सेंट्रल रेलवे ने पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाया
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सेंट्रल रेलवे ने पश्चिमी घाट के इगतपुरी झील में 10 मेगावाट क्षमता का फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाया।
खबर का अवलोकन
यह भारतीय रेलवे द्वारा लगाया गया पहला फ्लोटिंग सोलर प्लांट है।
यह प्लांट सौर और पवन ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा स्रोतों का लाभ उठाने के प्रयासों का हिस्सा है।
लक्ष्य: 2030 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करना।
अतिरिक्त सोलर प्लांट:
स्टेशन की छतों और इमारतों पर 12.05 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाए गए।
पिछले साल 4 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगाए गए।
2023-24 में 4.62 करोड़ रुपये की बचत हुई और कार्बन उत्सर्जन में 6,594.81 मीट्रिक टन की कमी आई।
चालू वर्ष में 7 मेगावाट क्षमता का अतिरिक्त सोलर प्लांट लगाने की योजना है।
वर्तमान अक्षय ऊर्जा उपयोग:
पवन ऊर्जा का 56.4 मेगावाट और सौर ऊर्जा का 61 मेगावाट उपयोग।
"चौबीसों घंटे" आधार पर 325 मेगावाट सौर और पवन ऊर्जा के लिए समझौते।
इस वित्तीय वर्ष में 180 मेगावाट अतिरिक्त सौर और 50 मेगावाट पवन ऊर्जा की उम्मीद है।
पर्यावरणीय प्रभाव:
2.5 लाख पेड़ों को बचाने के बराबर।
नवीकरणीय स्रोतों के पूर्ण कमीशन के बाद 70% कर्षण ऊर्जा हरित होने की उम्मीद है।
बिजली की खपत:
वर्तमान मासिक बिजली खपत: कर्षण के लिए 236.92 मिलियन यूनिट और गैर-कर्षण कार्य के लिए 9.7 मिलियन यूनिट।
ऊर्जा दक्षता पुरस्कार:
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने मध्य रेलवे की पांच इमारतों को "शून्य-प्लस" लेबल और दो इमारतों को "शून्य" लेबल प्रदान किया।
लेबल नेट जीरो एनर्जी बिल्डिंग (NZEB) और नेट पॉजिटिव एनर्जी बिल्डिंग (NPEB) बनाने की दिशा में प्रयासों को दर्शाते हैं।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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