पाकिस्तान 4 साल बाद एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर
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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने 21 अक्टूबर को पाकिस्तान को चार साल बाद आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर वैश्विक निगरानी की 'ग्रे लिस्ट' से बाहर कर दिया।
महत्वपूर्ण तथ्य
आतंकी फंडिंग व मनी लान्ड्रिंग मामलों पर नजर रखने वाली पेरिस की संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की पेरिस में एक बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने या न रखने को लेकर अंतिम फैसला लिया गया।
बैठक के बाद पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर होने की घोषणा की गई. इस फैसले पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है और इसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला करार दिया है।
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने और व्हाइट लिस्ट में जाने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए थे।
ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए उसे तीन देशों के समर्थन की जरूरत थी, चीन, तुर्की और मलेशिया जो इसके समर्थक हैं।
पाकिस्तान को 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम की जांच करने में विफलता के लिए 'ग्रे लिस्ट' में डाल दिया गया था, जिससे भ्रष्टाचार और आतंक का वित्तपोषण हुआ।
पाकिस्तान के ग्रे सूची में बने रहने के साथ, इस्लामाबाद के लिए आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना कठिन हो गया था, इस प्रकार नकदी की कमी वाले देश के लिए समस्याएं और बढ़ गईं।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)
इसका गठन वर्ष 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था।
यह मनी लांड्रिंग, टेरर फंडिंग जैसे मुद्दों पर दुनिया में विधायी और नियामक सुधार लाने के लिये आवश्यक राजनीतिक इच्छा शक्ति पैदा करने का काम करता है। मुख्यालय - पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग विकास संगठन (OECD) के मुख्यालय में स्थित है.
सदस्य देश - भारत समेत 39 सदस्य देश और 2 क्षेत्रीय संगठन (यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद) शामिल हैं।
भारत वर्ष 2010 में FATF का सदस्य बना।
इसके सत्रों का आयोजन प्रतिवर्ष तीन बार होता है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के अध्यक्ष - राजा कुमार
FATF की सूची
ग्रे लिस्ट - जिन देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिए सुरक्षित स्थल माना जाता है, उन्हें FATF की ग्रे लिस्ट में रखा जाता है।
ब्लैक लिस्ट - असहयोगी देशों या क्षेत्रों के रूप में पहचाने जाने वाले देशों को ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जाता है। ये देश आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का समर्थन करते हैं।
वर्तमान में ईरान और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं।
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