केंद्र से तनातनी में दिल्ली सरकार के पक्ष में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाही को नियंत्रित करने के मुद्दे पर दिल्ली सरकार के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला सुनाया

खबर का अवलोकन 

  • मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने माना दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में विधायी शक्तियों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़कर सेवाओं और प्रशासन से जुड़े सभी अधिकार चुनी हुई सरकार के पास होंगे। 

  • हालांकि,पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास ही रहेगा।

  • कोर्ट ने कहा कि यह फैसला संघवाद और लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे को कायम रखेगा।

मामले की पृष्ठभूमि

  • सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद की सुनवाई कर रही थी।

  • विवाद दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) में स्थानान्तरण और प्रशासनिक सेवाओं के समग्र कामकाज पर नियंत्रण से संबंधित मामलों पर था।

  • प्रशासनिक सेवाओं में राष्ट्रीय राजधानी में नियुक्ति और स्थानान्तरण शामिल हैं

  • वर्ष 2018 में, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दिल्ली और केंद्र के बीच संबंधों को नियंत्रित करने वाले व्यापक सिद्धांतों को निर्धारित किया और अधिकांश मुद्दों पर दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।

  • हालाँकि, सेवा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को अनसुलझा छोड़ दिया गया था, क्योंकि दो न्यायाधीशों ने 2019 में इस पर विभाजित फैसला सुनायाथा।

  • इसके बाद इस मुद्दे को तीन जजों फिर पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया गया, जिसने अब इसे सुलझा लिया है।

कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें

  • राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाही पर किसका नियंत्रण है, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।

  • इससे पहले नौकरशाही पर नियंत्रण उपराज्यपाल, मुख्य सचिव और सेवा विभाग के सचिव का होता था।

  • सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते।

  • एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती। 

  • अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।

  • चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए।

  • उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी।

  • पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।

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