बुन्देलखण्ड की कठिया गेहू को कृषि उपज के लिए पहला जीआई टैग प्राप्त हुआ
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उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र की स्वदेशी गेहूं की किस्म कठिया गेहू को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिया गया है, जो इस क्षेत्र में कृषि उपज के लिए इस तरह की पहली मान्यता है।
खबर का अवलोकन
प्रमाणन की प्रक्रिया:
जनवरी 2022 में नाबार्ड के समर्थन और पद्म श्री रजनीकांत राय के तकनीकी मार्गदर्शन के साथ कठिया गेहू बंगरा प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड द्वारा जीआई प्रमाणीकरण के लिए आवेदन दायर किया गया।
दो साल की प्रक्रिया के बाद 30 मार्च 2024 को प्रमाणपत्र संख्या 585 के साथ जीआई टैग जारी किया गया।
जीआई टैग का महत्व:
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, इस क्षेत्र में किसी भी कृषि उपज के लिए पहला जीआई टैग होना।
जीआई टैग काठिया गेहू को गेहूं के स्वदेशी ब्रांड के रूप में बढ़ावा देगा, जो अपनी प्रोटीन समृद्धि और न्यूनतम सिंचाई के साथ पनपने की क्षमता के लिए जाना जाता है।
कठिया गेहू की विशेषताएं:
ड्यूरम गेहूं के नाम से भी जाना जाने वाला कठिया गेहू इस क्षेत्र में प्रचलित है।
पोषण से भरपूर और ग्लूटेन-मुक्त, जो इसे एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प बनाता है।
कठोर जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल और खेती के लिए न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है।
किसानों पर प्रभाव:
जीआई टैग की पुष्टि से कठिया गेहू की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, जिससे क्षेत्र के किसानों को फायदा होगा।
आरएलबीसीएयू और आईसीएआरडीए के बीच सहयोग का उद्देश्य कठिया गेहूं उत्पादन में सुधार के लिए बेहतर बीज किस्मों पर शोध और विकास करना है।
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