1. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में विफलता के लिए एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर 900 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 12 अक्टूबर 2022 को पारित एक आदेश में दिल्ली सरकार को ठोस नगरपालिका कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में 900 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।"एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि "नागरिकों को शासन के कमी के कारण आपातकालीन स्थिति का सामना नहीं करना पड़ सकता है।
न्यायमूर्ति आदर्श गोयल की अध्यक्षता वालीएनजीटी पीठ ने दिल्ली के तीन लैंडफिल स्थलों- गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में ठोस कचरे से निपटने के लिए उपचारात्मक कदम नहीं उठाने के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
बेंच ने कहा ,इन तीन लैंडफिल स्थलों के कारण भूजल प्रदूषण के साथ-साथ मीथेन और अन्य हानिकारक गैसों का लगातार उत्सर्जन हो रहा है , जो दिल्ली के लोगों और पर्यावरण के लिए सीधा खतरा है।
बेंच ने दिल्ली सरकार को जुर्माने की राशि एक अलग खाते में जमा करने का निर्देश दिया, जिसका उपयोग दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा कचरे के उपचार और अन्य उपायों द्वारा पर्यावरण की बहाली के लिए किया जाएगा।
एनजीटी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों के अनुपालन की निगरानी कर रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल/राष्ट्रीय हरित अधिकरण
- यह पर्यावरण संरक्षण और वन के संरक्षण से संबंधित मामलों का निपटारा करता है ।
- इसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत 2010 में स्थापित किया गया था।
- यह अधिकरण 1908 के नागरिक कार्यविधि के द्वारा दिए गए कार्यविधि से प्रतिबद्ध नहीं है लेकिन प्रकृतिक न्याय सिद्धांतों से निर्देशित होगा।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण का मुख्यालय : नई दिल्ली
- भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई में इसके बेंच हैं ।
- अध्यक्ष: न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल
2. एनजीटी ने अनुचित अपशिष्ट प्रबंधन के लिए तेलंगाना सरकार पर 3,800 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 1 अक्टूबर 2022 को दिए गए एक आदेश में ठोस और तरल कचरे के उपचार में विफलता के लिए तेलंगाना सरकार पर 3,800 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दक्षिणी राज्य में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन में भारी अंतर मौजूद है।
पीठ ने कहा कि स्वच्छ हवा, पानी, स्वच्छता और पर्यावरण प्रदान करना सुशासन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और राज्य प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है।
एनजीटी ने कहा कि अनुपालन, मुख्य सचिव की जिम्मेदारी होगी और उन्हें हर छह महीने में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
एनजीटी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय पहलुओं के अनुपालन की निगरानी कर रहा है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत 2010 में स्थापित किया गया था। यह पर्यावरण संरक्षण और वन के संरक्षण से संबंधित मामलों का निपटारा करता है । इसका मुख्यालय, नई दिल्ली है ।
3. एनजीटी ने कचरे के प्रबंधन में विफल रहने के लिए पंजाब पर 2180 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पंजाब सरकार पर ठोस और तरल कचरे के उपचार में विफलता के लिए 2,180 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि, सुधारात्मक कार्रवाई अनिश्चित काल तक इंतजार नहीं कर सकती और स्वास्थ्य मुद्दों को लंबे समय तक टाला नहीं जा सकता।
पीठ ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन के विषय पर पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन प्राथमिकता पर होना चाहिए। इसके लिए सरकार को फंड मुहैया कराना होगा।
इसने राज्य सरकार से जुर्माने की राशि एक अलग कोष में जमा करने को कहा, जिसका उपयोग कचरे के उपचार के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किया जाएगा।
एनजीटी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नगर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों के अनुपालन की निगरानी कर रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल/राष्ट्रीय हरित अधिकरण :
- यह पर्यावरण संरक्षण और वन के संरक्षण से संबंधित मामलों का निपटारा करता है ।
- इसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत 2010 में स्थापित किया गया था।
- यह अधिकरण 1908 के नागरिक कार्यविधि के द्वारा दिए गए कार्यविधि से प्रतिबद्ध नहीं है लेकिन प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों से निर्देशित होगा।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण का मुख्यालय : नई दिल्ली
- भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई में इसके बेंच हैं ।
- अध्यक्ष : न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल