1. विश्व बैंक 'बिजनेस इनेबलिंग एनवायरनमेंट' रिपोर्ट शुरू करेगा जो बंद की गई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट की जगह लेगा
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विश्व बैंक ने घोषणा की है वह दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार और निवेश के माहौल का आकलन करने के लिए एक नई प्रणाली शुरू करेगा जिसका शीर्षक बिजनेस इनेबलिंग एनवायरनमेंट (बीईई) होगा और यह अप्रैल 2024 में प्रकाशित किया जायेगा। यह रिपोर्ट विश्व बैंक द्वारा जारी किये जाने वाले ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट’ का स्थान लेगा जिसे बंद कर दियागया था ।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट सबसे पहली बार , 2003 में विश्व बैंक द्वारा "डूइंग बिजनेस" रिपोर्ट शीर्षक से प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में देशों को ,12 संकेतकों के आधार पर , देश में पाए जाने वाले व्यापार अनुकूल वातावरण पर रैंक किया जाता था ।
विश्व बैंक द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाने वाली रिपोर्ट को सितंबर 2021 में डेटा हेराफेरी कांड सामने आने के बाद बंद कर दिया गया था ।
विश्व बैंक के एक आंतरिक ऑडिट में 2018 और 2020 के संस्करणों में चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अजरबैजान की रिपोर्टों में डेटा अनियमितताओं का पता चला। इसके बाद, बैंक ने एक नई प्रणाली के साथ आने का फैसला किया जो पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत और विश्वसनीय होगी। इसीलिए बिजनेस इनेबलिंग एनवायरनमेंट लाया जा रहा है ।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2020 के अनुसार, 2019 में इसने 79 रैंक सुधार कर 63वें स्थान पर था ।
विश्व बैंक के अध्यक्ष: डेविड मलपास
विश्व बैंक द्वारा जारी अन्य महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट
- विश्व विकास रिपोर्ट
- वैश्विक आर्थिक संभावना
2. वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022
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14 अक्टूबर 2022 को जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) 2022 में भारत 121 देशों में से 107 वें स्थान पर है।
भारत का प्रदर्शन
भारत युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशिया के सभी देशों से बदतर स्थिति में है।
भारत में भूख के स्तर को 29.1 के स्कोर के साथ "गंभीर" श्रेणी में रखा गया है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार को क्रमशः 99, 64, 84, 81 और 71वां स्थान दिया गया है - सभी देश भारत से ऊपर हैं।
भारत में बच्चों के वेस्टिंग (wasting) की दर (लम्बाई के आधार पर कम वजन), 19.3% है, जो 2014 में दर्ज किए गए स्तरों (15.1%) से भी बदतर है।
भारत में अल्पपोषण की व्यापकता 2018-2020 में 14.6% से बढ़कर 2019-2021 में 16.3% हो गई है।
यह भारत में 224.3 मिलियन लोगों को कुपोषित माना गया है, जो विश्व स्तर पर कुपोषित कुल 828 मिलियन लोगों में से है।
भारत ने दो संकेतकों में सुधार दिखाया है - 2014 और 2022 के बीच बाल स्टंटिंग 38.7% से घटकर 35.5% हो गया है और इसी अवधि में बाल मृत्यु दर 4.6% से गिरकर 3.3% हो गई है।
2021 में भारत 116 देशों में से 101वें स्थान पर था, जबकि 2020 में भारत 94वें स्थान पर था।
वैश्विक परिदृश्य
सूचकांक के अनुसार ऐसे 44 देश हैं जिनमें वर्तमान में "गंभीर" या "खतरनाक" भूख का स्तर है।
विश्व स्तर पर, हाल के वर्षों में भूख के खिलाफ प्रगति काफी हद तक रुकी हुई है।
विश्व के लिए 2022 का 18.2 का GHI स्कोर "मध्यम" माना जाता है, लेकिन 2022 में 18.2 2014 में 19.1 से मामूली सुधार दर्शाता है।
यह संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, COVID-19 महामारी के आर्थिक नतीजों के साथ-साथ यूक्रेन युद्ध जैसे संकटों के कारण है, जिसने वैश्विक खाद्य, ईंधन और उर्वरक की कीमतों में वृद्धि की है और 2023 में भूख की स्थिति और खराब होने की उम्मीद है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के बारे में
GHI राष्ट्रों में भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है।
यह एक वार्षिक रिपोर्ट है जिसे कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया जाता है.
यह पहली बार 2006 में जारी किया गया था, इसे प्रति वर्ष अक्टूबर माह में जारी किया जाता है। इसका 2022 संस्करण GHI के 17वें संस्करण को संदर्भित करता है।
इसकी गणना चार संकेतकों के आधार पर की जाती है -
अल्पपोषण - अपर्याप्त कैलोरी सेवन वाली जनसंख्या
चाइल्ड वेस्टिंग - पाँच साल से कम उम्र के बच्चे, जिनका वजन उनकी लम्बाई के हिसाब से कम है, यह तीव्र कुपोषण को प्रदर्शित करता है।
चाइल्ड स्टंटिंग - पाँच साल से कम उम्र के बच्चे, जिनका वजन उनकी उम्र के हिसाब से कम है, यह कुपोषण को दर्शाता है
बाल मृत्यु दर - पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर
3. भारत 2027-28 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
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11 अक्टूबर 2022 को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)द्वारा जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत,जापान को 2027-28 में पीछे छोड़ते हुएविश्व तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। इससे पहले एसबीआई ने अपने एक रिपोर्ट में कहा था की भारत , 2028-29 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
भारत अभी भी दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
हालाँकि 2021-22 में यूनाइटेड किंगडम के बाद भारत अभी भी दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 2021-22 में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.18 ट्रिलियन डॉलर था जबकि यूनाइटेड किंगडम का जीडीपी 3.19 ट्रिलियन डॉलर था। आईएमएफ के मुताबिक 2022-23 में भारत ब्रिटेन से आगे निकल जाएगा।
आईएमएफ द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत 2022-23 में 3.47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि ब्रिटेन का मौजूदा वित्तीय वर्ष में 3.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होगी।
इससे पहले, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ने आईएमएफ के आंकड़ों के आधार पर वित्त वर्ष 2021-22की चौथी तिमाही में यूके को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, यह तुलना त्रैमासिक आंकड़ों पर की गई थी न कि वार्षिक आंकड़ों पर।
भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य प्रक्षेपण
आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 में जर्मन अर्थव्यवस्था के बराबर हो जाएगी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
भारत की अर्थव्यवस्था 2026-27 तक वित्त मंत्रालय की उम्मीद के मुताबिक 5 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा हासिल नहीं कर पाएगी लेकिन यह 4.94 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जाएगी ।
2027-28 में भारत की अर्थव्यवस्था के 5.36 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद है, जो जापान के 5.17 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। उस वर्ष, भारतविश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
आईएमएफ के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसके बाद चीन, जापान, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम हैं ।
आईएमएफ के प्रबंध निदेशक: क्रिस्टालिना जॉर्जीवा
आईएमएफ मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका
4. आईएमएफ ने 2022 के लिए भारत की अनुमानित विकास दर को घटाकर 6.8% कर दिया, भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 11 अक्टूबर 2022 को जारी अपने वार्षिक विश्व आर्थिक आउटलुक में 2022 में भारत की अपेक्षित विकास दर को 6.8% तक घटा दिया है, लेकिन फिर भी यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहेगी । आईएमएफ को उम्मीद है कि 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.1% की दर से बढ़ेगी।
जुलाई 2022 में आईएमएफ ने कहा था कि भारत चालू वित्त वर्ष में 7.4% की दर से बढ़ेगा। आईएमएफ नवीनतम अंतरराष्ट्रीय एजेंसी है जिसने भारतीय विकास दर में कटौती की है।
हालांकि, आईएमएफ को अभी भी उम्मीद है कि चीन (4.4%), सऊदी अरब (3.7%), और नाइजीरिया (3%) से आगे दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में, भारतीय आर्थिक विकास सबसे अधिक होगा।
विश्व आर्थिक विकास की संभावनाएं
आईएमएफ के अनुसार 2022 में विश्व अर्थव्यवस्था के 3.2% बढ़ने की संभावना है, जबकि संयुक्त राज्य की अर्थव्यवस्था 1.6% बढ़ने की उम्मीद है।
आईएमएफ ने कहा कि 2023 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2.7% तक धीमी हो जाएगी, क्योंकि उच्च ब्याज दरें के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गति धीमी हों जाएगी , गैस की कीमतों में वृद्धि के कारण यूरोप में अर्थव्यवस्था परप्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा चीनमें निरंतर कोविड -19 लॉकडाउन और कमजोर संपत्ति बाज़ार के कारण अर्थव्यवस्था में विकास दर कमज़ोर रहेगा ।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने एक बयान में कहा, "तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और यूरो क्षेत्र में ठहराव जारी रहेगा।" संक्षेप में, सबसे खराब स्थिती अभी आना बाकी है, और कई लोगों के लिए, 2023 कोमंदी की तरह महसूस करेंगे ।"
आईएमएफ विश्व बैंक की वार्षिक बैठक 2022
यह रिपोर्ट आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक की पूर्व संध्या पर जारी की गई थी जो 10 -16 अक्टूबर 2022 तक वाशिंगटन डीसी में आयोजित होने जा रही है। कोविड संबंधित प्रतिबंध के कारण तीन वर्षों के बाद यह पहली व्यक्तिगत बैठक है ।
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
यह एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है जिसकी स्थापना 1 जुलाई से 22 जुलाई 1944 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के बाद की गई थी।
इसकी स्थापना जुलाई 1944 में हुई थी।
यह भुगतान संतुलन संकट का सामना कर रहे सदस्य देशों को ऋण प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था।
एक देश जो आईएमएफ का सदस्य है वह स्वतः ही विश्व बैंक का सदस्य बन जाता है।
आईएमएफ के कुल सदस्य: 189
मुख्यालय: वाशिंगटन डी. सी., संयुक्त राज्य अमेरिका
प्रबंध निदेशक: क्रिस्टालिना जॉर्जीवा
आईएमएफ की लेखा इकाई: स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर)
5. विश्व बैंक ने 2022-23 में भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 6.5% कर दिया
Tags: Economy/Finance
विश्व बैंक ने 6 अक्टूबर 2022 को जारी दक्षिण एशिया पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में 2022-23 में अपेक्षित भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को घटाकर 6.5% कर दिया है, जो कि जून 2022 में अनुमानित 7.5% थी।
दक्षिण एशियाई क्षेत्र - जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव शामिल हैं, के विकास अनुमानों को जून में 6.8% पूर्वानुमान से घटाकर 5.8% कर दिया गया।
बैंक ने यूक्रेन में युद्ध के प्रभाव का हवाला दिया, जिससे कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि हुई है, और इस क्षेत्र में कोविड -19 महामारी के प्रभाव से आर्थिक विकास असमतल हुए है ।
हाल ही में एक रिपोर्ट में व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने भी 2022 में भारतीय आर्थिक विकास को संशोधित कर 5.7% कर दिया।
यह तीसरी बार है जब विश्व बैंक ने 2022-23 में भारत के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को संशोधित किया है। जून में, इसने भारत के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को घटाकर 7.5% कर दिया था। इससे पहले अप्रैल में, इसने पूर्वानुमान को 8.7% से घटाकर 8% कर दिया था।
विस्तारित भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक स्तर पर सख्त मौद्रिक नीति के कारणों को हवाला देते हुए , भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास के अनुमान को 7.2% से घटाकर 7% कर दिया है।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण
विश्व बैंक मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी,संयुक्त राज्य अमेरिका
विश्व बैंक के अध्यक्ष: डेविड मलपास
विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट इस प्रकार हैं
- विश्व विकास रिपोर्ट
- वैश्विक आर्थिक संभावना
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (इसे अब निलंबित कर दिया गया है)
6. विश्व व्यापार संगठन ने 2022 में विश्व व्यापार के लिए अपने पूर्वानुमान को घटाकर 3% कर दिया
Tags: Economy/Finance
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने 5 अक्टूबर 2022 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में अपने 2022 के वैश्विक व्यापार विकास दर के अनुमान को 3.5% के पूर्वानुमान से घटाकर 3% कर दिया है। डब्ल्यूटीओ के अनुसार , जिंस(कमोडिटी)की उच्च कीमतों और बढ़ती ब्याज दरों से आयात की मांग पर अंकुश लगेगा, और साथ ही उसने यूक्रेन में संघर्ष बढ़ने पर विश्व व्यापार में संभावित संकुचन की चेतावनी भी दी।
डब्ल्यूटीओ को वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण, 2023 में , विश्व व्यापार में वृद्धि धीमी होकर एक प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
विश्व व्यापार के लिए चिंता के क्षेत्र का विस्तार करते हुए विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक नोगोज़ी ओकोन्जो-इवेला ने जिनेवा में कहा कि "अगर यूक्रेन में युद्ध बेहतर होने के बजाय बिगड़ता है, तो इसका बहुत बड़ा प्रभाव होने वाला है,"
यूक्रेन में युद्ध, उच्च ऊर्जा की कीमतों, मुद्रास्फीति, और कठोर मौद्रिक निति सहित कई झटकों से विश्व व्यापार और आर्थिक उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा ।
विश्व व्यापार संगठन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे उच्च ऊर्जा की कीमतों के कारण यूरोप में मांग घटेगी और विनिर्माण की लागत बढ़ेगी।
विश्व व्यापार संगठन के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में मौद्रिक नीति सख्त होने से आवास, मोटर वाहन और निश्चित निवेश जैसे क्षेत्रों में ब्याज-संवेदनशील खर्च प्रभावित होगा।
विश्व व्यापार संगठन को उम्मीद है कि विश्व जीडीपी 2022 में 2.8% और 2023 में 2.3% (3.2% से संशोधित) बढ़ेगा।
विश्व व्यापार संगठन
- विश्व व्यापार संगठन इसकी स्थापना 1 जनवरी 1995 को जनरल अग्रीमेंट ओन ट्रेड एंड टैरिफ (GATT) के स्थान पर की गई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया में नियम आधारित व्यापार व्यवस्था को बढ़ावा देना है और यह सदस्य देशों के बीच व्यापार संबंधी विवादों को भी सुलझाता है।
- विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है।
- विश्व व्यापार संगठन में 164 सदस्य देश हैं।
- विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक: नाइजीरिया के डॉ न्गोज़ी-ओकोन्जो-इवेला
- विश्व व्यापार संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट: विश्व व्यापार रिपोर्ट
7. 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.7 प्रतिशत रह जाएगी: यूएनसीटीएडी
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व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीटीएडी/अंकटाड) की व्यापार और विकास रिपोर्ट 2022 के अनुसार, 2022 (जनवरी-दिसंबर अवधि) में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 5.7% रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट 3 अक्टूबर 2022 को जारी की गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार , भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2023 में घटकर 4.7% रह जाएगी।
2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.7% की वृद्धि हुई थी और चालू वित्त वर्ष (2022-23) की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में इसमें 13.5% की वृद्धि हुई है ।
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी 30 सितंबर 2022 को अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा में 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की अपेक्षित विकास दर को घटाकर 7% कर दिया था ।
भारत की आर्थिक विकास दर को कम करने के लिए अंकटाड रिपोर्ट द्वारा उद्धृत मुख्य कारण प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के कारण सरकार के पूंजीगत व्यय में अपेक्षित कमी है।
अंकटाड ने कहा कि उसे उम्मीद है कि 2022 में दक्षिण एशिया क्षेत्र का 4.9 प्रतिशत की गति से विस्तार होगा
अंकटाड के अनुसार , 2022 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और 2023 में 0.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी ।
चीन की आर्थिक वृद्धि 2022 में 3.9 प्रतिशत और 2023 में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
विभिन्न एजेंसियों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का पूर्वानुमान (3 अक्टूबर 2022 तक)
एजेंसी /संस्थान | 2022-23 के लिए पूर्वानुमान |
भारतीय रिजर्व बैंक | 7.0% |
विश्व बैंक | 7.5% |
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष | 7.4% |
एशियाई विकास बैंक | 7.2% |
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया | 6.8% |
मूडी इन्वेस्टर सर्विस | 7.7% |
इंडिया रेटिंग | 6.9% |
स्टैण्डर्ड एंड पुअर (एसएंडपी) | 7.3% |
यूएनसीटीएडी(अंकटाड ) | 5.7% |
ओईसीडी | 6.9% |
फिच रेटिंग | 7% |
यूएनसीटीएडी (संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन)
यूएनसीटीएडी 1964 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित एक स्थायी अंतर सरकारी निकाय है।
इसकी स्थापना विश्व व्यापार में विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
यह विश्व निवेश रिपोर्ट भी जारी करता है।
मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
अंकटाड के कार्यालय: संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यूयॉर्क और इथियोपिया में अदीस अबाबा
महासचिव: कोस्टा रिका की श्रीमती रेबेका ग्रिनस्पैन
8. बढ़ती मुद्रास्फीति से वैश्विक मंदी की सबसे अधिक संभावना : विश्व आर्थिक मंच
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28 सितंबर 2022 को जारी एक रिपोर्ट में, विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने कहा कि लगातार उच्च मुद्रास्फीति और वास्तविक मजदूरी में गिरावट के कारण वैश्विक मंदी की संभावना बढ़ रही है।
विश्व आर्थिक मंच के मुख्य अर्थशास्त्री आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, 2022-2023 में दुनिया भर में वास्तविक मजदूरी में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है और जीवन यापन की बढती खर्च से सामाजिक अशांति का खतरा है, हालांकि इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की अगले साल मुद्रास्फीति कम होने की उम्मीद है।
वित्त, बीमा, पेशेवर सेवाओं और प्रौद्योगिकी उद्योगों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों और क्षेत्रीय विकास बैंकों के 50 से अधिक अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 2022 और 2023 में आर्थिक विकास दर कम रहने की संभावना है , उच्च मुद्रास्फीति और वास्तविक मजदूरी में निरंतर गिरावट रहने की उम्मीद हैं।
दस में से औसतन सात अर्थशास्त्री वैश्विक मंदी को कम से कम "कुछ हद तक संभावित" मानते हैं।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ)
विश्व आर्थिक मंच की स्थापना जर्मन इंजीनियर, अर्थशास्त्री प्रोफेसर क्लॉस श्वाब ने यूरोपीय प्रबंधन फोरम के रूप में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में की थी।
1987 में इसका नाम बदलकर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम कर दिया गया।
डब्ल्यूईएफ वैश्विक, क्षेत्रीय और उद्योग एजेंडा को प्रभावित करने और निर्धारित करने के लिए दुनिया के शीर्ष राजनीतिक, व्यापारिक नेताओं के साथ बैठक और एक मंच प्रदान करता है ।
यह दावोस, स्विट्ज़रलैंड में एक वार्षिक बैठक आयोजित करता है जहां विश्व राजनीतिक और व्यापारिक नेता अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होते हैं
यह निम्नलिखित रिपोर्ट जारी करता है;
वैश्विक लिंग रिपोर्ट(Global Gender Report);
मुख्य अर्थशास्त्री आउटलुक (Chief Economist Outlook) ;
वैश्विक जोखिम रिपोर्ट (Global Risk Report;)
पर्यावरण प्रदर्शन रिपोर्ट (Environmental Performance Report);
वैश्विक प्रतिस्पर्धी सूचकांक (Global Competitive Index).
डब्ल्यूईएफ का मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
9. ओईसीडी को 2022-23 में भारत की विकास दर 6.9% रहने की उम्मीद है
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आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6.9% की वृद्धि के अपने अनुमान को बरकरार रखा है।
ओईसीडी को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय विकास दर 5.7% होगी।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर (एसएंडपी) ने भी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की 7.3% विकास दर के अपने पूर्वानुमान को बनाए रखा है।
आर्थिक आउटलुक एशिया-प्रशांत Q3 2022 रिपोर्ट शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में, 2023-24 में भारत की विकास दर 6.5% रहने का अनुमान लगाया गया है।
इससे पहले सितंबर में जारी एक रिपोर्ट में एशियाई विकास बैंक ने 2022-23 के लिए भारत के लिए विकास दर के अनुमान को घटाकर 7% कर दिया था।
आरबीआई ने 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 7.2% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।
2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.7% की वृद्धि हुई और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2022) में यह 13.5% बढ़ी।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी )
यह 16 दिसंबर 1960 को 18 यूरोपीय देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा द्वारा स्थापित किया गया था। यह एक थिंक टैंक है जो मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था का समर्थन करता है।
ओईसीडी दुनिया भर में आर्थिक विकास के दृष्टिकोण पर आर्थिक रिपोर्ट, सांख्यिकीय डेटाबेस, विश्लेषण और पूर्वानुमान प्रकाशित करता है।
वर्तमान में इसके यूरोप, दक्षिण अमेरिका, एशिया और उत्तरी अमेरिका के 38 सदस्य देश हैं।
भारत, चीन ओईसीडी के सदस्य नहीं हैं।
मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
10. इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022
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ऑक्सफैम इंडिया ने हाल ही में 'इंडिया डिस्क्रिमिनेशन रिपोर्ट 2022' जारी की. रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि महिलाओं और हाशिए के समुदायों को नौकरी के बाजार में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
महत्वपूर्ण तथ्य -
रिपोर्ट की मुख्य बातें :
श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) :-
भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) 2021 में सिर्फ 25 प्रतिशत थी।
यह ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका से काफी कम है।
कम भागीदारी मुख्य रूप से मजदूरी और अवसरों में लैंगिक भेदभाव के कारण थी.
वेतन का अंतर :-
स्व-नियोजित शहरी पुरुष अपनी महिला समकक्षों की तुलना में 2.5 गुना अधिक कमाते हैं।
इस वेतन अंतर का 83 प्रतिशत लिंग आधारित भेदभाव के लिए जिम्मेदार है।
ग्रामीण क्षेत्रों में, पुरुषों और महिलाओं के बीच आय का अंतर 93 प्रतिशत है जो लैंगिक भेदभाव के कारण है।
शैक्षिक योग्यता के साथ भेदभाव :-
महिलाओं की रोजगार की स्थिति उनकी शैक्षिक योग्यता पर निर्भर नहीं करती है।
सामाजिक मानक :-
पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण योग्य महिलाओं का एक बड़ा वर्ग श्रम बाजार में उपलब्ध नहीं है।
सुशिक्षित और आर्थिक रूप से बेहतर घरों की महिलाएं अक्सर सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों से श्रम शक्ति से हट जाती हैं।
यात्रा के दौरान असुरक्षा और समय पर कार्यालय जाने की आवश्यकता और पारिवारिक कारणों के कारण महिलाएं श्रम बाजार में प्रवेश नहीं करती हैं।
वेतनभोगी नौकरियों की कमी :-
60 प्रतिशत शहरी पुरुष वेतनभोगी नौकरियों में लगे हैं या स्वरोजगार कर रहे हैं, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा घटकर मात्र 19 प्रतिशत रह गया है।
एससी, एसटी समुदायों में स्थिति :-
एससी और एसटी महिलाएं ख़राब सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण कम उम्र में बिना किसी औपचारिक शिक्षा के काम करना शुरू कर देती हैं।
इसका मतलब यह है कि शैक्षिक योग्यता या उम्र से अधिक, सामाजिक कारक ग्रामीण महिलाओं के काम से बाहर निकलने या दूर रहने के लिए निर्धारक कारक हैं।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के व्यक्ति राष्ट्रीय औसत से 5,000 रुपये कम कमाते हैं।
ऑक्सफैम इंडिया :-
यह भेदभाव को समाप्त करने और एक स्वतंत्र और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए काम करने वाले लोगों का एक संगठन है।
यह ऑक्सफैम वैश्विक परिसंघ का एक हिस्सा है जिसमें 21 देश सहयोगी की भूमिका में एक साथ मिलकर एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर रहे हैं।