IFC नई कोयला-संचालित बिजली परियोजनाओं का वित्तपोषण बंद करेगा
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विश्व बैंक की निजी क्षेत्र की शाखा, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने कहा है कि वह नई कोयला परियोजनाओं में निवेश का समर्थन नहीं करेगी।
खबर का अवलोकन
स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए अभियान चलाने वालों के लिए यह घोषणा एक बड़ी राहत के रूप में आई है।
वर्ष 2020 में, IFC ने एक नीति का अनावरण किया था जिसमें उसने अपने ग्राहकों को 2025 तक कोयला परियोजनाओं में अपना एक्स्पोज़र कम करने और 2030 तक शून्य करने की बात आवश्यकता थी।
उस नीति में नए निवेश को रोकने कि बात नहीं थी, लेकिन इस नयी घोषणा से अब स्थिति बदल गयी है।
IFC की ग्रीन इक्विटी एप्रोच (जीईए) नीति का एक नया अपडेट अपने फ़ाइनेशियल इंटरमीडिएट्रीज़ क्लाइंटस (जैसे कमर्शियल/वाणिज्यिक बैंकों) को साफ़ तौर से कोयले में निवेश से रोकता है।
IFC बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को धन देता है जो बदले में बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं को उधार देते हैं।
IFC ने भारत में लगभग 88 वित्तीय संस्थानों को करीब 5 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) के बारे में
इसकी स्थापना 1956 में विश्व बैंक समूह के सदस्य के रूप में हुई थी।
विश्व बैंक समूह का एक सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) विकासशील देशों में निजी उद्यम निवेश के लिए वित्तपोषण प्रदान करता है।
इसका ध्यान आर्थिक विकास के माध्यम से गरीबी को खत्म करना है, लेकिन आलोचकों का दावा है कि यह लोगों की तुलना में मुनाफे पर अधिक केंद्रित है।
वित्तीय वर्ष 2021 में, IFC ने वित्तीय पहलों में $31.5 बिलियन का निवेश किया।
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