1. आरबीआई 1 नवंबर 2022 को थोक खंड में डिजिटल रुपये पर एक पायलट परियोजना शुरू करेगा
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भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 31 अक्टूबर 2022 को घोषणा की है कि वह विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए डिजिटल रुपया (e₹) का एक पायलट प्रोज़ेक्ट शुरूकरेगा। डिजिटल रुपये की पहली पायलट परियोजना 1 नवंबर, 2022 को थोक खंड (ई-डब्ल्यू) में शुरू की जाएगी।
इसका इस्तेमाल कहां होगा?
इस पायलट प्रोज़ेक्ट के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान के लिए डिजिटल रुपये का उपयोग किया जाएगा। आरबीआई के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी समेत नौ बैंक हिस्सा लेंगे।
भारत में डिजिटल मुद्रा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले घोषणा की थी कि आरबीआई 2022-23 में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) शुरू करेगा। वित्त मंत्रीके अनुसार, सीबीडीसी की शुरूआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा, जो सुरक्षित भी होगा ।
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी)) क्या है?
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार सीबीडीसी में निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- यह एक डिजिटल रूप में एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक कानूनी निविदा है,
- यह सार्वभौम काज़गी मुद्रा (भारतीय रुपया) के समान है लेकिन यह एक अलग रूप में होता है। यह कागज के रूप में नहीं बल्कि डिजिटल प्रारूप में होगा,
- यह मौजूदा मुद्रा के बराबर विनिमय योग्य होगा और भुगतान के माध्यम, कानूनी निविदा और मूल्य के सुरक्षित भंडार के रूप में स्वीकार किया जाएगा,
- सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर देयता के रूप में दिखाई देंगे।
सीबीडीसी के लाभ
- कागजी मुद्रा के विपरीत, एक डिजिटल मुद्रा को कभी भी फाड़ा, जलाया या शारीरिक रूप से क्षतिग्रस्त नहीं किया जा सकता है। करेंसी नोटों की तुलना में करेंसी के डिजिटल रूप की लाइफलाइन अनिश्चित होगी।
- यह कैशलेस वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देगा जिससे वित्तीय लेनदेन की लागत कम होगी।
- सेंट्रल बैंक की डिजिटल मुद्राएं बिटकॉइन जैसी अन्य डिजिटल मुद्राओं के उपयोग के जोखिम को भी कम करेंगी। क्रिप्टोकरेंसी अत्यधिक अस्थिर हैं, उनके मूल्य में लगातार उतार-चढ़ाव होता रहता है जो गंभीर वित्तीय तनाव पैदा कर सकता है और अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
- सीबीडीसी, सरकार द्वारा समर्थित और केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित, घरों, उपभोक्ताओं और व्यवसायों को डिजिटल मुद्रा के आदान-प्रदान का एक स्थिर साधन प्रदान करेगा।
2. आयकर विभाग ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर हरित आयकर पहल की शुरुआत की
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आयकर विभाग ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर हरित( एचएआरआईटी) आयकर की शुरूआत की है। इसका उद्देश्य हरियाली का भू-भाग बढाना और छोटे-छोटे वनों का विस्तार करना है। स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन के उपलक्ष्य में 31 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।
एचएआरआईटी( हरियाली अचिवमेंट रेजोलुशन बाई इंक्मटैक्स) के अन्तर्गत आयकर विभाग द्वारा वृक्षारोपण और छोटे-छोटे वनों का सृजन कर हरे-भरे क्षेत्रों का विस्तार करना है। इसमें आयकर विभाग के भवनों और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों के आसपास छोटे वनों को बढावा देना है।
भारत में आयकर
आयकर एक प्रत्यक्ष कर है जो किसी व्यक्ति या कॉर्पोरेट की आय पर लगाया जाता है।
यह पहली बार भारत में 24 जुलाई 1860 को लगाया गया था। भारत में पहला आयकर 1860 में सर जेम्स विल्सन द्वारा लगाया गया था।
आयकर दिवस हर साल 24 जुलाई को मनाया जाता है।
आयकर अधिनियम 1922 ने देश में प्रत्यक्ष कर प्रशासन के लिए एक उचित ढांचा तैयार किया था । स्वतंत्रता के बाद आयकर अधिनियम 1961 को समेकित किया गया और इसने 1922 अधिनियम को प्रतिस्थापित किया।
कानून की प्रयोज्यता
यह कानून पूरे भारत में लागू है। सिक्किम को 1989 में आयकर अधिनियम 1961 के तहत लाया गया था और जम्मू और कश्मीर और लदाख को 2019 में अधिनियम के तहत लाया गया था।
भारत में आयकर कौन लगा सकता है?
आयकर अधिनियम द्वारा निर्दिष्ट किसी व्यक्ति या कंपनी की आय पर आयकर भारत सरकार लगा सकता है।
हालांकि कृषि आय पर आयकर संबंधितकर राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है।
3. महाराष्ट्र का पहला इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर रंजनगांव, पुणे में स्थापित किया जाएगा
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भारत सरकार ने महाराष्ट्र में पुणे के पास रंजनगांव चरण III में पहले इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी) को मंजूरी दे दी है। इसकी घोषणा केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री, राजीव चंद्रशेखर ने 31 अक्टूबर 2022 को की।
492.85 करोड़ रुपये की ग्रीनफील्ड परियोजना को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम और राज्य सरकार की राज्य औद्योगिक एजेंसी द्वारा विकसित किया जा रहा है।सरकार को पुणे ईएमसी में भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से 2000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की उम्मीद है।
मंत्री ने कहा कि भारत में ये ईएमसी वे धुरी बिंदु साबित होंगे जिनके इर्द-गिर्द इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और डिजाइन पारिस्थितिकी तंत्र पनपेगा। यह 2025/26 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी)
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर एक पहचान दिलाने के लिए 2012 में भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर योजना शुरू की गई थी।
ईएमसी इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण का प्रावधान करता है।
4. भारत सरकार ने चीनी निर्यात पर प्रतिबंध 2022-23 सीजन तक बढ़ाया
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भारत सरकार ने 31 अक्टूबर 2022 से शुरू होकर 31 अक्टूबर 2023 तक कच्चे, परिष्कृत और सफेद चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया है।भारत में चीनी का मौसम अक्टूबर से सितंबर होता है । अधिसूचना के अनुसार, यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात की जाने वाली चीनी पर यह प्रतिबंध लागू नहीं है ।यह कदम सरकार द्वारा भारत में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने और इसकी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किया गया है।
चीनी सीजन 2021-22 में सरकार ने 10 मिलियन टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है।
प्रतिबंधात्मक सूची में चीनी
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी एक अधिसूचना में, चीनी को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है, न कि ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) में। इसका मतलब है कि भारत सरकार की अनुमति से ही भारत से चीनी का निर्यात किया जा सकता है। यदि किसी वस्तु को ओजीएल सूची में रखा जाता है तो उसे बिना सरकारी अनुमति के स्वतंत्र रूप से आयात या निर्यात किया जा सकता है।
चीनी उत्पादन और बफर स्टॉक
भारत सरकार लगभग 6 मिलियन टन का बफर स्टॉक रखती है। सरकार द्वारा बफर स्टॉक का उपयोग बाजार में चीनी की आपूर्ति उस समय बढ़ाने के लिए किया जाता है जब इसकी बाज़ार में चीनी की कीमतें बहुत बढ़ जाती हैं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, 2022-23 सीजन में चीनी का कुल उत्पादन 41 मिलियन टन होने की उम्मीद है, जिसमें से 4.5 मिलियन टन इथेनॉल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है। इन इथेनॉल को जैव ईंधन बनाने के लिए पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जाता है। भारत में चीनी की खपत लगभग 27.5 मिलियन टन होने का अनुमान है और भारत के पास लगभग 9 मिलियन टन का अधिशेष होने की उम्मीद है।
चीनी निर्यातकों को उम्मीद है कि भारत सरकार भारत से अधिशेष चीनी के निर्यात की अनुमति देगी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें बहुत अधिक हैं।
भारत से चीनी निर्यात
- भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है और ब्राजील के बाद दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
- मौजूदा 2021-22 सीजन में सरकार ने एक करोड़ टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है।
- देश के कुल चीनी उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में होता है ।
5. सेबी ने ऋण प्रतिभूतियों पर अंकित मूल्य घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया
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पूंजी और कमोडिटी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 28 अक्टूबर 2022 को निजी प्लेसमेंट के आधार पर जारी ऋण प्रतिभूति और गैर-परिवर्तनीय प्रतिदेय वरीयता शेयरों के अंकित मूल्य (फेस वैल्यू) को मौजूदा 10 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया है ।
नए दिशानिर्देश 1 जनवरी, 2023 से लागू होंगे।
सेबी के मुताबिक ऐसा, निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए किया गया है और इससे कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में तरलता भी बढ़ेगी।
ऋण प्रतिभूतियां
ऋण प्रतिभूतियां एक प्रकार का वित्तीय दस्तावेज है जो एक कंपनी द्वारा बाजार से पैसा उधार लेने के लिए जारी किया जाता है। ऋण प्रतिभूतियों के जारीकर्ता वादा करते हैं कि वह एक निश्चित समय अवधि के बाद पैसा वापस कर देगा और उधार के पैसे पर उल्लिखित ब्याज का भुगतान भी करेगा। ऋण प्रतिभूतियों के कुछ उदाहरण बांड, डिबेंचर आदि हैं।
प्रतिभूतियों का अंकित मूल्य. टेन्योर और कूपन दर क्या है?
अंकित मूल्य(फेस वैल्यू ) वह नाममात्र मूल्य है जो किसी कंपनी द्वारा जारी प्रतिभूतियों पर अंकित होता है । उदाहरण के लिए एक कंपनी 5 साल की अवधि के लिए और 10% की ब्याज दर के साथ 100 रुपये का बांड जारी करती है।
यहां बॉन्ड की अंकित मूल्य(फेस वैल्यू )100 रुपये होगी।
जिस समयावधि के लिए इसे उधार लिया जाता है, उसे टेन्योर /Tenure कहा जाता है। यहां उदाहरण में बांड की टेन्योर 5 वर्ष होगी।
बांड पर उल्लिखित ब्याज दर को कूपन दर कहा जाता है। इस उदाहरण में कूपन दर 10% है।
प्रतिभूतियों का सार्वजनिक और निजी प्लेसमेंट क्या है
एक कंपनी जो अपनी प्रतिभूतियों (शेयर, बांड, आदि) को बेचकर बाजार से पूंजी जुटाना चाहती हैं,के पास दो विकल्प हैं। कंपनी या तो सार्वजनिक पेशकश के लिए जा सकती है या अपनी प्रतिभूतियों के निजी प्लेसमेंट का विकल्प चुन सकती है।
सार्वजनिक पेशकश (पब्लिक ऑफर) का मतलब है कि कंपनी को इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग्स (आईपीओ) लाना होगा। कंपनी को एक मर्चेंट बैंकर को नियुक्त करना होता है जो आम जनता को कंपनी की प्रतिभूतियों की बिक्री की पूरी प्रक्रिया को संभालता है।
आईपीओ से तात्पर्य कंपनी की प्रतिभूतियों को पहली बार जनता को बेचने से है और आईपीओ के बाद कंपनी की अपनी प्रतिभूतियों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करना अनिवार्य होता है। सार्वजनिक पेशकश एक समय लेने वाली प्रक्रिया है और कंपनी के लिए महंगी भी होती है।
प्राइवेट प्लेसमेंट
कंपनी के लिए एक और विकल्प है। कंपनी सीधे चुनिंदा निवेशकों जैसे बैंक, म्यूचुअल फंड, हाई नेट वर्थ इन्वेस्टर्स (एचएनआई) से संपर्क कर सकती है और उन्हें कंपनी की प्रतिभूतियों को सीधा बेच सकती है।
कंपनी को प्राइवेट प्लेसमेंट के बाद के बाद कंपनी की अपनी प्रतिभूतियों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने की जरूरत नहीं होती है। यह विधि कंपनी के लिए कम समय लेने वाली और कम खर्चीली है।
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी)
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी और इसे 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम 1992 द्वारा वैधानिक दर्जा दिया गया था।
- यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन आता है।
- यह भारत में पूंजी बाजार और कमोडिटी बाजार का नियामक है।
- सेबी के पहले अध्यक्ष डॉ एस ए दवे (1988-90) थे।
- माधबी पुरी बुच सेबी की वर्तमान और 10वीं अध्यक्ष हैं।
- मुख्यालय: मुंबई
6. भारत अगले 10 वर्षों में कच्चे इस्पात का उत्पादन दोगुना करेगा: पीएम मोदी
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28 अक्टूबर 2022 को सूरत, गुजरात के हजीरा में आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील प्लांट के विस्तार के अवसर पर वीडियो संदेश के माध्यम से एक सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने कच्चे इस्पात के उत्पादन को वर्तमान 154 मिलियन टन से अगले 9-10 वर्षों में प्रति वर्ष 300 मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) लक्ज़मबर्ग स्थित आर्सेलर मित्तल और जापान के निप्पॉन स्टील के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
कंपनी अपने हजीरा संयंत्र में कच्चे इस्पात की क्षमता को 90 लाख टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) से बढ़ाकर 15 एमटीपीए करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है।
2047 तक विकसित भारत की ओर बढ़ने के लक्ष्य में इस्पात उद्योग की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक मजबूत इस्पात क्षेत्र एक मजबूत बुनियादी ढांचा क्षेत्र की ओर ले जाता है।
स्टील और भारत
- भारत 2021 में दुनिया में स्पंज आयरन का सबसे बड़ा उत्पादक था।
- भारत 2021 में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उपभोक्ता था।
- भारत चीन के बाद दुनिया में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत ने 2030 तक कच्चे इस्पात के उत्पादन को 300 मिलियन टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
- भारत ने 2030 तक प्रति व्यक्ति स्टील खपत को 160 किलोग्राम तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
7. निर्मला सीतारमण ने आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में नए आईआईएफटी परिसर का उद्घाटन किया
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केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीथरामन ने आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के नए परिसर का उद्घाटन किया। परिसर आंध्र प्रदेशसरकार की मदद से स्थापित किया गया है और यह अस्थायी रूप से जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, काकीनाडा में होगा।
इस अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य, सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्रीपीयूष गोयल ने कहा कि मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की कीमत 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। निरंतर प्रयासों से भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 25 वर्षों में 2047 तक दस गुना तक पहुंच जाएगी, जब हम स्वतंत्रता के 100वें वर्ष को चिह्नित करेंगे। अधिकतम सीमा तक विशेषज्ञ मानव संसाधन उपलब्ध कराकर विकास को प्राप्त किया जा सकता है।
भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी)
भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) की स्थापना 1963 में भारत के बाहरी व्यापार क्षेत्र के लिए कौशल निर्माण में योगदान करने के लिए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
यह व्यापार और वित्त पर विशेष ध्यान देने के साथ भारत के शीर्ष बिजनेस स्कूलों में से एक है।
संस्थान को 2002 में "डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी" का दर्जा दिया गया था।
इसके दिल्ली, कोलकाता और काकीनाडा में परिसर हैं।
कुलपति: मनोज पंत
फुल फॉर्म
आईआईएफटी/IIFT: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरेन ट्रेड (Indian Institute of Foreign Trade)
8. एलोन मस्क ने आखिरकार माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर का अधिग्रहण कर लिया
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दक्षिण अफ्रीका में जन्मे अमेरिकी अरबपति एलोन मस्क ने 28 अक्टूबर 2022 को माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर का 44 अरब डॉलर में अधिग्रहण पूरा किया।
समझौते के हिस्से के रूप में, दुनिया का सबसे अमीर आदमी आम शेयरधारकों को प्रति शेयर $54.20 का भुगतान करेगा और इसके परिणामस्वरूप सोशल मीडिया दिग्गज को एक निजी इकाई के रूप में संचालित करेगा।
टेस्ला के अरबपति और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एलोन मस्क अब ट्विटर के नए मालिक हैं और उन्होंने सोशल मीडिया कंपनी के चार शीर्ष अधिकारियों को निकाल दिया है, जिनमें भारतीय मूल के सीईओ पराग अग्रवाल और कानूनी कार्यकारी विजया गड्डे भी शामिल हैं।
51 वर्षीय एलोन मस्क ने ट्विटर के सेवा सामग्री मॉडरेशन नियमों को ढीला करने ,इसके एल्गोरिदम को और अधिक पारदर्शी बनाने,सदस्यता व्यवसायों का पोषण करने और साथ ही कर्मचारियों की छंटनी का भी वादा किया है।
सौदे की पृष्ठभूमि
14 अप्रैल 2022 को ट्विटर ने एक प्रतिभूति फाइलिंग में खुलासा किया था कि मस्क ने कंपनी को लगभग $44 बिलियन में एकमुश्त खरीदने की पेशकश की है।
8 जुलाई को, मस्क ने कहा कि कंपनी द्वारा नकली खातों की संख्या के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करने में विफल रहने के बाद वह ट्विटर खरीदने के अपने प्रस्ताव को छोड़ देंगे।
12 जुलाई को ट्विटर ने मस्क पर केस कर दिया और अदालत से उन्हें सौदा पूरा करने के लिए दरखास्त किया ।
डेलावेयर, संयुक्त राज्य अमेरिका की एक अदालत ने मस्क को 28 अक्टूबर 2022 तक सौदा पूरा करने का आदेश दिया।
ट्विटर कंपनी
माइक्रोब्लॉगिंग साइट की स्थापना 2006 में कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में जैक डोर्सी, इवांस विलियम्स, बिज़ स्टोन और नूह ग्लास द्वारा की गई थी।
सोशल साइट एक ऑनलाइन माइक्रोब्लॉगिंग सेवा प्रदान करती है जो 280 से अधिक वर्णों के छोटे संदेशों को वितरित करती है - जिन्हें ट्वीट कहा जाता है।
ट्विटर का मुख्यालय: सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका
9. भारत सरकार ने वेदांता के बाड़मेर तेल ब्लॉक का लाइसेंस 10 साल के लिए बढ़ाया
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भारत सरकार ने वेदांत लिमिटेड की एक इकाई केर्न्स ऑयल एंड गैस के स्वामित्व वाले बाड़मेर तेल ब्लॉक के उत्पादन साझाकरण अनुबंध लाइसेंस को 14 मई 2030 तक बढ़ा दिया है।यह जानकारी अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली कंपनी ने 27 अक्टूबर 2022 को एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में दी। बाड़मेर ब्लॉक से तेल और गैस का पता लगाने और उत्पादन करने का प्रारंभिक लाइसेंस 14 मई, 2020 को समाप्त हो गया था ।
बाड़मेर तेल क्षेत्र
बाड़मेर ब्लॉक में अभी अनुमानित 5.9 बिलियन बैरल तेल के बराबर हाइड्रोकार्बन का भंडार है। पिछले दशक में इस ब्लॉक ने कुल मिलाकर 700 मिलियन बैरल से अधिक तेल का उत्पादन किया है।केर्न्स ने मुख्य तेल उत्पादक कुओं का नाम मंगला, भाग्यम और ऐश्वर्या रखा है।
21 फरवरी 2022 को, केर्न्स ने राजस्थान के बाड़मेर तेल ब्लॉक में तेल की नई खोज की घोषणा की और तेल के कुएं को "दुर्गा" नाम दिया गया।
भारत सरकार की कंपनी ओएनजीसी के पास ब्लॉक में 30% हिस्सेदारी है, जबकि ब्लाक के ऑपरेटर केयर्न ऑयल एंड गैस जो वेदांत लिमिटेड की एक इकाई है , के पास 70% हिस्सेदारी है।
तेल क्षेत्र के सन्दर्भ में तथ्य
- एडविन एल. ड्रेक ने 1859 में टाइटसविले, पेनसिल्वेनिया, संयुक्त राज्य अमेरिका में 1866 में विश्व का पहला तेल कुआँ का खनन किया था।
- भारत में खोदा जाने वाला पहला तेल का कुआँ असम के डिगबोई क्षेत्र में सितंबर 1889-1890 में असम रेलवे और लंदन में पंजीकृत ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा किया गया था।
- 1901 में, डिगबोई, असम में एशिया की पहली तेल रिफाइनरी स्थापित की गई थी। यह अभी भी कार्यात्मक है और दुनिया की सबसे पुरानी संचालित रिफाइनरी है।
- स्वतंत्र भारत में पहली तेल खोज 1953 में नाहरकटिया में और पुनः 1956 में मोरन में हुई थी, दोनों ऊपरी असम में स्थित है।
- गठन के एक वर्ष के भीतर, तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने 1960 में गुजरात राज्य में विशाल अंकलेश्वर क्षेत्र, खंभात (गुजरात), 1961 में कलोल (गुजरात), 1964 में लकवा (असम), गेलेकी ( असम) 1968 में तेल की खोज की।
- हालांकि भारत में तेल की सबसे बड़ी खोज 1974 में मुंबई हाई में ओएनजीसी द्वारा की गई थी। यह मुंबई के पश्चिमी तट से 176 किमी दूर, भारत के खंभात की खाड़ी में, लगभग 75 मीटर गहराई में एक अपतटीय तेल क्षेत्र है।
स्रोत: हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, भारत सरकार)
10. 2021-22 में रिकॉर्ड बागवानी उत्पादन
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फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में फलों, सब्जियों, मसालों और औषधीय पौधों से युक्त बागवानी फसलों का भारत का उत्पादन 2020-21 में दर्ज किए गए 334.6 मिलियन टन के मुकाबले बढ़कर रिकॉर्ड 342.3 मिलियन टन (mt) हो गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
कृषि मंत्रालय द्वारा 27 अक्टूबर को जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन में वृद्धि खेती क्षेत्र में वृद्धि के कारण हुई थी।
पिछले वर्ष के 27.4 मिलियन हेक्टेयर की तुलना में 2021-22 में बागवानी फसलों का रकबा 28 मिलियन हेक्टेयर था।
बागवानी फसलों का उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन से अधिक बना हुआ है।
अगस्त में जारी खाद्यान्न उत्पादन के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 में भारत का चावल, गेहूं और दालों का उत्पादन रिकॉर्ड 315.7 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया था।
2020-21 के अंतिम अनुमान के अनुसार 200.4 मिलियन टन की तुलना में 2021-22 में सब्जी उत्पादन 2.1% बढ़कर 204.8 मिलियन टन होने का अनुमान है।
2021-22 में प्याज का उत्पादन 17% बढ़कर 31.2 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष में 26.6 मिलियन टन था।
वहीं, 2021-22 के फसल वर्ष में आलू का उत्पादन 5% घटकर 53.3 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो 2020-21 में 56.1 मिलियन टन था।
टमाटर का उत्पादन 2020-21 के अंतिम अनुमान के अनुसार 21.1 मिलियन टन की तुलना में 4% घटकर 20.3 मिलियन टन रहने का अनुमान है।
फलों के उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान 2020-21 के फसल वर्ष में 102.5 मिलियन टन की तुलना में 2021-22 में उत्पादन 107.2 मिलियन टन होने का अनुमान है।
पिछले वर्षकी तुलना में 2021-22 में केले के उत्पादन में 32.45 मिलियन टन (2%) से अधिक की वृद्धि का अनुमान है, जबकि 2021-22 में आम का उत्पादन 20.3 मिलियन टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की तुलना में समान स्तर पर है।