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निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से. उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है कि - जहाँ छंद में सभी चरण समान होते हैं उसे क्या कहा जाता है?
जहाँ छंद में सभी चरण समान होते हैं, उसे 'सममात्रिक छंद' कहते हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
एक छंद में कितने चरण होते है ?
एक छंद में चार चरण होते है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अतिरिक्त जानकारी -
कुण्डलिया छंद में कितने चरण होते हैं?
कुण्डलिया एक छंद है जिसमें छ: चरण होते है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
उदाहरण -
अतिरिक्त बिंदु -
दोहा छंद में कितने चरण होते हैं?
दोहा छंद में चार चरण होते है।
महत्वपूर्ण बिंदु -
उदाहरण : श्री गुरु चरण सरोज रज , निज मन मुकुर सुधार ।
बरनौ रघुवर विमल जस , जो दायक फल चार ।।
अतिरिक्त बिंदु -
चौपाई के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएँ होती है?
चौपाई के प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
उदाहरण -
बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।
अमिअ मूरियम चूरन चारू।
समन सकल भव रुज परिवारू।।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद पढ़ते समय आने वाले विराम को क्या कहते हैं?
छंद पढ़ते समय आने वाले विराम कोयति कहते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु-
छंद में नियमित वर्ण या मात्रा पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है। इसी रुकने के स्थान को यति कहा जाता है।
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु-
जिस छन्द में चार चरण और प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं , वह कहलाता है
व्याख्या - दी गई पंक्तियाँ चौपाई छंद का श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु -
चौपाई एक सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं और सभी चरण में 16 मात्राएँ होती हैं , जैसे –
बिनु सत्संग विवेक न होई ।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई ।
सठ सुधरहि सत्संगति पाई ।
पारस परस कुघात सुहाई ।
अन्य विकल्प -
दोहा - अर्द्धसम मात्रिक छंद है । इनमें 24 मात्राएँ होती हैं। इसके विषम चरण में 13 तथा सम चरण में 11 मात्राएँ होती हैं।
सोरठा - यह भी अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दोहा का उल्टा होता है।
रोला - यह सम मात्रिक छंद है। इसमें 24 मात्राएँ होती हैं।
किस छंद का प्रथम व अंतिम शब्द एक-सा होता है?
कुण्डलिया छंद का प्रथम व अंतिम शब्द एक-सा होता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अन्य विकल्प -
अतिरिक्त बिंदु -
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है कि नीचे दिए गए छंद के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएँ है-
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेश की। हे मातृभूमि ! तू सत्य ही, सगुण - मति सर्वेश की।
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेश की। हे मातृभूमि ! तू सत्य ही, सगुण - मति सर्वेश की। - छंद में 15 से 13 के क्रम से 28 मात्राएँ हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
अतिरिक्त बिंदु -
मूक होई वाचाल, पंगु चढ़े गिरिवर गहन |
जासु कृपा सु दयाल, द्रवहु सकल कलिमल दहन ।।
उपरोक्त में छन्द है :