वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ‘'छन्द'’ कहलाती है। छन्द शब्द 'छद्' धातु से बना है।
छंद का दूसरा नाम पिंगल है। इसका कारण यह है कि छंद-शास्त्र के आदि प्रणेता पिंगल नाम के ऋषि थे।
महत्वपूर्ण बिन्दु
जिस प्रकार गद्य का नियामक ‘व्याकरण'हैं उसी प्रकार पद्य का नियामक ‘छंद शास्त्र'है।
छंद के निम्नलिखित अंग होते हैं -
चरण/पद/पाद
वर्ण और मात्रा
संख्या और क्रम
गण
गति
यति/विराम
तुक
Question 42:
चारों चरणों में समान मात्राओं वाले छंद को क्या कहते हैं?
Correct Answer: 1
चारों चरणों में समान मात्राओं वाले छंद को सम मात्रिक छंद कहते हैं।
मात्रिक छंद
मात्रा की गणना के आधार पर की गयी पद की रचना को मात्रिक छंद कहते हैं। इन छंदों में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है।
सम मात्रिक छन्द
जिस छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या समान होती है, उन्हें सम मात्रिक छंद कहते हैं।
छंद के निश्चित लय पर आधारित होने के कारण वे सुगमतापूर्वक कण्ठस्थ हो जाते हैं।
Question 43:
जिस छंद के पहले तथा तीसरे चरणों में 13-13 और दूसरे तथा चौथे चरणों में 11-11 मात्राएं होती हैं वह छंद कहलाता है?
Correct Answer: 4
“दोहा" अर्धसम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें पहले तथा तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं होती हैं एवं दूसरे तथा चौथे चरण में 11-11 मात्राएं होती हैं।
महत्वपूर्ण बिन्दु :
“रोला" सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसके सभी चरणों में 24 मात्राएँ होती हैं।
“चौपाई" सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसके सभी चरणों में 16 मात्राएँ होती हैं।
“कुंडलिया" एक विषम मात्रिक छंद का उदाहरण है, यह “दोहा + रोला" से मिलकर बना होता है।
Question 44:
जिस छंद में वर्णिक या मात्रिक प्रतिबंध न हो, वह छंद क्या कहलाता है ?
Correct Answer: 2
जिस छंद में वर्णिक या मात्रिक प्रतिबंध न हो, वह छंद 'मुक्त छंद' कहलाता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
मुक्त छंद - जिस विषम छंद में वर्णिक या मात्रिक प्रतिबंध न हो, न प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या और क्रम समान हो और मात्राओं की कोई निश्चित व्यवस्था हो तथा जिसमें नाद और ताल के आधार पर पंक्तियों में लय लाकर उन्हें गतिशील करने का आग्रह हो, वह 'मुक्त छंद' कहलाता है।
अन्य विकल्प -
मात्रिक छंद - मात्रिक छंद में सभी मात्राओं की संख्या तो समान रहती है लेकिन लघु-गुरु के क्रम पर ध्यान नहीं दिया जाता है, वहाँ 'मात्रिक छंद' होता है।
वर्णिक छंद - जिस छंद में सभी चरणों में वर्णों की संख्या समान रहती है और लघु-गुरु का क्रम समान रहता है, वहाँ 'वार्णिक छंद' होता है।
अतिरिक्त बिंदु-
छंद की परिभाषा -छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 45:
वार्णिक छंद के कुल कितने भेद होते हैं ?
Correct Answer: 3
व्याख्या- वार्णिक छंद के कुल तीन भेद हैं - सम, अर्द्ध सम, विषम।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
$\Rightarrow$सम: जिस छंद के चारों चरणों में मात्राओं और वर्णों की संख्या बराबर होती है, उसे 'सम' कहते हैं। जैसे-चौपाई आदि।
$\Rightarrow$अर्द्ध सम : जिस छंद के प्रथम और तृतीय तथा द्वितीय और चतुर्थ चरणों में मात्राओं अथवा वर्णों की संख्या बराबर होती है उसे 'अर्द्ध सम' कहते हैं। जैसे-दोहा, सोरठा, बरवै आदि।
$\Rightarrow$विषम : जिस छंद में चार से अधिक छः चरण हों तथा प्रत्येक चरण में मात्राओं अथवा वर्णों की संख्या भिन्न हों, उसे 'विषम' कहते हैं। जैसे- छप्पय, कुण्डलियाँ आदि।
$\Rightarrow$वार्णिक छंद - केवल वर्ण गणना के आधार पर रचा गया छंद 'वार्णिक छंद' कहलाता है। इन छंदों में वर्णों की संख्या और नियम का ध्यान रखा जाता है। जैसे- चाहे जो करो शरण्य, शरण तिहारे हैं (15 वर्ण वार्णिक छंद घनाक्षरी)।
अतिरिक्त जानकारी :-
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 46:
जिन रचनाओं में वर्ण, मात्रा यति (विराम) , गति (लय ) तुक आदि पर बल दिया जाता है, वे क्या कहलाते हैं?
Correct Answer: 4
जिन रचनाओं में वर्ण, मात्रा यति (विराम) , गति (लय ) तुक आदि पर बल दिया जाता है, वे 'छंद' कहलाते है।
अन्य विकल्प -
संधि की परिभाषा -दो वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को व्याकरण में 'संधि'कहते हैं । दो निर्दिष्ट अक्षरों के आस-पास आने के कारण, उनके संयोग से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे 'संधि'कहते हैं।जैसे - पुष्प +अवली =पुष्पावली।
अलंकार की परिभाषा- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाए ) को ‘अलंकार’ कहते हैं।
समास की परिभाषा - दो या दो से अधिक शब्दों के योग से जब एक नया शब्द बन जाता है तब उसे सामासिक शब्द और उन शब्दों के योग को ‘समास’ कहते हैं। जैसे- कार्यकुशल शब्द कार्य और कुशल दो शब्दों के योग से बना है।
Question 47:
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा छंद है?
Correct Answer: 4
व्याख्या- उपर्युक्त पंक्तियाँ ‘चौपाई’ छंद का उदाहरण है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
चौपाई एक सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसमें चार चरण होते हैं तथा इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
अन्य विकल्प -
सोरठा- सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है।अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
रोला - रोला सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं, अर्थात् विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
दोहा - दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
अतिरिक्त जानकारी -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है।
छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना।
भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है।
अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 48:
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून संग्राम
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुस चून॥
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा छंद है?
Correct Answer: 1
व्याख्या- उपर्युक्त पंक्तियाँ ‘दोहा’ छंद का उदाहरण हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
दोहा : एक अर्द्धसममात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
अन्य विकल्प -
रोला- रोला सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं, अर्थात् विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
सोरठा- सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है। अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
चौपाई- चौपाई एक सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसमें चार चरण होते हैं तथा इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
अतिरिक्त बिंदु-
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 49:
जो सुमिरत सिधि होइ गननायक करिवर बदन !
करहु अनुग्रह सोई, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद प्रयुक्त हुआ है?
Correct Answer: 1
व्याख्या- उपर्युक्त पंक्तियों में ‘सोरठा’ छंद का प्रयोग हुआ है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है।अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
अन्य विकल्प -
रोला सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं, अर्थात् विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
चौपाई एक सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसमें चार चरण होते हैं तथा इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 50:
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद प्रयुक्त हुआ है?
Correct Answer: 1
व्याख्या- उपर्युक्त पंक्तियों में ‘चौपाई’ छंद का प्रयोग हुआ है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
चौपाई एक सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसमें चार चरण होते हैं तथा इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
अन्य विकल्प -
रोला सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं, अर्थात् विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
‘घनाक्षरी’ चार चरणों से युक्त एक वर्णिक छंद है, जिसके प्रत्येक चरण में में कुल 31 वर्ण होते हैं।
सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है।अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है।
छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना।
भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है।
अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 51:
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा छंद है?
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा।।
Correct Answer: 3
उपर्युक्त पंक्तियां चौपाई छंद का उदाहरण हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
चौपाई एक सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसमें चार चरण होते हैं तथा इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
अन्य विकल्प -
सोरठा- सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है।अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
दोहा- दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
रोला- सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं, अर्थात् विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है।
छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना।
भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है।
अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 52:
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा छंद है?
यही सयानो काम, राम को सुमिरन कीजै।
पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै॥
Correct Answer: 2
व्याख्या- उपर्युक्त पंक्तियां रोला छंद का उदाहरण है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
रोला सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं।
इसके विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
अन्य विकल्प -
सोरठा - सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है।अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
दोहा- दोहा एक अर्ध सम मात्रिक छंद है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
चौपाई - चौपाई एक सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसमें चार चरण होते हैं तथा इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 53:
निम्नलिखित विकल्पों में से वर्णिक छंद का उदाहरण है-
Correct Answer: 3
उपर्युक्त विकल्पों के आधार पर ‘घनाक्षरी’ वर्णिक छंद का उदाहरण है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
जिस छंद के प्रत्येक चरण में वर्णों का क्रम तथा वर्णों की संख्या सामान रहती है, उसे वर्णिक छंद कहते हैं।
घनाक्षरी, इन्द्रवज्रा, तोटक आदि वर्णिक छंद के उदाहरण हैं। ‘घनाक्षरी’ चार चरणों से युक्त एक वर्णिक छंद है, जिसके प्रत्येक चरण में कुल 31 वर्ण होते हैं।
अन्य विकल्प -
दोहा, रोला तथा सोरठा यह तीनों मात्रिक छंद के उदाहरण हैं। जिस छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या समान हो, उसे मात्रिक छंद कहते हैं।
दोहा एक अर्धसम मात्रिक छंद है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है।अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।रोला सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं, अर्थात् विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 54:
दिए गए विकल्पों के आधार पर कुंडलिया किन दो छंदों के योग से बना है?
Correct Answer: 2
उपर्युक्त विकल्पों के आधार पर कुंडलिया छंद दोहा तथा रोला के योग से बनता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
रोला सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, इसमें 24 मात्राएँ होती हैं, अर्थात् विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
रोला तथा उल्लाला के योग से छप्पय छंद का निर्माण होता है।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है।
छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना।
भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है।
अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 55:
जाइ देखि आवहु नगरु, सुख निधान दोउ भाइ।
करहु सुफल सब के नयन , सुंदर बदन देखाइ॥
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा छंद प्रयुक्त हुआ है?
Correct Answer: 2
प्रस्तुत पंक्तियों में ‘दोहा’ नामक छंद प्रयुक्त हुआ है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
अन्य विकल्प -
चौपाई - चौपाई एक सम मात्रिक छंद का उदाहरण है, जिसमें चार चरण होते हैं तथा इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।
सोरठा - सोरठा दोहा के ठीक विपरीत होता है।अर्थात् इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ एवं द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 56:
निम्नलिखित विकल्पों में से छंद के चरणान्त की अक्षर मैत्री को कहते हैं-
Correct Answer: 3
छंद के चरणान्त की अक्षर मैत्री को ‘तुक’ कहते हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
जिस छंद के अंत में तुक हो उसे तुकांत छंद तथा जिस छंद के अंत में तुक न हो उसे अतुकांत छंद कहते हैं।
अन्य विकल्प -
यति - छंद में नियमित वर्ण या मात्रा पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है, इसे रुकने के स्थान को यति या विराम कहते हैं।
गति - छंद के पढ़ने के प्रवाह या लय को गति कहते हैं।
मात्रा - किसी वर्ण या ध्वनि के उच्चारण काल को मात्रा कहते हैं।
अतिरिक्त बिंदु -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है।
छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना।
भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है।
अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 57:
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की ‘जूही की कली’ किस छंद का उदाहरण है ?
Correct Answer: 3
व्याख्या- निराला की कविता ‘जूही की कली’ में मुक्त छंद का प्रयोग किया गया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद अर्थात् आनंद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं।
जिस विषय छंद में वर्णित या मात्रिक प्रतिबंध न हो, न प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या और क्रम समान हो और मात्राओं की कोई निश्चित व्यवस्था हो तथा जिसमें नाद और ताल के आधार पर पंक्तियों में लय लाकर उन्हें गतिशील करने का आग्रह हो, उसे मुक्त छंद कहते हैं।
Question 58:
छंद शास्त्र में 'ह्रस्व' और 'दीर्घ' वर्ण को क्या कहते है?
Correct Answer: 3
व्याख्या - छंद शास्त्र में ह्रस्व वर्ण को 'लघु' और दीर्घ वर्ण को 'गुरु' कहते है।
Question 59:
निम्नलिखित में से ‘वीर’ या ‘आल्हा’ किस जाति के छंद है?
Correct Answer: 2
व्याख्या- वीर या आल्हा ‘मात्रिक’ जाति के छंद हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु -
जिन छंदों की योजना मात्राओं के आधार पर की जाती है, उसे मात्रिक छंद कहते हैं।
अन्य विकल्प -
वर्णिक छंद - वह छंद या पद्य जिसके चरणों में वर्णों की संख्या और लघु-गुरु का क्रम नियत होता है, उसे वर्णिक छंद कहते हैं।
मुक्तक छंद - मुक्तक, काव्य या कविता का वह प्रकार है, जिसमें प्रबन्धकीयता न हो। इसमें एक छन्द में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है।
अतिरिक्त जानकारी -
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है।
छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना।
भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है।
अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।
Question 60:
किस मात्रिक छंद के चारो चरणों में मात्राओं की संख्या असमान होती है ?
Correct Answer: 3
जिस मात्रिक छंद के चारो चरणों में मात्राओं की संख्या असमान होती है, वहाँ विषम मात्रिक छंद होता है l यथा- कुंडलिया, छप्य्य, आदि।
अन्य विकल्प -
सम मात्रिक छंद - जिस छंद के सभी पदों में मात्राओं की संख्या समान होती है उन्हें सम मात्रिक छंद कहते हैं।
अर्द्ध सम मात्रिक छंद - ऐसे छन्द जिनके पहले तथा तीसरे चरणों मे और दूसरे तथा चौथे चरणों मे समान मात्राएँ पाई जाती है। उन छन्दों को अर्द्ध सम मात्रिक छंद कहते हैं।
अतिरिक्त बिंदु-
छंद की परिभाषा - छंद शब्द संस्कृत के छिदि धातु से बना है। छिदि का अर्थ है ढँकना, आच्छादित करना। भाषा में शब्द और शब्दों में वर्ण एवं स्वर रहते हैं जिन्हें एक निश्चित विधान से सुव्यवस्थित करने पर छंद नाम दिया जाता है। अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से संबद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है।