राजस्थान का मेनार पक्षी गाँव बनेगा आर्द्रभूमि

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विभिन्न संरक्षण प्रयासों के बाद "पक्षी गांव" के रूप में मान्यता प्राप्त उदयपुर जिले के मेनार गांव को राजस्थान की नई आर्द्रभूमि के रूप में अधिसूचित करने का निर्णय लिया गया है।

  • इससे मेवाड़ क्षेत्र के इस ग्रामीण क्षेत्र को रामसर स्थल का दर्जा मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा।

  • मेनार वेटलैंड के बारे में -

  • मेनार गाँव की दो झीलें- ब्रह्मा और धंध हर वर्ष बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की मेज़बानी करती हैं।

  • सर्दियों के मौसम में दोनों झीलों में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 150 से अधिक प्रजातियांँ निवास करती हैं।

  • इनमें ग्रेटर फ्लेमिंगो, व्हाइट-टेल्ड लैपविंग, पेलिकन, मार्श हैरियर, बार-हेडेड गूज, कॉमन टील, ग्रीनशैंक, पिंटेल, वैग्टेल, ग्रीन सैंडपाइपर और रेड-वॉटल्ड लैपविंग शामिल हैं।

  • मध्य एशिया, यूरोप और मंगोलिया से प्रवासी पक्षियों के आगमन के बाद पक्षी प्रेमी एवं पर्यटक इस गाँव में आते हैं। 

  • वर्तमान में राजस्थान में रामसर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त दो आर्द्रभूमि हैं-

  • भरतपुर ज़िले में केवलादेव घाना। 

  • जयपुर ज़िले में सांभर साल्ट लेक।

  • आर्द्रभूमि क्या है ?

  • आर्द्रभूमियांँ पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं।

  • इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब एवं जलाशय आदि शामिल होते हैं। 

  • 1 बिलियन से अधिक लोग जीवन-यापन के लिये आर्द्रभूमियों पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं।

  • भूमि आधारित कार्बन का 30% पीटलैंड (एक प्रकार की आर्द्रभूमि) में संग्रहीत है। 

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