1. भारत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन-रूस संघर्ष पर मतदान में अनुपस्थित रहा
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भारत ने 4 मार्च 2022 को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर फिर से अनुपस्थित रहा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव में यूक्रेन पर आक्रमण के दौरान रूस द्वारा कथित मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन की जांच की मांग की गई थी।
भारत ने अब तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन मतों में , न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो, जिनेवा में मानवाधिकार परिषद में दो और वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) में एक प्रस्ताव पर मतदान में अनुपस्थित रहा है जिसमे यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा की गयी थी ।
केवल इरिट्रिया और रूस ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया जबकि भारत सहित 13 देशों ने मतदान से परहेज किया।
प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित किया गया और इसने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष को तीन सदस्यीय पैनल नियुक्त करने के लिए कहा।
रूस ने संघर्ष के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन या नागरिकों को निशाना बनाने के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की स्थापना 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इसने संयुक्त राष्ट्र आयोग मानवाधिकार की जगह ली, जिसे 1946 में स्थापित किया गया था।
मुख्य कार्य
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि इसे स्थापित किया गया था;
दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण को मजबूत करना;
मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्थितियों को संबोधित करना और उन उल्लंघन की स्थितियों पर सिफारिशें करना ;
यह दुनिया भर में मानवाधिकारों के मुद्दों और स्थितियों पर चर्चा करता है।
सदस्य
इसमें 47 सदस्य हैं जो यूनाइटेड नेशनल जनरल असेंबली द्वारा तीन साल के लिए चुने जाते हैं।
सदस्यता विश्व के क्षेत्रों केआधार पर वितरित की जाती है। 13 सदस्य एशिया से और 13 अफ्रीका से, 6 पूर्वी यूरोप से, 7 पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूहों से और 8 दक्षिण अमेरिका और कैरेबियाई देशों से आते हैं।
मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
अध्यक्ष : अर्जेंटीना के फेडेरिको विलेग्रास।
2. सिंधु जल आयोग की 117वीं बैठक पाकिस्तान में हुई
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भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त, स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की 117 वीं बैठक 1-3 मार्च, 2022 के मध्य इस्लामाबाद, पाकिस्तान में आयोजित की गई।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु जल के भारतीय आयुक्त श्री पीके सक्सेना ने किया।
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि (संधि) के प्रावधानों के तहत, दो आयुक्तों को हर साल कम से कम एक बार भारत और पाकिस्तान में बारी-बारी से मिलना आवश्यक है। स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी) की अंतिम बैठक 23-24 मार्च, 2021 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
बैठक के दौरान पाकल दुल, किरू और लोअर कलनई सहित चालू परियोजनाओं के संबंध में तकनीकी चर्चा की गई।
दोनों पक्षों ने फाजिल्का नाले के मुद्दे पर चर्चा की और पाकिस्तान ने आश्वासन दिया कि सतलुज नदी में फाजिल्का नाले के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई जारी रहेगी।
सिंधु जल संधि 1960
इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षर किए गए थे। इसने सिंधु और उसकी सहायक नदियों को भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित किया था।
पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी का उपयोग करने का अधिकार दिया गया था जबकि भारत को सिंचाई, बिजली परियोजनाओं आदि के लिए सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का उपयोग करना था।
सिंधु जल संधि की मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी।
3. रूस ने यूक्रेन के परमाणु परिसर पर कब्जा किया
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रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु परिसर पर नियंत्रण कर लिया है।ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु परिसर यूरोप में सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है और दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा है ।
ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापित क्षमता 6,000 मेगावाटहै।
यह यूक्रेन की बिजली की जरूरतों का पांचवां हिस्सा प्रदान करता है।
ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु परिसर दक्षिणपूर्वी यूक्रेन में एनेर्होदर शहर के पास है।
रूस ने पहले ही यूक्रेन के चेरनोबिल परमाणु संयंत्र पर कब्जा कर लिया है, जो 1986 में एक बड़ी परमाणु दुर्घटना का स्थल था।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण
दुनिया में सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र जापान में काशीवाजाकी-करिवा संयंत्र है जिसकी स्थापित क्षमता 7,965 मेगावाट है।
भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र कुडनकुलम, तमिलनाडु में 2000 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ है और अतिरिक्त 2000 मेगावाट निर्माणाधीन है। इसे रूस की मदद से बनाया जा रहा है।
नोट - रूसी-यूक्रेनी युद्ध Click Here
4. संयुक्त राष्ट्र में रूस के विरुद्ध मतदान से पुनः दूर रहा भारत
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भारत ने "यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता" शीर्षक से संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में मतदान के दौरान भाग नहीं लिया। यह पांचवीं बार है जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यूक्रेन से संबंधित प्रस्तावों पर मतदान न कर तटस्थ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में "यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रमण" की कड़े शब्दों में निंदा की गई। इसने मांग की कि रूस तुरंत यूक्रेन में बल का प्रयोग बंद कर दे और यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं से बिना शर्त अपनी सेना वापस ले लें। इसने यूक्रेनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। इसने सभी पक्षों को 2014 और 2015 में मिन्स्क समझौते का पालन करने का आह्वान किया।
इस प्रस्ताव का 193 देशों में से 141 सदस्यों ने समर्थन किया और चीन सहित 34 देशों ने इसपर भाग नहीं लिया।
केवल रूस, उत्तर कोरिया, इरिट्रिया, सीरिया और बेलारूस ने इस प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस.तिरुमूर्ति ने भारत सरकार की नीति पेश करते हुए समस्या के कूटनीतिक समाधान का आह्वान किया।
रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण किया क्योंकि रूस यह चिंतित कर रहा था कि ज़ेलेंस्की के कारण यूक्रेन, संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में न शामिल हो जाय जो रूस की सुरक्षा के लिए खतरा है।
भारत के रूस के साथ बहुत करीबी संबंध हैं जिसने कश्मीर, बांग्लादेश और चीन पर भारत का लगातार समर्थन किया है। भारत, रूस को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता।
महासभा का वोट वास्तविकता में कुछ भी नहीं बदलेगा और यह मुख्य रूप से प्रतीकात्मक प्रकृति की होती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा
संयुक्त राष्ट्र महासभा की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत की गई थी। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सभी 193 सदस्य देश महासभा के सदस्य हैं।
महासभा प्रत्येक वर्ष सितंबर से दिसंबर (मुख्य भाग) और उसके बाद जनवरी से सितंबर के मध्य मिलती है।
महासभा का कार्य
- यह सदस्य राज्यों को नीतियों या कार्यक्रमों की सिफारिश कर सकता है लेकिन सदस्य देश कानूनी रूप से इसका पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
- इसकी प्रकृति में मूल रूप से नैतिक शक्ति है क्योंकि यह विश्व के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।
- हालांकि सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसले का पालन करना होगा।
महासभा के कुछ महत्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं:
यह शांति के लिए खतरा, शांति भंग या आक्रामकता के कार्य के मामलों में कार्रवाई कर सकता है, जब सुरक्षा परिषद स्थायी सदस्य के नकारात्मक वोट के कारण कार्रवाई करने में विफल रही है।
सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्यों और अन्य संयुक्त राष्ट्र परिषदों और इसके संस्थाओं के सदस्यों का चुनाव और सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासचिव की नियुक्ति करना।
निरस्त्रीकरण सहित अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सहयोग के सामान्य सिद्धांतों पर विचार और सिफारिशें करना।
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित किसी भी प्रश्न पर चर्चा करना और उस स्थिति को छोड़कर जहां वर्तमान में सुरक्षा परिषद द्वारा किसी विवाद या स्थिति पर चर्चा की जा रही है, उस पर सिफारिशें करना।
विभिन्न देशों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंधों को खराब करने वाली किसी भी स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सिफारिशें करना।
महासभा में निर्णय लेने की प्रक्रिया
सुरक्षा परिषद के विपरीत, जहां पांच स्थायी सदस्य, रूस, चीन, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन किसी भी प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं, महासभा में किसी भी देश के पास महासभा में कोई वीटो पावर नहीं है।
हर देश का एक वोट होता है।
कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर जैसे शांति और सुरक्षा पर सिफारिशें, सुरक्षा परिषद का चुनाव और आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्य, और बजटीय प्रश्न आदि के लिए सदस्य राज्यों के दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है, जबकि अन्य मामलों के लिए एक साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
- संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष का चुनाव हर साल किया जाता है।
- मालदीव के वर्तमान अध्यक्ष : अब्दुल्ला शाहिद हैं।
- विजय लक्ष्मी पंडित 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली पहली भारतीय और महिला बनीं।
- संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय: न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव: पुर्तगाल के एंटोनियो गुटेरेस।
यूक्रेन में संघर्ष की विस्तृत समझ के लिए कृपया रूसी-यूक्रेन संघर्ष पर हमारा ब्लॉग देखें।
5. आईईए तेल की कीमतों को कम करने के लिए आरक्षित तेल जारी करेगा
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अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद तेल की कमी से निपटने के लिए विश्व बाजार में 60 मिलियन तेल भंडार जारी करने पर सहमति व्यक्त की है।
तेल बाजार में रूस का महत्व
विश्व तेल बाजार में रूस एक महत्वपूर्ण देश है।
यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और सबसे बड़ा निर्यातक है।
कच्चे तेल के प्रति दिन लगभग 5 मिलियन बैरल का इसका निर्यात वैश्विक व्यापार का लगभग 12% प्रतिनिधित्व करता है - और इसके लगभग 2.85 मिलियन बैरल पेट्रोलियम उत्पाद वैश्विक परिष्कृत उत्पाद व्यापार के लगभग 15% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
रूस का लगभग 60% तेल का निर्यात यूरोप और अन्य 20% चीन को जाता है।
डेटा का स्रोत (अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी)
यद्यपि संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने अभी तक रूसी तेल उद्योग पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, खरीदार रूसी तेल को खरीदने से बच रहे हैं। तेल की आपूर्ति की अनिश्चितता के कारण विश्व में तेल की कीमत में तेज वृद्धि हुई है और यह 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है। तेल की कीमतों में निरंतर वृद्धि से दुनिया भर में उच्च मुद्रास्फीति का आशंका उत्पन्न हो गया है और इससे कोरोना महामारी के बाद हों रहे विश्व अर्थव्यवस्था में विकास की संभावना को खतरा है।
आईईए भंडार
आईईए के सदस्यों के पास 1.5 बिलियन बैरल का आपातकालीन भंडार है। 60 मिलियन बैरल की प्रस्तावित प्रारंभिक रिलीज, उस भंडार का 4% है , जो 30 दिनों के लिए 2 मिलियन बैरल प्रति दिन के बराबर है।
आईईए द्वारा भंडार से तेल छोड़ने का यह चौथा समन्वित प्रयास है। पूर्व में आईईए ने 1991, 2005 और 2011 में भंडार से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की आपूर्ति बढाई गयी थी ।
नियोजित तेल निष्कर्षण का आधा हिस्सा संयुक्त राज्य अमेरिका से आएगा। विश्व में स्थापित आपातकालीन तेल भंडार में अकेला अमेरिका के पास आधा भंडार है तथा अन्य 30 आईईए सदस्यों को अपने 90 दिनों के शुद्ध तेल आयात के बराबर आपातकालीन भंडार में तेल रखने की आवश्यकता होती है।
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद जापान के पास सबसे बड़ा तेल भंडार है।
हालांकि कई जानकारों का मानना है कि यह बाजार में तेल की कीमत को कम नहीं कर पाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी
इसकी स्थापना 1973 के तेल संकट के बाद 1974 में विकसित देशों द्वारा की गई थी।
इसे शुरू में तेल आपूर्ति की सुरक्षा के लिए स्थापित किया गया था। अब बिजली सुरक्षा से लेकर निवेश, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, ऊर्जा पहुंच और दक्षता आदि जैसे मुद्दों को शामिल करने के लिए इसके क्षेत्र का विस्तार किया गया है।
कुल सदस्य 31 देश। सभी विकसित देश हैं। (एशिया से केवल जापान और दक्षिण कोरिया ही इसके सदस्य हैं)
भारत, चीन आईईए के सदस्य नहीं हैं। वे आईईए के सहयोगी राज्य हैं।
आईईए का मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
ईआईए द्वारा जारी महत्वपूर्ण रिपोर्ट:
विश्व ऊर्जा रिपोर्ट
वैश्विक ऊर्जा समीक्षा
तेल बाजार रिपोर्ट
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण
एक बैरल तेल के बराबर है : 158.987 लीटर तेल
: 42 गैलन (अमेरिका)
6. रूसियों ने विश्व का सबसे बड़ा विमान एंटोनोव-225 नष्ट किया
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दुनिया का सबसे बड़ा विमान, यूक्रेन का एंटोनोव-225 मालवाहक विमान 27 फरवरी 2022 को रूसी आक्रमण के चौथे दिन कीव के बाहर रूसी हमलों से नष्ट हो गया था।
- विमान यूक्रेन की राजधानी कीव के पास होस्टोमेल (जिसे गोस्टोमेल भी कहा जाता है) हवाई अड्डे पर तैनात किया गया था।
- यह विमान दुनिया के लिए अद्वितीय था, 84 मीटर लंबा (276 फीट) यह 850 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से 250 टन कार्गो तक ले जा सकता था। इसने 1988 में अपनी पहली उड़ान भरी थी।
- इसे "मरिया" नाम दिया गया था, जिसका अर्थ यूक्रेनी में "सपना" है।
7. विदेश मंत्री एस. जयशंकर का जर्मनी और फ्रांस की यात्रा
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर 18 से 23 फरवरी 2022 तक जर्मनी और फ्रांस की एक सप्ताह की लंबी यात्रा पर थे।
जर्मनी का दौरा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 58वें म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 2022 में भाग लेने के लिए जर्मनी का दौरा किया।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 18-20 फरवरी 2022 तक जर्मनी के म्यूनिख शहर में आयोजित किया गया था।
"टर्निंग द टाइड : अनलर्निंग हेल्पलेसनेस” सम्मेलन का आदर्श वाक्य है।
फ्रांस का दौरा
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर 20-23 फरवरी 2022 तक फ्रांस के दौरे पर थे।
उन्होंने फ्रांस के यूरोप और विदेश मामलों के मंत्री, श्री जीन-यवेस ले ड्रियन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
भारत और फ्रांस के विदेश मंत्रियो ने एक संयुक्त घोषणा पत्र जरी किया जिसका शीर्षक था "ब्लू इकोनॉमी एंड ओशन गवर्नेंस पर भारत-फ्रांस रोडमैप"।
इस घोषणा पत्र का मुख्य उद्देश्य संस्थागत, आर्थिक, ढांचागत और वैज्ञानिक सहयोग के माध्यम से नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ाना है।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन 1963 से जर्मन शहर म्यूनिख में आयोजित किया जाता है। यह हर वर्ष फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है और इसमें अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और विश्व राजनीति के मामलों पर चर्चा होती है।
8. जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन रोकी
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जर्मनी ने 22 फरवरी 2022 को नॉर्ड स्ट्रीम-2 बाल्टिक सागर गैस पाइपलाइन परियोजना को फिलहाल रोक दिया है। जर्मनी का यह निर्णय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस फैसले के प्रतिउत्तर में देखा जा रहा है जिसमे पुतिन ने 21 फरवरी 2022 को युक्रेन से अलग हुआ क्षेत्र डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी गई थी।
नॉर्ड-2 गैस पाइपलाइन का निर्माण जर्मनी में रूसी गैस के प्रवाह को दोगुना करने के लिए किया गया है। 11 बिलियन डॉलर की यूरोप की सबसे महत्वाकांक्षी और विभाजनकारी ऊर्जा परियोजना, गैस पाइपलाइन सितंबर 2021 में पूरी हों गई थी, लेकिन जर्मनी और यूरोपीय संघ द्वारा प्रमाणीकरण के अभाव में यह लंबित पड़ी है।
नॉर्ड 2 और नॉर्ड 1 पाइपलाइन हर साल यूरोप को 110 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस उपलब्ध करा सकती हैं। यह यूरोपीय संघ के देशों के सालाना उपयोग की जाने वाली गैसों का एक चौथाई से अधिक है।
पाइपलाइन को लेकर विवाद
इस पाइपलाइन का निर्माण कोविड महामारी के कारण यूरोपीय उपभोक्ताओं को ऊर्जा की कीमतों में रिकार्ड वृद्धि को कम करने के लिए किया गया था।
नॉर्ड 2 गैस पाइपलाइन आरंभ से ही विवादास्पद रही है। जर्मनी, जो रूस से अपनी आवश्यकता की आधी गैस प्राप्त करता है, ने तर्क दिया कि यह परियोजना एक व्यावसायिक थी न कि राजनीतिक।
प्ररन्तु इस पाइपलाइन को यूरोपीय संघ के भीतर और संयुक्त राज्य अमेरिका से विरोध का सामना करना पड़ा है। उन्हें लगता है कि पाइपलाइन रूस पर यूरोपीय ऊर्जा निर्भरता को बढ़ाएगी और रूस भविष्य के संघर्ष में यूरोप को ब्लैकमेल करने के लिए इसका उपयोग कर सकता है।
अमेरिका और अन्य आलोचकों को लगता है की इस पाइपलाइन से रूस की यूक्रेन पर निर्भरता भी कम हों जाएगी और उसे यूक्रेन को पारगमन शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा। रूस भविष्य में यूक्रेन को दंडित करने और संभवतः उस पर आक्रमण करने में ज्यादा सक्षम हों सकता है।
रूस ने नॉर्ड गैस पाइपलाइन की योजना बनाई थी जब यूक्रेन के क्षेत्र से गुजरने वाली रुसी गैस पाइपलाइन पर पारगमन शुल्क पर विवाद हुआ था और 2005 में यूक्रेन रुसी गैस पाइपलाइन से रूस की अनुमति के बिना पश्चिमी यूरोप के लिए निर्धारित गैस का इस्तेमाल खुद इस्तेमाल करता हुआ पाया गया था।
नॉर्ड 2 गैस पाइपलाइन
यह 1200 किलोमीटर की गैस पाइपलाइन है जो रूस के उस्ट लुगा गैस क्षेत्र से बाल्टिक सागर के नीचे जर्मनी में ग्रीफ्सवाल्ड तक प्राकृतिक गैस का परिवहन करेगी।
नॉर्ड 2 पाइपलाइन का स्वामित्व सरकारी गैस कंपनी गज़प्रोम के पास है। इसने आधी लागत का भुगतान किया जबकि शेष लागत शेल, ऑस्ट्रिया के ओएमवी, फ्रांस के एंजी और जर्मनी के यूनिपर और विंटरशॉल द्वारा साझा की गई।
गज़प्रोम दुनिया की सबसे ज्यादा गैस उत्पादन करने वाली कंपनी है
नॉर्ड -1 पाइपलाइन जिसने उसी मार्ग से यूरोप में गैस का परिवहन शुरू किया, ने 2011 में अपना संचालन आरंभ किया था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य :
प्राकृतिक गैस के सन्दर्भ में तथ्य
विश्व के शीर्ष प्राकृतिक गैस उत्पादक देश (2020)
संयुक्त राज्य अमेरिका
रूस
ईरान
कतर
चीन
प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा भंडार वाला देश (2020)
रूस
ईरान
कतर
तुर्कमेनिस्तान
संयुक्त राज्य अमेरिका
स्रोत: बीपी स्टैटिस्टिकल रिव्यु ऑफ़ वर्ल्ड एनर्जी 2021।
9. ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए फिर से खुला
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ऑस्ट्रेलिया ने करीब दो वर्ष के बाद अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए अपनी सीमाएं पुनः खोल दी है।
इस देश ने मार्च 2020 में कोविड -19 के कारण स्वंय को बंद करने के बाद दुनिया के कुछ सबसे सख्त यात्रा प्रतिबंध लगाए।
21 फरवरी 2022 से सभी पुर्णतः टीकाकरण वाले अंतरराष्ट्रीय यात्री, जिनमें अवकाश की योजना बना रहे हैं या दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जा रहे हैं, या जो व्यापार के लिए यात्रा करने का इरादा रखते हैं, वे संगरोध मुक्त प्रवेश कर सकते हैं और उन्हें यात्रा में छूट लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
कोविड काल से पूर्व ऑस्ट्रेलिया की यात्रा करने वाले देशों की सूची में भारत सातवें स्थान पर था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
ऑस्ट्रेलिया
यह एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के बाद पृथ्वी पर क्षेत्रफल के अनुसार सबसे छोटा महाद्वीप है।
यह रूस, कनाडा, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील के बाद विश्व का छठा सबसे बड़ा देश है।
ऑस्ट्रेलिया को "सबसे पुराना महाद्वीप," "भूमि का अंतिम" और "अंतिम सीमांत" कहा गया है।
इसकी अनोखी वनस्पतियों और जीवों में पृथ्वी पर एकमात्र अंडा देने वाले स्तनधारी, प्लैटिपस और एकिडना शामिल हैं। यह अपने कंगारुओं, कोआला भालू के लिए भी प्रसिद्ध है।
अंटार्कटिका के बाद यह दूसरा सबसे शुष्क महाद्वीप है।
इसकी सबसे ऊंची चोटी, माउंट कोसियस्ज़को, 7,310 फीट (2,228 मीटर) ऊँची है।
इसकी राजधानी: कैनबरा
मुद्रा: ऑस्ट्रेलियन डॉलर
प्रधान मंत्री: स्कॉट मॉरिसन
यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ऑस्ट्रेलिया की राज्य प्रमुख हैं।
10. रूस ने यूक्रेन से अलग हुए क्षेत्रों को दी अलग देश की मान्यता
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रूसी राष्ट्रपति वाल्दिमिर पुतिन ने यूक्रेन से अलग हुए दो रूसी समर्थित अलगाववादी क्षेत्रों, स्व-घोषित डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक को एक स्वतंत्र देशों के रूप में मान्यता देने के लिए एक आज्ञप्ति पर हस्ताक्षर किए। रूस इन क्षेत्रो को अब स्वतंत्र देश मानता है।
पूर्वी यूक्रेन में स्थित इन दो क्षेत्रों में रूसी भाषी आबादी का वर्चस्व है। 2014 में क्रीमिया पर रूस के अधिकार के बाद इस क्षेत्र में रूस समर्थित सशस्त्र विद्रोही और यूक्रेनी सेना के बीच सशस्त्र संघर्ष जारी है ।
डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों में अलगावादियों द्वारा कराये गए एक जनमत संग्रह के बाद घोषित उनकी स्वतंत्रता को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता नहीं मिली है।
एक टेलीविज़न संबोधन में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि पूर्वी यूक्रेन प्राचीन रूसी भूमि का भाग था और मांग की है कि यूक्रेन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के अपने दीर्घकालिक लक्ष्य को छोड़ दे।
इस सन्दर्भ में पुतिन ने कहा कि यूक्रेन की स्वतंत्रता का कोई इतिहास नहीं है और पुतिन ने रूसी सैनिकों को शांति अभियान के लिए पूर्वी यूक्रेनी क्षेत्र में जाने का आदेश दिया। पुतिन की इस कार्रवाई से पश्चिमी देशों में भय पैदा हों गया है कि रूसी सेना शीघ्र ही यूक्रेन में आ जाएगी, जिससे इस क्षेत्र में एक बड़ा युद्ध छिड़ जाएगा।
पुतिन की घोषणा को यू.एस. और यूरोपीय यूनियन ने निंदा की और नए प्रतिबंधों की बात की। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, जिन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से भी बात की, ने अलग हुए क्षेत्रों में सभी अमेरिकी व्यावसायिक गतिविधियों को रोकने और उन क्षेत्रों से सभी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।
संयुक्त राज्य अमेरिका का मानना है कि रूस ने इस क्षेत्र में 169, 000 से 190,000 सैनिकों का एक विशेष बल का गठन किया है, जिसमें अलगाववादी भी शामिल हैं, किसी भी समय आक्रमण कर सकते हैं ।
रूस अपने पड़ोसी पर हमला करने की किसी भी योजना से इनकार करता है, लेकिन उसने अनिर्दिष्ट "सैन्य-तकनीकी" कार्रवाई की धमकी दी है, जब तक कि उसे व्यापक सुरक्षा गारंटी नहीं मिलती है, जिसमें यह वादा भी शामिल है कि यूक्रेन कभी नाटो में शामिल नहीं होगा।
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अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
यूक्रेन
यह रूस (क्षेत्रफल के अनुसार) के बाद यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
यह 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद एक स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आया।
यूक्रेन, 1918-20 के मध्य स्वतंत्रत देश के रूप में रहा था, लेकिन दो विश्व युद्धों के बीच की अवधि में पश्चिमी यूक्रेन के कुछ भागों पर पोलैंड, रोमानिया और चेकोस्लोवाकिया का शासन था।
राजधानी: कीव, जो उत्तर-मध्य यूक्रेन में नीपर नदी पर स्थित है।
राष्ट्रपति: वलोडिमिर ज़ेलेंस्की
मुद्रा: हरिवन्या (रिव्निया) (Hryvnia)