चुनाव आयोग ने लोकसभा और राज्य विधानसभा के उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा बढ़ाई

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भारत के चुनाव आयोग ने लोकसभा उम्मीदवारों और राज्य विधान सभा उम्मीदवारों के लिए खर्च सीमा में वृद्धि की घोषणा की। यह बढ़ोतरी 2014 में पिछली बड़ी बढ़ोतरी के बाद है। कोविड महामारी के कारण 2020 में 10% की वृद्धि हुई थी।

  • यह चुनाव आयोग द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे अक्टूबर 2021 में गठित किया गया था और 120 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।
  • चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन के माध्यम से कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है।
  • खर्च की सीमा चुनाव नियमावली के नियम 90 के तहत निर्दिष्ट है और किसी भी बदलाव के लिए कानून मंत्रालय की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
  • 2001 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या के आधार पर बड़े राज्यों से लेकर छोटे राज्यों में खर्च की सीमा अलग-अलग होती है।
  • बड़े राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और दिल्ली का इकलौता केंद्र शासित प्रदेश। बाकी सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश छोटे राज्यों के अंतर्गत आते हैं।

चुनाव आयोग ने लोकसभा क्षेत्रों के लिए व्यय सीमा को बढ़ा दिया -

  • बड़े राज्यों के लिए पहले 70 लाख रुपये की सीमा से 95 लाख रुपये| 
  • छोटे राज्यों के लिए पहले के 54 लाख रुपये से 75 लाख रुपये।

इसी तरह, विधानसभा क्षेत्रों के लिए व्यय राशि को संशोधित किया गया है |

  • बड़े राज्यों में पहले के 28 लाख रुपये से 40 लाख रुपये|
  • छोटे राज्यों में 20 लाख रुपये से 28 लाख रुपये|

समिति ने निम्नलिखित के आधार पर निर्णय लिया-

  • राज्यों व् केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाताओं की संख्या में परिवर्तन (2014 में 834 मिलियन से 2021 में 936 मिलियन) और व्यय पर इसका असर पड़ेगा।
  • लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में परिवर्तन (2014 से 2021-22 तक 32.08% की वृद्धि) और हाल के चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा किए गए खर्च के पैटर्न पर इसका असर पड़ेगा।
  • राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों जैसे मुख्य चुनाव अधिकारियों, चुनाव पर्यवेक्षकों आदि |
  • अन्य कारक जो खर्च पर असर डाल सकते हैं जैसे चुनाव प्रचार के तरीके बदलना, जो धीरे-धीरे वर्चुअल और सोशल मीडिया आधारित डिजिटल अभियानों में स्थानांतरित हो रहा है।

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