका है, जिसके बाद अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और फ्रांस थे।
दुनिया के कुल निर्यात में यूक्रेन का योगदान 13.4% था। यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह ने युद्ध के बाद अपना संचालन बंद कर दिया है और आपूर्ति ठप हो गई है।
पश्चिमी यूरोप, तुर्की, फिलीपींस रूसी और यूक्रेनी गेहूं के कुछ सबसे बड़े खरीदार हैं।
भारतीय गेहूं निर्यात को बढ़ावा देने का अवसर
इस स्थिति से भारत को लाभ होने की संभावना है। भारतीय खाद्य निगम के पास 4.4 मिलियन टन बफर स्टॉक और 3 मिलियन टन सामरिक भंडार की अनिवार्य आवश्यकता के मुकाबले लगभग 26 मिलियन टन गेहूं स्टॉक का बफर स्टॉक है।
साथ ही इस साल भारत में गेहूं का उत्पादन लगभग 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान है।
भारत के पास निर्यात करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है। एशिया में भारत के पास केवल निर्यात योग्य गेहूं का स्टॉक है और इसी कारण भारत से गेहूं के आयात के लिए थाईलैंड, एशिया, उत्तरी अफ्रीका के बहुत सरे देशों से गेहूं की खरीद के लिए जानकारी ली जा रही है।
विश्व के खरीदार देश जैसे थाईलैंड, मिश्र और अन्य देश भारत के करीब है जिससे गेहूं के परिवहन की लागत भी कम है जिससे भारत की गेहूं सस्ती हों जाएगी।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
2020 में विश्व में गेहूँ का सबसे बड़ा उत्पादक
2020 में चीन विश्व का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश था, उसके बाद भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा का स्थान है।
भारत में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब है (स्रोत आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22)
मिस्र दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा आयातक है।
गेहूं का निर्यात : भारत ने वर्ष 2020-21 के दौरान 549.70 मिलियन डॉलर मूल्य के 20,88,487.66 मीट्रिक टन गेहूं का दुनिया को निर्यात किया है।
प्रमुख निर्यात गंतव्य (2020-21): बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात श्रीलंका, यमन।
(स्रोत: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण)
मक्का से संबंधित
दुनिया में मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक संयुक्त राज्य अमेरिका है जिसके बाद चीन, ब्राजील का स्थान है। भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
भारत में मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कर्नाटक है, जिसके बाद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र हैं।
भारत में मक्का चावल और गेहूं के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है
निर्यात : 2020-21 में भारत से मक्के का कुल निर्यात 28,79,202.93 मिलियन टन था, जिसकी कीमत 634.85 मिलियन डॉलर थी।
भारतीय मक्का निर्यात का गंतव्य देश: बांग्लादेश, वियतनाम, नेपाल, मलेशिया, म्यांमार
(स्रोत: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण)