Current Affairs search results for tag: state-news
By admin: Nov. 30, 2022

1. अडानी समूह ने सबसे अधिक बोली लगाकर धारावी पुनर्विकास परियोजना हासिल की

Tags: Economy/Finance Government Schemes State News

Adani Group bags Dharavi Redevelopment Project

गौतम अडानी के नेतृत्व वाली अदानी प्रॉपर्टीज ने 29 नवंबर को एशिया की दूसरी सबसे बड़ी स्लम कॉलोनी धारावी पर सबसे अधिक बोली लगाकर धारावी पुनर्विकास परियोजना हासिल की। 

महत्वपूर्ण तथ्य

  • अडानी प्रॉपर्टीज, उच्चतम बोली लगाने वाले ने परियोजना में अपने निवेश के रूप में 5,069 करोड़ रुपये की पेशकश की।

  • अडानी समूह ने इस परियोजना के लिए 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई, इसके बाद डीएलएफ समूह ने 2,025 करोड़ रुपये की बोली लगाई।

  • दुबई स्थित इन्फ्रास्ट्रक्चर फर्म सिकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्पोरेशन जनवरी 2019 में अडानी के खिलाफ एक सफल बोलीदाता के रूप में उभरी थी।

  • भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की पेचीदा जटिलताओं के बीच, धारावी पुनर्विकास में बड़े पैमाने पर धन का निवेश शामिल होगा।

धारावी पुनर्विकास परियोजना क्या है?

  • धारावी भारत के सबसे अमीर व्यापारिक जिले, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स से कुछ ही दूरी पर है, जहां वाणिज्यिक कार्यालय देश में सबसे अधिक हैं।

  • 2.8 वर्ग किमी में फैली यह झुग्गी बस्ती, एक अनौपचारिक चमड़ा और मिट्टी के बर्तन उद्योग का घर है जो एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है।

  • राज्य सरकार ने इस स्लम एरिया को बेहतर शहरी बुनियादी ढांचे के साथ गगनचुंबी इमारतों के समूह में बदलने की परिकल्पना की थी।

  • इसमें 68,000 लोगों को फिर से बसाने की जरूरत थी, जिनमें झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले और व्यावसायिक प्रतिष्ठान वाले लोग भी शामिल थे।

  • 1999 में, भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के पुनर्विकास का प्रस्ताव रखा।

  • इसके बाद, 2003-04 में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को एक एकीकृत नियोजित टाउनशिप के रूप में पुनर्विकास करने का निर्णय लिया और इसके लिए एक कार्य योजना को मंजूरी दी गई।


By admin: Nov. 30, 2022

2. आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज को मिला पहला पुलिस कमिश्नर

Tags: State News

Agra, Ghaziabad and Prayagraj get first Police Commissioners

उत्तर प्रदेश सरकार ने 29 नवंबर, 2022 को आदेश जारी कर उत्तर प्रदेश के तीन जिलों आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में पहला पुलिस आयुक्त नियुक्त किया।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को नोएडा, वाराणसी, लखनऊ और कानपुर में लागू होने के बाद आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में पुलिस आयुक्त प्रणाली शुरू करने का फैसला किया।

  • कैबिनेट ने आयुक्त प्रणाली को लागू करने से पहले इन तीन जिलों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के नियमों के अनुसार महानगरीय शहर घोषित किया।

  • आगरा को उसकी बढ़ती आबादी, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन की दृष्टि से उसके महत्व को देखते हुए सूची में शामिल किया गया है।

  • गाजियाबाद को इसकी बढ़ती आबादी, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक व्यस्त जिला और इसके नए औद्योगिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए शामिल किया गया है।

  • प्रयागराज को इसकी जनसंख्या और धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण शामिल किया गया है।

आयुक्त प्रणाली क्या है?

  • पुलिस सुधारों पर सुझाव देने के लिए विभिन्न समितियों ने उन शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की सिफारिश की है, जहां तेजी से शहरीकरण हुआ है और जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक है।

  • आयुक्त प्रणाली के तहत पुलिस आयुक्त एक जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियों और कर्तव्यों का प्रयोग करता है।

  • ये शक्तियाँ आयुक्त के अधीन किसी भी अधिकारी के लिए भी उपलब्ध हैं जो सहायक पुलिस आयुक्त के पद से कम नहीं है।

  • इसका अर्थ यह है कि ऐसे पुलिस अधिकारियों के पास अब सीआरपीसी अधिनियम की धारा 144 लागू करते हुए निवारक गिरफ्तारी की शक्तियां हैं।

  • आयुक्त प्रणाली के अनुसार जिलाधिकारी के स्थान पर पुलिस आयुक्त सीधे सरकार को रिपोर्ट करेंगे।


By admin: Nov. 29, 2022

3. विदेश मंत्रालय 03-06 दिसंबर 2022 तक गोवा में अंतर्राष्ट्रीय लुसोफोन महोत्सव का आयोजन करेगा

Tags: Festivals place in news State News

International Lusophone Festival in Goa

विदेश मंत्रालय  भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और गोवा सरकार के साथ साझेदारी में 03-06 दिसंबर 2022 तक गोवा में अंतर्राष्ट्रीय लुसोफोन महोत्सव का आयोजन कर रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय लुसोफोन महोत्सव का उद्घाटन 03 दिसंबर 2022 को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत द्वारा किया जाएगा और श्रीमती मीनाक्षी लेखी, विदेश राज्य मंत्री और संस्कृति राज्य मंत्री सम्मानित अतिथि होंगी।

लुसोफोन दुनिया क्या है?

लुसोफोन दुनिया वे देश हैं जो पुर्तगाली को अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में बोलते हैं और पुर्तगालियों द्वारा उपनिवेश बनाए गए थे। 30 करोड़  वक्ताओं के साथ, पुर्तगाली विश्व  में  छठी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

पुर्तगाली बोलने वाले देशों ने 1996 में 'पुर्तगाली भाषा देशों का समुदाय (सीपीएलपी)' स्थापित किया।

सीपीएलपी के सदस्य देश अंगोला, ब्राज़ील, काबो वर्डे, गिनी बिसाऊ, मोज़ाम्बिक, पुर्तगाल, साओ टोम और प्रिंसिपे, तिमोर लेस्ते और इक्वेटोरियल गिनी

भारत जुलाई 2021 में एक सहयोगी पर्यवेक्षक के रूप में सीपीएलपी में शामिल हुआ। सीपीएलपीके साथ भारत के जुड़ाव के हिस्से के रूप में, विदेश मंत्रालय ने सीपीएलपी में शामिल होने के तुरंत बाद 05 मई 2022 को दिल्ली में विश्व पुर्तगाली भाषा दिवस मनाया था ।

गोवा भी पुर्तगाल का एक उपनिवेश था और इसे भारत सरकार ने 1961 में सशस्त्र बल के ऑपरेशन विजय नामक एक कार्रवाई के माध्यम से मुक्त कराया था।

फुल फॉर्म

सीपीएलपी/CPLP : कम्युनिटी ऑफ़ पोर्तुगुएस लैंग्वेज कन्ट्रीज(‘Community of Portuguese Language Countries )


By admin: Nov. 29, 2022

4. उत्तराखंड सरकार ने प्रसून जोशी को अपना ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया

Tags: Person in news State News

Uttarakhand appoints Prasoon Joshi as its Brand Ambassador

उत्तराखंड सरकार ने मैककैन वर्ल्डग्रुप इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रसून जोशी को राज्य का ब्रांड एंबेसडर नामित किया है। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रसून जोशी उत्तराखंड के मूल निवासी हैं और वर्तमान में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के अध्यक्ष हैं। वह भारतीय विज्ञापन और मीडिया बिरादरी के एक प्रसिद्ध और अत्यधिक सम्मानित सदस्य हैं।

प्रसून जोशी ने रंग दे बसंती, फना और तारे जमीं पर जैसी लोकप्रिय बॉलीवुड फिल्मों के गीतों के बोल भी लिखे हैं। उन्होंने 2013 की पुरस्कार विजेता फिल्म भाग मिल्खा भाग की पटकथा भी लिखी है।

प्रसून जोशी को पुरस्कार

इस महीने की शुरुआत में, उत्तराखंड सरकार ने जोशी को कला, साहित्य, संस्कृति और विज्ञापन में उनके योगदान के लिए उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया था ।

उन्हें 2006 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा यंग ग्लोबल लीडर जैसे कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले हैं। वह प्रतिष्ठित टाइटेनियम श्रेणी के लिए 2014 में कान इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी में जूरी अध्यक्ष बनने वाले पहले एशियाई भी थे।

उत्तराखंड राज्य

उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में हुआ था।

राज्यपाल: लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह

मुख्यमंत्री: पुष्कर सिंह धामी

राजधानी: देहरादून


By admin: Nov. 28, 2022

5. केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने नैनीताल में महत्वाकांक्षी पुनर्वास परियोजना का उद्घाटन किया

Tags: Environment place in news National Person in news State News

Manoj Kumar inaugurated the ambitious RE-HAB, Project

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष मनोज कुमार ने 28 नवंबर  2022 को उत्तराखंड, के जिला नैनीताल के वन परिक्षेत्र फतेहपुर, हल्द्वानी के गांव चौसला में खादी और ग्रामोद्योग आयोग की महत्वाकांक्षी आरई-एचएबी परियोजना (मधुमक्खियों का उपयोग कर मानव हमलों को कम करना) का उद्घाटन किया।  उन्होंने चौसला गांव में ग्रामीण हितग्राहियों को 330 मधुमक्खी बक्सों, मधुमक्खी कालोनियों और टूलकिट के साथ-साथ शहद निकालने वालों का वितरण भी किया।

आरई-एचएबी(मधुमक्खियों का उपयोग कर मानव हमलों को कम करना) परियोजना

  • मानव बस्तियों पर जंगली हाथियों के हमलों को हतोत्साहित करने के लिए सरकार मधुमक्खियों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है।
  • केवीआईसी ने असम, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा राज्यों में री-हब परियोजना शुरू की है।

यह काम किस प्रकार करता है

  • आरई-एचएबी परियोजना के तहत मानवीय बस्तियों में हाथियों के प्रवेश को अवरुद्ध करने के लिए उनके मार्ग में मधुमक्खी पालन के बक्से स्थापित करके "मधुमक्खियों की बाड़" लगाई जाती है।
  • इन बक्सों को एक तार से जोड़ा जाता है ताकि जब हाथी वहां से गुजरने का प्रयास करता है, तो एक खिंचाव या दबाव के कारण मधुमक्खियां हाथियों के झुंड की तरफ चली आती हैं और उन्हें आगे बढ़ने से रोकती हैं। यह परियोजना जानवरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना ही मानव और जंगली जानवरों के बीच संघर्षों को कम करने का एक किफ़ायती तरीका है।
  • यह वैज्ञानिक रूप से सही पाया गया है कि हाथी मधुमक्खियों से चिढ़ जाते हैं। उनको इस बात का भी भय होता है कि मधुमक्खियां उनकी सूंड और आंखों के अन्य संवेदनशील अंदरूनी हिस्सों में काट सकती हैं। मधुमक्खियों के सामूहिक कोलाहल से हाथी परेशान हो जाते हैं और वे वापस लौटने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
  • प्रोजेक्ट आरई-एचएबी केवीआईसी के राष्ट्रीय शहद मिशन का एक उप-मिशन है।
  • यह अभियान मधुमक्खियों की आबादी, शहद उत्पादन और मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम है, जबकि प्रोजेक्ट आरई-एचएबी हाथी के हमलों को रोकने के लिए मधुमक्खी के बक्से को बाड़ के रूप में उपयोग करता है।
  • एक नई पहल के रूप में, री-हैब परियोजना केवीआईसी द्वारा चयनित स्थानों पर एक वर्ष की अवधि के लिए चलाई जाएगी।

खादी ग्रामोद्योग आयोग(केवीआईसी)

खादी ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना 1957 में खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956 के तहत की गई थी।

यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन है।

यह ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और अन्य ग्रामोद्योगों के विकास के लिए योजनाओं, प्रचार, संगठन और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के अन्य एजेंसियों के साथ-साथ जहां भी आवश्यक हो, जिम्मेदार है।

केवीआईसी के अध्यक्ष: मनोज कुमार

फुल फॉर्म

KVIC/केवीआईसी: खादी ऐन्डविलेज कमीशन


By admin: Nov. 28, 2022

6. बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ, करण कुंद्रा समुद्र तट सफाई अभियान में गोवा के मुख्यमंत्री के साथ शामिल हुए

Tags: Environment State News

Jackie Shroff, Karan Kundrra join Goa CM in beach clean-up drive

बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ और करण कुंद्रा, 28 नवंबर 2022 को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ पंजिम के मिरामार बीच पर गोवा सरकार की  'क्लीनथॉन' पहल शुरू करने के लिए शामिल हुए।' क्लीनएथॉन' पहल में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र पहाड़नवीस भी शामिल हुए, अमृता फडणवीस भी इस पहल में शामिल हुईं।

गोवा अपने समुद्र तटों के लिए प्रसिद्ध है और जो लाखों घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। पणजी में मिरामार बीच पर्यटकों के साथ सबसे लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक है।

इस सफाई अभियान के लिए, कई लोग काले और सफेद वर्दी पहने समुद्र तट पर एकत्र हुए, ताकि कचरे से छुटकारा मिल सके।

गोवा

यह अरब सागर तट के साथ स्थित भारत का क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे छोटा राज्य है।

यह पहले पुर्तगाल का एक उपनिवेश था और भारत सरकार ने 1961 में गोवा को आजाद कराने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया था।

यह 1962 में एक केंद्र शासित प्रदेश बना और 30 मई 1987 को यह  भारत का 25वां राज्य बना। जब यह एक राज्य बना तो दमन और दीव तथादादरा और नगर हवेली को इससे अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।

राजधानी : पंजिम

राज्यपाल: पी एस श्रीधरन पिल्लई


By admin: Nov. 28, 2022

7. सीमा पर हिंसा के छह दिन बाद असम ने मेघालय की यात्रा पर प्रतिबंध हटाया

Tags: State News

Assam lifts travel restrictions to Meghalaya

असम सरकार ने 27 नवंबर 2022 को मेघालय के साथ अंतर्राज्यीय सीमा के साथ एक विवादित क्षेत्र में हिंसा के बाद मेघालय के लिए लगाए गए यात्रा प्रतिबंध हटा दिए हैं । 22 नवंबर को हुई इस घटना के बाद असम पुलिस ने एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से पड़ोसी राज्य की यात्रा करने से बचने को कहा था और साथ ही  मेघालय के लिए  दो मुख्य प्रवेश बिंदुओं गुवाहाटी और कछार जिले के पास जोराबाट में बैरिकेड्स लगाए गए थे।

22 नवंबर की तड़के पश्चिमी कार्बी आंगलोंग जिले में दोनों राज्यों के बीच विवादित सीमा के पास मुकरोह गांव (मेघालय) में हिंसा उस समय भड़क गई थी, जब असम के वन रक्षकों द्वारा अवैध रूप से काटी गई लकड़ियों से लदे एक ट्रक को रोका गया था।

इन झड़पों में मेघालय के पांच आदिवासी ग्रामीणों और असम के एक वन रक्षक की मौत हो गई थी।

असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान, अविभाजित असम में नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम शामिल थे। 1972 में, असम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम 1969 के अनुसार मेघालय का गठन किया गया था।

असम मिजोरम सीमा विवाद की पृष्ठभूमि 

  • असम और मिजोरम 164.6 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं। मिजोरम असम का एक जिला था जिसे ब्रिटिश काल में लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था।
  • विवाद की उत्पत्ति ब्रिटिश काल के दौरान सीमा निर्धारण में निहित है।
  • 1875 में एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें लुशाई पहाड़ियों को कछार के मैदानी इलाकों से अलग किया गया और फिर 1933 में लुशाई पहाड़ियों और मणिपुर के बीच की सीमा का सीमांकन करने के लिए एक और अधिसूचना जारी की गई।

सीमा की अलग व्याख्या 

  • मिजोरम के अनुसार, सीमा का सीमांकन 1875 के आधार पर किया जाएगा, जो कि बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन अधिनियम, 1873 पर आधारित है।
  • जबकि असम सरकार का मानना है कि सीमा 1933 की अधिसूचना पर आधारित हों ।
  • मिजोरम का कहना है कि जब 1933 में सीमा का सीमांकन किया गया था तब मिजो समाज से सलाह नहीं ली गई थी इसलिए  यह स्वीकार्य नहीं है ।

सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास

  • इस मुद्दे को हल करने के लिए मेघालय के मुख्यमंत्रीकोनराड संगमा और असम के  मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कई दौर की बातचीत की।
  • बारह विवादित क्षेत्रों की पहचान की गई - तीन क्षेत्र मेघालय में पश्चिम खासी हिल्स जिले और असम में कामरूप के बीच, दो मेघालय में रिभोई और कामरूप-मेट्रो के बीच, और एक मेघालय में पूर्वी जयंतिया हिल्स और असम में कछार के बीच।
  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच 29 मार्च 2022 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
  • समझौता ज्ञापन में कहा गया है कि विवादित क्षेत्र के 36.79 वर्ग किमी में से असम को 18.46 वर्ग किमी और मेघालय को 18.33 वर्ग किमी का पूर्ण नियंत्रण मिलेगा।
  • नवंबर के अंत तक दूसरे चरण की बातचीत होनी थी, लेकिन हाल ही में हुई झड़प के कारण यह बाधित हो गई है।


By admin: Nov. 28, 2022

8. अरिट्टापट्टी गांव को तमिलनाडु में पहले जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में अधिसूचित किया गया

Tags: State News

Arittapatti village notified as first biodiversity heritage

तमिलनाडु सरकार ने जैविक विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 के तहत मदुरै जिले में मेलूर के पास अरट्टापट्टी गांव को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी की।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • अरिटापट्टी गांव को समृद्ध जैविक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

  • इसमें लगभग 250 पक्षियों की प्रजातियां हैं, जिनमें 3 प्रमुख रैप्टर प्रजातियां शामिल हैं - लैगर फाल्कन, शाहीन फाल्कन, बोनेली का ईगल, और पैंगोलिन, पायथन और स्लेंडर लोरिस जैसे वन्यजीव।

  • 'अरिट्टापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल' राज्य में अपनी तरह का पहला है और अरितापट्टी गांव में सात बंजर ग्रेनाइट पहाड़ियों की एक श्रृंखला को कवर करता है।

  • चट्टानी पहाड़ियों का यह अनूठा परिदृश्य जल निकाय के रूप में कार्य करता है और 72 झीलों, 200 प्राकृतिक झरनों और तीन चेक बांधों को सहारा प्रदान करता है।

  • साइट में विभिन्न मेगालिथिक संरचनाएं, तमिल ब्राह्मी शिलालेख, जैन शैय्या और 2200 साल पुराने रॉक-कट मंदिर भी हैं जो इसके ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाते हैं।

  • जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में यह जैव विविधता संरक्षण को मजबूत करेगा और जैव विविधता के तेजी से नुकसान से रक्षा करेगा।

जैव विविधता विरासत स्थल के बारे में

  • ये ऐसे क्षेत्र होते हैं जिसमें अनूठे, सुभेद्य पारिस्थितिक तंत्र स्थलीय, तटीय एवं अंतर्देशीय जल तथा समृद्ध जैवविविधता वाले वन्य प्रजातियों के साथ-साथ घरेलू प्रजातियों, दुर्लभ, संकटग्रस्त तथा कीस्टोन प्रजाति पाए जाते हैं।

  • यह विभिन्न प्रजातियों में भी समृद्ध होता है।

  • जैविक विविधता अधिनियम की धारा 37 के अनुसार, राज्य सरकारों को स्थानीय निकायों के परामर्श से, जैव विविधता विरासत स्थलों के रूप में जैव विविधता महत्व के क्षेत्रों को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित करने का अधिकार है।

  • इसके अलावा, दिसंबर 2021 तक, 12 राज्य सरकारों द्वारा कुल 22 जैव विविधता विरासत स्थलों को अधिसूचित किया गया है। 

  • 18 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 159 पौधों और 175 जानवरों को संकटग्रस्त प्रजातियों के रूप में अधिसूचित किया गया है।

  • भारत का पहला जैवविविधता विरासत स्थल 2007 में नल्लूर इमली ग्रोव बेंगलुरु, कर्नाटक में घोषित किया गया।

भारत में चार जैव विविधता हॉटस्पॉट

  • हिमालय,

  • इंडो-बर्मा,

  • सुंदरलैंड,

  • पश्चिमी घाट


By admin: Nov. 15, 2022

9. मध्य प्रदेश राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा नियमों को अधिसूचित करने वाला 8वां राज्य

Tags: State News

मध्य प्रदेश 15 नवंबर, 2022 को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर अपने पंचायतों (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) पेसा नियमों को अधिसूचित करने वाला भारत का 8वां राज्य बन गया है।मध्य प्रदेश के शाहडोल में राज्य स्तरीय जनजाति गौरव दिवस सम्मेलन में, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा अधिनियम) नियमावली की पहली प्रति भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को सौंपी।

पेसा कानून, जो अब मध्य प्रदेश में लागू हो रहा है, ग्राम सभाओं को वन क्षेत्रों में सभी प्राकृतिक संसाधनों के संबंध में नियमों और विनियमों पर निर्णय लेने का अधिकार देगा। पेसा कानून जनजातीय लोगों को उन वन क्षेत्रों से प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठाने के लिए अधिक संवैधानिक अधिकार देगा जहां वे रहते हैं।

भारत में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने अपने संबंधित राज्य पंचायती राज अधिनियमों के तहत अपने राज्य पेसा नियमों को अधिसूचित किया है। छत्तीसगढ़ ने 8 अगस्त, 2022 को अपने पेसा नियमों को अधिसूचित किया था।

भारत में अनुसूचित क्षेत्र

संविधान ने मुख्य रूप से अनुसूचित जनजातियों की आबादी वाले क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान किया है।

अनुच्छेद 244(1) के तहत संविधान  असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों नामक कुछ क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान करता है। इन अनुसूचित क्षेत्रों का उल्लेख संविधान की अनुसूची में किया गया है।

असम, मेघालय, त्रिपुरा और मेघालय राज्य के तहत जनजातीय क्षेत्रों और प्रशासन के प्रावधानों का उल्लेख संविधान की अनुसूची 6 में किया गया है।

वर्तमान में, 10 राज्यों ,आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना में उनके संबंधित पांचवीं अनुसूची क्षेत्र हैं।

"पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून 1996" (पीईएसए)

पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए संसद ने संविधान के अनुच्छेद 243एम(4)(बी) के संदर्भ में, "पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून 1996" (पीईएसए) को कुछ संशोधनों और अपवादों के साथ, पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX को पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों तक विस्तारित करने के लिए कानून बनाया है।

पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों वाले राज्यों को इन क्षेत्रों के लिए पंचायत कानून और नियम बनाने का अधिकार दिया गया है।

झारखंड और ओडिशा को छोड़कर, 5वीं अनुसूची में शामिल सभी राज्यों ने अपने संबंधित राज्य पंचायती राज अधिनियमों के तहत अपने राज्य पीईएसए  नियम बनाए हैं।

सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में पंचायतों का उल्लेख है और  राज्य सरकार को इस पर नियम कानून बनाने की शक्ति है।

हालाँकि, देश भर की पंचायतों में एकरूपता लाने और एक ढांचा प्रदान करने के लिए, संसद ने 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1992 पारित किया, जिसने भारत में पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया। हालाँकि राज्य को अपनी  पंचायत प्रणाली के लिए नियम बनाने की शक्ति है।

By admin: Nov. 28, 2022

10. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजगीर में हर घर गंगाजल परियोजना का शुभारंभ किया

Tags: Government Schemes State News

Nitish Kumar launches Har Ghar Gangajal project in Rajgir

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 27 नवंबर को राजगीर में हर घर गंगाजल परियोजना (प्रथम चरण ) का शुभारंभ किया।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • यह राज्य के सूखे क्षेत्रों में नल के माध्यम से गंगा जल उपलब्ध कराने की एक अनूठी और महत्वाकांक्षी पहल है।

  • यह योजना मानसून के मौसम के दौरान गंगा के अतिरिक्त पानी का संचयन करने में मदद करेगी। 

  • पानी को राजगीर और गया के जलाशयों में संग्रहित किया जाएगा, इसके बाद तीन उपचार और शोधन संयंत्रों में भेजा जाएगा, जहां से इसे जनता को आपूर्ति की जाएगी।

  • हर घर गंगाजल बिहार सरकार की जल, जीवन, हरियाली योजना का हिस्सा है।

  • दूसरा चरण 2023 में शुरू होगा और नवादा जिले को भी कवर करेगा।

  • योजना के तहत राजगीर (नालंदा), गया और बोधगया के लगभग 7.5 लाख परिवारों को पाइप से गंगा जल मिलना शुरू हो जाएगा।

  • गया और राजगीर में जलाशयों में ले जाने के लिए 4,000 करोड़ रुपये की योजना ने गंगा के बाढ़ के पानी का संचयन किया है।

  • भारत में यह पहली बार है कि पेयजल के उद्देश्य से बाढ़ के पानी का संचयन किया गया है।


Date Wise Search