पश्चिम बंगाल विधानसभा ने अपराजिता बलात्कार विरोधी विधेयक पारित किया
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पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 3 सितंबर को एक विशेष सत्र के दौरान बलात्कार विरोधी विधेयक अपराजिता विधेयक पारित किया।
खबर का अवलोकन
इस विधेयक को सर्वसम्मति से समर्थन मिला, जिसमें भाजपा विधायकों और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी सहित विपक्ष ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार का समर्थन किया।
'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024,' को पश्चिम बंगाल के कानून मंत्री मोलॉय घटक ने पेश किया।
विधेयक के मुख्य प्रावधान:
मृत्युदंड: विधेयक में बलात्कार के दोषी व्यक्तियों के लिए मृत्युदंड का प्रस्ताव है, यदि पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या उसे वानस्पतिक अवस्था में छोड़ दिया जाता है।
आजीवन कारावास: इसमें बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के दोषी व्यक्तियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड के साथ-साथ आर्थिक जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
संशोधन: बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, बार-बार अपराध करने वालों और पीड़ित की पहचान उजागर करने के संबंध में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धाराओं में बदलाव। आयु-आधारित दंड धाराओं को हटाना।
त्वरित जांच: बलात्कार की जांच 21 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए, वैध कारणों से 15 दिनों का विस्तार संभव है।
विशेष कार्य बल: इन मामलों को संभालने के लिए पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में जिला स्तर पर 'अपराजिता कार्य बल' का गठन।
विशेष न्यायालय: बलात्कार और यौन अपराधों को संभालने के लिए 52 विशेष न्यायालयों का प्रस्ताव, जिन्हें पीड़ितों के आघात को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
कार्यवाही प्रकाशित करने पर दंड: अदालती कार्यवाही का अनधिकृत प्रकाशन करने पर पीड़ित की गोपनीयता की रक्षा के लिए 3 से 5 वर्ष का कारावास और जुर्माना लगाया जाएगा।
संदर्भ और तात्कालिकता:
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के बलात्कार-हत्या के बाद विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मुद्दों को तत्काल संबोधित करने और अपराधियों के लिए दंड में तेजी लाने के लिए विधानसभा की दो दिवसीय बैठक हुई।
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