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By admin: Oct. 7, 2022

1. आरबीआई ने क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल 2023 तक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दिया

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भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अक्टूबर 2022 को जारी एक सर्कुलर में क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को 1 अप्रैल 2023 तक आंतरिक लोकपाल की नियुक्ति करके अपने ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के लिए कहा है।

आंतरिक लोकपाल का कार्य

आंतरिक लोकपाल सीआईसी के निर्णय के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगा जिसमे उसने  ग्राहक की शिकायतों को आंशिक या पूर्ण रूप से खारिज कर दिया है।

यह सीआईसी के खिलाफ ग्राहक की सीधी शिकायतों को नहीं सुनेगा।

आंतरिक लोकपाल के पद के लिए किसे नियुक्त किया जा सकता है?

केंद्रीय बैंक के अनुसार, आंतरिक लोकपाल या तो एक सेवानिवृत्त या एक सेवारत अधिकारी होगा, जो वित्तीय क्षेत्र के नियामक निकाय, क्रेडिट सूचना कंपनियों, एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) या बैंकमें उप महाप्रबंधक या समकक्ष के पद से नीचे नहीं होगा ।व्यक्ति को न्यूनतम 7 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

नियुक्ति कम से कम तीन साल की निश्चित अवधि के लिए होगी, लेकिन पांच साल से अधिक नहीं होगी।

आंतरिक लोकपाल को आरबीआई की स्पष्ट स्वीकृति के बिना अनुबंधित अवधि के पूरा होने से पहले हटाया नहीं जा सकता है।

बैंकिंग लोकपाल और आंतरिक लोकपाल के बीच अंतर

बैंकिंग लोकपाल को आरबीआई द्वारा 1995 में बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के तहत पेश किया गया था। बैंकिंग लोकपाल आरबीआई द्वारा नियुक्त, आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी होते हैं।

वे बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में कमी के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतें सुनते हैं।

ग्राहक अपनी शिकायत पर बैंक के जवाब से संतुष्टन होने पर बैंकिंग लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं।

पूरी प्रक्रिया नि:शुल्क है और यह प्रणाली ,न्यायालय प्रणाली का एक वैकल्पिक तंत्र है।

आंतरिक लोकपाल

बैंकिंग लोकपाल पर बोझ कम करने के लिए, आरबीआई ने शुरुआत में बैंकों के लिए 2015 में आंतरिक लोकपाल प्रणाली की शुरुआत की थी ।

इसे ग्राहक की शिकायत को बैंक स्तर पर ही निपटाने के लिए पेश किया गया था।

आंतरिक लोकपाल स्वयं बैंकों द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र व्यक्ति होते हैं और वे ग्राहक की उन शिकायतों की समीक्षा करते हैं जिन्हें संबंधित बैंकों द्वारा आंशिक या पूर्ण रूप से खारिज कर दिया गया था।

क्रेडिट सूचना कंपनियां(सीआईसी)

क्रेडिट सूचना कंपनियां वित्तीय कंपनियां हैं जो किसी व्यक्ति या कंपनियों के क्रेडिट(उधार ) इतिहास कारिकॉर्ड  रखती हैं। इसका अर्थ है कि यह किसी व्यक्ति या कंपनी के द्वारा किसी  वित्तीय संस्थानों से  लिए गए उनके उधार का रिकॉर्ड रखता है,  उनके ऋणों के पुनर्भुगतान का रिकॉर्ड रखता है  की वह व्यक्ति या कंपनी समय से अपना ऋण चुकता करती है या नहीं । इन रिकॉर्ड के आधार पर सीआईसी  एक क्रेडिट सूचना रिपोर्ट तैयार करता है।

इस रिपोर्ट का उपयोग बैंकों आदि द्वारा यह तय करने के लिए किया जाता है कि वह उस  व्यक्ति / कंपनी को ऋण प्रदान करे या नहीं ।

भारत में  निम्नलिखित सीआईसी हैं:

  • क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड (सिबिल),
  • इक्विफैक्स क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी, 
  • एक्सपीरियन क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी और
  • सीआरआईएफ हाई मार्क क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी।

वे आरबीआई द्वारा विनियमित होते हैं।

फुल फॉर्म

सीआईसी/CIC : क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी

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