1. ब्लैकस्टोन ने भारत से अपना एशियन डाटा सेंटर कारोबार शुरू किया
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अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निजी इक्विटी निवेशक ब्लैकस्टोन ने भारत से अपना एशियन डाटा सेंटर कारोबार शुरू किया है। देश में पांच स्थानों पर उपस्थिति के माध्यम से अगले दो वर्षों में इसे बढ़ाकर 600 मेगावाट करने की योजना है।
ब्लैकस्टोन ने 15 नवंबर 2022 को अपना डेटा सेंटर प्लेटफॉर्म लुमिना क्लाउड इन्फ्रा लॉन्च किया। लुमिना क्लाउड इन्फ्रा का स्वामित्व और प्रबंधन ब्लैकस्टोन के रियल एस्टेट और टैक्टिकल ऑपर्च्युनिटीज फंड द्वारा किया जाता है।
शुरुआत में डेटा सेंटर मुंबई और चेन्नई में स्थापित किया जाएगा, और बाद में इसे दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद और पुणे में स्थापित किया जाएगा।
एक अनुमान के अनुसार भारत की डाटा सेंटर बाजार 2027 तक 10 अरब डॉलर की होनी की उम्मीद है।
राष्ट्रीय डेटा केंद्र
सरकारी डेटा केंद्र की स्थापना और प्रबंधन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा किया गया है।पहला डेटा सेंटर 2008 में हैदराबाद में, उसके बाद 2010 में एनडीसी पुणे, 2011 में एनडीसी दिल्ली और 2018 में एनडीसी भुवनेश्वर में लॉन्च किया गया था।
यह सभी स्तरों पर सरकार को सेवाएं प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्यों की राजधानियों में 37 छोटे डेटा केंद्रों का संचालन करता है।
भुवनेश्वर में राष्ट्रीय डेटा केंद्र (एनडीसी) एक क्लाउड-सक्षम डेटा केंद्र है जो अपनी स्थापना के बाद से सरकारी विभागों को क्लाउड सेवाएं प्रदान कर रहा है।
राष्ट्रीय डेटा केंद्र भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न ई-शासन पहलों के लिए सेवाएं प्रदान करके भारत में ई-शासन अवसंरचना का मूल है।
डेटा सेंटर एक ऐसी सुविधा है जो डेटा और अनुप्रयोगों के भंडारण, प्रसंस्करण और प्रसार के उद्देश्यों के लिए एक संगठन के साझा आईटी संचालन और उपकरणों को केंद्रीकृत करती है। क्योंकि वे एक संगठन की सबसे महत्वपूर्ण और मालिकाना संपत्ति रखते हैं इसलिए दैनिक संचालन की निरंतरता के लिए डेटा केंद्र महत्वपूर्ण हैं।
2. 5जी 2030 तक भारत की जीडीपी में 2% तक योगदान दे सकता है: नैसकॉम रिपोर्ट
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नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनियों (नैसकॉम) और आर्थर डी लिटिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 5जी नेटवर्क प्रौद्योगिकी के 2030 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 2% योगदान करने की उम्मीद है, जो लगभग 180 बिलियन डॉलर होगा ।
5जी - अनफोल्डिंग इंडियाज एरा ऑफ डिजिटल कन्वर्जेंस शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार में बढ़ती पहुंच, क्षेत्रीय सुधार, उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार, सेवाओं का तेजी से रोलआउट, विकास में योगदान देगा।
वर्तमान में, भारत में 1.1 बिलियन दूरसंचार उपयोगकर्ता हैं, जो चीन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा हैं । इसमें से 740 मिलियन 4जी उपयोगकर्ता हैं और उनके 5जी में स्थानांतरित होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क योजना, जिसका उद्देश्य देश की सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना है, भारत की 5जी अपनाने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी।
वे क्षेत्र जो 5जी अपनाने में अग्रणी होंगे
- प्रमुख क्षेत्रों में, ऊर्जा और सम्बंधित क्षेत्र 5जी में प्रमुख उपभोक्ता होंगे, जो अनुमानित $ 180-बिलियन क्षमता का लगभग 30% योगदान देंगे, इसके बाद 20% पर खुदरा, 15% पर स्वास्थ्य सेवा और 10% पर विनिर्माण क्षेत्र होगा।
- रिपोर्ट के अनुसार, 5जी स्मार्ट मीटरिंग के व्यापक इस्तेमाल और स्मार्ट ग्रिड में नए अवसरों से ऊर्जा और उपयोगिता क्षेत्र में 5जी के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- स्वास्थ्य सेवा में, ऑनलाइन परामर्श, रोबोटिक सर्जरी, क्लाउड-आधारित रोगी प्रोफाइलिंग और पहनने योग्य उपकरणों से पैठ आने की उम्मीद है।
- डिजिटल बदलाव और स्मार्ट फैक्ट्रियों से विनिर्माण क्षेत्र में 5जी की पैठ बढ़ने की उम्मीद है।
भारत में 5जी
5वीं पीढ़ी की मोबाइल तकनीक को 1 अक्टूबर 2022 को प्रधान मंत्री द्वारा आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया था। एयरटेल भारत में सेवा शुरू करने वाली पहली कंपनी थी।
नैसकॉम
- नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम)
- की स्थापना 1988 में हुई थी।
- यह भारत में आईटी क्षेत्र की कंपनियों का एक गैर-लाभकारी संगठन है
- यह एक लॉबी समूह है जो भारत और विदेशों में आईटी क्षेत्र और इसकी कंपनियों के प्रचार के लिए काम करता है।
नैसकॉम के चेयरमैन : कृष्णन रामानुजम
अध्यक्ष: देबजानी घोष
फुल फॉर्म
नैसकॉम (NASSCOM): नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज
3. 2020-2030 भारत का दशक होगा और भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बाजार बनेगा: मॉर्गन स्टेनली
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अमेरिकी निवेश बैंकिंग फर्म मॉर्गन स्टैनली ने 'व्हाई दिस इज इंडियाज डिकेड' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में उम्मीद की है कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और अगले दशक में वैश्विक आर्थिक विकास में इसका पांचवां हिस्सा होगा।
मॉर्गन स्टेनली की यह अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान से मेल खाती है जिसके अनुसार 2027-28 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। भारत के शीर्ष बैंक एसबीआई ने भी हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में 2029 तक भारत को विश्व की तीसरी सबसे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान लगाया है ।
हालांकि मॉर्गन स्टैनली ने अपने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि ये पूर्वानुमान अनुकूल घरेलू और वैश्विक कारकों पर निर्भर करेंगे।
मॉर्गन स्टेनली रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं
- अगले दशक में भारत की जीडीपी मौजूदा 3.4 ट्रिलियन डॉलर से दोगुनी होकर 8.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। यह उम्मीद करता है कि भारत हर साल अपने सकल घरेलू उत्पाद में $ 400 बिलियन से अधिक जोड़ेगा , जो विश्व में केवल अमेरिका और चीन ने ही किया है।
- चार प्रमुख कारक - जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण, डीकार्बोनाइजेशन और डीग्लोबलाइजेशन से भारत के तेजी से विकास को सुगम बनाने की संभावना है,
- जीडीपी में विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) की हिस्सेदारी 2031 तक 15.6% से बढ़कर 21% हो जाएगी, जिसका मतलब है कि उत्पादन 447 बिलियन डॉलर से बढ़कर लगभग 1.49 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा।
- प्रति वर्ष $35,000 से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या आने वाले दशक में पांच गुना बढ़कर 25 मिलियन से अधिक होने की संभावना है।
- भारत की निजी खपत 2022 में 2 ट्रिलियन डॉलर से दोगुनी से अधिक होकर दशक के अंत तक 4.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी, एक आकार जो लगभग 2015 में चीन के समान होगा,
- 2031 तक भारत का वैश्विक निर्यात बाजार हिस्सा दोगुना से अधिक 4.5 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
- अगले दशक में भारत का सेवा निर्यात लगभग तिगुना होकर 527 बिलियन अमरीकी डॉलर (2021 में 178 बिलियन अमरीकी डॉलर से) हो जाएगा।
- 2031 तक ई-कॉमर्स की पैठ 6.5 प्रतिशत से लगभग दोगुनी होकर 12.3 प्रतिशत हो जाएगी।
- अगले 10 वर्षों में भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 650 मिलियन से बढ़कर 960 मिलियन हो जाएगी जबकि ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों की संख्या 250 मिलियन से बढ़कर 700 मिलियन हो जाएगी।
- 2021-2030 में वृद्धिशील वैश्विक कार बिक्री का लगभग 25 प्रतिशत भारत से होगा और उम्मीद है कि 2030 तक यात्री वाहनों की कुल बिक्री का 30 प्रतिशत बिजली से चलने वाले होंगे।
- प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र में भारत का कार्यबल 2021 में 5.1 मिलियन से दोगुना होकर 2031 में 12.2 मिलियन हो जाएगा।
- भारत में हेल्थकेयर की पैठ वर्त्तमान के 30-40 प्रतिशत से बढ़कर 60-70 प्रतिशत हो सकती है, जिससे औपचारिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में 400 मिलियन नए लोग शामिल होंगे।
- अगले दशक में ऊर्जा निवेश में 700 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की उम्मीद है ।
मॉर्गन स्टेनली के बारे में
मॉर्गन स्टेनली एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंकिंग फर्म है जिसे 1935 में न्यूयॉर्क शहर में स्थापित किया गया था।
यह मुख्य रूप से धन प्रबंधन, निवेश बैंकिंग, स्टॉक ब्रोकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं के व्यवसाय में है ।
मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका
अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी: जेम्स पी गोर्मन
4. विवेक जोशी को एसबीआई बोर्ड में भारत सरकार के नामिती के रूप में नियुक्त किया गया
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केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 15 नवंबर 2022 को, विवेक जोशी को ,भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बोर्ड में निदेशक के रूप में नामित किया है। । वह संजय मल्होत्रा की जगह बोर्ड में भारत सरकार के नामिती के रूप में रहेंगे ।
भारतीय स्टेट बैंक के निदेशक मंडल
भारतीय स्टेट बैंक के निदेशक मंडल में अध्यक्ष सहित 13 सदस्य होते हैं।
4 निदेशक एसबीआई के कैरियर अधिकारी होते हैं और उन्हें प्रबंध निदेशक के रूप में नामित किया जाता है। वर्तमान में एसबीआई के प्रबंध निदेशक हैं ;
सी.एस. सेट्टी, स्वामीनाथन जानकीरमन, अश्विनी कुमार तिवारी और आलोक कुमार चौधरी।
4 निदेशक शेयरधारकों द्वारा चुने जाते हैं और 4 निदेशक भारत सरकार द्वारा नामित किए जाते हैं।
सरकार द्वारा नामित निदेशक हैं: संजीव माहेश्वरी, प्रफुल्ल पी छाजेड, अनिल कुमार शर्मा औरविवेक जौहरी।
भारतीय स्टेट बैंक
- यह भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक बैंक है और भारत सरकार के स्वामित्व में है।
- इसकी 22,000 से अधिक शाखाएं, 71,968 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट आउटलेट हैं।
- 31 विदेशी देशों में इसके 229 कार्यालय/शाखाएं हैं। सभी भारतीय बैंकों में,स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भारत के बाहर सबसे अधिक शाखाएँ/कार्यालय हैं।
- मुख्यालय: मुंबई
एसबीआई के अध्यक्ष: दिनेश कुमार खारा
टैगलाइन: हर भारतीय के लिए बैंकर( द बैंकर टू एव्री इंडियन)
5. केंद्रीय कृषि मंत्री ने मध्यप्रदेश में पहले ग्रीनफील्ड फार्म मशीनरी प्लांट का उद्घाटन किया
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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 15 नवंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के पीथमपुर में महिंद्रा एंड महिंद्रा के पहले ग्रीनफील्ड फार्म मशीनरी प्लांट का उद्घाटन किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह नया फार्म मशीनरी प्लांट महिंद्रा और स्वराज ब्रांड के तहत किफायती और सुलभ कृषि मशीनरी उपकरण बनाने में सक्षम है।
यह संयंत्र एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका में वैश्विक बाजारों में निर्यात के लिए उत्पादों का निर्माण भी करेगा।
यह सुविधा फ़िनलैंड, जापान और तुर्की में महिंद्रा के वैश्विक प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्रों में डिज़ाइन किए गए नए उत्पादों की एक श्रृंखला को तैयार करने में सक्षम है।
यह प्लांट 23 एकड़ में फैला हुआ है और प्रति वर्ष 1,200 कंबाइन हार्वेस्टर और 3,300 राइस ट्रांसप्लांटर का निर्माण कर सकता है।
इस संयंत्र की स्थापना से लगभग 1,100 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
महिंद्रा विश्व स्तर पर ट्रैक्टर निर्माण कंपनियों में से एक रहा है।
दरअसल, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में कंपनी ने देश में 2,52,844 ट्रैक्टर बेचे, जो पूर्व की तुलना में 12 फीसदी अधिक थे।
ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट क्या है?
यह एक निर्माण, कार्यालय, या अन्य भौतिक कंपनी-संबंधित संरचना या संरचनाओं के समूह में निवेश को संदर्भित करता है जहां कोई पूर्व की सुविधाएं मौजूद नहीं हैं।
6. ओडिशा सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों के लिए 200 करोड़ रुपये की राहत की घोषणा की
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ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 15 नवंबर 2022 को राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के संकटग्रस्त किसानों के लिए 200 करोड़ रुपये की इनपुट सहायता की घोषणा की । यह सारा व्यय राज्य सरकार वहन करेगी।
राज्य में सूखे के कारण 12 जिलों में लगभग 2,63560 हेक्टेयर फसल भूमि को 33 प्रतिशत और उससे अधिक की फसल का नुकसान हुआ है। ओडिशा सरकार के अनुसार कई प्रभावित किसानों को अभी तक बीमा कंपनियों से फसल बीमा का बकाया नहीं मिला है।
इसी कारण ,राज्य के किसानों की मदद के लिए मुख्यमंत्री ने राज्य के अपने संसाधनों से सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना(पीएमएफबीवाई)
- भारत सरकार ने देश में किसानों को फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करने के लिए 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू की।
- इस योजना ने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की जगह ली ।
- यह योजना केंद्रीय कृषि और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित की जा रही है। किसानों को बीमा सुविधाएं अनुमोदित बीमा कंपनियों द्वारा प्रदान की जाती हैं।
- 2020 के खरीफ सीजन से इस योजना को किसानों के लिए वैकल्पिक बना दिया गया है।
किसानों द्वारा फसल बीमा के लिए भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम
- सरकार ने इस योजना के तहत किसानों द्वारा दिये जाने वाले प्रीमियम निर्धारित किये हैं जो इस प्रकार हैं:
- खरीफ फसलों (सभी खाद्यान्न और तिलहन) के लिए किसान को प्रीमियम का 2% भुगतान करना होगा।
- रबी फसलों (सभी खाद्यान्न और तिलहन) के लिए किसान प्रीमियम का 1.5% भुगतान करेंगे।
- वार्षिक (रबी और खरीफ) बागवानी और वाणिज्यिक फसलों के लिए किसानों को प्रीमियम का 5% भुगतान करना होगा।
- शेष प्रीमियम राशि केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार द्वारा साझा रूप से की जाती है।
7. जेफ बेजोस की अमेज़न कंपनी $1 ट्रिलियन बाजार पूंजीकरण खोने वाली इतिहास की पहली कंपनी बन गई
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जेफ बेजोस की कंपनी अमेज़न एक ट्रिलियन डॉलर खोने वाली दुनिया की पहली सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी बन गई है । अमेरिका में मंदी की आशंका , बढ़ती मुद्रास्फीति, सख्त मौद्रिक नीतियों और और निराशाजनक कमाई के संयोजन ने इस साल कंपनी के शेयरों में ऐतिहासिक बिकवाली शुरू कर दी है, जिसके कारण कंपनी के बाजार पूंजीकरण में एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा गिरावट आई है।
अमेज़न जो ई-कॉमर्स और क्लाउडबिजनेस कंपनी है इसका बाजार मूल्य जुलाई 2021 में 1.88 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर से लगभग वर्तमान में 879 बिलियन डॉलर हो गया है।
अमेरिका की पांच बड़ी टेक कंपनियां , इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, अल्फाबेट (गूगल के मालिक), मेटा (पूर्व में फेसबुक) और अमेज़ॅन के शेयर लगातार गिर रहे हैं , क्योंकि उनकी विकास संभावनाएं मंदी के डर से ग्रस्त अर्थव्यवस्था में अनिश्चित दिख रही हैं।
राजस्व के लिहाज से शीर्ष पांच अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों को इस साल बाजार मूल्य में लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।
अक्टूबर 2022 में, अमेज़ॅन ने कंपनी के इतिहास में छुट्टियों की तिमाही के लिए सबसे धीमी राजस्व वृद्धि का अनुमान घोषित किया है । आर्थिक अनिश्चितता को देखते हुए खरीदारों ने अपने खर्च को कम कर दिया है जिससे अमेजन के ई-कॉमर्स पर बुरा प्रभाव हुआ है । पिछले महीने कंपनी के इतिहास में तिमाही के लिए सबसे धीमी राजस्व वृद्धि दर्ज की है और पहली बार कंपनी का बाजार मूल्य $ 1 ट्रिलियन से नीचे चला गया है।
बाजार पूंजीकरण या एम-कैप क्या है?
बाजार पूंजीकरण निकालने के लिए किसी कंपनी के फ्री फ्लोटिंग शेयरों की कुल संख्या को प्रत्येक शेयर के मौजूदा बाजार मूल्य से गुणा किया जाता है।
व्याख्या
मान लीजिए कि टाटा मोटर्स नामक एक कंपनी है और इसके प्रमोटर श्री रतन टाटा हैं। कंपनी के पास 100 शेयर हैं और कंपनी के सभी शेयर रतन टाटा के पास हैं। रतन टाटा ने फैसला किया कि उन्हें पैसे की जरूरत है। उन्होंने टाटा मोटर्स के 20 शेयरों को टाटा मोटर्स इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के माध्यम से 10 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से जनता को बेचने का फैसला किया। लोग शेयर खरीदेंगे और फिर इस प्रक्रिया के पूरा होने पर , टाटा मोटर्स कंपनी बीएसई जैसे भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होगी। अब रतन टाटा के पास कंपनी के केवल 80 शेयर हैं।
ध्यान रहे कंपनी के सिर्फ 20 शेयर ही बीएसई पर सूचीबद्ध होंगे क्योंकि कंपनी ने जनता को सिर्फ 20 शेयर ही बेचे हैं। शेयर बाजार की भाषा में कहा जाएगा कि टाटा मोटर्स का फ्री फ्लोटिंग शेयर 20 हैं न की 100 ।
अब मान लीजिए बाजार में टाटा मोटर्स की कीमत 100 रुपये है तो टाटा मोटर्स का बाजार पूंजीकरण होगा: कंपनी का फ्री फ्लोटिंग शेयर x कंपनी के प्रति शेयर का बाजार मूल्य।
इस प्रकार यह 20 X 100 रुपये = 2000 रुपये होगा ।
बाजार पूंजीकरण के प्रकार
भारत में बाजार पूंजीकरण के आधार पर कंपनियों को लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में वर्गीकृत किया जाता है। यहाँ कैप का अर्थ पूंजीकरण है।
सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियां जिनका बाजार पूंजीकरण 20,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक है, उन्हें लार्ज कैप कंपनियां कहा जाता है।
मिड-कैप: सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियां जिनका बाजार पूंजीकरण 20,000 करोड़ रुपये से कम और 5000 करोड़ रुपये तक है।
स्मॉल कैप : सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियां जिनका बाजार पूंजीकरण 5,000 करोड़ रुपये से कम है।
8. केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए आकस्मिकता निधि से 13,000 करोड़ रुपये जारी किए
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केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 2022-23 में भारत सरकार की प्रमुख, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) कार्यक्रम को लागू करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय मांग को पूरा करने के लिए भारत की आकस्मिकता निधि से 13,000 करोड़ रुपये जारी करने को अधिकृत किया है। यह राशि केंद्रीय बजट 2022-23 में कार्यक्रम के लिए आवंटित 20,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है।
पीएमजीवाई-जी के तहत भारत सरकार ने 2022-23 में 52.78 लाख घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा है।
पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर 2022) में, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पीएमजीवाई-जी योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये में से 16,785 करोड़ रुपये , लगभग 84 प्रतिशत का उपयोग कर लिया है।
कई राज्यों द्वारा ग्रामीण घरों के निर्माण के लिए अतिरिक्त धन की मांग को देखते हुए , केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जून में अतिरिक्त आवंटन के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया था।
पीएमजीवाई-जी और योजना के खर्च में केंद्र सरकार का हिस्सा
पीएमजीवाई-जी योजना के तहत, सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के मैदानी क्षेत्रों में घरों के निर्माण के लिए प्रति लाभार्थी 1.20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है और उत्तर पूर्व और पहाड़ी क्षेत्रों में प्रति लाभार्थी सहायता राशि 1.30 लाख रुपये है।
केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय सहायता इस प्रकार साझा की जाती है:
- मैदानी क्षेत्रों में केंद्र और राज्यों का अनुपात क्रमशः 60:40 है।
- पहाड़ी क्षेत्रों (8 पूर्वोत्तर राज्यों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) में केंद्र और राज्यों का अनुपात क्रमशः 90:10 है।
- केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र का हिस्सा 100% है।
पीएमएवाई-जी और शेष अवधि के लिए केंद्र सरकार का वित्तीय दायित्व
- 2014 में सत्ता में आने पर नरेंद्र मोदी सरकार ने इंदिरा आवास योजना का नाम बदलकर प्रधान मंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमजीवाई-जी) कर दिया था और इसे 20 नवंबर 2016 को फिर से शुरू किया गया था।
- इसने 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों के पात्र लाभार्थियों को "सभी को आवास"(Housing for All) प्रदान करने का लक्ष्य रखा, जिसे बाद में 2024 तक बढ़ा दिया गया। इस योजना के तहत कुल 2.95 करोड़ घरों का निर्माण किया जाना था।
- सरकार के अनुसार 15 अगस्त 2022 तक कुल 2.02 करोड़ घर बन चुके हैं।
- सरकार ने 2022-23 में 52.78 लाख और 2023-24 में 57.34 लाख घर बनाने का लक्ष्य रखा है।
- इस योजना को लागू करने वाले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, 2022-23 में 52.78 लाख घरों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए , केंद्रीय हिस्से के तहत 48,422 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
- लेकिन 2022-23 के बजट में केवल 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और वह भी लगभग ख़तम होने के कगार पर है । इस प्रकार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को अतिरिक्त फंड जारी करने के लिए कहा अन्यथा वह राज्य सरकार को केंद्र के हिस्से का फंड जारी नहीं कर पाएगा और योजना निर्धारित लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगी।
भारत की आकस्मिकता निधि से धन जारी करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- केंद्रीय बजट में सरकार यह उल्लेख करती है कि किस केंद्रीय मंत्रालय को कितना पैसा और किस उद्देश्य के लिए आवंटित किया जाना है। यदि मंत्रालय को बजट में आवंटित राशि से अधिक धनराशि की आवश्यकता होती है तो संसद की अनुमति आवश्यक है। इस प्रयोजन के लिए अतिरिक्त धन के लिए अनुरोध करते हुए अनुदान के लिए एक पूरक मांग संसद के समक्ष लाई जाती है। संसद पूरक अनुदानों को पारित करके अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करती है।
- संसद का अगला शीतकालीन सत्र दिसंबर 2022 में शुरू होने की उम्मीद है और ग्रामीण विकास मंत्रालय अतिरिक्त फंड चाहता है ताकि योजना समय पर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके। वित्त मंत्रालय ने सहमति व्यक्त की और भारत की आकस्मिकता निधि से निधि जारी की।
भारत की आकस्मिकता निधि क्या है ?
- संविधान के अनुच्छेद 267 में केंद्र सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार के लिए भारत की आकस्मिक निधि का प्रावधान है। संसद ,भारत सरकार के लिए और हर राज्य के लिए संबंधित राज्य विधानमंडल आकस्मिक निधि के लिए कानून बना सकती है ।
- भारत की आकस्मिकता निधि की स्थापना भारत की आकस्मिकता निधि अधिनियम 1950 के तहत की गई थी।
- 2021-22 में इसके कोष को 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इस कोष का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं आदि जैसे अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए किया जाता है।
- वित्त मंत्रालय के सचिव भारत के राष्ट्रपति की ओर से इस कोष का प्रबंधन करते हैं। भारत की आकस्मिकता निधि से धन खर्च करने के लिए संसद से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
केंद्रीय वित्त मंत्री: निर्मला सीतारमण
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री: गिरिराज सिंह
9. सरकार ने सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने के लिए रूपरेखा की घोषणा की
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केंद्र सरकार ने अपने प्रस्तावित सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड के लिए एक रूपरेखा जारी की है। निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में 2022-23 वित्तीय वर्ष में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने बाद में कहा कि उसका चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 16,000 करोड़ रुपये के बांड जारी करने का प्रस्ताव है।
सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड क्या है?
सॉवरेन का अर्थ है भारत सरकार। बॉन्ड का मतलब है कि यह एक ऋण पत्र है जो पूंजी या फंड जुटाने के लिए जारी किया जाता है और यह जारीकर्ता पर कर्ज बनाता है।
यहां ग्रीन का मतलब है कि बॉन्ड की बिक्री से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं के लिए किया जाएगा।
सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की मुख्य विशेषताएं
योग्य परियोजना का चयन करने के लिए समिति
सरकार मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन की अध्यक्षता में एक 'ग्रीन फाइनेंस वर्किंग कमेटी' का गठन करेगी। समिति वित्तपोषण के लिए पात्र परियोजनाओं का चयन करेगी।
समिति वर्ष में कम से कम दो बार बैठक करेगी और इसमें प्रासंगिक मंत्रालयों, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नीति आयोग, और वित्त मंत्रालय के बजट प्रभाग और अन्य प्रभाग के सदस्य शामिल होंगे।
किन परियोजनाओं को वित्तपोषित किया जाना है
ग्रीन बॉन्ड द्वारा जारी पूंजी का इस्तेमाल निम्लिखित नौ श्रेणियों की परियोजना को वित्तपोषित या पुनर्वित्त के लिए किया जायेगा :
- नवीकरणीय ऊर्जा,
- ऊर्जा दक्षता,
- स्वच्छ परिवहन,
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन,
- सतत जल और अपशिष्ट प्रबंधन,
- प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण,
- ग्रीन इमारतें,
- जीवित प्राकृतिक संसाधनों और भूमि उपयोग का सतत प्रबंधन, और
- स्थलीय और जलीय जैव विविधता संरक्षण
परियोजनाएं जो पात्र नहीं हैं
- हालाँकि, ग्रीन बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई धनराशि का उपयोग निम्नलिखित परियोजनों के लिए नहीं किया जा सकता है:
- उन जलविद्युत संयंत्रों के वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाएगा जो 25 मेगावाट से बड़े हैं,
- परमाणु परियोजनाओं और संरक्षित क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले बायोमास के साथ कोई भी बायोमास आधारित बिजली उत्पादन।
किस प्रकार का सरकारी खर्च ग्रीन सॉवरेन बांड के लिए योग्य होगा
- हरित वित्त पोषण के लिए अर्हता प्राप्त करने वाले खर्च में निवेश, सब्सिडी, अनुदान-सहायता, या कर के रूप में सरकारी व्यय शामिल हैं या
- अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं में परिचालन व्यय और आर एंड डी व्यय
- केवल मेट्रो परियोजनाओं के मामले में ग्रीन बांड से प्राप्त राशि का उपयोग करके मेट्रो परियोजनाओं की इक्विटी में निवेश की अनुमति है।
- जीवाश्म ईंधन से सीधे संबंधित व्यय हरित वित्तपोषण के योग्य नहीं होंगे। हालांकि अपेक्षाकृत स्वच्छ संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) के उद्देश्य से निवेश या व्यय की अनुमति है यदि इसका उपयोग केवल सार्वजनिक परिवहन परियोजनाओं में किया जाता है।
फ्रेमवर्क को मीडियम ग्रीन रेटिंग दी गई है
- वित्त मंत्रालय के अनुसार सिसरो द्वारा सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड रूपरेखा को "मध्यम हरित" करार दिया गया है।
- "गहरे हरे रंग" के बाद, यह सबसे अच्छा ग्रेड है, जिसे सिसरो द्वारा एक ग्रीन बांड के दिया जाता है जो कम कार्बन जलवायु लचीला भविष्य के साथ संरेखित करता है।
- सिसरो हरित बांड निवेश संरचना का एक प्रमुख वैश्विक स्वतंत्र समीक्षक है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- दुनिया का पहला ग्रीन बांड 2007 में यूरोपीय निवेश बैंक द्वारा जारी किया गया था।
- विश्व बैंक ने 2008 में पहली बार ग्रीन बांड जारी किया था।
- भारत का पहला ग्रीन बांड 2015 में यस बैंक द्वारा जारी किया गया था।
10. भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला नई दिल्ली के प्रगति मैदान में शुरू हुआ
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41वां भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) 14 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में शुरू हुआ।
महत्वपूर्ण तथ्य
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मेले का उद्घाटन किया, जो 27 नवंबर तक चलेगा।
वर्ष 2022 के व्यापार मेले की थीम 'वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल' है।
14 दिवसीय इस मेगा इवेंट एक विशेष महत्व है क्योंकि यह 'आजादी का अमृत महोत्सव' के उत्सव के साथ मेल खाता है।
इस कार्यक्रम में उनतीस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भाग ले रहे हैं। मेले में बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र भागीदार राज्य हैं जबकि उत्तर प्रदेश और केरल फोकस राज्य के रूप में भाग ले रहे हैं।
मेले में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बहरीन, बेलारूस, ईरान, नेपाल, थाईलैंड, तुर्की, यूएई और यूके सहित 12 देश भाग ले रहे हैं।
व्यापार मेले में लगभग 2500 देशी और विदेशी प्रदर्शक अपने उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन करने के लिए भाग ले रहे हैं।
व्यापार मेले के पहले पांच दिन (14-18 नवंबर) विशेष रूप से व्यावसायिक दिनों के लिए आरक्षित हैं।
'आम सार्वजनिक दिवस' 19 से 27 नवंबर तक आरक्षित है।
भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के बारे में
यह एक वार्षिक मेला है जो दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) द्वारा आयोजित किया जाता है।
यह मेला पहली बार दिल्ली में वर्ष 1980 में आयोजित किया गया था और तब से, यह एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसका पूरे देश के लोगों द्वारा बहुत इंतजार किया जाता है।
यह मेला देश के निर्माताओं, व्यापारियों, निर्यातकों और आयातकों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।