मानव में सूअर के हृदय का प्रत्यारोपण
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संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्जनों ने एक मानव रोगी में एक सूअर के हृदय का प्रत्यारोपण किया है जो चिकित्सा विज्ञान की दुनिया में इस प्रकार का प्रथम उल्लेखनीय प्रत्यारोपण है, जिसकी सफलता संभवतः स्वस्थ अंग प्राप्त करने लिए इंतजार कर रहे लोगों के वर्षों के लंबे बैकलॉग को समाप्त कर सकती है और एक नए अवसरों की दुनिया के दरवाज़े खोल सकती है।
- 7 जनवरी, 2022 को मैरीलैंड मेडिसिन विश्वविद्यालय (यूएमएम) में 57 वर्षीय मैरीलैंड निवासी डेविड बेनेट पर अत्यधिक प्रयोगात्मक सर्जरी की गई।
- सर्जन डॉ. बार्टले पी ग्रिफ़िथ ने दुनिया की यह प्रथम सर्जरी की।
यूनाइटेड स्टेट्स बायोटेक फर्म रेविविकोर द्वारा जीन एडिटिंग:
- प्रत्यारोपित हृदय को उस सूअर से लिया गया था जिसमें आनुवंशिक एडिटिंग हुई थी|
- वैज्ञानिकों ने उस सूअर के तीन जीनों को हटा दिया "जिसके कारण मानव शरीर द्वारा किसी जानवर के हृदय को अस्वीकार कर दिया जाता है” इसके साथ ही एक और जीन जो सूअर के हृदय के ऊतकों की अत्यधिक वृद्धि का कारण बनता है उसे भीहटा दिया था ।
- इसके अलावा छह मानव जीन जो मानव शरीर द्वारा अंग की स्वीकृति की सुविधा प्रदान करते थे, उन्हें सूअर केजीनोम में डाला गया था, जिसका अर्थ है कि सूअरमें कुल 10 अद्वितीय एडिटसकिए गए थे।
ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन:
जानवरों के अंगों के प्रत्यारोपण या ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया को ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के रूप में जाना जाता है।
याद रखने योग्य बिंदु:
- दुनिया का पहला मानव-से-मानव हृदय प्रत्यारोपण 3 दिसंबर 1967 को दक्षिण अफ्रीका केकेप टाउन शहर के ग्रोटे शूर अस्पताल में डॉ क्रिस्टियान बर्नार्ड द्वारा किया गया था।
- भारत में पहला हृदय प्रत्यारोपण डॉ प्रफुल्ल सेन द्वारा 16 फरवरी 1968 को बॉम्बे अब मुंबई में किया गया था, हालांकि उसी दिन रोगी की मृत्यु हो गई थी।
- भारत में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण 3 अगस्त 1994 को एम्स, नई दिल्ली में डॉ पी.वेणुगोपाल के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किया गया था।
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