सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजया पुरम किया
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केंद्र सरकार ने औपनिवेशिक विरासत को खत्म करने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर "श्री विजया पुरम" करने की घोषणा की।
खबर का अवलोकन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और इतिहास में द्वीप के महत्व पर जोर देते हुए इस फैसले को साझा किया।
नए नाम का महत्व
"विजय पुरम" भारत के स्वतंत्रता संग्राम की जीत और इस ऐतिहासिक यात्रा में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह द्वारा निभाई गई अद्वितीय भूमिका का प्रतीक है।
ये द्वीप कभी चोल साम्राज्य के नौसैनिक अड्डे के रूप में काम करते थे और अब भारत की रणनीतिक और विकासात्मक आकांक्षाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का ऐतिहासिक महत्व
ये द्वीप उस स्थान के रूप में जाने जाते हैं जहाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) फहराया था।
सेलुलर जेल, जहाँ वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया था, भी यहीं स्थित है।
पिछली नामकरण पहल
2018 में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में, तीन प्रमुख द्वीपों का नाम बदला गया:
रॉस द्वीप का नाम बदलकर "नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप" कर दिया गया।
नील द्वीप का नाम बदलकर "शहीद द्वीप" (शहीद द्वीप) कर दिया गया।
हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर "स्वराज द्वीप" (स्व-शासन द्वीप) कर दिया गया।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम बदलने के लिए संवैधानिक प्रावधान
संसदीय शक्ति: संसद के पास राज्य का नाम बदलने का अधिकार है।
संवैधानिक आधार: भारत के संविधान का अनुच्छेद 3 यह शक्ति प्रदान करता है।
प्रक्रिया: अनुच्छेद 3 किसी राज्य के क्षेत्र, सीमाओं या नाम को बदलने की प्रक्रिया को रेखांकित करता है।
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