1. आईजीआई हवाई अड्डा दिल्ली दुनिया का 10वां सबसे व्यस्त एयरपोर्ट
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इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली अक्टूबर 2022 में दुनिया के 10 वें सबसे व्यस्त हवाई अड्डे के रूप में उभरा है, और उसने पूर्व-महामारी की अवधि की तुलना में अपनी रैंकिंग में भी सुधार किया है।
अपनी रिपोर्ट में, एविएशन एनालिटिक्स फर्म ओएजी ने कहा कि दिल्ली हवाई अड्डे ने महामारी से पहले के समय ,अक्टूबर 2019 के 14 वें स्थान से अपनी स्थिति में सुधार किया है।
ओएजी द्वारा जरी की गयीरैंकिंग अक्टूबर माह 2022 में अनुसूचित एयरलाइन क्षमता पर आधारित है और इसकी तुलना अक्टूबर माह 2019 से की गयी है।
दुनिया के शीर्ष 10 सबसे व्यस्त हवाई अड्डे 2022 (घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों क्षमताएं शामिल हैं)
- अटलांटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, संयुक्त राज्य अमेरिका
- दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, संयुक्त अरब अमीरात
- टोक्यो हनेडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा। जापान
- फोर्ट वर्थ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, डलास, संयुक्त राज्य अमेरिका
- डेनवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, संयुक्त राज्य अमेरिका
- हीथ्रो एयरपोर्ट, लंदन, इंग्लैंड
- शिकागो ओ'हारे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, संयुक्त राज्य अमेरिका
- इस्तांबुल हवाई अड्डा, तुर्की
- लॉस एंजिल्स अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, संयुक्त राज्य अमेरिका
- इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली
2022 में सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
2022 में शीर्ष 10 सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में कोई भी भारतीय हवाई अड्डा शामिल नहीं किया गया है। शीर्ष तीन सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे इस प्रकार हैं;
- दुबई हवाई अड्डा,
- हीथ्रो हवाई अड्डा,
- एम्स्टर्डम एयरपोर्ट शिफोल, नीदरलैंड्स
2. केंद्रीय गृह मंत्रालय हरियाणा में गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर का आयोजन करेगा
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केंद्रीय गृह मंत्रालय हरियाणा के सूरजकुंड में दो दिवसीय (27-28 अक्टूबर 2022) चिंतन शिविर का आयोजन करेगा। चिंतन शिविर की अध्यक्षता केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 अक्टूबर, 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चिंतन शिविर को संबोधित करेंगे।
चिंतन शिविर में कौन भाग लेंगे
दो दिवसीय चिंतन शिविर में भाग लेने के लिए सभी राज्यों के गृह मंत्रियों और संघशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और प्रशासकों को आमंत्रित किया गया है।
राज्यों के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय सशस्त्र पुलिसबलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों के महानिदेशक भी चिंतन शिविर में भाग लेंगे।
चिंतन शिविर का उद्देश्य
- दो दिन के चिंतन शिविर का उद्देश्य "विजन 2047" और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषित पंच प्रण के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार करना है।
- गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर में साइबर अपराध प्रबंधन के लिए ईको-सिस्टम विकसित करने, पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, आपराधिक न्याय प्रणाली में आई.टी. के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा एवं अन्य आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चिंतन किया जायेगा।
- वर्ष ‘2047 तक विकसित भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नारी शक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है और चिंतन शिविर में देश में महिलाओं की सुरक्षा और उनके लिए सुरक्षित वातावरण बनाने पर विशेष बल दिया जाएगा।
- शिविर का उद्देश्य उपर्युक्त क्षेत्रों में राष्ट्रीय नीति निर्माण और बेहतर योजना व समन्वय को सुगम बनाना भी है।
3. अमन सहरावत ने U23 विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में भारत के लिए पहला स्वर्ण जीता
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16 वर्षीय अमन सहरावत, भारत के पहले पहलवान हैं जिन्होंने भारत के लिए पहली बार अंडर -23 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता । अंडर-23 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 17-23 अक्टूबर 2022 तक स्पेन के पोंटेवेदरा में आयोजित की गई थी।
अमन सेहरावत ने फाइनल में तुर्की के अहमत दुमान को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया और रवि कुमार दहिया ने पिछले संस्करणों में अपनी श्रेणियों में फाइनल में जगह बनाई थी, लेकिन केवल रजत पदक ही जीत सके थे।
अमन सहरावत ने इस साल की शुरुआत में अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण और अंडर-20 एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था।
भारत अंडर-23 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप 2022 में छह पदक - एक स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य के साथ समाप्त हुआ।
भारत के लिए पदक विजेता
पदक विजेता | पदक | श्रेणी |
कांस्य पदक | ग्रीको रोमन 77 किलोग्राम | |
विकास | कांस्य पदक | ग्रीको रोमन 72 किलोग्राम |
नितेश | कांस्य पदक | ग्रीको रोमन97 किलोग्राम |
अंकुश | रजत पदक | महिला 50 किलोग्राम |
मानसी अहलावत | कांस्य पदक | महिला 59 किलोग्राम |
अमन सहरावत | स्वर्ण पदक | पुरुष 57 किलोग्राम |
4. इसरो ने सफलतापूर्वक अपना सबसे भारी रॉकेट एलवीएम3-एम2 प्रक्षेपित किया
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 23 अक्टूबर 2022 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने सबसे भारी रॉकेट एलवीएम3-एम2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया । मिशन, जिसे एलवीएम3-एम2 /वनवेब इंडिया-1 नाम दिया गया था, ने वनवेब कंपनी के 36 ब्रॉडबैंड संचार उपग्रहों को वहन किया। यह जीएसएलवी एमके3 रॉकेटका पहला व्यावसायिक प्रक्षेपण था जिसे अब एलवीएम3 (लॉन्च व्हीकल मार्क 3) कहा जाता है। एम2 का मतलब है कि यह रॉकेट का दूसरा मिशन था ।
रॉकेट द्वारा ले जाया गया उपग्रह
यह प्रक्षेपण लंदन स्थित कंपनी वनवेब और अंतरिक्ष विभाग के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के बीच इसरो के एलवीएम3 बोर्ड पर वनवेब लियो उपग्रह प्रक्षेपण के लिए दो लॉन्च सेवा अनुबंधों का हिस्सा था।
वनवेब एक निजी उपग्रह संचार कंपनी है, जिसमें भारत के भारती एंटरप्राइजेज (एयरटेल) एक प्रमुख निवेशक और शेयरधारक है।भारती एंटरप्राइजेज के मालिक सुनील भारती मित्तल रॉकेट के प्रक्षेपण के समय इसरो के मुख्यालय में मौजूद थे ।
उपग्रहों को बाद में पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया ।
कंपनी के उपग्रहों का उपयोग स्थलीय क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बीम करने के लिए किया जाएगा।
कंपनी ऐसी सेवा में , एलोन मस्क द्वारा समर्थित स्पेसएक्स की स्टारलिंक और जेफ बेजोस-समर्थित प्रोजेक्ट कुइपर से प्रतिस्पर्धा करेगी।
एलवीएम3-एम2 रॉकेट
एलवीएम3-एम2 , तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसके किनारों पर दो स्ट्रैप-ऑन सॉलिड प्रोपेलेंट स्टेज (S200) और एक कोर स्टेज है जिसमें L110 लिक्विड स्टेज और C25 क्रायोजेनिक स्टेज है।
रॉकेट को पहले जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) एमके III कहा जाता था ।
वर्तमान रॉकेट में एलईओ में 8 टन उपग्रह और 4,000 किलोग्राम वजन वाले उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में प्रक्षेपण करने की क्षमता है।
एलईओ
एक निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) एक ऐसी कक्षा है जो पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत करीब है। यह आमतौर पर 2000 किमी की ऊंचाई पर होता है लेकिन पृथ्वी से 160 किमी करीब तक हो सकता है। इस कक्षा में स्थापित उपग्रह का उपयोग संचार, जासूसी, सुदूर संवेदन आदि के लिए किया जाता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
इसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी
यह भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है।
मुख्यालय: बेंगलुरु
अध्यक्ष: एस सोमनाथ
5. पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत बने घरों को लगभग 4.51 लाख से अधिक परिवारों को सौंपे
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अक्टूबर 2022 को मध्य प्रदेश के 4 लाख 51 हजार परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत वस्तुतः आवास सौंपे।
प्रधानमंत्री ने राज्य स्तर पर सतना में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि मकानों के निर्माण से मकान-मालिक के साथ साथ पूरे गांव की प्रगति होती है।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मध्यप्रदेश में अब तक करीब 38 लाख मकान स्वीकृत किए जा चुके हैं और करीब 29 लाख मकानों का निर्माण कार्य करीब 35,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से पूरा किया जा चुका है।
सभी के लिए आवास(हाउसिंग फॉर आल )
भारत सरकार ने 2022 तक पात्र व्यक्ति को पक्के मकान उपलब्ध कराने के लिए सभी के लिए आवास योजना शुरू की है।
सभी के लिए आवास का लक्ष्य केंद्र सरकार की दो योजनाओं द्वारा प्राप्त किया जाना है; प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-यू) और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू)।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-यू)
इसे पहले इंदिरा आवास योजना के नाम से जाना जाता था। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) 20 नवंबर, 2016 को शुरू की गई जो पहली अप्रैल 2016 से प्रभावी है।
इस योजना के तहत वर्ष 2022 तक चिन्हित लाभार्थियों के लिए सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ 2.95 करोड़ पीएमएवाई-जी घरों को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
इसे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
प्रधान मंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू)
इसे भारत सरकार द्वारा 25 जून 2015 को शुरू किया गया था और इसे केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू किया जा रहा है।
इस योजना का उद्देश्य 2022 तक सभी पात्र लाभार्थियों को पक्के मकान उपलब्ध कराना है।
इस योजना के तहत लगभग 1.12 करोड़ घरों का निर्माण किया जाना है।
6. सरस मेले में भाग लेने के लिए भारत-तिब्बत सीमा से लगे अंतिम भारतीय गांव माणा पहुंचे पीएम मोदी
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में आयोजित 'सरस मेले' में शामिल हुए। सरस्वती नदी के तट पर स्थित माणा गाँव को उत्तराखंड में भारत-तिब्बत सीमा के साथ अंतिम भारतीय गाँव के रूप में भी जाना जाता है, जो बद्रीनाथ शहर से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर है।
सरस मेला आम तौर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पूरे भारत में एक विशेष राज्य को केन्द्रित कर आयोजित किया जाता है। मेले में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) द्वारा बनाए गए उत्पादों को प्रदर्शित किया जाता है और सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं।
हालाँकि यह सरस मेला स्थानीय स्तर पर स्थानीय महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी के साथ आयोजित किया गया था। पीएम मोदी ने स्थानीय कारीगरों से भी बातचीत की और मेले में स्टालों का दौरा किया।
उन्होंने करीब एक हजार करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं - माणा से माणा दर्रा (एनएच07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक, न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों को तक हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करेगी बल्कि यह सड़क रक्षा बलों के लिए भी रणनीतिक महत्व रखती है।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त जनरल गुरमीत सिंह के साथ बद्रीनाथ मंदिर जो चमोली जिलेमें स्थित है , का दर्शन किया ।
केदारनाथ
बद्रीनाथ मंदिर जाने से पहले पीएम मोदी ने रुद्रप्रयाग में केदारनाथ मंदिर का दौरा किया जो भगवान शिव को समर्पित है।
रोपवे परियोजना
प्रधान मंत्री मोदी in अपने उत्तराखंड दौरे के दौरानदो रोपवे परियोजना की आधारशिला रखी। दोनों रोपवे परियोजनाएं 2430 करोड़ की लागत से बन रही हैं।
केदारनाथ में उन्होंने केदारनाथ रोपवे परियोजना की आधारशिला रखी।
केदारनाथ में रोपवे लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा होगा और गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा।
चमोली जिले में हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा। यह लगभग 12.4 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रा के समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक ही सीमित कर देगा। यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में हुआ था। इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों को अलग कर किया गया था।
यह उत्तर में चीन (तिब्बत) और पूर्व में नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमाचल प्रदेश है, जबकि दक्षिण में उत्तर प्रदेश है।
यह राज्य देवभूमि के नाम से भी प्रसिद्ध है।
इसमें कुल 13 जिले हैं।
आधिकारिक राज्य प्रतीक
राज्य पशु – कस्तूरी मृग
राज्य पुष्प – ब्रह्म कमल
राज्य वृक्ष – बुरांश (रोडोडेंड्रोन)
राज्य पक्षी – मोनाली
स्टेट इंस्ट्रूमेंट – ढोल
7. देहरादून नवंबर में 3 दिवसीय "आकाश फॉर लाइफ" अंतरिक्ष सम्मेलन की मेजबानी करेगा
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केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 3 दिवसीय "आकाश फॉर लाइफ" अंतरिक्ष सम्मेलन 5-7 नवंबर 2022 से देहरादून में आयोजित किया जाएगा।
इसरो और भारत सरकार के सभी प्रमुख वैज्ञानिक मंत्रालय और विभाग विज्ञान भारती के सहयोग से इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेंगे। विज्ञान भारती स्वदेशी भावना के साथ एक गतिशील विज्ञान आंदोलन है, जो एक ओर पारंपरिक और आधुनिक विज्ञानों को आपस में जोड़ता है, और दूसरी ओर प्राकृतिक और आध्यात्मिक विज्ञान को ।
पंचमहाभूत
भारत सरकार पारंपरिक ज्ञान के आधार पर भारतीय परिप्रेक्ष्य के साथ पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान खोजने के लिए देश भर में "सुमंगलम" अभियान का आयोजन कर रही है।
आधुनिक और पारंपरिक ज्ञान के मिश्रण के तहत , भारत सरकार ,समाज की बेहतरी के लिए पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने के लिए पांच तत्व-पंचमहाभूत पर देश भर में पांच राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रही है।पारंपरिक ज्ञान प्रणाली में मानव शरीर या ब्रह्मांड पंचमहाभूत से बना है जिसमे आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि शामिल हैं।
भारत सरकार देहरादून में पंचमहाभूत-आकाश या अंतरिक्ष पर आधारित पहला सम्मेलन आयोजित कर रही है।
8. वाराणसी में काशी-तमिल संगम का आयोजन
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भारत सरकार 16 नवंबर से 19 दिसंबर 2022 तक वाराणसी (काशी) में 'काशी-तमिल संगम' का आयोजन करेगी।केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन के साथ इसकी घोषणा की।
काशी-तमिल संगमम का उद्देश्य
'काशी-तमिल संगमम' का मुख्य उद्देश्य तमिल संस्कृति और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से खोजना, पुष्टि करना और उत्सवमनाना है जो सदियों से मौजूद हैं। इसका व्यापक उद्देश्य दो ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की समझ बनाना और क्षेत्रों के बीच लोगों से लोगों के बीच के बंधन को गहरा करना है।
"एक भारत, श्रेष्ठ भारत" की समग्र रूपरेखा और भावना के तहत आयोजित होने वाला संगम प्राचीन भारत और समकालीन पीढ़ी के बीच एक सेतु का निर्माण करेगा।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत
एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य / संघ राज्य क्षेत्र की अवधारणा के माध्यम से विभिन्न राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के बीच पारस्परिक समझ को बढ़ावा देना है। राज्य भाषा सीखने, संस्कृति, परंपराओं और संगीत, पर्यटन और भोजन, खेल और सर्वोत्तम प्रथाओं के साझाकरण आदि के क्षेत्रों में एक निरंतर और संरचित सांस्कृतिक संपर्क को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियां करते हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कार्यक्रम के लिए नोडल मंत्रालय है।
9. 10वां मिशन प्रमुखों का सम्मेलन गुजरात के केवड़िया में शुरू
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विदेश मंत्रालय 20-22 अक्टूबर 2022 तक केवडिया, गुजरात में अपने 10वें मिशन प्रमुखों के सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। यह सम्मेलन दुनिया भर से भारतीय मिशनों के 118 प्रमुखों (राजदूतों और उच्चायुक्तों) को एक साथ लाएगा।
सम्मेलन की अध्यक्षता हमेशा केंद्रीय विदेश मंत्री करते हैं और इस वर्ष एस. जयशंकर ने बैठक की अध्यक्षता की।
यह आयोजन सरकार के लिए देश के शीर्ष राजनयिकों को विदेशों में भारत के हितों को बढ़ावा देने के तरीकों के बारे में जानकारी देने का एक मंच है।
इस वर्ष प्रधान मंत्री मोदी, जो दो दिवसीय (19-20) गुजरात दौरे पर थे, ने भी बैठक में भाग लिया।
राजदूत और उच्चायुक्त के बीच अंतर
प्रत्येक देश एक वरिष्ठ राजनयिक को उस देश में सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी विदेशी देश में नियुक्त करता है। वरिष्ठ राजनयिक को राजदूत या उच्चायुक्त कहा जाता है।
उच्चायुक्त
यदि देश राष्ट्रमंडल का सदस्य है और अपने राजनयिक को किसी राष्ट्रमंडल देश में भेजता है तो वरिष्ठ राजनयिक को उच्चायुक्त कहा जाएगा। उदाहरण के लिए, श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त, क्योंकि दोनों देश राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं।
राजदूत
यदि वरिष्ठ राजनयिक को गैर-राष्ट्रमंडल देश में नियुक्त किया जाता है तो उसे राजदूत कहा जाता है। उदाहरण के लिएरूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस आदि में भारत के राजदूत होंगे क्योंकि ये देश राष्ट्रमंडल के सदस्य नहीं हैं।
राष्ट्र के राष्ट्रमंडल
राष्ट्रमंडल स्वतंत्र देशों का एक संघ है जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे। हालाँकि रवांडा, मोज़ाम्बिक, गैबॉन और टोगो जैसे कुछ देश ऐसे हैं जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा नहीं थे, लेकिन फिर भी राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं।
वर्तमान में 56 देश इसके सदस्य हैं और ब्रिटेन के सम्राट राष्ट्रमंडल के प्रमुख होते हैं।
10. प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में रणनीतिक दीसा एयर बेस की आधारशिला रखी
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-पाकिस्तान सीमा के पास उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले के दीसा मेंवायु सेना के एक नए हवाई अड्डे की आधारशिला रखी।इस हवाई अड्डे का काफी सामरिक महत्व है और यह भुज और उत्तरलाई में स्थित वायु सेना स्टेशन के बीच 355 किलोमीटर के रणनीतिक अंतर को कम करने में काफी मद्दद करेगा। इस हवाई अड्डे की 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।
दीसा एयर फ़ोर्स बेस
इस परियोजना को 2000 में वाजपेयी सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन यह परियोजना वास्तव में 2017 में शुरू हुई जब मोदी प्रधान मंत्री बने। दीसा बनासकांठा क्षेत्र में विकसित किए जा रहे 4,519 एकड़ क्षेत्र में फैला एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है। यह पाकिस्तान सीमा से महज़ 130 किमी दूर है।
दीसा एयरबेस का सामरिक महत्व
- गुजरात, भारत के लिए आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण राज्य है और संघर्ष की स्थिति के दौरान पाकिस्तान द्वारा राज्य पर आक्रमण करने की पूरी संभावना है । गुजरात पर हमले के लिए पाकिस्तान अपने मीरपुर खास, हैदराबाद, जैकबाबाद में शाहबाज एफ-16 एयरबेस का इस्तेमाल करेगा ।
- दीसा बेस, भारतीय वायु सेना को मीरपुर खास, हैदराबाद, जैकबाबाद में शाहबाज एफ-16 एयरबेस से लॉन्च किए गए पाकिस्तानी विमानों के खिलाफ तुरंत करवाई करने में और सक्षम करेगा ।आपात स्थिति में भारतीय लड़ाकू विमान माक 2.0 की गति से मात्र दो मिनट में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर सकते है।
- दीसा बेस से भारतीय वायु सेना पाकिस्तानी शहरों हैदराबाद, कराची और सुक्कुर को भी आसानी से निशाना बना सकती हैं।
- भविष्य में किसी भी भूमि आक्रमण को समर्थन देने के अलावा गुजरात या दक्षिण-पश्चिमी सेक्टर में एक बड़े आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए भी एयरबेस का इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारतीय वायु सेना प्रमुख: एयर मार्शल विवेक राम चौधरी