नारायण राणे ने कुडाली में कोंबैक-स्फूर्ति बांस क्लस्टर का उद्घाटन किया

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केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री नारायण राणे ने  कुडाल में कोनबैक-स्फूर्ति (कोंकण बम्बू एंड कैन डेवलपमेंट सेंटर - स्कीम ऑफ़ फण्ड फॉर रेगेनेरशन ऑफ़ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज - कोंकण बांस और गन्ना विकास केंद्र - पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए योजना) बांस क्लस्टर का उद्घाटन किया। क्लस्टर 300 कारीगरों को मदद करेगा।

एमएसएमई मंत्रालय ने क्लस्टर की स्थापना के लिए 1.45 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।

कोनबैक (कोंकण बांस और गन्ना विकास केंद्र - पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए फंड की योजना) 

कोनबैक एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संगठन है जो एक आत्मनिर्भर संस्थागत पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित हुआ है और इसके पास भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए प्रीमियम बांस उत्पादों के डिजाइन, प्रोटोटाइप और उत्पादन के लिए पूर्ण विकसित सुविधा है। इसके पास गरीब बांस उत्पादकों को बड़े आकर्षक बाजारों से जोड़ने की व्यवस्था उपलब्ध है और यह पहले से ही एक मॉडल के रूप में उभरा है जिसका भारत सहित कई अन्य देशों में अनुकरण किया जा रहा है।

पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए फंड की योजना (स्फूर्ति)

इसे 2005 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए आरंभ किया गया था।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) खादी के लिए क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसी है। यह योजना पारंपरिक उद्योगों और कारीगरों को प्रतिस्पर्धी बनाने और उनकी दीर्घकालिक संधारणीयता में सहायता प्रदान करने के लिए समूहों में संगठित करती है। इसका उद्देश्य पारंपरिक उद्योग कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए निरंतर रोजगार प्रदान करना है।

बांस

क्या बांस एक पेड़ है

भारतीय वन अधिनियम 1927 में बांस को एक वृक्ष माना गया। इसका अर्थ था कि लोग बांस को काट या परिवहन नहीं कर सकते थे क्योंकि यह वन विभाग के नियंत्रण में था। इसे अवैध माना जाता था।

अधिनियम में 2017 में संशोधन किया गया और बांस को घास के रूप में वर्गीकृत किया गया था। इसका अर्थ है कि गैर वन क्षेत्रों में उगाए जाने वाले बांस को वन विभाग की अनुमति के बिना काटा और ले जाया जा सकता है।

वैज्ञानिक रूप से भी बांस एक पेड़ नहीं बल्कि एक प्रकार की घास है।

अन्य संबंधित तथ्य

चीन दुनिया में बांस का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और भारत, दुनिया में बांस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक  देश है।

सर्वाधिक बांस क्षेत्रफल वाले राज्य

भारत में बांस का कुल क्षेत्रफल (15 मिलियन हेक्टेयर)

राज्य                 क्षेत्रफल 

मध्य प्रदेश             1.84 मिलियन हेक्टेयर

अरुणाचल प्रदेश         1.57 मिलियन हेक्टेयर

महाराष्ट्र             1.35 मिलियन हेक्टेयर

ओडिशा            1.12 मिलियन हेक्टेयर

स्रोत: भारतीय वन राज्य रिपोर्ट 2021।

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