1. ल्यूमिनस उत्तराखंड में भारत की पहली हरित सौर पैनल फैक्ट्री का निर्माण करेगा
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ल्यूमिनस पावर टेक्नोलॉजीज ने 27 जनवरी को उत्तराखंड में देश की पहली हरित ऊर्जा आधारित सौर पैनल निर्माण फैक्ट्री बनाने की अपनी योजना की घोषणा की।
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रुद्रपुर में स्थित नया विनिर्माण संयंत्र 2023 के अंत तक पूरी तरह से शुरू होने की उम्मीद है।
यह अत्याधुनिक सुविधा उच्च गुणवत्ता वाले सौर पैनलों को डिजाइन और उत्पादन करने के लिए नवीनतम तकनीक से लैस होगी जिसका उपयोग आवासीय और व्यावसायिक दोनों अनुप्रयोगों के लिए किया जाएगा।
4.5 लाख वर्ग फुट/10 एकड़ में फैली यह सुविधा 500 मेगावाट प्रति वर्ष की सौर उत्पादन क्षमता को सक्षम करने में मदद करेगी, जिसे 1 गीगावॉट तक बढ़ाया जा सकता है।
यह 40W से 600W के बिजली उत्पादन के साथ सौर पैनलों की एक श्रृंखला का उत्पादन करेगी।
संयंत्र को भारतीय हरित भवन परिषद (आईजीबीसी) द्वारा एक हरित सुविधा के रूप में प्रमाणित किया गया है और यह प्रति वर्ष 70 मिलियन टन से अधिक CO2 उत्सर्जन को कम करेगा।
यह सौर पैनल सुविधा पूरी तरह से रोबोटिक है और 100 प्रतिशत सौर ऊर्जा से ऊर्जा का उपयोग करेगी।
2. कोल इंडिया लिमिटेड बड़े पैमाने पर एम-सैंड प्रोजेक्ट लॉन्च करेगी
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सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले रेत उत्पादन पर ध्यान केंद्रित केंद्रित करते हुए कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनियां 2024 तक पांच एम-सैंड (रेत) संयंत्र चालू करेंगी।
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खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957 के तहत रेत को "लघु खनिज" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
गौण खनिजों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है और इसे राज्य विशिष्ट नियमों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
अधिक मांग, नियमित आपूर्ति और मानसून के दौरान नदी के इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण नदी की रेत का विकल्प खोजना बहुत आवश्यक हो गया है।
खान मंत्रालय द्वारा तैयार ‘सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क’ (2018) में कोयले की खानों के ओवरबर्डन (ओबी) से क्रशड रॉक फाइन्स (क्रशर डस्ट) से निर्मित रेत (एम-सैंड) के रूप में प्राप्त रेत के वैकल्पिक स्रोतों की परिकल्पना की गई है।
‘ओपनकास्ट माइनिंग’ के दौरान कोयला निकालने के लिए ऊपर की मिट्टी और चट्टानों को कचरे के रूप में हटा दिया जाता है तथा खंडित चट्टान (ओवरबर्डन या ओबी) को डंप में फेंक दिया जाता है।
एम-रेत क्या है?
यह कृत्रिम रेत का एक रूप है, जो कठोर पत्थरों, मुख्य रूप से चट्टानों या ग्रेनाइट को महीन कणों में कुचल कर बनाया जाता है, जिसे बाद में धोया जाता है और बारीक किया जाता है।
यह व्यापक रूप से निर्माण उद्देश्यों के लिए नदी की रेत के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है, ज्यादातर कंक्रीट और मोर्टार मिश्रण के उत्पादन में।
एम-रेत के फायदे
प्राकृतिक रेत के उपयोग की तुलना में विनिर्मित रेत का उपयोग करना अधिक सस्ता होता है, क्योंकि इसे कम लागत पर बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जा सकता है।
इस रेत में एक समान दानेदार आकार हो सकता है, जो उन निर्माण परियोजनाओं के लिए लाभदायक हो सकता है जिनके लिए एक विशिष्ट प्रकार के रेत की आवश्यकता होती है।
विनिर्मित रेत का उपयोग प्राकृतिक रेत के खनन की आवश्यकता को कम कर देता है। प्राकृतिक रेत के खनन के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं।
इसका उपयोग निर्माण परियोजनाओं के लिए आवश्यक पानी की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसे उपयोग करने से पहले धोने की आवश्यकता नहीं होती है।
विनिर्मित रेत अधिक दानेदार होता है और इसकी सतह खुरदरी होती है, जो इसे निर्माण परियोजनाओं के लिए अधिक व्यावहारिक बनाती है।
3. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने "निधि आपके निकट 2.0" लॉन्च किया
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 27 जनवरी को देश के 685 से अधिक जिलों में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने के लिए "निधि आपके निकट 2.0" - एक जिला आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया।
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इसे केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सीपीएफसी) और ईपीएफओ के अधिकारियों की उपस्थिति में ईपीएफओ मुख्यालय से आरती आहूजा, सचिव (श्रम और रोजगार मंत्रालय) द्वारा ई-लॉन्च किया गया।
यह निधि आपके निकट कार्यक्रम के माध्यम से देश के सभी जिलों में एक व्यापक जिला आउटरीच कार्यक्रम है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के सभी जिलों में एक ही दिन यानी हर महीने की 27 तारीख को पहुंचना है। ईपीएफओ ने देश के 685 जिलों में कैंप लगाए हैं।
ईपीएफओ के बारे में
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत स्थापित एक वैधानिक संगठन है जिसकी स्थापना 1951 में राष्ट्रपति द्वारा जारी एक अध्यादेश द्वारा की गई थी।
बाद में संसद ने कर्मचारी भविष्य निधि योजना, अधिनियम 1952 पारित किया।
यह देश का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन है।
ईपीएफओ भविष्य निधि योजना, पेंशन योजना और भारत में पंजीकृत प्रतिष्ठानों के लिए एक बीमा योजना के प्रशासन में केंद्रीय न्यासी बोर्ड की सहायता करता है।
4. ‘शी फीड्स द वर्ल्ड’ कार्यक्रम
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भारत में पेप्सिको और CARE के द्वारा ‘शी फीड्स द वर्ल्ड’ कार्यक्रम शुरू किया गया है।
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इस कार्यक्रम को शुरुआत में पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और अलीपुरद्वार ज़िले में लागू किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के माध्यम से पेप्सिको तथा केयर का लक्ष्य 48,000 से अधिक महिलाओं की स्थिति में सुधार करना है। पश्चिम बंगाल के 1.5 मिलियन से अधिक लोग इस कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य फसल की उपज में वृद्धि करना, बीपीएल परिवारों की महिलाओं की आय में वृद्धि करना, स्वस्थ और संतुलित आहार तक पहुंच सुनिश्चित करना और साथ ही टिकाऊ कृषि पर महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करना है।
कार्यक्रम के माध्यम से कृषि क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाया जाएगा, जो मुख्य रूप से छोटे पैमाने की महिला उत्पादकों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
विकासशील देशों में कृषि कार्यों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में लगभग आधी हैं और पुरुषों की तुलना में प्रति सप्ताह 13 घंटे अधिक कार्य करती हैं।
अनुसंधान से ज्ञात होता है कि यदि पुरुषों के समान महिला किसानों की संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित होती है, तो वे अपने खेतों की उपज में 20-30 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकती हैं, इससे संभवतः विश्व में भूखे लोगों की संख्या को 150 मिलियन तक कम किया जा सकता है।
5. भारत, दक्षिण अफ्रीका ने अगले आठ से दस वर्षों में सालाना 12 अफ्रीकी चीतों को पेश करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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भारत और दक्षिण अफ्रीका ने 27 जनवरी को अगले आठ से दस वर्षों में सालाना 12 अफ्रीकी चीतों को लाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
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समझौते के अनुसार, फरवरी 2023 के दौरान 12 चीतों का एक प्रारंभिक जत्था दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया जाएगा।
ये चीते 2022 के दौरान नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों के साथ शामिल हो जाएंगे।
चीतों की आबादी को बढ़ाना भारत सरकार की प्राथमिकता है और इसके संरक्षण के महत्वपूर्ण एवं दूरगामी परिणाम होंगे, जिसका लक्ष्य कई पारिस्थितिक उद्देश्यों को हासिल करना होगा।
फरवरी में 12 चीतों के आयात के बाद, अगले 8 से 10 वर्षों के लिए सालाना 12 चीतों को स्थानांतरित करने की योजना है।
अधिक शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण इस प्रजाति के स्थानीय स्तर पर विलुप्त हो जाने के बाद चीता को भारत में फिर से लाने की पहल भारत सरकार से प्राप्त अनुरोध के बाद की जा रही है।
पुन: पुनर्वास कार्य योजना
किसी प्रजाति के पुन: पुनर्वास का अर्थ है उसे उस क्षेत्र में छोड़ना जहां वह जीवित रहने में सक्षम है।
योजना के तहत, 5 वर्षों की अवधि में देश के विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों में 50 चीतों को छोड़ा जाएगा।
चीतों का विलुप्त होना
देश का अंतिम चीता वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ में मृत पाया गया था और वर्ष 1952 में इसे देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
निवास स्थान का नुकसान, मनुष्यों के साथ संघर्ष, अवैध शिकार और बीमारियों के प्रति उच्च संवेदनशीलता इनके विलुप्ति का प्रमुख कारण है।
'प्रोजेक्ट चीता' के बारे में
यह अपनी तरह की एक अनूठी परियोजना है जिसमें किसी प्रजाति को देश से बाहर (दक्षिण अफ्रीका / नामीबिया से) लाकर देश में बहाल किया जा रहा है।
भारत में विलुप्त हो चुकी चीता की उप-प्रजाति एशियाई चीता (एसिनोनिक्स जुबेटस वेनेटिकस) थी और देश में वापस लाए जा रहे चीते की उप-प्रजाति अफ्रीकी चीता (एसिनोनिक्स जुबेटस जुबेटस) है।
शोध से पता चला है कि इन दोनों उप-प्रजातियों के जीन समान हैं।
6. राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस अहमदाबाद में शुरू हुई
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30वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 27 जनवरी को अहमदाबाद के साइंस सिटी में शुरू हुई।
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गुजरात विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव विजय नाहेरा ने इसका उद्घाटन किया।
गुजरात काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, गुजरात काउंसिल ऑफ साइंस सिटी, और SAL एजुकेशन इस पांच दिवसीय कांग्रेस की मेजबानी कर रहे हैं, जो 31 जनवरी को समाप्त होगी।
बाल वैज्ञानिकों, एस्कॉर्ट शिक्षकों, मूल्यांकनकर्ताओं और सरकारी अधिकारियों सहित 1400 से अधिक प्रतिनिधि इसमें भाग लेंगे।
देश भर के 850 से अधिक छात्र कांग्रेस में अपनी अनूठी परियोजनाओं का प्रदर्शन करेंगे।
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस
यह बच्चों की जिज्ञासा जगाता है, उनकी रचनात्मकता को प्रकट करने और उनकी कल्पना को आकार देने का अवसर प्रदान करता है।
यह कार्यक्रम नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन, भारत सरकार द्वारा समर्थित है।
चयनित पुरस्कार विजेताओं को हर साल 27 दिसंबर से 31 दिसंबर तक चयनित स्थानों पर आयोजित राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए प्रायोजित किया जाता है।
इसका उद्देश्य सीखने की प्रक्रिया को आसपास के भौतिक और सामाजिक वातावरण से जोड़कर स्कूलों में विज्ञान को पढ़ाने और सीखने के तरीके में बदलाव लाना है।
7. परीक्षा पर चर्चा पर पीएम मोदी ने छात्रों से की बातचीत
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जनवरी को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के 6वें संस्करण के दौरान छात्रों के साथ बातचीत की।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और सभी को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि छात्रों को अपने दृढ़ संकल्प और खुद की ताकत को अपने माता-पिता की अपेक्षाओं से जोड़ना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने विभिन्न कार्यों को एक साथ पूरा करने और कुशल समय प्रबंधन पर सूक्ष्म प्रबंधन तकनीकों को अपनाने का मंत्र दिया।
परीक्षा पे चर्चा के बारे में
यह एक अनूठा संवादात्मक कार्यक्रम है जो भारत और विदेशों के छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को परीक्षा और स्कूल के बाद के जीवन से संबंधित चिंताओं पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाता है।
परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम का लक्ष्य प्रतिभागियों को तनाव से उबरने और जीवन को उत्सव के रूप में मनाने में मदद करना है।
शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने पिछले पांच वर्षों से इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया है।
8. सोमालिया में अमेरिकी हमले में आईएसआईएस का वरिष्ठ नेता बिलाल अल-सुदानी मारा गया
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राष्ट्रपति जो बिडेन के आदेश पर सोमालिया में एक अमेरिकी सैन्य छापे में 25 जनवरी को इस्लामिक स्टेट समूह के एक प्रमुख क्षेत्रीय नेता बिलाल अल-सुदानी को मार गिराया गया।
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अमेरिकी सैन्य अभियान ने आतंकवादी समूह के 10 सदस्यों को भी मार गिराया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने शीर्ष रक्षा, खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों के साथ परामर्श के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में हमले को अधिकृत किया।
बिलाल अल-सुदानी पिछले कई सालों से अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के रडार पर था।
उसने अफ्रीका में आईएस के संचालन के साथ-साथ अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन आईएसआईएस-के (ISIS-K) को वित्तीय मदद करने में अहम भूमिका निभाई थी।
इस्लामिक स्टेट के बारे में
ISIS (इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया), जिसे ISIL (इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड द लेवेंट) के नाम से भी जाना जाता है।
यह एक इस्लामवादी आतंकवादी जिहादी समूह है जो इस्लाम की सुन्नी शाखा पर आधारित सलाफी जिहादी सिद्धांत का पालन करता है।
इसकी स्थापना 1999 में अबू मुसाब अल-जरकावी द्वारा की गई थी और 2014 में इसने वैश्विक प्रसिद्धि प्राप्त की।
इसने जल्द ही इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया, अपना झंडा लहराया और सख्त इस्लामी शासन लागू किया।
यह शरिया या इस्लामी कानून को सख्ती से लागू करता है।
9. बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की कगार पर : नेवर गिव एन इंच
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संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) माइक पोंपिओ द्वारा लिखित पुस्तक ‘नेवर गिव एन इंच: फाइटिंग फॉर द अमेरिका आई लव’ काफी सुर्ख़ियों में रहा है, जिसमें भारत और यहाँ के कई राजनेताओं के बारे में टिपण्णी की गई है।
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पोंपिओ ने अपनी पुस्तक ‘नेवर गिव एन इंच’ में उल्लेख किया है कि फरवरी, 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारत-पाकिस्तान परमाणु युद्ध की कगार पर थे।
माइक पोंपियो ने कहा कि तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनसे कहा था कि पाकिस्तान स्ट्राइक के बाद परमाणु हमले की तैयारी कर रहा था और भारत भी इसकी आक्रामक प्रतिक्रिया की तैयारी कर रहा है।
पोंपियो ने इस मामले का जिक्र करते हुए बताया कि बालाकोट स्ट्राइक के पश्चात दोनों देशों में परमाणु टकराव टालने के लिए उनकी टीम ने रात भर भारत और पाकिस्तान से बातचीत की। उनके प्रयास से दोनों देशों के मध्य होने वाले एक संभावित युद्ध को रोक दिया, जो कभी भी परमाणु युद्ध में बदल सकती थी।
पोंपिओ ने अपनी पुस्तक में पूर्व भारतीय विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज के लिए सम्मानजनक शब्द का प्रयोग नहीं किया, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर की काफी तारीफ किया है, और कुछ मामलों में एस जयशंकर को अपने से बेहतर बताया है।
10. चंडीगढ़ में उत्तर भारत का सबसे बड़ा तैरता हुआ सोलर प्लांट
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चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा शहर को बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से प्रशासक बलवारी लाल पुरोहित ने 23 जनवरी 2023 को 2MWp क्षमता वाले सोलर प्लांट का शुभारंभ किया।
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चंडीगढ़ के वाटर वर्क्स में उत्तर भारत का सबसे बड़ा तैरता हुआ सोलर प्लांट लगाया गया है।
इसके अलावा बलवारी लाल पुरोहित ने धनसा लेक में लगे 500 kWp के फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट का भी शुभारंभ किया।
2MWp क्षमता वाला सोलर प्लांट 28 मीलियन यूनिट इलेक्ट्रिसिटी उत्पन्न करेगा। साथ ही पानी पर पैनल लगे होने के कारण इस प्रोजेक्ट से सालाना करीब 382 मीलियन लीटर वाष्पीकरण कम होगा।
साथ ही इस प्रोजेक्ट से एक बड़ा लाभ यह होगा कि, पानी के कूलिंग इफेक्ट के कारण यह प्रोजेक्ट दूसरे सभी प्रोजेक्ट से अधिक बिजली उत्पन्न करेगा।
चुकी ये दोनों प्रोजेक्ट जलीय क्षेत्र पर हैं, इससे शहर की करीब आठ एकड़ जमीन की बचत हुई है।
धनसा लेक पर लगाए गए सोलर पैनल से उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग वन विभाग द्वारा किया जाएगा। इस सोलर पैनल से उत्पन्न होने वाली बिजली से वन विभाग अपने सभी ऑफिसों को रोशन करेगा।