भारत सरकार ने रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) लॉन्च किया
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केंद्र सरकार ने हाल ही में रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) शुरू किया है।
राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम की रणनीति
राष्ट्रीय मुक्त दवा पहल के माध्यम से रेबीज वैक्सीन और रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन का प्रावधान।
पशुओं के काटने का उचित प्रबंधन, रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण, निगरानी और अंतःक्षेत्रीय समन्वय पर प्रशिक्षण।
जानवरों के काटने और रेबीज से होने वाली मौतों की रिपोर्टिंग की निगरानी को मजबूत करना।
रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता।
रेबीज क्या है?
रेबीज एक वायरल बीमारी है। यह वायरस रेबीज से पीड़ित जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली, बंदर आदि की लार में मौजूद होता है।
यह रेबडोविरिडे फैमिली के लिसावायरस जीनस के रेबीज वायरस के कारण होता है। यह एक आरएनए वायरस है।
आंकड़ों के मुताबिक इंसानों में करीब 99 फीसदी मामले कुत्ते के काटने से होते हैं।
रेबीज 100% घातक है तथा टीके के माध्यम से इसका 100% रोकथाम किया जा सकता है।
वैश्विक रेबीज से होने वाली मौतों में से 33% भारतमें दर्ज की जाती हैं।
रेबीज से संक्रमित जानवर के काटने और रेबीज के लक्षणों के प्रकट होने के बीच की समय अवधि चार दिनों से लेकर दो साल या कभी-कभी अधिक हो सकती है।
विश्व रेबीज दिवस
रेबीज वायरस बीमारी के प्रभावों और इसे रोकने के तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 28 सितंबर को यह दिन मनाया जाता है।
यह दिन लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
लुई पाश्चर ने रेबीज का पहला टीका विकसित किया और रेबीज की रोकथाम के लिए नींव रखी।
वर्ष 2022 के लिए इस दिन की थीम 'रेबीज: वन हेल्थ, जीरो डेथ्स' है।
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