सरकार ने 1 जून से चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया
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सरकार ने 24 मई को 1 जून से चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाना और मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाना है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की अधिसूचना के अनुसार चीनी (कच्ची, परिष्कृत और सफेद चीनी) का निर्यात 1 जून, 2022 से प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है।
ये प्रतिबंध सीएक्सएल और टीआरक्यू के तहत यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होंगे।
इन क्षेत्रों में सीएलएक्स और टीआरक्यू के तहत एक निश्चित मात्रा में चीनी का निर्यात किया जाता है।
सरकार ने चीनी सीजन 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से 100 एलएमटी (लाख मीट्रिक टन) तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
चीनी निदेशालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की विशिष्ट अनुमति से चीनी के निर्यात की अनुमति दी जाएगी।
चीनी का निर्यात
चीनी सीजन 2020-21 में 60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 लाख मीट्रिक टन का निर्यात किया गया है।
चालू चीनी सीजन 2021-22 में लगभग 90 एलएमटी के निर्यात के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, चीनी मिलों से लगभग 82 एलएमटी चीनी निर्यात के लिए भेजी गई है और लगभग 78 एलएमटी निर्यात किया गया है।
चालू चीनी सीजन 2021-22 में चीनी का निर्यात ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक है।
इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि चीनी सीजन के अंत में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 60 से 65 एलएमटी रहेगा जो घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक 2 से 3 महीने का स्टॉक है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
भारत में सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है।
गन्ना खरीफ मौसम के दौरान उगाया जाता है।
ब्राजील दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है।
विश्व में चीनी उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है।
प्रथम सहकारी चीनी कारखाना वर्ष 1957 में जिला नैनीताल (वर्तमान में जिला उधम सिंह नगर में) में स्थापित किया गया था।
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