भारत ने पापुआ न्यू गिनी को मानवीय सहायता भेजी
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भारत ने पापुआ न्यू गिनी को 19 टन मानवीय सहायता और आपदा राहत आपूर्ति के साथ एक विमान भेजा।
खबर का अवलोकन
आपदा के प्रति प्रतिक्रिया: यह सहायता पापुआ न्यू गिनी के एंगा प्रांत में हुए विनाशकारी भूस्खलन के जवाब में है।
सहायता विवरण
आपदा राहत सामग्री: अस्थायी आश्रय, पानी की टंकियाँ, स्वच्छता किट और खाने के लिए तैयार भोजन सहित 13 टन आपूर्ति।
चिकित्सा आपूर्ति: डेंगू और मलेरिया निदान किट और शिशु आहार सहित आपातकालीन उपयोग की दवा और चिकित्सा उपकरण के 6 टन।
पापुआ न्यू गिनी की भौगोलिक पृष्ठभूमि:
न्यू गिनी, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है, जिसका क्षेत्रफल 785,753 वर्ग किमी है।
ओशिनिया में स्थित, यह ऑस्ट्रेलिया के समीप दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित है, जो टोरेस जलडमरूमध्य द्वारा अलग किया गया है।
यह द्वीप पश्चिम और पूर्व में कई छोटे द्वीपों से घिरा हुआ है।
भारत-पापुआ न्यू गिनी (PNG) संबंध:
भारत और पापुआ न्यू गिनी के बीच राजनयिक संबंध 1975 में ऑस्ट्रेलिया से PNG की स्वतंत्रता के बाद स्थापित हुए थे।
भारत ने 1996 में पोर्ट मोरेस्बी में अपना निवासी मिशन खोला, जिसके बदले में PNG ने 2006 में नई दिल्ली में एक निवासी मिशन खोला।
दोनों राष्ट्र राष्ट्रमंडल देश होने के नाते मधुर संबंध साझा करते हैं, जो विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर निकटता से जुड़े हुए हैं।
सहयोग राष्ट्रमंडल, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और संयुक्त राष्ट्र संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक फैला हुआ है।
मानवीय सहायता एवं सहयोग:
भारत समय-समय पर पापुआ न्यू गिनी (PNG) को मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करता है।
2023 में सहायता में एचआईवी/एड्स रोगियों के लिए दवाएँ शामिल थीं।
वर्ष 2017-18 में PNG को कुल 760,000 अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता से कंप्यूटर और बाह्य उपकरण प्रदान किए गए।
क्षमता निर्माण प्रयासों में भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) और कोलंबो योजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण शामिल है।
वार्षिक अनुदान सहायता के तहत PNG द्वारा प्रस्तुत विभिन्न क्षेत्रों में सहायता प्रस्तावों का कार्यान्वयन जारी है।
भारतीय वित्तीय और तकनीकी सहायता से PNG विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई।
वर्ष 2018 में PNG में आए भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में भूकंप राहत के लिए भारत सरकार द्वारा 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की गई।
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