सरकार ने लद्दाख की संस्कृति, भाषा और रोजगार की रक्षा के लिए समिति गठित की
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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लद्दाख की अनूठी संस्कृति, भाषा और रोजगार की रक्षा के उपायों पर चर्चा करने के लिए हाल ही में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया है।
खबर का अवलोकन
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में 17 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
उच्च स्तरीय समिति में सदस्य - लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर आरके माथुर, सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल, लेह और कारगिल हिल काउंसिल के अध्यक्ष, एपेक्स बॉडी लेह के प्रतिनिधि, कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस और गृह मंत्रालय के नामित अधिकारी।
समिति लद्दाख की भौगोलिक स्थिति और सामरिक महत्व को देखते हुए संस्कृति और भाषा के संरक्षण पर चर्चा करेगी।
इसके अलावा लोगों के लिए भूमि और रोजगार की सुरक्षा, समावेशी विकास, रोजगार सृजन और लेह और कारगिल की लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषदों के सशक्तिकरण से संबंधित उपायों पर भी चर्चा होगी।
समिति की आवश्यकता
लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग लगातार बढ़ रही है।
लद्दाख में नागरिक समाज समूह पिछले तीन वर्षों से भूमि, संसाधन और रोजगार की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने सिफारिश की है कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए।
मांग के पीछे मुख्य कारण यह है कि लद्दाख की 90% से अधिक आबादी आदिवासियों की है।
लद्दाख क्षेत्र में ड्रोकपा, बलती और चांगपा जैसे समुदायों के कई विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत हैं, जिन्हें संरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
संविधान की छठी अनुसूची
संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण के माध्यम से जनजातीय आबादी की स्वायत्तता की रक्षा करती है।
यह भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और कृषि पर कानून बना सकती है।
अब तक, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में दस स्वायत्त परिषदें मौजूद हैं।
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