जनऔषधि योजना ने नागरिकों को लगभग 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद की
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फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया के सीईओ रवि दाधीच के अनुसार, जनऔषधि योजना ने पिछले 9 वर्षों में नागरिकों को उनके दवा बिलों पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद की है।
खबर का अवलोकन
पिछले नौ वर्षों में, जनऔषधि केंद्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 100 गुना बढ़ रही है।
जनऔषधि केंद्रों की बिक्री में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 150 गुना से अधिक है।
सरकार ने चालू वर्ष के अंत तक जनऔषधि केंद्रों की संख्या को बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है।
वर्तमान में, देश भर में 9,400 से अधिक जनऔषधि केंद्र कार्यरत हैं, जहां ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक की रियायती दरों पर दवाएं बेची जाती हैं।
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना की उत्पाद श्रेणी में 1,800 दवाएं और 285 सर्जिकल उपकरण विकल्प शामिल हैं।
जन औषधि योजना के बारे में
जन औषधि योजना की शुरुआत यूपीए सरकार ने 2008 में की थी ।
इस योजना को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में फिर से शुरू किया गया था।
"जन औषधि मेडिकल स्टोर्स" के माध्यम से जेनेरिक दवाएं बेचकर यह अभियान पूरे देश में शुरू किया गया था ।
2015 में, 'जन औषधि योजना' का नाम बदलकर ' प्रधानमंत्री जन औषधि योजना' (PMJAY) कर दिया गया, लेकिन नवंबर 2016 में इसे बदलकर " प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि योजना" कर दिया गया।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना (पीएमबीजेपी) योजना भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा सभी को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
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