1. सेबी ने वोडाफोन आइडिया दूरसंचार ऋण को इक्विटी में बदलने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी
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पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वोडाफोन आइडिया के लगभग 1.92 बिलियन डॉलर के दूरसंचार बकाया को इक्विटी शेयरों में बदलने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
सितंबर 2021 में भारत सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक राहत पैकेज की घोषणा की ताकि वे 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद भारत सरकार को बकाया राशि का भुगतान कर सकें।
पैकेज के तहत टेलीकॉम कंपनियों, रिलायंस इंडस्ट्रीज की जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को अपने बकाया राशी को इक्विटी शेयरों में बदलने और भारत सरकार को जारी करने का विकल्प दिया गया था। जियो और एयरटेल ने सरकार को बकाया चुकाने का विकल्प चुना लेकिन वोडाफोन ने अपनी बकाया राशि को इक्विटी शेयरों में बदलने का विकल्प चुना।
पैकेज मुख्य रूप से वोडाफोन आइडिया के लिए था जो दिवालिया होने की कगार पर था और सरकार नहीं चाहती थी कि दूरसंचार क्षेत्र में दो कंपनियों का वर्चस्व हो।
सौदे के तहत वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी वोडाफोन-आइडिया कंपनी के कुल शेयरों का लगभग 35.8% होगी, जबकि प्रमोटर वोडाफोन और आदित्य बिड़ला समूह के पास कंपनी में क्रमशः लगभग 28.5% और लगभग 17.8% हिस्सेदारी होगी।
वोडाफोन आइडिया के मुनाफे में आने पर सरकार कंपनी के हिस्से को बेचने का इरादा रखती है।
वोडाफोन आइडिया
यह वोडाफोन (यूनाइटेड किंगडम) और आदित्य बिड़ला समूह का एक संयुक्त उद्यम है।
इसके पास भारत में तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल दूरसंचार नेटवर्क है।
मुख्यालय: गांधीनगर, गुजरात
कॉर्पोरेट मुख्यालय: मुंबई
अध्यक्ष: रविंदर टक्कर
मुख्य कार्यकारी अधिकारी: अक्षय मुंद्रा
2. विश्व बैंक 'बिजनेस इनेबलिंग एनवायरनमेंट' रिपोर्ट शुरू करेगा जो बंद की गई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट की जगह लेगा
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विश्व बैंक ने घोषणा की है वह दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार और निवेश के माहौल का आकलन करने के लिए एक नई प्रणाली शुरू करेगा जिसका शीर्षक बिजनेस इनेबलिंग एनवायरनमेंट (बीईई) होगा और यह अप्रैल 2024 में प्रकाशित किया जायेगा। यह रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा जारी किये जाने वाले ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट’ का स्थान लेगा जिसे बंद कर दियागया था ।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट सबसे पहली बार , 2003 में विश्व बैंक द्वारा "डूइंग बिजनेस" रिपोर्ट शीर्षक से प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में देशों को ,12 संकेतकों के आधार पर , देश में पाए जाने वाले व्यापार अनुकूल वातावरण पर रैंक किया जाता था ।
विश्व बैंक द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाने वाली रिपोर्ट को सितंबर 2021 में डेटा हेराफेरी कांड सामने आने के बाद बंद कर दिया गया था ।
विश्व बैंक के एक आंतरिक ऑडिट में 2018 और 2020 के संस्करणों में चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अजरबैजान की रिपोर्टों में डेटा अनियमितताओं का पता चला। इसके बाद, बैंक ने एक नई प्रणाली के साथ आने का फैसला किया जो पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत और विश्वसनीय होगी। इसीलिए बिजनेस इनेबलिंग एनवायरनमेंट लाया जा रहा है ।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2020 के अनुसार, 2019 में इसने 79 रैंक सुधार कर 63वें स्थान पर था ।
विश्व बैंक के अध्यक्ष: डेविड मलपास
विश्व बैंक द्वारा जारी अन्य महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट
- विश्व विकास रिपोर्ट
- वैश्विक आर्थिक संभावना
3. स्मार्टफ़ोन एंड्रॉइड प्लेटफ़ॉर्म में अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करने के लिए सीसीआई ने गूगल पर 1337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने 20 अक्टूबर 2022 को अपने एक आदेश में एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए अल्फाबेट कंपनी के स्वामित्व वाली गूगल कंपनी पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है ।
सीसीआई ने गूगल को अनुचित व्यावसायिक व्यवहार करने पर भी रोक लगा दिया , जिसमें स्मार्टफोन निर्माताओं को विशेष रूप से अपनी सर्च इंजन क्रोम का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहन की पेशकश भी शामिल है।
मामले की पृष्ठभूमि
मई 2019 में गूगलके खिलाफ सीसीआई में एक शिकायत की गई थी कि उसने प्रतिस्पर्धा को दबाने और खुद को अनुचित लाभ देने के लिए एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी प्रमुख स्थिति का अनुचित इस्तेमाल किया है ।
भारत में एक रिपोर्ट के अनुसारलगभग 96% स्मार्टफोन एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं, जबकि लगभग 4% Apple केआईओएस( iOS)ऑपरेटिंग सिस्टमपर चलते हैं।
गूगल, स्मार्टफोन और टैबलेट के मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) से एक अनुबंध करता है जिसेमोबाइल एप्लिकेशन डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट (MADA) कहा जाता है।
इस अनुबंध के तहत गूगल अपने एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम को मुफ्त में ओईएम को उपलब्ध करता है लेकिन इसके बदले मूल उपकरण निर्माताओं को गूगल केसंपूर्ण गूगल मोबाइल सूट जैसे गूगल क्रोम ,यूट्यूब आदि को प्री-इंस्टॉल करना होता है और इसे अपने डिवाइस पर प्रमुखता से रखना होता है। साथ ही गूगल मोबाइल सूट को अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता।
इस कारण गूगल को अपने प्रतिद्वंद्वी की तुलना में अनुचित लाभ मिलता है ।
सीसीआई ने गूगल को भारत में प्रतिस्पर्धियों को अवैध रूप से बाधा पहुँचाने और अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने का दोषी पाया।
इसी तरह के मामले में गूगल परयूरोप में नियामकों ने उस पर $ 5 बिलियन का जुर्माना लगाया है, जहाँ गूगल को मूल उपकरण निर्माताओं पर अपने ऐप्स को प्री-इंस्टॉल करने के लिए मजबूर करने का दोषी पाया ।
गूगल
इसका गठन 1998 में लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा किया गया था। 2015 में, गूगल को अल्फाबेट कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
यह एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी है जो खोज इंजन प्रौद्योगिकी, ऑनलाइन विज्ञापन, क्लाउड कंप्यूटिंग, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, क्वांटम कंप्यूटिंग, ई-कॉमर्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी: सुंदर पिचाई
वैश्विक मुख्यालय: कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका
गूगल इंडिया मुख्यालय: हैदराबाद
4. भारत के साथ चीन का कुल व्यापार अधिशेष '$ 1 ट्रिलियन से अधिक'
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वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में द्विपक्षीय व्यापार में उछाल आने के बाद से चीन ने भारत के साथ अनुकूल व्यापार संतुलन का लाभ उठाया है जो अब 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।
भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार
2021 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय वार्षिक व्यापार पहली बार 100 अरब डॉलर को पार कर 125.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का आयात 97.5 अरब डॉलर था।
महत्वपूर्ण तथ्य
2000 के दशक की शुरुआत से दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तेजी आने लगी।
यह काफी हद तक भारत द्वारा चीनी मशीनरी और अन्य उपकरणों के आयात से प्रेरित था।
यह वर्ष 2000 में 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2008 में 42 बिलियन डॉलर हो गया और वर्ष 2008 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया।
एक तिहाई मशीनरी और लगभग टू-फिफ्थ जैविक रसायन जो भारत दुनिया से खरीदता है वह चीन से आता है।
ऑटोमोटिव पार्ट्स और उर्वरक अन्य वस्तुएं हैं जहां भारत के आयात में चीन की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से अधिक है।
भारत कुछ मोबाइल फोन के पुर्ज़ों का लगभग 90 प्रतिशत चीन से प्राप्त करता है।
चीन को भारत का निर्यात
निर्यात बाजार के रूप में भी चीन भारत का एक प्रमुख भागीदार है।
भारतीय शिपमेंट के लिए चीन तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के अनुसार, चीन के कुल निर्यात में भारत का हिस्सा केवल दो प्रतिशत से थोड़ा अधिक है।
5. एनएसआईसी ने फिलिप्स मशीन टूल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
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18 अक्टूबर, 2022 को नई दिल्ली में एडिटिव टेक्नोलॉजीज में कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (NSIC) और फिलिप्स मशीन टूल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
महत्वपूर्ण तथ्य
बी बी स्वैन, सचिव (एमएसएमई), गौरांग दीक्षित, सीएमडी, एनएसआईसी और मर्सी एपाओ, संयुक्त सचिव (एसएमई) भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
समझौता ज्ञापन पर नवीन चोपड़ा, सीजीएम-एसजी (टेक), एनएसआईसी द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
यह एमओयू एडिटिव टेक्नोलॉजी में कुशल जनशक्ति तैयार करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा जो कि विनिर्माण का भविष्य है।
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम
यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) के तहत भारत सरकार का एक आईएसओ प्रमाणित उद्यम है।
एनएसआईसी देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास को बढ़ावा देने, सहायता करने और बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।
एनएसआईसी देश में कार्यालयों और तकनीकी केंद्रों के देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से काम करता है।
6. वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट 2022 के अनुसार 41.5 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर निकले
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चौथे वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2005-06 और 2019-20 के बीच 41.5 करोड़ लोगों को गरीबी से सफलतापूर्वक बाहर निकाला है।रिपोर्ट संयुक्त रूप से यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा जारी की जाती है। पहली रिपोर्ट 2019 में जारी की गई थी और इसे सालाना जारी किया जाता है।
रिपोर्ट अपने बहुआयामी गरीबी सूचकांक में दुनिया के 111 विकासशील देशों को रैंक करती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
दुनिया में गरीबी
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 1.2 अरब लोग बहुआयामी गरीब हैं।
गरीब लोगों की संख्या सबसे अधिक उप सहारा अफ्रीका (579 मिलियन) में है, इसके बाद दक्षिण एशिया (385 मिलियन) का स्थान है। दोनों क्षेत्रों में कुल मिलाकर 83% गरीब लोग रहते हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब भारत में
- भारत के 2020 के जनसंख्या आंकड़ों को आधार मान कर , रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा गरीब भारत (228.9 मिलियन) में हैं और इसके बाद नाइजीरिया (2020 में अनुमानित 96.7 मिलियन) हैं।
- भारत में "लगभग 4.2 प्रतिशत आबादी गंभीर गरीबी में रहती है (मतलब उनका अभाव स्कोर 50 प्रतिशत या उससे अधिक है)।
आयु वर्ग में सबसे गरीब, बच्चे
- आयु वर्ग में अभी भी वयस्कों की तुलना में ज्यादा गरीबी बच्चों में पाया जाता है ।
- पांच में से एक (21.8 प्रतिशत) बच्चे गरीब हैं, जबकि सात वयस्कों में से एक (13.9 प्रतिशत) व्यस्क गरीब हैं ।
- भारत में करीब 9.7 करोड़ गरीब बच्चे हैं।
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा गरीब
- शहरी क्षेत्रों में 5.5 प्रतिशत की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लोगों का प्रतिशत 21.2 है।
- देश में कुल गरीबो में से में लगभग 90 प्रतिशत गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
- संख्या के हिसाब से भारत में पायेजाने वाले लगभग 229 मिलियन गरीब लोगों में से 205 मिलियन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
महिला प्रधान परिवारों में गरीबी अधिक
- महिला प्रधान परिवारों में रहने वाले लगभग 19.7 प्रतिशत लोग गरीबी में रहते हैं जबकि पुरुष प्रधान परिवारों में 15.9 प्रतिशत लोग गरीबी में रहते हैं।
राज्यों का प्रदर्शन
- इस बार , 2015/16 की 10 सबसे गरीब राज्यों की सूची से केवल पश्चिम बंगाल बाहर ही बाहर निकल पाया ।
- इस सूची में भारत के अन्य 9 सबसे गरीब राज्य बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे तेजी से गरीबी में कमी गोवा में हुई, इसके बाद जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का स्थान रहा।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है
- बहुआयामी गरीबी मूल्यांकन का उद्देश्य गरीबी के गैर-आय आधारित आयामों को मापना, गरीबी और अभाव की सीमा का अधिक व्यापक मूल्यांकन प्रदान करना है।
- सूचकांक तीन आयामों और 10 संकेतकों के सहारे एक व्यक्ति के अभाव को मापता है: स्वास्थ्य (बाल मृत्यु दर, पोषण), शिक्षा (स्कूली शिक्षा के वर्ष, नामांकन), और जीवन स्तर (पानी, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति)।
- यह पहले यह पहचान करता है कि इन 10 में से प्रत्येक परिवार को कौन-सी वंचितता का अनुभव होता है, फिर उन परिवारों की पहचान गरीब के रूप में की जाती है यदि वे एक-तिहाई या अधिक भारित संकेतकों से वंचित हैं।
सूचकांक निम्नलिखित संकेतकों पर अभाव को दर्शाता है:
- वयस्क (70 वर्ष से कम) या बच्चे का कुपोषित होना
- पिछले 5 वर्षों में परिवार के भीतर किसी भी बच्चे की मृत्यु (18 वर्ष से कम आयु)
- 6 वर्ष से अधिक आयु के परिवार के किसी भी सदस्य ने स्कूली शिक्षा के कम से कम छह वर्ष पूरे नहीं किए हैं
- बाधित या कम समय के लिए की गई स्कूली शिक्षा (न्यूनतम वर्ष 1-8)
- परिवार का कोई भी बच्चा जो उस उम्र तक स्कूल नहीं जा रहा है जिस उम्र में उसने कक्षा आठ की पढ़ाई पूरी कर ली होगी
- सुरक्षित पेयजल तक पहुंच का अभाव
- बुनियादी स्वच्छता सेवाओं तक पहुंच का अभाव
- स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच का अभाव
- विश्वसनीय बिजली तक पहुंच का अभाव
- बुनियादी आधुनिक संपत्तियों (रेडियो, टीवी, टेलीफोन, कंप्यूटर, बाइक, मोटरबाइक, आदि) का अभाव।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी)
इसकी स्थापना 22 नवंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
यह देशों को इन मुद्दों पर अपने स्वयं के समाधान विकसित करने में मदद करता है;
- सतत विकास
- लोकतांत्रिक शासन और शांति निर्माण, और
- जलवायु और आपदा लचीलापन।
मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका
रिपोर्ट
- यह हर साल मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
- यह ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव के साथ बहुआयामी गरीबी सूचकांक भी प्रकाशित करता है।
7. शहरी स्थानीय निकायों के लिए चार राज्यों को 1,764 करोड़ रुपये का अनुदान जारी
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वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने शहरी स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए 19 अक्टूबर, 2022 को 4 राज्यों को 1,764 करोड़ रुपए की राशि जारी की है।
महत्वपूर्ण तथ्य
जिन राज्यों को अनुदान जारी किया गया उनमें आंध्र प्रदेश (136 करोड़ रुपये), छत्तीसगढ़ (109 करोड़ रुपये), महाराष्ट्र (799 करोड़ रुपये) और उत्तर प्रदेश (720 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश में यह राशि आगरा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ, मेरठ और वाराणसी के लिए दी गई है।
जबकि, आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम, छत्तीसगढ़ में दुर्ग, भिलाईनगर और रायपुर तथा महाराष्ट्र में औरंगाबाद, ग्रेटर मुंबई, नागपुर, नासिक, पुणे और वसई-विरार शहरों में यह राशि खर्च की जाएगी।
वर्ष 2022-23 में अब तक शहरी स्थानीय निकायों को कुल 4,761.8 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया जा चुका है।
शहरी स्थानीय निकायों की दो श्रेणियां
15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकायों को दो श्रेणियों में विभाजित किया है -
10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरी समूह/शहर (दिल्ली और श्रीनगर को छोड़कर)
दस लाख से कम आबादी वाले अन्य सभी शहर और कस्बे (नॉन-मिलियन प्लस सिटीज)।
आयोग ने उनके लिए अलग से अनुदान की सिफारिश की थी।
दस लाख से अधिक शहरों/शहरी समूहों (एमपीसी/यूए) के लिए आयोग द्वारा अनुशंसित कुल अनुदानों में से, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन घटक के लिए 2/3 से अधिक की सिफारिश की जाती है और शेष 1/3 को परिवेशी वायु गुणवत्ता के लिए आवंटित किया जाता है।
वित्तीय सेवा विभाग में सचिव संजय मल्होत्रा 30 नवंबर, 2022 को नये राजस्व सचिव का पदभार ग्रहण करेंगे, वर्तमान में तरुण बजाज राजस्व सचिव हैं।
वित्त सचिव - बेंजामिन ई. डिओकोनो
8. सीसीआई ने ऑनलाइन ट्रैवल फर्मों पर 392 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया
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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग(CCI) ने 19 अक्टूबर, 2022 को ऑनलाइन ट्रैवल फर्म MakeMyTrip, Goibibo और हॉस्पिटैलिटी सेवा प्रदाता OYO पर अनुचित व्यावसायिक व्यवहार के लिए कुल 392 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया।
महत्वपूर्ण तथ्य
Make My Trip-Goibibo (MMT-Go) पर 223.48 करोड़ रुपये और OYO पर 168.88 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
एमएमटी-गो पर आरोप लगाया गया था कि कंपनी ने होटल भागीदारों के साथ अपने समझौतों में मूल्य समानता लागू की।
इस तरह के समझौतों के तहत होटल भागीदारों को अपने कमरे किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर या अपने ऑनलाइन पोर्टल पर उस कीमत से कम कीमत पर बेचने की अनुमति नहीं थी, जिस कीमत पर इसे दो अन्य संस्थाओं के प्लेटफॉर्म पर पेश किया जा रहा रहा था।
यह भी आरोप लगाया गया कि एमएमटी ने अपने प्लेटफॉर्म पर ओयो को तरजीह दी, जिससे अन्य खिलाड़ियों को बाजार पहुंच से वंचित कर दिया गया।
CCI ने अक्टूबर 2019 में मामले की विस्तृत जांच का आदेश दिया था।
MakeMyTrip (MMT) ने 2017 में Ibibo Group Holding का अधिग्रहण किया।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई)
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) भारत में प्रमुख राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नियामक है।
यह प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत स्थापित किया गया था।
यह कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
यह स्वस्थ बाजार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है और भारत में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली गतिविधियों को रोकता है।
CCI भारत में कंपनियों के विलय और अधिग्रहण को भी मंजूरी देता है ताकि विलय करने वाली दो संस्थाएं बाजार पर गलत तरीके से हावी न हों।
मुख्यालय - नई दिल्ली
वर्तमान अध्यक्ष - अशोक कुमार गुप्ता
9. रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) का वित्तीय उत्पाद और सेवाओं में नवाचारों के लिए सहयोग
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इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) और रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) पूरे भारत में समाज के बड़े वर्गों के लिए वित्तीय समाधान की पहुंच बढ़ाने और एक अरब भारतीयों को बिना किसी रुकावट के वित्त को सक्षम करने के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक साथ आए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
आईपीपीबी और आरबीआईएच के बीच सहयोग उन परियोजनाओं का पता लगाएगा जिनका जनता पर प्रभाव पड़ेगा:
ग्रामीण वित्त को एक अरब भारतीयों तक ले जाने के लिए आईपीपीबी-डाक विभाग (डीओपी) की गहरी ग्रामीण पहुंच का लाभ उठाना।
अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से समाज के हर वर्ग के लिए स्थायी और सुरक्षित वित्त सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाना।
इसके अतिरिक्त, आईपीपीबी आरबीआईएच के नेतृत्व में राष्ट्रीय महत्व की पहल पर आरबीआईएच के साथ एक सक्रिय भागीदार के रूप में काम करेगा।
RBIH के साथ साझेदारी एक अरब भारतीयों को व्यापक, ग्राहक-केंद्रित और सुविधाजनक डिजिटल समाधान प्रदान करने के लिए अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म और भौतिक नेटवर्क का लाभ उठाने के लिए IPPB की यात्रा में एक मील का पत्थर है।
रिजर्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) के बारे में
इसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत 100 करोड़ रुपये के प्रारंभिक पूंजी योगदान के साथ स्थापित किया गया है।
यह आरबीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
यह एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है जो वित्तीय क्षेत्र में नवाचार को गति देता है।
यह अधिकतम क्षमता वाले स्टार्ट-अप की पहचान करने और उन्हें सलाह देने की योजना पर काम कर रहा है।
इसका उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो देश में कम आय वाली आबादी के लिए वित्तीय सेवाओं और उत्पादों तक पहुंच को बढ़ावा देने पर केंद्रित हो।
इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) के बारे में
यह भारत सरकार के स्वामित्व वाली 100% इक्विटी के साथ डाक विभाग, संचार मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है।
स्थापित- 1 सितंबर 2018
मुख्यालय- नई दिल्ली
एमडी और सीईओ- जे वेंकटरमु
जनवरी 2022 में आईपीपीबी ने 5 करोड़ ग्राहकों को पार कर लिया था।
10. सरकार ने 2023-24 मार्केटिंग सीजन के लिए गेहूं के एमएसपी में 110 रुपये की बढ़ोतरी की
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 18 अक्टूबर 2022 को गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 110 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि को मंजूरी दे दी है और सथ ही विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि को भी मंजूरी दे दी है।
इस बार मसूरके एमएसपी में सबसे अधिक 500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, इसके बाद सफेद सरसों और सरसों, जिसमे 400 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।
विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर तय किया गया है, जिसका लक्ष्य किसानों के लिए उचित पारिश्रमिक तय करना है।
विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी रबी फसलों के लिए एमएसपी (सभी आंकड़े रुपये प्रति क्विंटल में हैं)
फसल | एमएसपी 2022-23 | एमएसपी 2023-24 | एमएसपी में वृद्धि |
गेहूं | 2015 | 2125 | 110 |
जौ | 1635 | 1735 | 100 |
चना | 5230 | 5335 | 105 |
मसूर | 5500 | 6000 | 500 |
सफेद सरसों और सरसों | 5050 | 5450 | 400 |
कुसुंभ | 5441 | 5650 | 209 |
दलहन और तिलहन उत्पादन पर ज़ोर
भारत दुनिया में दालों और तिलहनों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है और सरकार दोनों फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के प्रयास कर रही है।
देश में कृषि मंत्रालय के चौथा अग्रिम अनुमान के अनुसार ,तिलहन का उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन हो जायेगा ।
दलहन के मामले में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 892 किग्रा/हेक्टेयर हो गई है (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) अर्थात इसमें 22.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इसी प्रकार तिलहन फसलों में उत्पादकता 1075 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 1292 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) हो गई है ।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)
एमएसपी वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसान से चयनित फसलों को खरीदने की गारंटी देती है। यह किसानों को आश्वस्त करने के लिए किया जाता है कि उनकी उपज सरकार द्वारा गारंटीकृत मूल्य पर खरीदी जाएगी।
हालांकि, सरकार हर किसान की फसल खरीदने के लिए बाध्य नहीं है।
एमएसपी कौन तय करता है?
एमएसपी मूल्य की गणना कृषि मंत्रालय के तहत एक विशेषज्ञ समिति द्वारा की जाती है।
विशेषज्ञ समिति को सीएसीपी (कृषि लागत और मूल्य आयोग) कहा जाता है। यह केंद्रीय कृषि मंत्रालय को एमएसपी की सिफारिश करता है और मंत्रालय उसके आधार पर एमएसपी की घोषणा करता है।
हालांकि कृषि मंत्रालय सीएसीपी की सिफारिश मानने के लिए बाध्य नहीं है।
एमएसपी की घोषणा कब की जाती है?
एमएसपी की घोषणा कृषि मंत्रालय साल में दो बार करता है। एक खरीफ के मौसम में और दूसरा रबी के मौसम में।
एमएसपी के तहत फसलें
कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) 22 अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी और गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) की सिफारिश करता है।
अनिवार्य फसलें हैं;
अनाज - धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ, रागी
दालें - चना/चना, तूर, मूंग, उड़द, मसूर
तिलहन - मूंगफली, तोरी, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, नाइजर बीज
वाणिज्यिक फसलें - खोपरा, गन्ना, कपास, कच्चा जूट
फुल फॉर्म
सीसीईए/CCEA: कैबिनेट कमेटी ओंन इकनोमिक अफेयर्स (Cabinet Committee on Economic Affairs)
सीएसीपी/CACP:कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट्स एंड प्राइस (Commission for Agricultural Costs and Price)
एमएसपी/MSP: मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price)